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Dec 1 15 tweets 4 min read
💥 #हिमालय_पर्वत_के_रहस्य 🚩🚩

हिमालय केवल उतना ही नहीं जितना दिखाई देता है हिमालय में बहुत कुछ अदृश्य है!

ज्ञानगंज सिद्धाश्रम जैसे स्थान प्रकट नही हैं लेकिन हैं
ये दिव्य स्थान केवल साधक की सूक्ष्म दृष्टि से ही देखे और अनुभव किए जा सकते हैं..

इतना ही नहीं बहुत सी दिव्य Image
आत्माएं भी युगों युगों से हिमालय पर रह कर सृष्टि का संचालन करती हैं, महायोगी योगानंद जी ने भी अपनी पुस्तक "योगी कथामृत" मे इन सभी रहस्यों को उघारा है!

परम्परा के अनुसार ऐसा विश्वास किया जाता है कि हिमालय पर्वत में सिद्धाश्रम नामक एक आश्रम है जहाँ सिद्ध योगी और साधु रहते हैं।
तिब्बती लोग इसे ही शम्भल की रहस्यमय भूमि के रूप में पूजते हैं।

एक अन्य परम्परा के अनुसार सिद्धाश्रम, तिब्बत क्षेत्र में कैलाश पर्वत के निकट स्थित है।

इस अलौकिक आश्रम का उल्लेख चारों वेदों के अलावा अनेकों
प्राचीन ग्रन्थों में मिलता है। इसके एक ओर कैलाश मानसरोवर है!

दूसरी
ओर ब्रह्म सरोवर है और तीसरी ओर विष्णु तीर्थ है। स्वयं
विश्वकर्मा ने ब्रह्मादि के कहने पर इस आश्रम की रचना की। यह भी मान्यता है कि राम, कृष्ण, बुद्ध, शंकराचार्य महावतार बाबा जी माँ आनन्दमयी और निखिल गुरु देव आदि दैवी विभूतियाँ सिद्धाश्रम में सशरीर विद्यमान हैं।

ज्ञानगंज के नाम
से प्रसिद्ध, एक रहस्यमयी धर्मोपदेश माना जाता है, जो एक परंपरा के अनुसार, हिमालय में एक गुप्त भूमि में स्थित है, जहां महान योगी, साधु और ऋषि रहते हैं।

यह स्थान तिब्बतियों द्वारा शम्भाला की रहस्यमय भूमि के रूप में भी प्रतिष्ठित है। एक अन्य परंपरा के अनुसार, सिद्धाश्रम तिब्बती
क्षेत्र में कैलाश पर्वत के पास स्थित है। यद्यपि कोई भी साधु, संन्यासी, यति, भिक्षु और योगी किसी भी नाम से 'सिद्धाश्रम' को जानते होंगे या विभिन्न पंथों ने अपनी मान्यताओं के अनुसार अलग-अलग पूजा या साधना विधियों का उपयोग किया होगा।

इस प्राचीन अलौकिक भूमि का उल्लेख चार वेदों के
साथ कई प्राचीन शास्त्रों में किया गया है। आध्यात्मिक यात्रा में सिद्धाश्रम को एक दिव्य स्थान के रूप में वर्णित किया गया है। इस प्रकार यह भी माना जाता है कि इस ब्रह्मांड में अपने दिव्य कार्यों का निर्वहन करते हुए आध्यात्मिक रूप से सशक्त योगी सिद्धाश्रम के संपर्क में रहते हैं और
वे नियमित रूप से यहां आते हैं।

सिद्धाश्रम को आध्यात्मिक चेतना, दिव्यता के केंद्र और महान
ऋषियों की वैराग्य भूमि का आधार माना जाता है। सिद्धाश्रम मानव और सभी दृश्य और अदृश्य प्राणियों के लिए समान रूप से दुर्लभ है।

इस प्रकार, सिद्धाश्रम को एक बहुत ही दुर्लभ दिव्य स्थान माना जाता
है। लेकिन साधना प्रक्रिया के माध्यम से कठिन साधना और साधना पथ पर चलकर इस दुर्लभ और पवित्र स्थान में प्रवेश करने के लिए दिव्य शक्ति प्राप्त करना संभव होगा।

सिद्धाश्रम हिमालय में एक गुप्त और रहस्यमय भूमि है, जहाँ महान सिद्ध योगी, साधु और संत रहते हैं। सिद्धाश्रम हमारे पूर्वजों,
संतों, संतों और उच्च क्रम के योगियों द्वारा आश्रम है। इसका उल्लेख कई भारतीय महाकाव्यों, वेदों, उपनिषदों और पुराणों में किया गया है जिनमें ऋग्वेद, मानव सभ्यता का सबसे पुराना ग्रंथ है।

सिद्धाश्रम प्रबुद्ध लोगों या सिद्धों के लिए समाज है। जो व्यक्ति
साधना में उच्च स्तर तक
पहुँचता है, वह गुरु के आशीर्वाद से
रहस्यमयी सिद्धाश्रम पहुँच सकता है, जो इस स्थान का नियमित स्वामी है।

यह आश्रम मानसरोवर झील और कैलाश के पास स्थित है। सिद्ध योगी और संन्यासी हजारों वर्षों से इस स्थान पर ध्यान कर रहे हैं।

विभिन्न धर्मों में वर्णित कई रहस्यमय स्थानों की तरह इस
जगह को नग्न आंखों से नहीं देखा जा सकता है, यह एक अनुभव है और केवल ध्यान और आध्यात्मिक जागरूकता के मार्ग से हम इस स्थान का अनुभव कर सकते हैं।

स्वामी विशुद्धानंद परमहंस ने सबसे पहले सार्वजनिक रूप से इस स्थान की बात की थी। उन्हें बचपन में कुछ समय के लिए वहाँ ले जाया गया और
उन्होंने लंबे समय तक ज्ञानगंज आश्रम में अपनी साधना की।

हिंदू धर्म में कई लोग मानते हैं कि महर्षि वशिष्ठ, विश्वामित्र, कणाद, पुलस्त्य, अत्रि, महायोगी गोरखनाथ, श्रीमद शंकराचार्य, भीष्म, कृपाचार्य को भौतिक रूप में वहाँ भटकते देखा जा सकता है और किसी को भी उनके उपदेश सुनने का
सौभाग्य प्राप्त हो सकता है।

कई सिद्ध योगी, योगिनियां, अप्सरा (एंजल), संत इस स्थान पर ध्यान करते पाए जाते हैं। बगीचे में सुंदर फूल, पेड़, पक्षी, सिद्ध- योग झील, ध्यान करने वाले संत और जगह की कई अन्य चीजों को शब्दों में वर्णित नहीं किया जा सकता है।
यह एक ऐसी रहस्य जगह है जहाँ किसी की मृत्यु नही होती🙏

सनातन धर्म की जय हो 🙏🙏

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Dec 3
💥 #_मैं_भारत_हूँ 🇮🇳

मैं वह भारत हूँ जिसने पिछले पाँच हजार वर्ष में कभी अपने किसी बेटे का नाम #दुशासन नहीं रखा, क्योंकि उसने एक #स्त्री का अपमान किया था।

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तो आपने रास्ते में खड़ी कामधेनु को प्रणाम
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महाराज दिलीप बोले, “गुरुदेव! सभी गायें कामधेनु की संतान हैं। गौ सेवा तो बड़े पुण्य का काम है, मैं गायों की सेवा
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Nov 28
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"गौतम, भरद्वाज, अत्रि,विश्वामित्रो जमदग्निर्भरद्वाजोऽथ गोतमः । अत्रिर्वसिष्ठः कश्यप इत्येते गोत्रकारकाः ॥
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Nov 27
#ऋषियों_ने_इसलिए_दिया_था '#हिन्दुस्थान' #नाम

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'#बृहस्पति_आगम' के अनुसार...

हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्।
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यानि हिमालय से प्रारम्भ होकर इन्दु सरोवर
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भारतीय समाज, संस्कृति, जाति और राष्ट्र की पहचान के लिये हिंदू शब्द लाखों वर्षों से संसार में प्रयोग किया जा रहा है विदेशियों नेअपनी उच्चारण सुविधा के लिये
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Nov 27
💥 #हर_समाज_के_लिए_विचारणीय 🚩🚩

👉1. आज काफी लड़कियों के माँ- बाप अपनी बेटियों की शादी में बहुत विलंब कर रहे हैं उनको अपने बराबरी के रिश्ते पसंद नहीं आते और जो बड़े घर पसंद आते हैं उनको लड़की पसंद नहीं आती,शादी की सही उम्र 20 से 25 होती है।
#Thread
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👉2. आज ज्यादातर लड़की वाले लड़के वालों को वापस हाँ /ना का जवाब नहीं दे रहे
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Nov 21
💥 #भगवान_विष्णु_के_रक्त_से_उत्पन्न_हुई_थी_शिप्रा_नदी 🚣

श्री हरि के रक्त से उत्पन्न हुई है उज्जैन की शिप्रा (क्षिप्रा) नदी, जहां हर 12 वर्ष बाद सिंहस्थ कुंभ का आयोजन किया जाता है। कुंभ विश्व का सबसे बड़ा मेला है। एक किंवदंती के अनुसार शिप्रा नदी विष्णु जी के रक्त से
उत्पन्न हुई थी।

ब्रह्म पुराण में भी शिप्रा नदी का उल्लेख मिलता है। संस्कृत के महाकवि कालिदास ने अपने काव्य ग्रंथ 'मेघदूत' में शिप्रा का प्रयोग किया है, जिसमें इसे अवंति राज्य की प्रधान नदी कहा गया है।

महाकाल की नगरी उज्जैन, शिप्रा के तट पर बसी है। स्कंद पुराण में शिप्रा नदी
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