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Sep 15 14 tweets 8 min read
#श्राद्ध_का_प्रचलन_कब_शुरु_हुआ ? #और_सबसे_पहले_किसने_किया_था_श्राद्ध

#उत्तर -

"सबसे पहले श्राद्ध कर्म करने वाले #महर्षि_निमि थे" ...!

प्राचीन काल में #ब्रह्माजी के पुत्र हुए महर्षि #अत्रि, उन्हीं के वंश में भगवान #दत्तात्रेय जी का आविर्भाव हुआ ।

#Thread
@Itishree001 Image
भगवान दत्तात्रेय जी के पुत्र हुए महर्षि #निमि और निमि के एक पुत्र हुआ #श्रीमान्

श्रीमान् बहुत सुन्दर युवक था। उनके सामने कामदेव की सुंदरता फीकी थी।

कठोर तपस्या के बाद उसकी मृत्यु होने पर महर्षि निमि को पुत्र शोक के कारण बहुत दु:ख हुआ।

अपने पुत्र की उन्होंने शास्त्रविधि के
अनुसार अशौच (सूतक) निवारण की सारी क्रियाएं कीं ।

फिर #चतुर्दशी के दिन उन्होंने श्राद्ध में दी जाने वाली सारी वस्तुएं एकत्रित कीं।

#अमावस्या को जागने पर भी उनका मन पुत्र शोक से बहुत व्यथित था ।

परन्तु उन्होंने अपना मन शोक से हटाया और पुत्र का श्राद्ध करने का विचार किया ।
उनके पुत्र को जो-जो भोज्य पदार्थ प्रिय थे और शास्त्रों में वर्णित पदार्थों से उन्होंने भोजन तैयार किया।

महर्षि ने सात ब्राह्मणों को बुलाकर उनकी पूजा-प्रदक्षिणा कर उन्हें कुशासन पर बिठाया । फिर उन सातों को एक ही साथ अलोना सावां परोसा ।

इसके बाद ब्राह्मणों के पैरों के नीचे
आसनों पर #कुश बिछा दिये और अपने सामने भी कुश बिछाकर पूरी सावधानी और पवित्रता से अपने पुत्र का नाम और #गोत्र का उच्चारण करके कुशों पर #पिण्डदान किया।

श्राद्ध करने के बाद भी उन्हें बहुत संताप हो रहा था कि वेद में पिता-पितामह आदि के श्राद्ध का विधान है, मैंने पुत्र के निमित्त
किया है । मुनियों ने जो कार्य पहले कभी नहीं किया वह मैंने क्यों कर डाला ?

उन्होंने अपने वंश के प्रवर्तक महर्षि #अत्रि का ध्यान किया तो महर्षि अत्रि वहां आ पहुंचे ।

उन्होंने सान्त्वना देते हुए कहा—‘डरो मत !

तुमने ब्रह्माजी द्वारा श्राद्ध विधि का जो उपदेश किया गया है,
उसी के अनुसार श्राद्ध किया है।’ ब्रह्माजी के उत्पन्न किये हुए कुछ देवता ही पितरों के नाम से प्रसिद्ध हैं; उन्हें ‘#उष्णप’ कहते हैं ।

श्राद्ध में उनकी पूजा करने से श्राद्धकर्ता के पिता-पितामह आदि पितरों का नरक से उद्धार हो जाता है।

इस प्रकार सबसे पहले निमि ने श्राद्ध का
आरम्भ किया ।
उसके बाद सभी महर्षि उनकी देखादेखी शास्त्र विधि के अनुसार #पितृयज्ञ (श्राद्ध) करने लगे।

ऋषि पिण्डदान करने के बाद तीर्थ के जल से पितरों का तर्पण भी करते थे । धीरे-धीरे #चारों_वर्णों के लोग श्राद्ध में देवताओं और पितरों को अन्न देने लगे।
#श्राद्ध_में_पहले_अग्नि_का_भोग_क्यों_लगाया_जाता_है ?

लगातार श्राद्ध में भोजन करते-करते देवता और पितर पूरी तरह से तृप्त हो गये ।

अब वे उस अन्न को पचाने का प्रयत्न करने लगे। अजीर्ण से उन्हें बहुत कष्ट होने लगा।

सोम देवता को साथ लेकर देवता और पितर ब्रह्माजी के पास जाकर बोले
—‘निरन्तर श्राद्ध का अन्न खाते-खाते हमें अजीर्ण हो गया है, और इससे हमें बहुत कष्ट हो रहा है, हमें कष्ट से मुक्ति का उपाय बताइए।’

ब्रह्माजी ने #अग्निदेव से कोई उपाय बताने को कहा ।
#अग्निदेव ने कहा—‘देवताओ और पितरो !

अब से श्राद्ध में हम लोग साथ ही भोजन करेंगे । मेरे साथ
रहने से आप लोगों का अजीर्ण दूर हो जाएगा।’

यह सुनकर सबकी चिन्ता मिट गयी, इसीलिए श्राद्ध में पहले अग्नि का भाग दिया जाता है ।

श्राद्ध में अग्नि का भोग लगाने के बाद जो पितरों के लिए पिण्डदान किया जाता है, उसे #ब्रह्मराक्षस दूषित नहीं करते हैं ।
श्राद्ध में अग्निदेव को उपस्थित
देखकर राक्षस वहां से भाग जाते हैं।

सबसे पहले पिता को, उनके बाद पितामह को और उनके बाद प्रपितामह को पिण्ड देना चाहिए—यही श्राद्ध की विधि है ।

प्रत्येक पिण्ड देते समय एकाग्रचित्त होकर गायत्री-मन्त्र का जप और ‘सोमाय पितृमते स्वाहा’ का उच्चारण करना चाहिए ।

इस प्रकार मरे हुए
मनुष्य अपने वंशजों द्वारा पिण्डदान पाकर प्रेतत्व के कष्ट से छुटकारा पा जाते हैं।

पितरों की भक्ति से मनुष्य को पुष्टि, आयु, संतति, सौभाग्य, समृद्धि, कामनापूर्ति, वाक् सिद्धि, विद्या और सभी सुखों की प्राप्ति होती है।
सुन्दर-सुन्दर वस्त्र, भवन और सुख साधन श्राद्ध कर्ता को स्वयं ही सुलभ हो जाते हैं।

#सनातन_संस्कृति 🚩

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Sep 15
#क्यों_दोपहर_में_होता_है_पितरों_का_भोजन, #दक्षिण_दिशा #की_ओर_पिंडदान_और_तर्पण 🚩🚩

पितृ पक्ष, पितरों का याद करने का समय माना गया है। भाद्र शुक्ल पूर्णिमा को ऋषि तर्पण से आरंभ होकर यह आश्विन कृष्ण अमावस्या तक जिसे महालया कहते हैं उस दिन तक पितृ पक्ष चलता है।
#Thread
इस दौरान पितरों की पूजा की जाती है और उनके नाम से तर्पण, श्राद्ध, पिंडदान और ब्राह्मण भोजन करवाया जाता है। पितृ पूजा में कई बातें ऐसी हैं जो रहस्यमयी हैं और लोगों के मन में सवाल उत्पन्न करते हैं कि आखिर ऐसा क्यों होता है।

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Sep 14
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आईये देखते हैं !

कितना दुर्लभतम भव्यतापूर्ण यह मन्दिर है जिसे सनातनी पूर्वजों ने अपने हाथों से सम्पूर्ण पहाड़ को ही काटकर ही बना डाले हैं !
#Thread
यह निर्माण कार्य "रेगिस्तानी पशु" के आने से पूर्व का है !

यह अतुलनीय श्री नेमिनाथ मन्दिर , ग्वालियर किला , ग्वालियर , मध्यप्रदेश में स्थित है !

मन्दिर के विशालकाय पाषण कक्ष में श्री नेमिनाथ ध्यान साधना में पद्मासन की मुद्रा में विराजमान हैं !श्री नेमिनाथ के मस्तक पर
अतिसौन्दर्यपूर्ण पाषाण छत्र बना हुआ है !

कक्ष के छत पर पूर्ण पुष्पित कमल निर्मित है जो सनातन संस्कृति का पवित्र चिह्न है !

आश्चर्यजनक रूप से यह सभी निर्माण एक ही अखण्ड पाषाण शिला को काटकर निर्मित किया गया है !कक्ष के बाहरी निर्माण को मन्दिर के रूप में गढ़ा गया है !
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Sep 6
#मंदिर_बनने_से_रोजगार_कैसे_मिलता_है 🚩
थोड़ा रिसर्च कर लो तो पता चलेगा कि जम्मू कश्मीर के रेवेन्यू में सबसे बड़ा हाथ वैष्णो देवी मंदिर का होता है। केदारनाथ, बद्रीनाथ, वृंदावन, बनारस, तिरुमला जैसे जगह के रोजगार का मुख्य केंद्र वहां स्थित देवालय ही हैं।

#Thread
@AnkitaBnsl
फूल-पत्ती, माला, प्रसाद को बेचकर जहाँ सैकड़ों अत्यंत गरीब लोग अपने परिवारों की जीविका चलाते हैं वही देश-विदेश के लाखों दर्शनार्थियों के आने से उस क्षेत्र के सभी हजारों छोटे-बड़े दुकानों की अच्छी बिक्री होती हैं, पर्यटन तथा होटल व्यवसाय से जुड़े हजारों परिवारों की जीविका
बढ़ती है और रोजगार का सृजन होता है। साथ ही सरकार का भी रेवेन्यु बढ़ता है।

मंदिर सिर्फ रोज़गार हीं नहीं देते अपितु आम लोगों की सेवा हेतु मंदिर ट्रस्ट विद्यालय, अस्पताल, वृद्धाश्रम, अनाथालय का भी निर्माण करवाते हैं, जिससे फायदा आम जनमानस को होता है।

आइए बताते हैं कि भारत
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Sep 5
*हनुमानजी* की उड़ने की गति कितनी थी
जानिए हनुमानजी की उड़ने की गति कितनी रही होगी उसका अंदाजा आप लगा सकते हैं की रात्रि को 9:00 बजे से लेकर 12:00 बजे तक लक्ष्मण जी एवं मेघनाद का युद्ध हुआ था। मेघनाद द्वारा चलाए गए बाण से#लक्ष्मण जी को शक्ति लगी थी
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लगभग रात को 12:00 बजे के करीब और वो मूर्छित हो गए थे।

#रामजी को लक्ष्मण जी मूर्छा की जानकारी मिलना फिर दुखी होने के बाद चर्चा जे उपरांत हनुमान जी & विभीषणजी के कहने से सुषेण वैद्य को लंका से लेकर आए होंगे 1 घंटे में अर्थात 1:00 बजे के करीबन।
सुषेण वैद्य ने जांच करके बताया होगा
किहिमालय के पास द्रोणागिरी पर्वत🏔️🏔️ पर यह चार औषधियां🏕️🏕️ मिलेगी जिन्हें उन्हें सूर्योदय से पूर्व 5:00 बजे से पहले लेकर आना था ।इसके लिए रात्रि को 1:30 बजे हनुमान जी हिमालय के लिए रवाना हुए होंगे।

हनुमानजी को ढाई हजार किलोमीटर दूर हिमालय के द्रोणगिरि पर्वत से उस औषधि को लेकर
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Sep 5
#अकबर ने एक ब्राह्मण को दयनीय हालत में जब भिक्षाटन करते देखा तो बीरबल की ओर व्यंग्य कसकर बोला
बीरबल ये हैं तुम्हारे ब्राह्मण जिन्हें ब्रह्म देवता के रुप में जाना जाता है.. ये तो भिखारी हैं
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#Thread
@Vedic_Woman
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ब्राह्मण ने कहा - मेरे पास धन, आभूषण, भूमि कुछ नहीं है और मैं ज्यादा शिक्षित भी नहीं हूँ । इसलिए परिवार के पोषण हेतू भिक्षाटन मेरी मजबूरी है ।

बीरबल ने पूछा - 'भिक्षाटन से दिन में कितना प्राप्त हो जाता है ?
ब्राह्मण ने जवाब दिया - 'छह से आठ अशर्फियाँ ।

बीरबल ने कहा - आपको यदि कुछ काम मिले तो क्या आप भिक्षा मांगना छोड़ देंगे ?

ब्राह्मण ने पूछा - मुझे क्या करना होगा ?

बीरबल ने कहा - आपको ब्रह्ममुहूर्त में स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करके प्रतिदिन 101 माला गायत्री मन्त्र का
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Sep 3
जानिए 14 साल वनवास के दौरान कहाँ कहाँ रहे श्री राम 🚩🚩

#Thread_picture
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