*आजादी और मुसलमान*
थ्रेड:-
भारत देश एैसे ही आजाद नही हुआ है इसे आजाद कराने के लिए सभी मजहब के लोगों ने अपनी कुर्बानी पेश की है लेकिन सबसे ज्यादा मुसलमानों का हिस्सा रहा है और मुसलमानों में सबसे ज़्यादा अहले-हदीसों ने कुर्बानी पेश की है। #IndiaAt75 #JaiHind #IndependenceDay2022
सबसे पहले साल 1757 में अंग्रेज़ों के बढ़ते जुल्म के खिलाफ मुर्शिदाबाद के नवाब सिराजुद्दउला ने पलासी से तहरीक-ए आजादी की मुहिम छेड़ी मगर नाकाम हुए।
फिर साल 1799 में शैर-ए मैसूर टीपू सुल्तान ने श्रीरंगपट्टनम से आजादी के लिए अपनी जान की बाजी लगा दी,
लेकिन कुछ लोगों की गद्दारी की वजह से अंग्रेजों के खिलाफ लड़ते हुए शहीद हुए।
साल 1825 में तहरीक-ए शहीदईन सैय्यद अहमद शहीद और शाह इस्माईल शहीद ने अंग्रेज़ों के जुल्म के खिलाफ खड़े हुए
1847 से 1947 तक जो भी तहरीक वुजूद में आई उनमें उलेमाए अहले हदीस पेश पेश रहे
तहरीक-ए रेशमी रूमाल हो या वहाबी तहरीक हो मौलाना अबुल कलाम आजाद और मौलाना उबैदुल्ला सिंधी के जरिए से ही कायम हुआ
फिर जंग-ए आजादी की चौथी तहरीक बहादुर शाह जफर ने उठाई और इन्होंने भी देश को आजाद कराने की खातिर अपनी जान व माल और बाल बच्चे को कुर्बान कर दिया
फिर साल 1857 में इस तहरीक ने अंग्रेज़ों के खिलाफ आवाज उठाने में बड़ी पुख्तगी दिखाई जिसके नतीजे में तकरीबन 27 हजार मुसलमानों को फांसी के फंदे से लटका दिया गया।
फिर उलेमाए सादिकपुर (पटना) ने हिस्सा लिया जिसमें मौलाना इनायत अली सादिकपुरी ने तहरीक में एैसा जोश भरा कि उलेमाए सादिकपुर से लेकर सभी मकतब के लोगों ने अंग्रेज़ों के खिलाफ जंग छेड़ दी,
जिसकी वजह से अंग्रेजों ने उलेमाए सादिकपुर को कैद खाने में डाल दिया, काला पानी की सजा दी, घर,परिवार को उजाड़ दिया, उन्हें फांसी के फंदे पर लटका दिया गया।
अंग्रेजों के खिलाफ सबसे पहले जिहाद का फतवा शैखुल कुल फिल कुल मियां नजीर हुसैन मुहाद्दिस देहलवी ने दी
जिसके नतीजे में अंग्रेज़ों ने उन्हें रावलपिंडी के कैद खाने में डाल दिया।
राईटर तारा चंद अपनी किताब तारिख तहरीक-ए आजादी-ए हिंद में लिखते हैं कि सिर्फ जमाअत-ए अहले हदीस के पांच लाख उलेमाओं को जंग-ए आजादी में शहीद किए गए।
जब इस देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने उलेमाए सादिकपुर के अमीर मौलाना अब्दुल खबीर सादिकपुरी से मिले तो उन्होंने ने कहा था कि पुरी तहरीक-ए आजादी को अगर एक जानिब रख दिया जाये और उलेमाए सादिकपुर की कुर्बानी को दुसरी जानिब ऱख दिया जाये,
तो उलेमाए सादिकपुर की कुर्बानियां भारी पड़ जायेंगी।
जंग-ए आज़ादी के कुछ मुस्लमान मुजाहिदीन
1.मियां सैयद नज़ीर हुसैन मुहद्दिस देहलवी
2.सैयद हैदर अली रामपुरी 3. मौलवी करामत अली जौनपुरी
4.मौलाना मुहम्मद इब्राहिम आरवी
5.मौलाना अब्दुल वहाब आरवी
6.मौलाना अब्दुल अज़ीज़ रहीमाबादी
7.मौलाना अब्दुल खबीर सादिकपूरी
#थ्रेड
क्या माहे मुहर्रम की फजिलत शहादत-ए हुसैन रजि अल्लाहु अनहु के सबब है?
क्या मुहर्रम का महीना गाली देने के लिए है?
क्या मुहर्रम का महीना सहाबा काे गाली देने के लिए है?
क्या मुहर्रम का महीना हजरत मुआविया रजि-अल्लाहु अनहु काे गाली देने के लिए है?
क्या मुहर्रम का महीना हजरत यजीद रहिमाहु-अल्लाह काे गाली देने के लिए है?
क्या हमें इस इख्तिलाफी मसाएल के चक्कर में पड़ना चाहिए या क्या तरीका इख्तियार करना चाहिए?
इन सवालों के जवाब इस #थ्रेड में देने वाला हूँ ताकि बातिल अपना गुमराह अकीदे काे दुरस्त कर लें।
जवाब:-👇👇
माहे मुहर्रम की हुरमत का शहादत-ए हुसैन रजि-अल्लाहु अनहु से काेई ताल्लुक नही है जाे लाेग यह समझते हैं कि यह महीना इसलिए काबिल-ए एहतिराम है क्याेंकि इस महीने में हजरत हुसैन रजि-अल्लाहु अनहु के शहादत का वाकिया पेश आया यह ख्याल बिल्कुल गलत है।
وہ معزز تھے زمانے میں مسلماں ہو کر
ہم خوار ہوئے تارک قرآں ہوکر۔
جب ہندتوا کے غنڈے ہمیں اکسانے کی کوشش کریں، تو مسلمانوں کو چاہئے کہ اپنے آپ کو کنٹرول میں رکھیں، اپنے غصے کو قابو میں کر لیں ورنہ پھر ہر جگہ ہمیں ہی نقصان اٹھانا پڑتا ہے
اس لئے شرارت پسندوں کے سازش کا شکار نہ بنیں
آج ہمیں سوچنے کی ضرورت ہے کہ ہماری ایسی حالت کیوں ہو گئ کہ ہم ہر جگہ دھکے کھا رہے ہیں
ہر جگہ ہماری پٹائی ہو رہی ہے،
ہر جگہ ہمیں ذلیل ہونا پڑ رہا ہے
کبھی ہم نے اس پہلو پر غور کیا ہے؟
کبھی ہم نے سوچا ہے کہ کیوں اللّٰہ تعالیٰ ہم سے ناراض ہے؟
کیوں ہمارے اوپر مصیبتوں کا پہاڑ ٹوٹ رہا ہے؟
جب ہم اللّٰہ کو ناراض کریں گے، اس کے احکامات کو طاق میں رکھ کر اپنی من مانی زندگی گزاریں گے
اللّٰہ کے نبی کے طریقے پر نہ چل کر غیروں کے مشابہت اختیار کریں گے تو اللّٰہ تعالیٰ ہمیں ذلیل ورسوا کریں گے
थ्रेड:-
ताैहिद का अकीदा मुसलमानों के आमाल के सही व गलत हाेने के साथ जुड़ा है और मुसलमानों के लिए बहुत अहमियत रखता है क्योंकि जिसके अकीदे में खराबी हाे ताे वह हर गलत काम जाे इसलाम के खिलाफ है उसे अंजाम देने की काेशिश करेगा और अपनी दुनिया व आखिरत काे बर्बाद करेगा।
यही ताैहिद दरअसल इलहाद,कुफ्र,शिर्क व बिदअत निफाक और इरतिदाद जैसे कामाें से राेकता है जिसके अंदर हकीकत में अकीदा-ए ताैहिद है वह कभी भी इन बुरे आमाल का इरतेकाब नही कर सकता,
आज के दाैर में मुसलमानों के अकसर तबके में इलहाद, कुफ्र, शिर्क व बिदअत, निफाक और इरतिदाद जैसे बुरे आमाल सरायत कर चुके हैं जिसे ना ताे अल्लाह और उसके रसूल के अहकाम की परवाह है ना अजाबे कब्र और ना ही आखिरत में अपने अंजाम का ख्याल है?
सउदी अरब काे लान-तान करने वाले कुछ जज्बाती लाेग हैं जाे जज्बात में आकर गाली गलाैज से काम ले रहे हैं और अपने आपकाे मुसलमान कहते हैं
सउदी अरब का तबलीगी जमाअत पर पांबदी लगाना काेई ताज्जुब वाली बात नही,इससे पहले भी एक ग्रुप है "सुरूरी(सीरियन मुस्लिम ब्रदरहुड) उसे भी बैन किया गया है।
आप इख्वानुल-मुसलेमीन का भी नाम सुना हाेगा सउदी अरब के अंदर इस ग्रुप काे भी बैन किया गया है
सउदी अरब के अंदर किसी भी जमाअत काे अपना लेबल लगा कर काम करने की इजाजत नही,यह वहां के रूल्स और नियम हैं
सउदी अरब इतंहा-पसंदी काे राेकने के लिए यह कदम उठाया है।
क्याेंकि सउदी अरब के अंदर इससे पहले इस तरह के वाकियात पेश आ चुके हैं कि वहां तख्ता-पलट और बगावत करने की काेशिश की है जिसे नाकाम बना दिया गया था इसलिए तबलीगी जमाअत पर पाबंदी लगाई है ताकि पीछले वाकियात रूनुमा ना हाे सकें। @UnrollHelper
थ्रेड
सउदी अरब एक एैसा मुल्क है जहां सिर्फ ताैहीद का बाेल बाला है शिर्क,बुत परस्ती,बिदअत व खुराफात और तसव्वुफ के लिए काेई जगह नही,
कुरान,सही अहादीस,सही अकीदा और मनहजे-सल्फ पर चलने वाला एक पुर-अम्न और तरक्की याफ्ता मुल्क है
जिसे बर्बाद करने के लिए चाराे तरफ से साजिश रची जा रही है
हाैसी विद्रोही,राफिजी और ख्वारिज आये दिन सउदी पर हमला कर आम नागरिकों काे टार्गेट करते हैं जिन्हें राेकने के लिए सउदी हुकूमत तत्पर रहती है वरना कब इस मुकद्दस सर-जमीन पर कब्जा कर बिदअत व खुराफात, शिर्क व बुत परस्ती का अड्डा बना दिया हाेता.
वह ताे अल्लाह का करम है कि इस मुकद्दस सर-जमीन पर दुश्मनाें के नापाक इरादे खाक में मिल जाते हैं और मिलते रहेंगे
अब बात आती है सउदी हुकूमत के तबलीगी जमात पर पाबंदी के सिलसिले
"किस बुनियाद पर पाबंदी लगाई गई?
क्याें लाेगाें काे उनसे बचने की सलाह दी है?
क्या आप ने इसकी जानकारी ली है?
थ्रेड.
नजीब भी काेई और नही है...
यह नजीब की अम्मी @FatimaNafis1 है जाे 5 साल से अपने बेटे के इंतजार में गम के साये में अपनी जिदंगी गुजार रही है जिन्हें अबतक ना ताे अपना बेटा मिला और ना ही इंसाफ मिला
क्याेंकि यहां दस्तूर ही एैसा है जहां इंसाफ के लिए दरदर की ठाेकरें खाना पड़ता है
नजीब अहमद, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU - जेएनयू) का एमएससी बायोटैकनॉलजी के पहले साल का एक हाेनहार छात्र था ।
14 अक्टूबर 2016 को उसके और @abvpjnu के गुंडाें के बीच झगड़ा हुआ जिसके बाद वह 15 October 2016 से कैंपस से गायब है।
एबीवीपी RSS के छात्र विंग गुंडे हैं
उसी एबीवीपी गुंडे गैंग के काेमल शर्मा,जयंत कुमार और उनके साथियाें ने 5 जनवरी 2020 काे मास्क पहन कर JNU में आतंक मचाया था लेकिन उन लाेगाें पर क्या कारवाई हुई?
कुछ नही. @DelhiPolice जिन्हें अबतक पकड़ ना सकी,
ना उनसब के खिलाफ काेई कारवाई हुई?