#भारत_जोड़ो_यात्रा की ख़बरों को जिस तरह मीडिया ने पूरी तरह दबाने की कोशिश की है, उस हिसाब से तो जिन लोगों ने यात्रा में दो कदम भी चला हो, अपने अनुभव और विचारों को लोगों से साझा करना चाहिए. मुझे ख़ुशी है की मैं कल और परसों मैसूर में यात्रियों से मिल सकी और कुछ देर चल सकी. 1/
कांग्रेस ने #राहुलगाँधी जी के नेतृत्व में यह यात्रा तब निकाली है जब हमारा देश महंगाई, बेरोज़गारी,चीनी अतिक्रमण,बिगड़े सामाजिक संतुलन से गुज़र रहा है. लेकिन इसे महंगाई-विरोधी या नौकरी-दो यात्रा नहीं बुलाया गया इसे #भारत_जोड़ो_यात्रा का नाम दिया गया. हम इसका सही अर्थ कैसे समझें? 2/
सच तो यह है कि हम भारत को तभी जोड़ सकते हैं जब हम माने कि इसे तोडा जा रहा है.सब से पहले,अपनों से बनायीं गयी दूरियां.आज मीडिया 24/7 भड़काऊ बयानों का प्रसारण, हर बात का हिन्दू-मुस्लिम,सांस्कृतिक प्रतीकों को खूंखार बनाना. तोड़ने की यह अथक कोशिश का सामना कररहीहै #भारत_जोड़ो_यात्रा 3/
आर्थिक प्रयासों को विश्वास की ज़रुरत है.हम तब काम कर सकते हैं जब हमें लोगों पर विश्वास हो.जब देशव्यापी घृणा का प्रचार हो,सरकार के सभी तंत्र झूठ,मक्कारी का संरक्षण कर रहे हों,समाज में नेक काम करने वालों का उत्पीड़न जारी रहे,तो लोग किन संस्थाओं पर विश्वास रखे? #भारत_जोड़ो_यात्रा 4/
बढ़ती घृणा, टूटते विश्वास के अलावा महिलाओं पर बढ़े अत्याचार हमारे लिए चुनौती हैं. यह ऐसे काल में घाट रहे हैं जहाँ झूठ को सच,अन्याय को न्याय बताया जाता है.यही कारण "बेटी बचाओ" नारे की वास्तविकता इतनी भयावह रही है,बलात्कारियों को इतना दुस्साहस मिला है.#भारत_जोड़ो_यात्रा 5/
सभी परिस्थितियों को लेकर, जो नाम इस यात्रा पर सटीक बैठता है, वह है #भारत_जोड़ो_यात्रा
अगर आप समझते हैं कि आप पर महंगाई,हिंसा,समाज में न्याय पर घटते विश्वास का असर नहीं पड़ता, तो आप घर में बैठे ज़हरीला टीवी देखते रहें।अगर ये जानते हैं कि असर हम सब पर है, तो सड़क पर ज़रूर उतरिये6/
#भारत_जोड़ो_यात्रा का सही अर्थ यही बनता है -
साहस
देश प्रेम, और देशवासियों से प्रेम को अलग न समझना
एक बेहतर वर्त्तमान और भविष्य के लिए मिलकर सोच और कोशिश
सचाई को सशक्त करना, और झूठ का मुक़ाबला
इस लिए यह केवल महंगाई-विरोधी या नौकरी की मांग की यात्रा नहीं है. जुड़िये. end/
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The significance of the fact that I was stepping out of my home to join the #BharatJodoYatra on #GandhiJayanti was not lost on me. I have been worried for some time now, on how, as citizens we have let down the Mahatma whom we best know now only as the face on currency notes. 1/
Was my participation in the #BharatJodoYatra a simple matter of walking with others on a city street? No. The Yatra was not passing through Bengaluru, so I needed to take a train instead, to Mysuru. My daughter decided to accompany me, with her son. We reached that afternoon. 2/
The first sight that met our eyes was the @INCIndia office just outside Mysuru station. By the time we reached our hotel, we had seen autos with loudspeakers inviting people from Mysuru to a public meeting that evening, and the #BharatJodoYatra the next day. 3/