☝️एक थे सर्वनिंदक महोदय,बोले तो निंदा गजब की करते थे,
☝️हमेशा दूसरों के काम में टाँग फँसाते थे...
☝️अगर कोई व्यक्ति मेहनत करके थोड़ा सा सुस्ताने के लिए भी बैठता तो कहते कि "मूर्ख एक नम्बर का कामचोर है"
☝️अगर कोई काम करते हुए मिलता तो कहते कि "ये मूर्ख जिंदगी भर काम
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करते हुए मर जायेगा"
☝️यदि कोई पूजा-पाठ में ज्यादा रुचि दिखाता तो कहते कि "पूजा-पाठ के नाम पर देह चुरा रहा है,ये पूजा-पाठ के नाम पर मस्ती करने के अलावा कुछ कर ही नहीं कर सकता"
☝️अगर कोई व्यक्ति पूजा-पाठ नहीं करता तो कहते कि"ये मूर्ख तो नास्तिक है,भगवान से कोई मतलब ही नहीं है
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मरने के बाद पक्का नर्क में जायेगा"
☝️यानी कि कहा जाए तो जाने-माने निंदा के इतने पक्के शातिर खिलाड़ी बन गये कि एक महोदय ने एक दुनिया के सर्वश्रेष्ठ हलवाई के पास इनकी खबर पहुँचा ही दिया,
☝️उस हलवाई कहा कि उन्हें हमारे यहाँ भोजन पर आमंत्रित कीजिए...
☝️वह महोदत तुरंत हलवाई का
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न्यौता लेकर सर्वनिंदक महाराज के पास पहुँचे और बिना कोई जोखिम लिए हुए उन्हें अपने साथ ही हलवाई के यहाँ लेकर पहुँच गये कि पता नहीं कब महाराज पलटी मार दे...
☝️उधर हलवाई ने नाना प्रकार के व्यंजन अपने हाथों से तैयार कर सर्वनिंदक जी को परोस दिए,
☝️सर्वनिंदक ने जमकर हाथ साफ किया,
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☝️वे बड़े प्रसन्न दिख रहे थे तो इसलिए उस हलवाई को पूरा विश्वास हो गया कि सर्वनिंदक जी को उसके बनाये भोजन की निंदा कर ही नहीं सकते...
☝️फिर भी उन महोदय को संतुष्ट करने के लिए पूछ लिया कि "और महाराज भोजन कैसा लगा❓"
☝️सर्वनिंदक जी बोले, 'महाराज भोजन का तो पूछिए मत बस...
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आत्मा तृप्त हो गयी हमाई🤗
☝️लेकिन भोजन इतना भी अच्छा नहीं बनना चाहिए कि "आदमी खाते-खाते प्राण ही त्याग दे"
☝️हलवाई ने अपना माथा पीट लिया और बोला "महाराज निंदा के प्रति आपका समर्पण देखकर मैं प्रसन्न हुआ आपने तो सर्वश्रेष्ठ भोजन बनाने वाले को भी नहीं छोडा़,आप कुछ भी माँग लो
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☝️सर्वनिंदक जी ने शर्माते हुए कहा 'महाशय बस दिन-प्रतिदिन मेरे वंश में वृध्दि होनी चाहिए,ऐसा आशीर्वाद दीजिए,
☝️और बस तभी से ऐसे निरर्थक सर्वनिंदक सोशलमीडिया रूपी समाज में बहुतायत में पाए जाने लगे
☝️खासकर हमारे मोदीजी की कुंडली में ये सर्वनिन्दक अपना कार्य बखूबी कर रहे हैं।
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☝️ये #विरोध करने वाले हर हाल में #विरोध तो करेंगे ही...
☝️इनको तो हर हाल में रोना है😠😠😠
☝️ये क्यों किया❓😠
☝️ऐसा क्यों किया❓😠
☝️वैसा क्यों किया❓😠
☝️ऐसे नहीं ऐसे करना था❓😠😠😠 etc...
☝️ये अब भी नहीं समझेंगे😠
☝️#रोने वाले #रोना अब भी #रोएंगे😠
☝️हमारे लिए ये नहीं किया😠
☝️हमारे लिए वो नहीं किया😠
☝️ये करना था,ये नहीं करना था😠
☝️ऐसे नहीं ऐसे होना था,वैसे होना था😠
☝️इनका काम ही है #रोने का है,ये #रोना कभी नहीं छोड़ेंगे😠
☝️आख़िर करनी तो इनको #गुलामी है😠
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☝️हमारे पूर्वज भेड़िए को भेड़िया ही समझते थे,इसलिए भेड़िए से या तो दूर रहते थे या हाथ में तलवार लेकर मिलते थे, इसलिए सुरक्षित थे समय-समय पर भेड़िए से भिड़ंत भी हो जाती थी और कभी कभी भेड़िया बाजी भी मार ले जाता था जिससे जन-धन की हानि तो होती थी पर मूल सदैव
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सुरक्षित रहा कारण कि "हम चाहे हारते या जीतते पर भेड़िए को भेड़िया ही समझते थे"...
☝️समय बीता और कुछ लोमड़ियों ने भेड़िए के साथ मित्रता गांठी और उच्छिष्ट मांस में अपना हिस्सा निर्धारित कर लिया,
☝️लोमड़ी और भेड़िया गठजोड़ हमारे मध्य अच्छे भेड़िए का शगूफा छोड़ने में सफल रहा तभी से
हम अच्छे और बुरे भेड़िए के विभेद में उलझ गए और भेड़ियों के शिकार होकर सिमटने लगे कालांतर में लोमड़ी-भेड़िया गठजोड़ और प्रभावी हुआ और नाना प्रकार के भेड़ियों की संकल्पना रची गई जैसे की गरीब भेड़िया, अनपढ़ भेड़िया, भटका हुआ भेड़िया आदि आदि…
#तटस्थता। पढ़ने में यह शब्द जितना अच्छा लगता है उतना ही घातक है।
☝️किसी को किसी के साथ अन्याय करते हुए देखकर भी तटस्थ रहना एक प्रकार से अन्याय का साथ देना ही है।
कथा महाभारत के 18 वें दिन की है। भीम के गदा प्रहार से दुर्योधन की
जंघा टूट चुकी थी।
☝️इतने में बलराम गरजते हुए पहुंचे और कहा भीम तुमने गदा युद्ध के नियम का उल्लंघन किया किया है। मैं तुम्हारा वध कर दूंगा कहकर अपना हल उठा लिया। श्रीकृष्ण आगे आ गये और पूछा कि बड़े भाई आपको यह अधिकार किसने दिया कि आप भीम का वध करें?
☝️तडककर बलराम ने क्यों नहीं कर
सकता? भीम के अन्याय का दंड देना उचित है।
☝️कृष्ण- भैया पहले यह बताओ कि इसके पहले कितने अन्याइयों को दंड दे चुके हैं?
☝️बलराम- इससे क्या अंतर पड़ता है?
☝️कृष्ण- अंतर पड़ता है भैया। किसी तटस्थ व्यक्ति को किसी युद्ध में दखल देने का अधिकार नहीं है।
☝️बलराम- मैं तटस्थ कब रहा? बताओगे?
☝️एक बार की बात है। इटली से एक व्यापारी का जहाज अपने देश में आया। जहाज का नाम था 'एनरिका लेक्सी।
जब ये जहाज जब केरल के कोल्लम तट से बीस मील की दूरी पर था तो एक हादसा हुआ।
कोल्लम से निकले मछुआरों का दल अपनी नाव से इस जहाज के सामने से गुजर रहा था। जहाज पर तैनात इटली
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हथियारबंद लोगों ने मछुआरों को समुद्री डाकू समझकर फायरिंग शुरू कर दी।
दो मछुआरे वैलेंटीन जैलेस्टीन और अजेश बी इस हमले में मारे गए। जिन लोगों ने हत्या की, उनकी गिरफ्तारी में केंद्र सरकार(2012) को पसीना छूट गया था।
ये मामला सन 2012 का है और उस वक्त केंद्र में मनमोहन (खोल के
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भीतर सोनिया) सरकार थी।
☝️मनमोहन सरकार का लचरपन देखिये कि कि दोनों आरोपी मैसिमिलियानो लैटोरे और सैल्वेटोरे जिरोने इस प्रकरण की सुनवाई के दौरान चार साल तक हिरासत में रहते हैं गिरफ्तार नहीं किये जाते।
☝️सरकार की ओर से दो कौड़ी की पैरवी होती है और दोनों आरोपियों को जमानत मिल
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हिंदुओं के बड़े-बड़े नरसंहार सूफियों ने अंजाम दिए हैं...
प्रमाणिक तथ्यों के साथ विश्लेषण
-हम सूफी की बात इसलिए कर रहे हैं क्योंकि मुसलमान ये बताते हैं कि इस्लाम शांति का धर्म है और सूफी ही इस्लाम का सच्चा चेहरा है।
लेकिन सच्चाई ये है कि दरअसल सूफीवाद ही इस्लाम को फैलाने
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का सबसे बड़ा और मुख्य जरिया है और इसके लिए सूफियों ने काफिरों के रक्तपात से भी कभी परहेज नहीं किया है।
-सूफी... इस्लाम को फैलाने का मुख्य तरीका है...
सूफी भी चार तरह के हैं... 1- नक्शबंदी
2-चिश्ती
3-सुहरावर्दी
4-कादरी
अब इन चार तरीकों में भी सिलसिले होते हैं यानी प्रकार...
जैसे ओवैसी भी एक सिलसिला है,ये अलग-अलग पीर होते हैं...
-आपको ये जानकर हैरानी होगी भारत में हिंदुओं के जितने भी बड़े-बड़े नरसंहार हुए हैं वो सूफियों ने किये और करवाये हैं... आपको उदाहरण देकर समझाते हैं,
-जैसे 1921 में मोपला का नरसंहार हुआ जिसमें हजारों हिंदुओं को मार दिया गया...
जुम्मन टेलर की घरवाली रजिया,जुम्मन के काम पर जाते ही अपने पड़ोसी लतीफ मियां के आगोश में समा जाती।
इस बात को पूरा मोहल्ला जानता था। जुम्मन मियाँ भी जानता था,लेकिन जुम्मन का जोर न तो रजिया पर था और न ही लतीफ पर। इसलिए जुम्मन बड़े दुखी रहता।
एक दिन अचानक से जुम्मन खुश हो गया
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और खुश रहने लगा। लोगों में कानाफूसी शुरू हो गई।🤔
☝️बताओ जिसकी घरवाली दूसरे के साथ रंगरेलियां मनाती हो वो भला इतना खुश कैसे रह सकता है❓
☝️आखिरकार एक दिन कुछ क्लेशजीवियों ने जुम्मन से पूछ ही लिया,"अरे भाई! तेरी घरवाली तो दिन भर लतीफ के साथ सोती है फिर भी तू इतना खुश कैसे❓
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☝️जुम्मन ने कहा पहले मैं भी यही सोच सोच कर दुखी रहता था फिर मैंने अपने सोचने का नजरिया बदल लिया.!
☝️अब मैं सोचने लगा कि रजिया मेरी नहीं लतीफ की घरवाली है जो रात में मेरे साथ सोती है तब से मैं बहुत खुश हूं।
It's Not Joke
हजार सालों* तक मुसल मानों ने बेइंतहा जुल्म किये,
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