जिनको ऑफ़शोर कंपनी वाला खेल समझ में नहीं आता है, उनके लिए ये #Thread है
1/N
गौतम (बदला गया नाम) ने बिज़नेस किया। कुछ पैसा सफ़ेद आया..कुछ थोड़ा कम सफ़ेद आया। कम सफ़ेद मतलब जो बिल्कुल सफ़ेद न हो लेकिन किसी और रंग का भी न हो..काले से मिलता जुलता..
इस पैसे को सफ़ेद करना था तो ऐसे देश खोजे गए, जहां आपकी इनकम का सोर्स न पूछा जाए, बस टैक्स देकर बात ख़त्म
2/N
ये ऐसे देश होते हैं, जहां कंपनी खोलना आसान और कैपिटल के सोर्स से कोई मतलब नहीं और डायरेक्ट टैक्सेशन। तो गौतम ने किसी और के नाम से एक कंपनी खोल ली..ये बड़े और महान देश हैं, जैसे कि साइप्रस, केमैन आईलैंड, मॉरीशस वगैरह..
अब उस कंपनी में वो जो थोड़ा कम सफ़ेद पैसा था, भेज दिया
3/N
अब गौतम (काल्पनिक नाम) ने उस विदेश में बनाई गई कंपनी में भेजा गया अपना ही पैसा, देश में चल रही अपनी ही कंपनी में लगा दिया। तो इस तरह से विदेशी निवेश के नाम पर, पैसा सफ़ेद हो गया। अब वैसे भी कम सफ़ेद धन रखना अच्छी बात तो है नहीं..सो सफ़ेद कर लेना ठीक रहता है।
4/N
फिर गौतम (काल्पनिक नाम) को कई बार थोड़े कम सफेद पैसे की ज़रूरत पड़ती रहती थी क्योंकि सरकारी काम, बिना सुविधा शुल्क के कहां होते हैं। अब नेता, मंत्री, आईएएस वगैरह की सैलरी इतनी कम है कि ऊपरी कमाई न करें तो घर कैसे चलाएंगे? तो अपना थोड़ा सफेद धन इधर-उधर तो होता ही रहता है।
5/N
गौतम (काल्पनिक नाम) धीरे-धीरे तरक्की करता गया। इतनी मेहनत (3 बार बोलें) जो कर रहा था। एक समय आया, जब उसने IPO लांच किया, यानी कि शेयर मार्केट में कंपनी लिस्ट करा दी। अब उसका नाम होने लगा। शेयर के दाम से पैसे भी आए। यहां से ऑफशोर कंपनी का अगला इस्तेमाल हुआ।
6/N
गौतम (काल्पनिक नाम) ने अपने भाई-बहनोई-रिश्तेदार-दोस्तों-कर्मचारियों के नाम से उन्हीं महान देशों में और कंपनियां बनाई। अपना ही पैसा था, जहां चाहें भेजो...तो उन कंपनियों में वो पूंजी भेज दी। सीधे नहीं, किनारे से..ऑफशोर मतलब किनारे से ही..नाम भी तो बचा कर रखना है।
7/N
अब उन्हीं कंपनियों में, जो गौतम (बदला हुआ नाम) का पैसा था, वही पैसा फिर से वैसे ही भारत वाली कंपनी में आया। लेकिन इस बार अलग तरह से। उन कंपनियों ने जिस कंपनी और आदमी का पैसा था, उसकी कंपनी में, उसी पैसे से निवेश कर के, शेयर खरीद लिए। नहीं समझे, अगली ट्वीट 9/N पढ़िएगा
8/N
तो मान लीजिए, गौतम (काल्पनिक नाम) के पास 100 रुपए थे। 80 कंपनी में, 20 पास में (कम सफेद वाले)। उसने 20 में से 10 रुपए निकाल कर, विदेश वाली कंपनी में डाल दिए। विदेश वाली कंपनी ने उसमें से 8 रुपए, 80 रुपए वाली कंपनी में डाले और शेयर खरीदे 10 नहीं केवल 1 परसेंट..
9/N
अब जैसे ही गौतम (एक ऋषि का नाम भी था) की ऑफशोर कंपनी ने उनकी ऑनशोर कंपनी में 8 रुपए डाल कर, 1 परसेंट शेयर खरीदे, तो जिस कंपनी में केवल 80 रुपए थे, उसकी अनुमानित कीमत (वैलुएशन), 1 परसेंट के 8 रुपए के हिसाब से 800 रुपए हो गई।
10/N
यहां समझिए कि गौतम के पास अब भी 100 ही रुपए हैं, क्योंकि 10 उसके हाथ में हैं, 10 उसने विदेश वाली कंपनी में भेजे, जिसमें से 8 इधर वाली कंपनी में आ गए, तो उधर 2 बचे, इधर 88..लेकिन कंपनी की कीमत हो गई है 800 रुपए..तो अब बिना हुए भी उसके पास 812 रुपए तो हैं..
11/N
अब गौतम (बुद्ध नहीं कोई काल्पनिक व्यक्ति) की कंपनी की वैलुएशन बढ़ते ही, शेयर मार्केट में उसके शेयर्स में तेज़ी आ जाती है। वो और कंपनियां बनाता है, और लिस्टेड कंपनियों में 1, 1.5, 2, 2.4, 3, 3.6% टाइप शेयर लेकर, हज़ारों करोड़ लगा देता है।
अब गौतम के स्टॉक प्राइस आसमान पर हैं
12/N
अब इसी आधार पर गौतम (काल्पनिक व्यक्ति) की कीमत आंकी जाने लगती है। वो दुनिया के सबसे अमीर लोगों की सूची में जा पहुंचता है। आप देखिए कि कितना बुद्धिमान है, 10 रुपए ट्रांसफर कर के, 8 रुपए लगा के, 800 बना दिए। अब गौतम के कई परिजन विदेश में कंपनियां बनाने में लगे हैं।
13/N
गौतम की जितनी कंपनियां देश में हैं, उनसे कहीं ज़्यादा विदेश में हैं। बस वो गौतम (शेल कंपनी की तरह बदला गया नाम) के नाम पर नहीं हैं। गौतम अब देश में अपने इन्हीं महंगे शेयर्स के दम पर बैकों से लंबा लोन लेता है, सरकारी ठेके, विदेशी ठेके सब हासिल कर लेता है।
14/N
विश्वटीचर (काल्पनिक नाम) के इस देश का प्रधान नेता काला धन ख़त्म करने का एलान कर चुका है। वो गौतम (देश की तरह काल्पनिक) की काला धन ख़त्म करने की स्कीम से इतना खुश होता है कि उसको अपने साथ ही रखने लगता है। उसी के हवाई जहाज़ से घूमता है, उसी के पैसे से चुनाव लड़ता है...
15/N
विश्वटीचर (काल्पनिक नाम) नाम के इस देश में उसको टीवी चैनलों पर बिठाकर, देश का मालिक बना दिया जाता है। पीएम हो या सीएम, सब उसके आगे झुक गए हैं। वो सबको चंदा देता है, सब उसको धंधा देते हैं। उसने आख़िर इतनी मेहनत जो की है।
16/N
विश्वटीचर (काल्पनिक नाम) के देश के शेयर बाज़ार में बहुत सारे लोगों ने उसका शेयर खरीद लिया है। उनमें से ज़्यादातर जानते हैं कि शेयरों की कीमत कैसे बढ़ी थी। फिर भी उन्होंने खरीदा क्योंकि उनको लाभ कमाने से मतलब था। कैसे भी शेयर ऊपर जाए, वो बेच देंगे सही समय पर..लेकिन..
17/N
लेकिन देश..(गौतम का घर का नाम 'निक नेम') के दुश्मन तो दुनिया भर में हैं। विश्वटीचर को बदनाम करना है, तो गौतम को बदनाम करो..और क्या..एक फाइनेंशियल रिसर्च कंपनी हिडेनबल्ब (वाकई बदला नाम) ने ये सारी बातें, एक रिपोर्ट में छाप दी..और फिर..
18/N
और फिर देश (गौतम/विश्वटीचर - दोनों काल्पनिक नाम) की बदनामी होने लगी। भला ये कैसे बर्दाश्त किया जा सकता था। गौतम चाहता था कि वो हिडेनबल्ब को देशद्रोही करार दे दे। लेकिन प्रधान नेता ने उसे याद दिलाया कि हिडेनबल्ब, अपने देश का नहीं है। गौतम ने नया आईडिया सोचा..
19/N
गौतम (काल्पनिक नाम) ने अपनी कंपनी के एक आला अधिकारी के पीछे देश का झंडा रखवा कर, सारे आरोपों का खंडन करवाया और उससे बुलवाया कि गौतम इन काल्पनिक आरोपों के ख़िलाफ़ केस करेगा। पर उसके बाद गौतम बैठ कर (पेड़ के नीचे नहीं) सोच रहा था..
20/N
तभी उसको याद आया गया कि एक तो केस विदेश में करना होगा, ऊपर से आरोप काल्पनिक कहने से काल्पनिक हो नहीं जाएंगे..तो काल्पनिक नाम वाले गौतम ने केस की चेतावनी को ही काल्पनिक केस बना दिया। (कोई बोला कि काल्पनिक चेतावनी को धमकी या गीदड़ भभकी भी कहते हैं लेकिन गौतम ये नहीं मानता)
21/N
तो गौतम (काल्पनिक नाम वाले) ने केस वाली बात इग्नोर की और सोचा कि पब्लिक से और पैसा निकालते हैं, FPO बिक गया तो शेयर गिरने से बच जाएगा। गौतम ने FPO लांच किया। 2 दिन बीत गया, उसकी ख़ुद की कंपनी के लोगों ने नहीं खरीदा..अब उसने प्रधान नेता को संपर्क किया..
22/N
काल्पनिक प्रधान नेता पहले ही परेशान थे कि बजट के पहले ये क्या मुसीबत आ गई। वो बोले कि भाई देश (काल्पनिक गौतम का घर का नाम) देखो, हम क्या करें, हम चुप ही रह सकते हैं। गौतम ने कहा कि आपने मेरा नमक, साबूदाना, खांडवी सब खाए हैं..कुछ तो करना ही होगा।
23/N
गौतम (काल्पनिक नाम) ने प्रधान नेता से कहा, देखो मेरी जान फंसी तो तुम्हारी नाक भी जाएगी और फिर तुम हर शब्द नाक से कैसे बोल पाओगे अपने 3 घंटे के संडे वाले रेडियो क्रिंज में? सोच लो..
प्रधान नेता ने पूछा कि बोलो भाई करना क्या है..गौतम ने कहा, FPO बिकवाओ..
24/N
प्रधान ने कहा, 'अबे नहीं बिक रहा है तो कौन सा घर से पैसा लगाया है..रहने दो' गौतम (काल्पनिक नाम) ने तब समझाया कि नहीं बिका तो बाकी सारे शेयर गिर जाएंगे..समझो बे मितरों..प्रधान ने तब कहा कि मतलब बस साख़ बचा लेनी है। गौतम ने कहा, दोनों की..
25/N
अब प्रधान नेता ने जिनसे-जिनसे कहा, उन्होंने साफ कह दिया कि गौतम के धंधे में पैसा लगाने का मतलब है घाटा झेलना..हम पहले ही आपकी काल्पनिक आर्थिक नीतियों से तबाह हो गए हैं। तो उनको कहा गया कि 'जियो' के अलावा भी जीने दो पर सोचा जाएगा..
26/N
तो इसके बाद, वो दूसरे सेठ आगे आए, आख़िरी दिन के आख़िरी घंटों में FPO खरीद लिया और गौतम की लाज बच गई। गौतम की कंपनी के कर्मचारियों की नौकरी भी बच गई। तय हुआ कि बाज़ार खुलने से पहले, बजट की रात तक, सारा पैसा लौटा दिया जाएगा।
27/N
बचा हुआ FPO गौतम के नाम की तरह ही काल्पनिक कैपिटल वाली शेल कंपनियों ने खरीद लिया। बजट की शाम को ये FPO वापस ले लिया गया। गौतम (काल्पनिक नाम) ने एक वीडियो जारी कर के, कहा कि हमारे काल्पनिक धंधे के, काल्पनिक दाम वाले, काल्पनिक FPO में निवेश के लिए धन्यवाद..
28/N
हम अपने काल्पनिक निवेशकों के आभारी हैं लेकिन बाज़ार में हमारे काल्पनिक दाम की वजह से जो असली उतार-चढ़ाव हो रहा है, उसको देखते हुए, हमारी काल्पनिक नैतिकता को ये स्वीकार नहीं है कि हम ये FPO जारी रखें..तो हम ये काल्पनिक पूंजी, काल्पनिक निवेशकों को लौटा रहे हैं।
29/N
काल्पनिक निवेशकों ने काल्पनिक तालियां बजाकर, काल्पनिक नैतिकता के कसीदे पढ़े। गौतम (काल्पनिक नाम) ने काल्पनिक धंधे, काल्पनिक कंपनियों से असली पूंजी बनाई। असली लोगों से असली इज़्ज़त हासिल की। काल्पनिक देश की, काल्पनिक सरकार और काल्पनिक एजेंसियों ने कल्पना में भी कुछ नहीं किया
30/N
ख़ैर अंत में एक बार फिर से आपको शेल कंपनी, स्टेक खरीदने, पूंजी के खेल और इन्फ्लेटेड नकली वैलुएशन का खेल समझाते हैं। कपिल शर्मा शो में गुत्थी के किरदार के इंट्रो को ध्यान से देखा है? ये वही खेल है..
गुत्थी-कपिल, कपिल-कीकू, कीकू-गुत्थी
यानी कि गुत्थी वही है, हर जगह घूम रही है
कोशिश है कि थोड़ी देर में ये #Thread वीडियो फॉर्म में @mediavigilindia के यूट्यूब चैनल और पॉडकास्ट फॉर्म में मेरे पॉडकास्ट पर @Hubhopper और @Spotify पर भी उपलब्ध हो जाए...इंतज़ार कीजिए...
ये काल्पनिक कहानी वीडियो में देखनी है, तो इधर जाइए...
हो गया है...ये रहा वीडियो..ऑडियो पॉडकास्ट कुछ देर में
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@myogiadityanath भयानक कन्फ़्यूज़्ड हैं। उनको ये तय करना चाहिए कि वे भाजपा की लगातार मांग, यूनिफॉर्म सिविल कोड के साथ खड़े हैं भी कि नहीं क्योंकि अगर वो यूनिफॉर्म सिविल कोड के साथ खड़े हैं, तो किसी धर्म को भारत का राष्ट्रीय धर्म नहीं कह सकते हैं। इनको कुछ पता ही नहीं है, अनपढ़!
@myogiadityanath या फिर वो ये बताएं कि यूनिफ़ॉर्म सिविल कोड का उनका एजेंडा दरअसल हिंदू सिविल कोड लागू करने का है क्या? अगर ऐसा है, तो फिर वो यूनिफॉर्म सिविल कोड नहीं होगा...
इस आदमी को कोई बिठाकर, थोड़ा लिखाए-पढ़ाए..वरना कभी बताना @myogiadityanath किसी स्कूल में क्लास में बिठवा देंगे..
आगे की बात ये रही कि ये मूर्खों वाला सनातन राष्ट्रीय धर्म है टाइप बयान, आपराधिक भी है..तो तकनीकी तौर पर तो इसके ख़िलाफ़ केस दर्ज होना चाहिए क्योंकि ये भी देश और संविधान के द्रोह की श्रेणी में आता है। पता नहीं क्यों @AmitShah@narendramodi इसे झेल रहे हैं, कुछ तो मजबूरी है
@iamsrk in my life 1/5
कोई 17-18 साल पहले की बात होगी, मेरा जर्नलिज़्म मास्टर्स का वायवा चल रहा था। यूनिवर्सिटी के वीडियो प्रोडक्शन-सिनेमेटोग्राफी के HOD ने पूछा कि आपने लिखा है कि आपका फिल्मों में इंट्रेस्ट है। आप क्या करना चाहते हैं..मैंने कहा..कभी स्क्रीनराइटिंग!!
@iamsrk@iamsrk in my life 2/5
वहां से पलट कर सवाल आया..कोई सीन बताइए, जो आपको बहुत पसंद है..मैंने दो बीघा ज़मीन का एक सीन बताना शुरू किया..क्रॉस क्वेश्चन था..कोई नई फिल्म??? मैं 10 सेकेंड रुका और मैंने #Swades का वो सीन बताना शुरू किया, जिसमें मोहन #SRK@iamsrk ट्रेन से लौट रहे हैं..
@iamsrk in my life 3/5
और ट्रेन में बैठे मोहन की निगाह उस बच्चे पर पड़ती है, जो मिट्टी के कुल्हड़ में पानी बेच रहा है, एक केतली लिए हुए..मोहन का चेहरा देखिए..देखिए उस खिड़की की सलाखों को, उससे नीचे दिखते बच्चे को..पानी देने और लेने के लिए बढ़ते हाथ, @iamsrk की आंखों को..
जब तक वह ज़मीन पर था
कुर्सी बुरी थी
जा बैठा जब कुर्सी पर वह
ज़मीन बुरी हो गई।
2
उसकी नज़र कुर्सी पर लगी थी
कुर्सी लग गयी थी
उसकी नज़र को
उसको नज़रबन्द करती है कुर्सी
जो औरों को
नज़रबन्द करता है
1/N
3
महज ढाँचा नहीं है
लोहे या काठ का
कद है कुर्सी
कुर्सी के मुताबिक़ वह
बड़ा है छोटा है
स्वाधीन है या अधीन है
ख़ुश है या ग़मगीन है
कुर्सी में जज्ब होता जाता है
एक अदद आदमी।
2/N
4
फ़ाइलें दबी रहती हैं
न्याय टाला जाता है
भूखों तक रोटी नहीं पहुँच पाती
नहीं मरीज़ों तक दवा
जिसने कोई ज़ुर्म नहीं किया
उसे फाँसी दे दी जाती है
इस बीच
कुर्सी ही है
जो घूस और प्रजातन्त्र का
हिसाब रखती है।
3/N
2014 तक का समय याद कीजिए, इसी देश में, हिंदी पट्टी में सब चाय की दुकान से, घर और कॉलेज-दफ्तर तक अंबानी या कारपोरेट को गाली देते थे, यूपीए को उद्योगपतियों की सरकार बता कर निंदा करते थे।
अब क्या हुआ अचानक? वही अंबानी-अडानी कैसे महान हो गए? #Adani देश हो गया?
आपका सच (Thread) 2/N UPA2 याद है? तो घोटाले-भ्रष्टाचार के आरोप भी याद होंगे? याद होंगे अण्णा हज़ारे भी?
उस दौरान एक नाम बहुत चर्चित था..नीरा राडिया..नीरा के फोन कॉल जिन उद्योगपतियों के साथ रेकॉर्ड हुए थे, उनमें से दो नाम थे, मुकेश और अनिल अम्बानी...याद आ ही गया होगा... #Adaniscam
आपका सच (Thread) 3/N ये भी याद आया होगा कि कैसे मुकेश अम्बानी ने पिता की सम्पत्ति का अहम हिस्सा हासिल किया था..ये भी कि मुकेश और अनिल ने फोन पर राडिया से क्या बात की थी..कैसे एक ने BJP-Congrss को अपनी दो दुकानें बताया था..और कैसे अनिल लगभग निवेदन की मुद्रा में थे.. #Adaniscam
#Gandhi वो आखिरी दिन.. 1/N 30 जनवरी, 1948
द हिंदू संवाददाता
गांधी जी ने प्यारे लाल से नोआखली की स्थिति पर चर्चा की, जो कि वहीं से आए थे। प्यारे लाल का मानना था कि वहीं अल्पसंख्यक हिंदुओं की समस्या का समाधान यही था कि वह व्यवस्थित तरीके से पूर्वी पाकिस्तान से निकल कर भारत आ जाएं।
#Gandhi वो आखिरी दिन.. 2/N 30 जनवरी, 1948
द हिंदू संवाददाता
बापू इससे असहमत थे, उनका मानना था कि तब पू. पाकिस्तान (आज बांग्लादेश) में हिंदुओं और बाकी अल्पसंख्यकों को वहीं टिकना चाहिए था और करो या मरो के सिद्धांत का पालन करना चाहिए था।
#Gandhi वो आखिरी दिन.. 3/N ये वही सिद्धांत था, जिसके पालन से बापू ने उत्तर भारत, कलकत्ता, नोआखली, दिल्ली में शांति स्थापित करने में सफलता पाई थी। बापू ने कहा, 'हो सकता है कि अंत में उनमें से कुछ ही लोग बचें, लेकिन कमज़ोरी में से शक्ति प्राप्त करने का और कोई तरीका नहीं हो सकता है।
चौथी सदी ई. पू. - सुकरात को ज़हर दिया
1700 - ब्रूनो को ज़िंदा जला दिया
1948 - गांधी को गोली मारी
1968 - मार्टिन लूथर किंग को
2011 - सलमान तासीर को
दाभोलकर को, पानसरे को, कलबुर्गी को, गौरी लंकेश को... 1/N #Gandhi
और हर बार आप गांधी को ही मारने की कोशिश कर रहे थे..हर बार..
हर बार जब आप गांधी को मारते हैं, एक नयी तरह का सच लेकर गांधी फिर आपके सामने आकर खड़े हो जाते हैं...और आप फिर हत्या की कोशिश दोहराते हैं.. 2/N #Gandhi
गांधी ने जीवन का अंतिम दर्शन दिया था..
'ईश्वर ही सत्य नहीं, बल्कि सत्य ही ईश्वर है..'
और सत्य से आपको डर लगता है..क्योंकि आपकी पूरी ताक़त झूठ की बुनियाद पर खड़ी है। इसीलिए आप गांधी से भी डरते हैं.. 3/N #Gandhi