दि:18/10/2022 मंगलवार को एक किसान दुर्गेश सिंह गांव- #शिवचरण_का_पुरवा_मजरे_खुर्द, ब्लॉक- #ऐरायाँ, तहसील- #खागा, जनपद- #फतेहपुर, #उत्तरप्रदेश, दुर्गेश सिंह जी अपने खेत मे आलू की फसल की बुआई करने के लिए ट्रेक्टर से खेत जोत रहे थे, तभी ट्रेक्टर के फल मे कुछ टकराने की आवाज सुनाई दी,
पिछले ढाई हजार साल का यह इतिहास है कि आक्रमणकारी यूरेशियन ब्राह्मणोे द्वारा भारत की मूलनिवासी प्रजा को गुलाम बनाकर उनके साथ अमानवीयता का व्यवहार किया गया|
इस गुलामी से मूलनिवासियो को मुक्त करने का काम भारत के इतिहास मे पहली बार तथागत बुद्ध ने किया| बुद्ध का आन्दोलन मूलत:
ब्राह्मणो द्वारा निर्मित चातुर्वर्ण्य व्यवस्था के खिलाफ था| ब्राह्मणो के प्रत्येक तर्क का खंडन करते हुए इस व्यवस्था को जड से उखाड फेंकने का काम तथागत बुद्ध ने अपने समय मे किया| समता, स्वतंत्रता, भाईचारा एवं न्याय पर आधारीत समाज तथा राष्ट्र का निर्माण करना, यह तथागत बुद्ध का मूल
मकसद था| व्यवस्था के खिलाफ लडाई लडते समय बुद्ध ने विचारधारा को एक हथियार के तौर पर इस्तेमाल करते हुए लोगो के विचारो मे मूलभूत परिवर्तन लाने का काम किया, परिणामत: इस देश मे सामाजिक क्रांति हुई|
पूरे ढाई हजार साल पश्चात डॉ.बाबासाहेब आंबेडकर के माध्यम से सन 1956 को अशोक विजयादशमी के
बौद्ध धर्म मे बुद्धपदो का अत्यंत महत्व है| बुद्धपद तथागत बुद्ध के ऐतिहासिक होने की पहचान है| बुद्ध भले ही हमारे बीच नही है, लेकिन बुद्धपदो के रुप मे हम उन्हे महसूस कर सकते है, यह लोगो का विश्वास था| इसलिए, बौद्ध लोग बुद्धपदो की पूजा करते थे|
बौद्ध धर्म मे जो पादुका पुजा है, वह वास्तव मे बुद्धपद पुजा है, जिसे "सिरिपद पुजा" भी कहा जाता है| सिरि मतलब बुद्ध और सिरिपाद मतलब बुद्धपद| सिरिमान (श्रीमान) मतलब बुद्ध को माननेवाला बौद्ध अनुयायी और सिरिमती (श्रीमती) मतलब बुद्ध को माननेवाली बौद्ध अनुयायी| सम्राट अशोक ने कश्मीर मे
बुद्ध की याद मे सिरिनगर ( वर्तमान श्रीनगर) स्थापित कर दिया था| सिरिनगर मतलब बुद्ध का नगर|
तथागत बुद्ध के पदो की पुजा का प्रचलन बौद्ध काल मे बडे पैमाने पर फैल गया था| बुद्ध पदो की पुजा आज भी तथागत विठ्ठल की पादुका पुजन के रुप मे किया जाता है| रामायण मे भरत अपने भाई बोधिसत्व राम
भारत की समृद्धशाली परंपरा मे #बाम्हन_बाभन शब्द का प्रयोग:-
चक्रवर्ती सम्राट अशोक द्वारा लिखित वृहद अभिलेख का चतुर्थ संदेश है #बाम्हन_समण के प्रति लोग आदर का भाव रखे|
अब यहां ध्यान दे कि पाली वाक्य मे जब दो या दो से अधिक संज्ञा नाम का प्रयोग करना होता है तो उन सबो के बीच मे #च
का प्रयोग होता है| जैसे:- बुद्धो भूपालस्स च अमच्चानं च धम्मं देसेस्सति|
सम्राट ने अपने अभिलेख मे #बाम्हनसमण के बीच #च का प्रयोग नही किये है| जिस वजह से इसे निरंतरता से पढे और इसका अर्थ भी एक ही साथ करे|
(याद रखे कि पाली मे बाम्हन का अर्थ विद्वान होता है, और समण का अर्थ नष्ट करने
वाला, बुझाने वाला होता है|
जैसे:- #अग्नि_शमन_वाहन) यानी सम्राट द्वारा समण (#भिक्खु) को ही बाम्हन (#विद्वान) भिक्खु कहकर संबोधित कर रहे है|
उसी प्रकार सम्राट #समुद्रगुप्त का इलाहाबाद स्तंभ लेख मे भी #बाभनेआजीवको लिखा हुआ मिला है| यानी यहां भी आजीवक को ही विद्वान(बाभने) कह रहे है|
13अक्तूबर के दिन येवला मे आयोजित बुद्धिस्ट इंटरनेशनल नेटवर्क की धम्मपरिषद मे शामिल हो जाओ|
नेपाल के काठमांडू और भारत के नाशिक शहर मे "नागबलि यज्ञ" किया जाता है| भारत का इतिहास "बौद्ध क्षत्रिय बनाम ब्राम्हण पुरोहित" के बीच चले निरंतर संघर्ष का इतिहास है| नागबलि परंपरा उसी भयंकर
संघर्ष का प्रतीक है|
मूलनिवासी बहुजनो को प्राचीन भारत मे "नागवंशी खत्तिय" कहा जाता था| नाग वास्तव मे मूलनिवासी बहुजनो का टोटेम था, इसलिए उन्हे नागवंशी कहा जाता है| नागवंशी लोग प्राचीन बौद्ध थे| इसके शेकडो प्रमाण हमे बौद्ध साहित्य और शिल्पो मे मिलते है| दक्षिण भारत के अमरावती
स्तुप मे नागराजा और उसकी रानीयाँ बुद्ध का अभिवादन करते हुए शिल्प मे दिखाए गए है| कान्हेरी बौद्ध गुफा क्रमांक90 और घटोत्कच बौद्ध गुफा मे नागराजा का शिल्प है और उसके उपर नागफनी दिखती है| नागार्जुनकोंडा मे बुद्ध की मुर्ति के उपर सात नागफनी दिखाए गए है, जिससे स्पष्ट होता है कि, तथागत
@AdvRajendraPal@AamAadmiParty@AAPDelhi नाम के राजनैतिक दल के एम्प्लॉई थे | उन्हे कैबिनेट मंत्री पद से भी नवाजा गया था | अगर आप किसी कंपनी या राजनैतिक दल से जुडे है तो उस कंपनी या दल की विचारधारा अनुसार कार्य करना होता है |
AAP एक ब्राह्मणवादी राजनैतिक दल है, ब्राह्मणवादी दल
बौद्ध धम्म के विरोध मे ही काम करेगा | अरविंद केजरीवाल कह चुके है वे ब्राह्मण निर्देशित एक बनिया है और दूसरे नंबर के नेता मनीष सिसोदिया ने कहा है वे भी ब्राह्मण निर्देशित क्षत्रिय राजपूत है |
बौद्ध धम्म समर्थक अरविंद केजरीवाल और उसकी आम आदमी पार्टी से 22 प्रतिज्ञाओ पर कैसे नरम
#06अक्टूबर2022 की नागपुर (महाराष्ट्र) मे आयोजित भारत मुक्ति मोर्चा एवम बहुजन क्रान्ति मोर्चा की विशाल महारैली मे 85% मूलनिवासी समाज के प्रत्येक संगठन को सम्मिलित होने के लिए मा वामन मेश्राम साहब ने अपील की है|
यह महारैली संविधान एवम तमाम तरह के संवैधानिक
मौलिक अधिकारो को बचाने के लिए आयोजित की गई है|
क्योंकि RSS-BJP ने हरियाणा, उत्तरप्रदेश , छत्तीसगढ़ एवं बिहार मे हमारे कार्यक्रमो एवम परिवर्तन यात्रा को रोक कर संवैधानिक मौलिक अधिकारो का हनन किया है|
मूलनिवासी समाज को आर्टिकल19 के तहत मिले संगठन बनाने एवम विचारो की अभिव्यक्ति
करने की आजादी के अधिकार ही ब्राह्मणो ने खत्म कर दिए है तो फिर बचा ही क्या??
यह सब कुछ जानते हुए भी जो संगठन इस विशाल महारैली मे सम्मिलित होकर, महारैली को सफल बनाने के लिए साथ एवम सहयोग नही करेंगे, ऐसे संगठनो के असली चेहरे समाज के सामने आ जायेंगे?