👉अल-तकिया और कितमान👈
इस्ला*म का सबसे तेजधार कहा जाने वाला हथियार
आज भी ज्यादातर लोग इन दो नाम के मतलब से अंजान हैं। बहुत ही सरल शब्दों में समझाता हूँ कि मुसलमान अल-तकिया और कितमान का प्रयोग कब और कैसे-2 करते हैं❓
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☝️★अल-तकिया का मतलब होता है, छल-ढोंग-ढकोसला-दिखावा...
☝️★कितमान का मतलब होता है, आड़-मिथ्या-आरोप लगाना आदि...
हमारे सामने आए दिन हिंदुत्व का चोला ओढ़कर भाईचारा की मिसाल देने वाले ईमान* पसन्दों*** के द्वारा अल-तकिया और कितमान को बखूबी प्रयोग किया जाता है...
आखिर किस-किस तरह से इन दोनों शब्द का उपयोग अपने फायदे के लिए किया जाता है
इनमें अभिनेता,पत्रकार,लेखक,नेतागण आदि और भी बहुत से वर्ग सम्मिलित हैं...
ट्वीटर और फेसबुक सहित अन्य सोशलमीडिया में काफी समय से जागरूक भाई-बहन प्रचार-प्रसार कर रहे हैं कि इस आमिर खान की फ़िल्म लालसिंह चड्ढा
का बहिष्कार करो।
इससे पहले भी आमिर खान के शिवलिंग पर दूध चढ़ाने पर दिए गए विवादित बयान और उसकी दूसरी पत्नी किरण राव के राष्ट्र विरोधी बयान पर देश भर में इसकी फिल्म और जिस प्रोडक्ट का प्रचार कर रहा होता है, उसका पूर्ण रूप से बहिष्कार करने की मांगे उठ चुकी है।
इस बहिष्कार का असर देखने को भी मिला है।
आमिर खान की पिछली फिल्मों को अच्छा रिस्पॉन्स नहीं मिला* और टाटा स्काई, स्नैपडील जैसी इंटरनेशनल कंपनी के ब्रांड-एम्बेसडर के पद पर से भी आमिर खान को हटा दिया गया था।
इससे आमिर को काफी भारी मात्रा में नुकसान उठाना पड़ा था***
अब फिर से वापस मुद्दे पर आते है। आमिर खान की जो फिल्म आ रही है "लालसिंह चड्ढा" पहले की तरह राष्ट्रवादी लोगो में "लालसिंह चड्ढा" का बहिष्कार की मांग जोरो से उठ रही है।
आमिर खान को बखूबी पता है कि अगर "लालसिंह चड्ढा" फिल्म फ्लॉप हो गई तो वो कंगाल* हो जाएगा और उसकी मार्किट वेल्यू
भी काफी हद तक गिर जायेगी।
इसको अभी सिर्फ यही चिंता सता रही है। इसीलिए एक मासूम बंदा बनकर अपने फिल्म के प्रमोशन में दिन-रात लगा हुआ है। नेटफ्लिक्स के द्वारा अपने फ़िल्म को प्रमोट कराकर सारे शो खरीदकर सभी के सामने फ़िल्म को हिट दिखाने की तैयारी है।
ताकि हिन्दू जनमानस भ्रमित हो सके
जिस प्रकार से इस थ्रेड के पहले ट्वीट में एक भेड़िये ने भेड़ का चोला ओढ़े हुए है...
ठीक उसी प्रकार इस ने हिंदुत्व का चोला ओढ़ लिया है...
ये बार-बार गिड़गिड़ाना,माँफी माँगना,सहानुभूति कार्ड का प्रयोग करना,रोते-धोते फ़ोटो खींचकर इमोशनल ड्रामा आदि सिर्फ एक इसका मुखौटा है और कुछ नहीं।
जिस बन्दे को और उसकी पत्नी को भारत में डर लग रहा हो, भारत में असहिष्णुता दिख रही हो, दूसरे देश में रहने जाने की बात कर रहा हो, वो आज हिंदुत्व के नाम पर दिखावा कर रहा है...
इसे ही अल-तकिया और कितमान कहते हैं...
इस वक़्त सोशलमीडिया पर वायरल इसके फोटो में ढोंग, दिखावा, छल, ढकोसला
आदि सब कुछ नज़र आता है।
ये सब कुछ अपनी फिल्म को प्रमोट करके अच्छे से अच्छा रिस्पॉन्स मिले, फिल्म हिट हो जाए और मार्किट तथा इंडस्ट्रीज़ में उसकी वेल्यू बनी रहे उसी के लिए हो रहा है।
हमारे इतिहास और अतीत से लेकर आज तक दुनिया का हर मुसलमान अपने या अपने मजहब के फायदे के लिए इन्हीं
दो शब्द का हमेशा से बहुत अच्छे तरीके प्रयोग करते नज़र आएगा। सिर्फ और सिर्फ अपने फायदे,अपने मजहब के फायदे के लिए भाईचारा दिखाते नज़र आयेगा और इन्हीं दो शब्दों के कारण लोग मुसलमानो पर आंख बंद करके विश्वास कर लेते है और बाद में पछताते भी हैं।
जितने भी देशो ने मुसलमानो को शरण दी है
वो आज सब पछता रहे हैं..
इस्लाम में भाईचारा, राष्ट्रभक्ति, हराम है***
क्योंकि इनकी शरीयत आड़े आ जाती है।
इनकी सारी शरीयत के बारे में ध्यान से समझने पर ये बात सिद्ध भी हो जाती है।
इसीलिए कहता रहता हूं कि इस्लाम और शरीयत को जितना जानोगे तुम्हारा अस्तित्व बचाने के लिए अच्छा ही होगा।
वरना आज दुनिया को छोडो भारत के ही कश्मीर, पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश, केरल,झारखंड, आंध्रप्रदेश जैसे और भी अन्य राज्यों की हालत देख लो।
इतिहास साक्षी है कि वहां से हिन्दू और बाकी धर्म वालों को अपना घर बार छोड़कर भागने पर मजबूर होना पड़ा है...
क्योंकि हम सब उनके लिए काफ़िर हैं...
बाकी आगे आप लोगों की मर्जी आप खुद स्वयं मुझसे भी अधिक समझदार हैं...
क्या करना क्या नहीं ये सब आपकी मर्जी...
और हाँ ये लेख सिर्फ आमिर खान की लालसिंह चड्ढा का बॉयकट करने के साथ-साथ...
इन ईमान* पसन्दों*** के द्वारा अलतकिया और कितमान का बखूबी प्रयोग कैसे किया जाता है❓❓❓
ये समझाने के लिये है...
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यही है अलतकिया और कितमान का बखूबी प्रयोग...
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‘लाल सिंह चड्ढा फ्लॉप हुई तो दिल टूट जाएगा’: ‘PK की मासूमियत’ याद दिला कर आमिर खान ने खेला इमोशनल कार्ड, कहा – मैं टेंशन में हूँ
☝️हमें इस धर्मयुद्ध के बीच हर्ष मनाने की आदत को विराम देना होगा***
☝️क्योंकि यह हर्ष मनाने का समय नहीं है।
☝️यह हम सब युद्ध के बाद विजयी होकर ज्यादा सार्थक तरीके से मना लेंगे...
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☝️लेकिन अभी जो भी राष्ट्र के हितों के विरुद्ध बोलता या लिखता हुआ दिखाई देता है...
👉उस पर काल बनकर टूट पड़ने की आवश्यकता है।👈
☝️हम सभी के समक्ष अभी तमाम तरीके के फरेबों/षड्यंत्रों से लोगों को दिग्भ्रमित और आपकी बुद्धि व विवेक को दिशाहीन किये जाने का प्रयास होता ही रहेगा...
☝️लेकिन आपको सिर्फ और सिर्फ भारत के हितों और उसके लिए युद्धरत महारथी प्रधानमंत्री "मोदीजी के नेतृत्व" पर आंख बंद कर विश्वास करना होगा।
☝️यही विश्वास ही तुम्हें ऊर्जा देता है,जो देशद्रोहियों को कमजोर करने का साहस तुम्हे मिलता है...
एक राजा ने एक चलती सड़क कटवाकर बीच में एक पुल बनवा दिया। पुल के नीचे से न कोई नाला,न काेई नहर,न काेई नदी, लेकिन राजा का आदेश था, सो पुल बन गया। राजा ने पुल के पास एक शिकायत-पेटिका भी लगवा दी...
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कि यदि किसी को कोई शिकायत हो तो लिख कर डाल दे।
☝️लोगों में असंतोष था। किन्तु किसी ने कोई विरोध नहीं किया। राजा को प्रजा की मानसिकता जाननी थी, सो उसने जान लिया।
☝️अब उसने उस पुल पर से होकर जाने वालों पर कर लगा दिया। पैदल, घुड़सवार, बैलगाड़ी वाले, रथ वाले, सबको निर्धारित कर देना
होता था।
लोग फिर भी देते थे। असंतुष्ट थे, किन्तु देते थे।
☝️कोई विरोध नहीं हुआ। लोगों ने सोचा-चलने दो जैसा चल रहा है।
राजा एक कदम और आगे बढ़ा और उसने पुल पर 2अतिरिक्त कर्मचारी इसलिए नियुक्त कर दिये कि कर देने वाले प्रत्येक व्यक्ति को वह जितने रुपये कर देता है उतने जूते भी मारे*
☝️इजरायल के ये धर्मयुद्ध भारत के हिन्दूवादियों और सेक्युलरों की आँखें खोलने वाला धर्मयुद्ध है।
-:यहूदी इजरायली और विश्व के मुसलमान:-
☝️जिस तरह 1947 में भारत में से पाकिस्तान वाला हिस्सा अलग किया गया था...
☝️उसी तरह से इजरायल में से फिलिस्तीन से अलग हुआ था।
☝️बस अन्तर इतना था कि पाकिस्तान मुसलमानों के देशद्रोह का नतीजा था और
☝️इजरायल यहूदियों के अधिकारों का।
☝️क्योंकि फिलिस्तीन तो क्या पूरा मध्य एशिया कभी यहूदियों का था...
☝️मगर इस्लाम फैलने के साथ साथ इजरायल सिमटता गया।
☝️1947 में इजरायल बना और 4 जून 1967 को मिस्र, सीरिया, जॉर्डन, इराक, लेबनॉन, अल्जीरिया, कुवैत, लीबिया, मोरक्को, पाकिस्तान और ट्यूनीशिया आदि इन सभी मुस्लिम देशों ने मिलकर इजरायल पर हमला कर दिया।
☝️इजरायल में उस समय मात्र सिर्फ 20% मुसलमान थे।*
ये 20 सालों से इजरायल को बहुत प्यार*