पूर्ण श्रीराम कौन हैं? #राम तत्व पर एक गुरु-शिष्य के बीच चर्चा हो रही थी। राम को लेकर शिष्य की शंका का समाधान करते हुए गुरु ने बताया कि ऐसी बात नहीं है कि अवधपुरी में राजा दशरथ के घर श्रीराम अवतरित हुए तब से ही लोग श्रीराम का भजन करते हैं।
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नहीं, नहीं, राजा दिलीप, राजा रघु एवं राजा दशरथ के पिता राजा अज भी श्रीराम का ही भजन करते थे।
क्योंकि श्रीराम केवल दशरथ के पुत्र ही नहीं हैं। बल्कि रोम-रोम में जो चेतना व्याप्त रही है, रोम-रोम में जो रम रहा है उसका ही नाम है 'राम'।
रामजी के अवतरण से हजारों-लाखों वर्ष पहले राम नाम
की महिमा वेदों में पायी जाती है।
"रमन्ते योगिनः यस्मिन् स रामः।"
यानी 'जिसमें योगी लोगों का मन रमण करता है उसी को कहते हैं 'राम'।
एक राम घट-घट में बोले,दूजो राम दशरथ घर डोले।
तीसर राम का सकल पसारा, ब्रह्म राम है सबसे न्यारा।।
एक शिष्य ने कहाः "गुरुजी ! आपके कथनानुसार तो चार
राम हुए। ऐसा कैसे ?"
गुरूः "थोड़ी साधना कर, जप-ध्यानादि कर, फिर समझ में आ जायेगा।"
साधना करके शिष्य की बुद्धि सूक्ष्म हुई। तब गुरु ने कहाः
"जीव राम घट-घट में बोले,ईश राम दशरथ घर डोले।
बिंदु राम का सकल पसारा, ब्रह्म राम है सबसे न्यारा।।"
शिष्य बोलाः "गुरुदेव ! जीव, ईश, बिंदु व
ब्रह्म इस प्रकार भी तो राम चार ही हुए न?"
गुरु ने देखा कि साधना आदि करके इसकी मति थोड़ी सूक्ष्म तो हुई है।
किंतु अभी तक चार राम दिख रहे हैं।
गुरु ने करूणा करके समझाया कि "वत्स! देख, घड़े में आया हुआ आकाश, मठ में आया हुआ आकाश, मेघ में आया हुआ आकाश और उससे अलग व्यापक आकाश, ये चार
दिखते हैं। अगर तीनों उपाधियों – घट, मठ, और मेघ को हटा दो तो चारों में आकाश तो एक-का-एक ही है।
इसी प्रकार
"वही राम घट-घट में बोले,वही राम दशरथ घर डोले।
उसी राम का सकल पसारा, वही राम है सबसे न्यारा।"
रोम-रोम में रमने वाला चैतन्य तत्त्व वही का वही है और उसी का नाम है चैतन्य राम। वे ही श्रीराम दशरथ-कौशल्या के घर साकार रूप में अवतरित हुए.
हिंदुओं के बड़े-बड़े नरसंहार सूफियों ने अंजाम दिए हैं...
प्रमाणिक तथ्यों के साथ विश्लेषण
-हम सूफी की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मुसलमान ये बताते हैं कि इस्लाम शांति का धर्म है और सूफी ही इस्लाम का सच्चा चेहरा है।
लेकिन सच्चाई ये है कि दरअसल सूफीवाद ही इस्लाम को फैलाने
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का सबसे बड़ा और मुख्य जरिया है और इसके लिए सूफियों ने काफिरों के रक्तपात से भी कभी परहेज नहीं किया है।
-सूफी... इस्लाम को फैलाने का मुख्य तरीका है...
सूफी भी चार तरह के हैं... 1- नक्शबंदी
2-चिश्ती
3-सुहरावर्दी
4-कादरी
अब इन चार तरीकों में भी सिलसिले होते हैं यानी प्रकार...
जैसे ओवैसी भी एक सिलसिला है,ये अलग-अलग पीर होते हैं...
-आपको ये जानकर हैरानी होगी भारत में हिंदुओं के जितने भी बड़े-बड़े नरसंहार हुए हैं वो सूफियों ने किये और करवाये हैं... आपको उदाहरण देकर समझाते हैं,
-जैसे 1921 में मोपला का नरसंहार हुआ जिसमें हजारों हिंदुओं को मार दिया गया...
जुम्मन टेलर की घरवाली रजिया,जुम्मन के काम पर जाते ही अपने पड़ोसी लतीफ मियां के आगोश में समा जाती।
इस बात को पूरा मोहल्ला जानता था। जुम्मन मियाँ भी जानता था,लेकिन जुम्मन का जोर न तो रजिया पर था और न ही लतीफ पर। इसलिए जुम्मन बड़े दुखी रहता।
एक दिन अचानक से जुम्मन खुश हो गया
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और खुश रहने लगा। लोगों में कानाफूसी शुरू हो गई।🤔
☝️बताओ जिसकी घरवाली दूसरे के साथ रंगरेलियां मनाती हो वो भला इतना खुश कैसे रह सकता है❓
☝️आखिरकार एक दिन कुछ क्लेशजीवियों ने जुम्मन से पूछ ही लिया,"अरे भाई! तेरी घरवाली तो दिन भर लतीफ के साथ सोती है फिर भी तू इतना खुश कैसे❓
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☝️जुम्मन ने कहा पहले मैं भी यही सोच सोच कर दुखी रहता था फिर मैंने अपने सोचने का नजरिया बदल लिया.!
☝️अब मैं सोचने लगा कि रजिया मेरी नहीं लतीफ की घरवाली है जो रात में मेरे साथ सोती है तब से मैं बहुत खुश हूं।
It's Not Joke
हजार सालों* तक मुसल मानों ने बेइंतहा जुल्म किये,
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☝️हमें इस धर्मयुद्ध के बीच हर्ष मनाने की आदत को विराम देना होगा***
☝️क्योंकि यह हर्ष मनाने का समय नहीं है।
☝️यह हम सब युद्ध के बाद विजयी होकर ज्यादा सार्थक तरीके से मना लेंगे...
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☝️लेकिन अभी जो भी राष्ट्र के हितों के विरुद्ध बोलता या लिखता हुआ दिखाई देता है...
👉उस पर काल बनकर टूट पड़ने की आवश्यकता है।👈
☝️हम सभी के समक्ष अभी तमाम तरीके के फरेबों/षड्यंत्रों से लोगों को दिग्भ्रमित और आपकी बुद्धि व विवेक को दिशाहीन किये जाने का प्रयास होता ही रहेगा...
☝️लेकिन आपको सिर्फ और सिर्फ भारत के हितों और उसके लिए युद्धरत महारथी प्रधानमंत्री "मोदीजी के नेतृत्व" पर आंख बंद कर विश्वास करना होगा।
☝️यही विश्वास ही तुम्हें ऊर्जा देता है,जो देशद्रोहियों को कमजोर करने का साहस तुम्हे मिलता है...
👉अल-तकिया और कितमान👈
इस्ला*म का सबसे तेजधार कहा जाने वाला हथियार
आज भी ज्यादातर लोग इन दो नाम के मतलब से अंजान हैं। बहुत ही सरल शब्दों में समझाता हूँ कि मुसलमान अल-तकिया और कितमान का प्रयोग कब और कैसे-2 करते हैं❓
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☝️★अल-तकिया का मतलब होता है, छल-ढोंग-ढकोसला-दिखावा...
☝️★कितमान का मतलब होता है, आड़-मिथ्या-आरोप लगाना आदि...
हमारे सामने आए दिन हिंदुत्व का चोला ओढ़कर भाईचारा की मिसाल देने वाले ईमान* पसन्दों*** के द्वारा अल-तकिया और कितमान को बखूबी प्रयोग किया जाता है...
आखिर किस-किस तरह से इन दोनों शब्द का उपयोग अपने फायदे के लिए किया जाता है
इनमें अभिनेता,पत्रकार,लेखक,नेतागण आदि और भी बहुत से वर्ग सम्मिलित हैं...
ट्वीटर और फेसबुक सहित अन्य सोशलमीडिया में काफी समय से जागरूक भाई-बहन प्रचार-प्रसार कर रहे हैं कि इस आमिर खान की फ़िल्म लालसिंह चड्ढा
एक राजा ने एक चलती सड़क कटवाकर बीच में एक पुल बनवा दिया। पुल के नीचे से न कोई नाला,न काेई नहर,न काेई नदी, लेकिन राजा का आदेश था, सो पुल बन गया। राजा ने पुल के पास एक शिकायत-पेटिका भी लगवा दी...
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कि यदि किसी को कोई शिकायत हो तो लिख कर डाल दे।
☝️लोगों में असंतोष था। किन्तु किसी ने कोई विरोध नहीं किया। राजा को प्रजा की मानसिकता जाननी थी, सो उसने जान लिया।
☝️अब उसने उस पुल पर से होकर जाने वालों पर कर लगा दिया। पैदल, घुड़सवार, बैलगाड़ी वाले, रथ वाले, सबको निर्धारित कर देना
होता था।
लोग फिर भी देते थे। असंतुष्ट थे, किन्तु देते थे।
☝️कोई विरोध नहीं हुआ। लोगों ने सोचा-चलने दो जैसा चल रहा है।
राजा एक कदम और आगे बढ़ा और उसने पुल पर 2अतिरिक्त कर्मचारी इसलिए नियुक्त कर दिये कि कर देने वाले प्रत्येक व्यक्ति को वह जितने रुपये कर देता है उतने जूते भी मारे*