भारतीय महिलाएं दंडवत प्रणाम क्यों नहीं करती हैं...
जब कि ये भगवान को प्रणाम करने का सही तरीका है..
आपने कभी ये देखा है कि कई लोग मूर्ति के सामने लेट कर माथा टेकते है। जी हां इसी को साष्टांग दंडवत प्रणाम कहा जाता है।
शास्त्रों के अनुसार माना जाता है कि इस प्रणामें व्यक्ति का 👇
हर एक अंग जमीन को स्पर्श करता है। जो कि माना जाता है कि व्यक्ति अपना अहंकार छोड़ चुका है। इस आसन के जरिए आप ईश्वर को यह बताते हैं कि आप उसे मदद के लिए पुकार रहे हैं। यह आसन आपको ईश्वर की शरण में ले जाता हैलेकिन आपने यह कभी ध्यान दिया है कि महिलाएं इस प्रणाम को क्यों नहीं करती है
इस बारें में शास्त्र में बताया गया है।
शास्त्रों के अनुसार स्त्री का गर्भ और उसके वक्ष कभी जमीन से स्पर्श नहीं होने चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि उसका गर्भ एक जीवन को सहेज कर रखता है और वक्ष उस जीवन को पोषण देते हैं। इसलिए यह प्रणाम को स्त्रियां नहीं कर सकती है। जो करती भी है 👇
जब भी हम किसी शिव मंदिर जाते हैं तो अक्सर देखते हैं कि कुछ लोग शिवलिंग के सामने बैठे नंदी के कान में अपनी मनोकामना कहते हैं। ये एक परंपरा बन गई है। इस परंपरा के पीछे की वजह एक मान्यता है। आज हम आपको 👇
सी के बारे में बता रहे हैं, जो इस प्रकार है..
इसलिए नंदी के कान में कहते हैं मनोकामना
मान्यता है जहां भी शिव मंदिर होता है, वहां नंदी की स्थापना भी जरूर की जाती है क्योंकि नंदी भगवान शिव के परम भक्त हैं। जब भी कोई व्यक्ति शिव मंदिर में आता है तो वह नंदी के कान में अपनी मनोकामना
कहता है। इसके पीछे मान्यता है कि भगवान शिव तपस्वी हैं और वे हमेशा समाधि में रहते हैं। ऐसे में उनकी समाधि और तपस्या में कोई विघ्न ना आए। इसलिए नंदी ही हमारी मनोकामना शिवजी तक पहुंचाते हैं। इसी मान्यता के चलते लोग नंदी को लोग अपनी मनोकामना कहते हैं।
जनहित याचिका का दुरुपयोग
ऐसी याचिका दायर करने वाले
पर भारी जुर्माना लगे
राज्यपाल पर महाभियोग की
मांग की गई बॉम्बे हाई कोर्टमें
बॉम्बे हाई कोर्ट में एक कथित सामाजिक कार्यकर्त्ता दीपक जगदेवने जनहित याचिका दायर करके राज्यपाल भगतसिंह कोश्यारी के खिलाफ महाभियोग चलाने की मांग की है👇
उसने अपने वकील नितिन सतपुते के जरिये दायर याचिका में दावा किया कि राज्यपाल ने शिवाजी महाराज, अंबेडकर, ज्योतिबा फुले और सावित्री फुले पर अपमानजनक बयान दिए हैं जिनके लिए उन पर महाभियोग चलाया जाना चाहिए -जगदेव ने दावा किया कि उनके बयानों की वजह से पूरा महाराष्ट्र जल रहा है, राजनीतिक
दल और लोकल संस्थाएं प्रदर्शन कर रही हैं -
जगदेव ने और आगे बढ़ कर कहा है कि राज्यपाल को IPC की धारा 153 और 153 A में संविधान के अनुसार कोई संरक्षण प्राप्त नहीं है - उन्होंने आर्टिकल 19 के तहत अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का नाजायज फायदा उठाया है
भगवान शिव का समय
भारत का एक द्वन्द्वात्मक काल था।
उस संघर्षमय परिवेश में ही शिव का आविर्भाव हुआ था।
इस काल में एक नियमबद्व समाज का संगठन नही हुआ था।
सामाजिक जीवन में कुछ भी विधिवद्व नहीं था उस समय मातृशासित समाज व्यवस्था का सूत्रपात हो रहा था।
पिता का पता न होने से
बालक का 👇
परिचय माता से ही दिया जाता था।
इस समय विभिन्न गोत्रों के समूहों में परस्पर संघर्ष होते रहते थे।
भगवान शिव ने ही इनको एक सूत्र में बिना किसी भेदभाव के बाँधने का प्रयत्न किया।
दक्ष ने
भगवान शिव का अपमान करने के लिए ही एक यज्ञ किया था।
जिसमें भगवान शिव को आमन्त्रित नहीं किया।
इसी
अपमान के कारण भगवती सती ने अपने शरीर का त्याग कर दिया।
भगवान शिव का आविर्भाव
ऐसे युग में हुआ जब समाज में कोई व्यवस्था ही नहीं थी।
इस व्यवस्था को बिठाने में उन्हें काफी संघर्ष भी करना पड़ा।
किसी आदर्श को
मूर्तरूप देने के लिए बलिष्ठता न कठोरता की भी आवश्यकता होती है।
ऐसे ही
अगर आप आम आदमी पार्टी को वोट देने का विचार कर रहे हे
तो पहले यह मेसेज जरूर पढे
*केजरीवाल के 2014 के दिल्ली मे कीये चुनावी वायदों का हाल*
▪️जनलोकपाल लाएंगे-
❌ (नही लाएं)
▪️स्वराज लाएंगे-
❌ (नहीं लाये)
▪️भ्र्ष्टाचारमुक्त दिल्ली देंगे-
❌ (खुद भरष्टाचारी बन गए)👇
VIP कल्चर खत्म करेंगे
लाल बत्ती की गाड़ियां लेके
घुमते हे
500 जवानों की सिक्योरिटी
,गाड़ी, बंगला सिक्योरिटी नही लेंगे सरकारी बंगले में 30 करोड़ की लागत से आलीशान महल लिया
फ्री वाई फाई देंगे-
❌ (नही दिया)
15 लाख CCTV कैमरे लगाएंगे- X
(दिल्ली पुलिस ने लगवाएं 1.25 लाख कैमरे)
500 नये स्कूल खोलेंगे-
❌ (1भी नही)
▪️20 मेडिकल कॉलेज -
❌ (1 भी नहीं)
▪️25 डिग्री कॉलेज -
❌ (1 भी नहीं)
▪️15 यूनिवर्सिटीज -
❌ (1 भी नहीं)
▪️1500 मोहल्ला क्लिनिक-
बने सिर्फ 180 (इनमें से लगभग 100 बंद पड़े हैं या दवा डॉक्टर नही है)
ये सब क्लीनिक भी किराए की बिल्डिंग में हैं