#Gandhi वो आखिरी दिन.. 1/N 30 जनवरी, 1948
द हिंदू संवाददाता
गांधी जी ने प्यारे लाल से नोआखली की स्थिति पर चर्चा की, जो कि वहीं से आए थे। प्यारे लाल का मानना था कि वहीं अल्पसंख्यक हिंदुओं की समस्या का समाधान यही था कि वह व्यवस्थित तरीके से पूर्वी पाकिस्तान से निकल कर भारत आ जाएं।
#Gandhi वो आखिरी दिन.. 2/N 30 जनवरी, 1948
द हिंदू संवाददाता
बापू इससे असहमत थे, उनका मानना था कि तब पू. पाकिस्तान (आज बांग्लादेश) में हिंदुओं और बाकी अल्पसंख्यकों को वहीं टिकना चाहिए था और करो या मरो के सिद्धांत का पालन करना चाहिए था।
#Gandhi वो आखिरी दिन.. 3/N ये वही सिद्धांत था, जिसके पालन से बापू ने उत्तर भारत, कलकत्ता, नोआखली, दिल्ली में शांति स्थापित करने में सफलता पाई थी। बापू ने कहा, 'हो सकता है कि अंत में उनमें से कुछ ही लोग बचें, लेकिन कमज़ोरी में से शक्ति प्राप्त करने का और कोई तरीका नहीं हो सकता है।
#Gandhi वो आखिरी दिन 4/N क्या लोगों की आबादी युद्ध में नहीं मारी जाती? अंहिसा की स्थिति में यह कैसे अलग हो सकती है? आप लोग, नोआखली में भारतीय शांतिकर्मी जो कर रहे हैं, वह सही रास्ता है। आपने दिल से मौत का भय निकाल दिया है और लोगों के ह्रदय और स्नेह में खुद को स्थापित कर दिया है।'
#Gandhi वो आखिरी दिन 5/N महात्मा महसूस कर रहे थे कि नेहरू और पटेल के मतभेदों का नुकसान देश को हो सकता था। पहले उनको लगता था कि दोनों में से एक को कैबिनेट से अलग कर देना समाधान था, लेकिन अब उन्होंने अपनी राय बदल ली थी।
#Gandhi वो आखिरी दिन 6/N उन्होंने सरदार से कहा, 'आप दोनों की ही केंद्र में उपस्थिति अतिआवश्यक है।' वादा किया की शाम की प्रार्थना सभा में वह इस अहम मसले पर बात करेंगे। उन्होंने कहा कि अगर आवश्यक हुआ तो वह अपना सेवाग्राम का दौरा तब तक नहीं करेंगे, जब तक कि यह मसला सुलझ नहीं जाता।
#Gandhi वो आखिरी दिन 7/N पटेल के साथ बातचीत के कारण 5 बजे शुरु होने वाली उनकी प्रार्थना सभा में विलम्ब हो गया। 1000 से अधिक लोगों की भीड़, गांधीजी की प्रतीक्षा कर रही थी, जिनमें से एक कुछ ही मिनट में दुनिया के इतिहास में अपने कृत्य को खून के गहरे निशानों के साथ दर्ज करने वाला था
#Gandhi वो आखिरी दिन 8/N मनु और आभा के कंधों का सहारा लेकर गांधी जी उस जगह की ओर बढ़े, जहां वह पहले भजन सुनने के बाद, प्रार्थना सभा को संबोधित करने वाले थे।
#Gandhi वो आखिरी दिन 9/N आभा ने मज़ाक में बापू से कहा कि उनकी कमर में लटकने वाली घड़ी अक्सर उपेक्षित महसूस करती है, क्योंकि वह कभी उसमें समय नहीं देखते। गांधी जी ने हंस कर जवाब दिया कि जब तुम दोनों मेरे साथ हो, तो मुझे किसी घड़ी की आवश्यकता क्या है।
#Gandhi वो आखिरी दिन 10/N वे हंस कर बोले, ये तुम दोनों की गलती है कि मैं 10 मिनट लेट हो गया। नर्सों की ज़िम्मेदारी अपना काम करते रहना होती है, भले ही उनके सामने ईश्वर भी आ जाए..
#Gandhi वो आखिरी दिन 11/N 'अगर नर्स किसी वजह से मरीज़ को समय पर दवा नहीं देगी, तो उसकी मृत्यु भी हो सकती है...यही मेरी प्रार्थना की औषधि के साथ भी है...मुझे अगर प्रार्थना के लिए एक क्षण भी विलम्ब हो तो मेरे लिए यह बीमारी का ही कष्ट है।'
#Gandhi वो आखिरी दिन 12/N गांधी जी की आखिरी बातचीत हो चुकी थी। बापू अब अंतिम कदम चल रहे थे। वह अब मंच की ओर आ रहे थे, उन्होंने आभा और मनु के कंधों से अपने हाथ हटाए और लोगों के नमस्कारों का उत्तर अपनी चिर परिचित मुस्कुराहट और चश्मे के पीछे से दमकती आंखों से दिया।
#Gandhi वो आखिरी दिन 13/N ईसा की दंतकथा के जूडास किस या मुंह में राम बगल में छुरी की तर्ज पर कमीज़ और पतलून पहने एक शख्स नमस्कार की मुद्रा में उनकी ओर सामने से बढ़ा।
जैसे ही वह व्यक्ति झुका, मनु को लगा कि वह व्यक्ति बापू के पैर छू रहा है और उन्होंने उसको हटाने की कोशिश की।
#Gandhi वो आखिरी दिन 14/N उस बलशाली व्यक्ति ने मनु को बेसाख्ता ताक़त से धक्का दिया और अधीरता से उठा...उसको पतलून की जेब से निकाली हुई बरेटा पिस्टल की गोली के लिए साफ रास्ता बनाना था।
#Gandhi वो आखिरी दिन 15/N लगातार 3 गोलियां दागी गई। लगभग सामने, कुछ इंच दूरी से गोलियां चलाने में शायद कोई बच्चा भी नहीं चूकता। अपनी अंतिम चहलकदमी पर निकले क्षीणकाय बुज़ुर्ग की छाती में दायीं ओर पहली दो गोलियां पैबस्त हो गई। तीसरी गोली, पेट के निचले हिस्से में दायीं ओर जा धंसी।
#Gandhi वो आखिरी दिन 16/N बापू का उठा हुआ कदम पहली गोली पर हवा में ही रह गया और बाकी दो गोलियों के साथ वह फर्श पर गिर गए। उनके मुंह से आखिरी दो शब्द निकले, जो आभार और दुआ के शब्द थे, 'हे राम..'
#Gandhi वो आखिरी दिन 17/N अब वह आवाज़ फिर कभी नहीं बोलेगी।
डूबते सूरज की प्याज़ी किरणों के बीच, हरे-भरे बगीचे में खून से सने सफेद कपड़ों में बापू का निर्जीव शरीर पड़ा था। कुछ ही मिनटों में बापू को मृत घोषित कर दिया गया, समय था 5 बज कर 17 मिनट।
#Gandhi वो आखिरी दिन 18/N एक युग का अंत हो गया है। यह एक महान जीवन का अंतिम दिन था।
उल्लेखनीय संयोग ऐसा था कि पृथ्वी से बापू का उनके राम को अंतिम नमस्कार एक ऐसे व्यक्ति की गोलियां लगने से आया, जिसका खुद का नाम राम था...नाथू राम गोडसे...हां, दोनों के राम अलग-अलग थे...
(द हिंदू में रोज़ छपने वाले गांधी के रोज़नामचे से 30 जनवरी, 1948 को प्रकाशित स्तम्भ...The Hindu से, स्रोत - Last 200 Days of Gandhi - From the pages of The Hindu)
अनुवाद - मयंक सक्सेना
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2014 तक का समय याद कीजिए, इसी देश में, हिंदी पट्टी में सब चाय की दुकान से, घर और कॉलेज-दफ्तर तक अंबानी या कारपोरेट को गाली देते थे, यूपीए को उद्योगपतियों की सरकार बता कर निंदा करते थे।
अब क्या हुआ अचानक? वही अंबानी-अडानी कैसे महान हो गए? #Adani देश हो गया?
आपका सच (Thread) 2/N UPA2 याद है? तो घोटाले-भ्रष्टाचार के आरोप भी याद होंगे? याद होंगे अण्णा हज़ारे भी?
उस दौरान एक नाम बहुत चर्चित था..नीरा राडिया..नीरा के फोन कॉल जिन उद्योगपतियों के साथ रेकॉर्ड हुए थे, उनमें से दो नाम थे, मुकेश और अनिल अम्बानी...याद आ ही गया होगा... #Adaniscam
आपका सच (Thread) 3/N ये भी याद आया होगा कि कैसे मुकेश अम्बानी ने पिता की सम्पत्ति का अहम हिस्सा हासिल किया था..ये भी कि मुकेश और अनिल ने फोन पर राडिया से क्या बात की थी..कैसे एक ने BJP-Congrss को अपनी दो दुकानें बताया था..और कैसे अनिल लगभग निवेदन की मुद्रा में थे.. #Adaniscam
चौथी सदी ई. पू. - सुकरात को ज़हर दिया
1700 - ब्रूनो को ज़िंदा जला दिया
1948 - गांधी को गोली मारी
1968 - मार्टिन लूथर किंग को
2011 - सलमान तासीर को
दाभोलकर को, पानसरे को, कलबुर्गी को, गौरी लंकेश को... 1/N #Gandhi
और हर बार आप गांधी को ही मारने की कोशिश कर रहे थे..हर बार..
हर बार जब आप गांधी को मारते हैं, एक नयी तरह का सच लेकर गांधी फिर आपके सामने आकर खड़े हो जाते हैं...और आप फिर हत्या की कोशिश दोहराते हैं.. 2/N #Gandhi
गांधी ने जीवन का अंतिम दर्शन दिया था..
'ईश्वर ही सत्य नहीं, बल्कि सत्य ही ईश्वर है..'
और सत्य से आपको डर लगता है..क्योंकि आपकी पूरी ताक़त झूठ की बुनियाद पर खड़ी है। इसीलिए आप गांधी से भी डरते हैं.. 3/N #Gandhi
Thread on #KanjhawalaDeathCase -
How not to investigate a story as a #journalists 1/N एक पत्रकार के तौर पर तय करें कि आप क्राइम रिपोर्टिंग कर रहे हैं या इन्वेस्टीगेटिव रिपोर्टिंग। सबसे पहले दोनों में फ़र्क समझें।
Thread on #KanjhawalaDeathCase -
How not to investigate a story as a #journalists 2/N एक क्राइम रिपोर्टर के तौर पर आप केवल, पुलिस की कार्रवाई-जांच और केस की फर्दर प्रोसीडिंग-अपडेट रिपोर्ट करेंगे। आप पीड़ित और आरोपी के बयान पर रिपोर्टिंग कर सकते हैं। आप अपराध रिपोर्ट करेंगे।
Thread on #KanjhawalaDeathCase -
How not to investigate a story as a #journalists 3/N लेकिन अगर आप इन्वेस्टीगेटिव रिपोर्टिंग या इन्वेस्टिगेटिव क्राइम रिपोर्टिंग कर रहे हैं, तो आपको अपराध की जांच के बुनियादी उसूलों को सामने रखना होगा। खोजी अपराध पत्रकारिता के उसूल भी वही हैं।
Thread 1. संघियों की ख़ासियत है कि वो बात, जिसे शर्म से छिपाना चाहिए-उस पर भी ऐसा हल्ला करेंगे कि सब जनता के सामने आ जाए। #savarkar ऐसा ही एक मामला हैं। पब्लिक डोमेन में है, लेकिन @MailtoUniverse नाम का हैंडल है, कहने लगा नहीं, यहीं ट्वीट कर दो माफ़ीनामा..अब लो करा लो ऐसी-तैसी
@MailtoUniverse Thread 2. तो माई डियर @MailtoUniverse ये रहे डॉक्यूमेंट..असली वाले..अब मेरे घर पर नहीं रखे हैं, भारत सरकार के National Archive यानी भारतीय अभिलेखागार से हैं..वेबसाइट का लिंक भी लगा दूंगा, जाकर देख लेना
लेकिन ये बस पहला पन्ना है, एनक्लोज़र और अटैचमेंट्स भी हैं, जिसमें माफ़ीनामा और शर्तें सब हैं..तो ये लो और काग़ज़...यहीं नंगा करवा दो अपने वीर को... @MailtoUniverse
आज की कविता
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कात्यायनी को हम में से ज़्यादातर लोग नहीं जानते हैं, लेकिन फिलहाल उनकी इस कविता को हम जान लें, तो ये समय हमारे लिए अहम हो जाएगा।
1/n
हॉकी खेलती लड़कियां - कात्यायनी की कविता
आज शुक्रवार का दिन है
और इस छोटे से शहर की ये लड़कियाँ
खेल रही हैं हॉकी।
खुश हैं लड़कियाँ
फिलहाल
खेल रही हैं हॉकी
कोई डर नहीं।
2/n
3/n बॉल के साथ दौड़ती हुई
हाथों में साधे स्टिक
वे हरी घास पर तैरती हैं
चूल्हे की आँच से
मूसल की धमक से
दौड़ती हुई
बहुत दूर आ जाती हैं
1. अगर दिल्ली में कार से कुचल दी गई लड़की के बारे में होटल में पार्टी, शराब पीने और झगड़े का न्यूज़ इनपुट सही भी है, तो बजाय इस पर बात करने के कि लड़की ने शराब पी थी, वो नशे में थी कि नहीं..उन लोगों का पता क्यों नहीं लगाया जा रहा है, जिनसे उसका झगड़ा हुआ था? #Delhiaccident
2. वो मीडियाकर्मी, जो ये ख़बर निकाल लाए हैं कि मृतका ने किसी भी तरह का नशा किया था, वो ये पता क्यों नहीं कर पाए कि उसकी दोस्त के अलावा बाकी साथी कहां गए, किन लोगों से उसका झगड़ा हुआ था? साथ ही पुलिस के बयान के इतर, जो ख़बरें सूत्रों के माध्यम से चल रही हैं, उनके साक्ष्य क्या हैं?
3. क्या इस बारे में कोई जानकारी हासिल नहीं हो सकी है कि मृतका को कार में सवार 5 के 5 लोगों में से कोई भी पहले से जानता था कि नहीं? क्या इसको लेकर कोई तफ्तीश हुई है, तो उस पर पुलिस का इनपुट क्या है, क्या किसी मीडिया संस्थान ने इसकी तफ़्तीश की है? #Delhiaccident