आज नई दिल्ली में हुई राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी की विस्तारित राष्ट्रीय कार्य समिति बैठक में उपस्थित पार्टी के सहकारी मित्रों से संवाद साधा। #NCP
साथियों, पुरे विश्व में कोरोना की समस्या होने के कारण आज जैसे हम इकठ्ठा हुए ऐसी स्थिति दो सालों में नही थी। भारत सरकारने कुछ गाइडलाइन्स दी थी।
बैठक लेने के लिए कुछ रुकावटे आई थी, इसिलिए उस कठिन समय में हम लोग मिल नहीं सके। मुझे खुशी है की आज बड़े पैमाने पर हम सब वर्किंग कमिटी की बैठक के लिए इकठ्ठा हुए है। और पिछले दो सालों में राष्ट्रीय अधिवेशन हम नहीं ले सके वही अधिवेशन लेने का मौका हमें मिल रहा हैं।
आज कि मीटिंग और कल का अधिवेशन एक अलग तरह से हो रहा है। इस अधिवेशन की जिम्मेदारी पहली बार राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस और राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस का नेतृत्व करनेवाले हमारे सहयोगीयों ने अपने कंधे पर ली है।
इस दो दिन के कार्यक्रम के लिए राष्ट्रवादी युवक कांग्रेस और राष्ट्रवादी विद्यार्थी कांग्रेस के हर राज्य के प्रतिनिधी यहां निमंत्रित है। इन सभी नौजवान पिढ़ी के सहयोगीयों का मैं यहा खुले दिल से स्वागत करता हूं। #NCP
एक अलग स्थिति हम आज देश के सामने देख रहे हैं। इस बारे में हमारा अहवाल सामने आनेपर पुरी वस्तुस्थिति का आप को अंदाजा आएगा। कल अधिवेशन में इस पर अधिक विस्तारित चर्चा होगी। जिन साथियों को चर्चा में हिस्सा लेना है, उन्हें भी मौका दिया जाएगा।
आज कई ऐसी समस्याएं है जो देश की आम जनता को हर दिन सहन करने की नौबत आ रही है। किसान देश का बहुत बड़ा हिस्सा है, मगर किसानों की समस्याएं हल करने की जिम्मेदारी जिस सरकार के उपर है, उनका रवैया किसानों के साथ कैसा है, वह पुरे देश ने देखा है।
स्वतंत्रता के बाद कभी नहीं हुआ की देश के किसान राजधानी में आते हैं, दिल्ली की सीमा पर आकर बैठते हैं और एक साल आंदोलन करते हैं। उनकी समस्याएं जानने की जिम्मेदारी केंद्र सरकार की थी। मगर उनसे बात भी ना करते हुए सरकारने उन्हें नजरअंदाज किया।
भारत सरकार ने पार्लमेंट में तीन कृषि कानून किए। यह कानून खेती के क्षेत्र के बारे में थे। किसानों के बारे में थे। आपको आश्चर्य होगा की यह तीनों कानून लोकसभा और राज्यसभा इम दोनों सदन में दस मिनट से भी कम समय में पारित किये गए।
इस पर बहस करने का सदन का अधिकार है, इसका स्वीकार नहीं किया गया। इसीलिए वह संघर्ष हुआ। बाद में भारत सरकार को यह तीनों कानून वापस लेने पड़े। और उन्होंने यह कानून रद्द कर दिए।
किसानों की और बहुत समस्याएं है, जब जब देश में फ़सल ज्यादा होती है तब आंतरराष्ट्रीय मार्केट में जाने का मौका किसानों को होता हैं। देश में इस साल धान का उत्पादन बढ़ा है और दुनिया के कई देशों में धान की कमी है।
ऐसी स्थिति में किसानों को दो पैसे ज्यादा मिलने की संभावना थी, मगर भारत सरकार ने राईस एक्सपोर्ट के लिए २० प्रतिशत ड्यूटी घोषित की और कल ही एक नया कदम उठाया की जो धान का छोटा हिस्सा है उन्हें एक्सपोर्ट करने की इज़ाजत पर पाबंदी लाई गई।
पैदावारी यहां बढ़ाकर, दुनिया की मार्केट का लाभ लेना, यह किसानों का हक है। मगर इस हक पर भी एक तरह का संकट लाने का काम भारत सरकार ने किया है। इस से एक बात साफ होती है की देश की साठ प्रतिशत आबादी जो कृषि क्षेत्र में है उनकी समस्या पर ध्यान देने के यह सरकार तय्यार नहीं है।
समाज का एक बड़ा हिस्सा आज नौजवानों का है। उन नौजवानों के सामने सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है। इस बारे में क्या कदम उठाने चाहिए इस पर जगह-जगह चर्चा होती है। कई जगह नौजवानों ने संघर्ष किया। मगर भारत सरकार ने इस तरह से कदम वहां उठाएं की नई पिढ़ी के सामने निराशा आई है।
उनकी समस्या हल करने के लिए कुछ खास कदम उठाए नहीं गए, इसलिए आज देश का नौजवान दुखी है। देश में महिलाओं की स्थिति क्या है इस पर ज्य़ादा बोलने की आवश्यकता नही है।
मुझे आश्चर्य होता है की, १५ अगस्त को देश के प्रधानमंत्री जी ने लाल किले से देशवासियों को संबोधित करते हुए महिला सम्मान की बात की। एक तरफ देश के प्रधानमंत्री महिला सम्मान की बात करते हैं और दो दिन के बाद प्रधानमंत्री जिस राज्य से आते हैं
उस गुजरात में बिलकिस बानो नाम की बहन पर जो अत्याचार किए गए, उसके बालबच्चों पर अत्याचार किए गए। उनकी हत्या की गई, उनके परिवार के लोगों की हत्या की गई, ऐसे गलत काम में जो लोग शामिल थे, उनकी सजा कम करने का काम भारतीय जनता पार्टी की गुजरात सरकार ने किया।
प्रधानमंत्री जी ने जो महिला सम्मान की बात की वह सम्मान की व्याख्या क्या है यह भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात और देशवासियों के दिखाया है। ऐसे कई प्रश्न समाज के कई वर्गों के सामने हैं।
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आज माध्यम प्रतिनिधींशी संवाद साधताना राज्याचे नवनियुक्त मुख्यमंत्री श्री. एकनाथ शिंदे आणि उपमुख्यमंत्री श्री. देवेंद्र फडणवीस यांना शुभेच्छा दिल्या. तसेच त्या अनुषंगाने घडत असलेल्या विविध राजकीय घडामोडींविषयी आपले विचार व्यक्त केले.
राज्याच्या मुख्यमंत्रीपदाची जबाबदारी एकनाथ शिंदे यांना मिळाली आहे, कदाचित त्यांनाही याची कल्पना नसावी. भाजप कार्यपद्धतीमध्ये आदेश दिल्यानंतर तो तंतोतंत पाळावा लागतो. मागच्या काळात जे मुख्यमंत्री होते, त्यांना उपमुख्यमंत्रीपदाची शपथ घ्यावी लागली. हा आश्चर्याचा धक्का होता.
पण एकदा आदेश आला आणि सत्तेची कोणतीही संधी मिळाली तर ती स्वीकारायची असते, याचे उदाहरण देवेंद्र फडणवीस यांनी आज घालून दिले. या दोन्ही गोष्टी आम्हाला कुणालाच माहीत नव्हत्या.
राज्यात निर्माण झालेल्या राजकीय परिस्थितीबाबत आज माध्यम प्रतिनिधींशी संवाद साधला. राष्ट्रवादी काँग्रेस पक्षाच्या सहकाऱ्यांशी बोलल्यानंतर राज्यातील वर्तमान परिस्थितीवर भूमिका मांडली.
महाविकास आघाडीने अडीच वर्षे उत्तम कारभार केला. अनेक महत्त्वाचे निर्णय घेतले. कोरोनासारखे राष्ट्रीय संकट असताना आरोग्य खात्याने अतिशय चांगले काम केले आहे. त्यामुळे महाविकास आघाडीचा प्रयोग यशस्वी ठरला नाही असे कोणी म्हणत असेल तर ते राजकीय अज्ञान आहे.
प्रसिद्धी माध्यमांमधून ज्या गोष्टी पुढे येत आहेत, त्या नाकारता येणार नाहीत. पण विधानसभेचे जे सभासद महाराष्ट्राबाहेर गेले, ते पुन्हा राज्यात आल्यानंतर ज्या प्रकारे त्यांना नेले ही वस्तुस्थिती लोकांना सांगतील व ते पुन्हा शिवसेनेसोबत राहतील. त्यानंतर बहुमत कुणाचे आहे, ते सिद्ध होईल.
In the meeting of representatives of various opposition parties held in New Delhi today to deliberate on the candidate for the Presidential Election. We have unanimously chosen Shri Yashwant Sinha as the common candidate of the opposition parties for the Presidential Election.
In his long and distinguished career in public life, Shri Sinha has served the nation in various capacities and he is eminently qualified to uphold the secular and democratic character of the Indian Republic and its constitutional values.
We have given a candidate who can truly serve as the custodian of the constitution & stop the current government from doing further damage to Indian Democracy & India’s social fabric. A committee has been formed to steer Shri Sinha’s campaign which will start working from today.
पिछले दो-ढ़ाई साल में यह तिसरी बार हुआ है। पिछली दो बार विधायक उठाने का काम हुआ। पिछली बार हमारे विधायकों को हरियाणा, गुड़गांव मे रखा गया था। वहाँ से वो निकलकर आये, उसके बाद उद्धव ठाकरे जी का सरकार बना।
पिछले ढ़ाई साल से महाराष्ट्र की सरकार ठिक तरह से चल रही है। कल महाराष्ट्र विधान परिषद का इलेक्शन हुआ। एनसीपी के दो उम्मीदवारों के लिए वोटों का जो कोटा तय किया गया था, वो उन्हें मिला। हमारी पार्टी के विधायकों ने डिसिप्लिन से वोटिंग किया।
हमारी फ्रंट का एक उम्मीदवार जीत नही सका, ये बात सच है। मुंबई वापस जाने के बाद इस पर चर्चा करेंगे। इस में कुछ ना कुछ रास्ता निकलेगा ऐसा मुझे भरोसा है। महाराष्ट्र सरकार की तीन सहयोगी पार्टीयों मे सही तालमेल है।
वानवडी, पुणे येथे महात्मा फुले सांस्कृतिक भवनात 'व्यापाराचे विद्यापीठ' या पुस्तकाचे प्रकाशन करताना आनंद वाटला.
दी पूना मर्चंट्स चेंबरचे अध्यक्ष राजेंद्र बाठिया यांच्या संकल्पनेतून हे पुस्तक तयार झाले आहे.
व्यापारी समाज हा कष्ट, जिद्द आणि चिकाटीच्या जोरावर देशाच्या विविध प्रांतांतून कित्येक पिढ्या आधी पुणे भागामध्ये येऊन स्थिरावला. महाराष्ट्र भूमी हीच आपली भूमी मानून उद्योग व्यवसायांमध्ये लौकिक कमावला. त्यामुळे पुण्यातील अर्थकारणाला चालना मिळाली.
पुण्याचा शिक्षण क्षेत्रात लौकिक आहेच. व्यापाराचे विद्यापीठ या ग्रंथाच्या प्रकाशनाने व्यापारी क्षेत्राच्या ज्ञानात मोलाची भर घालणारे म्हणून देखील पुणे शहराचा नावलौकिक होईल. या पुस्तकातील प्रत्येकाची जीवनगाथा जिद्द, प्रामाणिकपणा, कष्ट, सकारात्मकता, शिस्त, चिकाटी हे गुण दर्शवते.
काही दिवसांपूर्वी माझी भेट घेण्यासाठी काही लोकांना विनंती केली होती. श्री. दवे यांनी यासंदर्भात वेळ मागितला होता. त्यानंतर आमच्या पक्षाच्या जिल्हाध्यक्षांना याची कल्पना देऊन त्यांनाही या बैठकीला उपस्थित राहण्यासाठी सांगितले. #pressconference#Pune
जिल्हाध्यक्षांकडून समजले की, दवेच नाही तर महाराष्ट्रातील अन्य ठिकाणाहूनही अनेक लोक भेट घेण्यासाठी इच्छुक आहे. यामध्ये वेगवेगळ्या जिल्ह्यांतून नऊ ते दहा संघटनांचे साधारण ४० लोक आले होते. ज्यामध्ये अनेक मुद्दे मांडण्यात आले.
त्यापैकी त्यांच्यात माझ्या पक्षातील काही सहकाऱ्यांनी विधाने केली त्यासंबंधीची अस्वस्थता होती.याबद्दल त्यांना सांगितले की, पक्षांतर्गत त्या विधानांविषयी चर्चा झाली असून अशा पद्धतीने पुन्हा कोणत्याही जाति-धर्मावर न बोलता धोरणात्मक कार्यक्रमावर बोलण्याचा अधिकार आहे असा निर्णय झाला.