राम तुलसीदास के आराध्य है। ठीक है। उनको जितना बड़ा बताना हो बतायें। ये लेखक के लिए उचित भी है। लेकिन माता शबरी को इसके लिए “पापों की जन्मभूमि” कहना कितना सही है? तुलसीदास शबरी का कोई दोष या अपराध भी नहीं बताते। सिर्फ़ जन्म का संयोग है।
यही नहीं, तुलसीदास खुद शबरी के मुख से कहलवाते हैं:
पानि जोरि आगें भइ ठाढ़ी। प्रभुहि बिलोकि प्रीति अति बाढ़ी॥
केहि बिधि अस्तुति करौं तुम्हारी। अधम जाति मैं जड़मति भारी॥
अर्थात्
फिर वे हाथ जोड़कर आगे खड़ी हो गईं। प्रभु को देखकर उनका प्रेम अत्यंत बढ़ गया। (उन्होंने कहा-) मैं किस प्रकार आपकी स्तुति करूँ? मैं नीच जाति की और अत्यंत मूढ़ बुद्धि हूँ॥
तुलसीदास शबरी का अपमान करते हुए यहीं नहीं रुकते। लिखते हैं:
अधम ते अधम अधम अति नारी। तिन्ह महँ मैं मतिमंद अघारी॥
कह रघुपति सुनु भामिनि बाता। मानउँ एक भगति कर नाता॥
अर्थात्
जो अधम से भी अधम हैं, स्त्रियाँ उनमें भी अत्यंत अधम हैं, और उनमें भी हे पापनाशन! मैं मंदबुद्धि हूँ। श्री रघुनाथजी ने कहा- हे भामिनि! मेरी बात सुन! मैं तो केवल एक भक्ति ही का संबंध मानता हूँ॥
इन सभी पंक्तियों को तुलसीदास ने खुद गढ़ा है। जिन रामायण के स्रोत की वे बात करते हैं, उनमें ये सब नहीं है।
तुलसीदास सिर्फ़ राम कथा नहीं कह रहे थे। उनका प्रोजेक्ट हिंदुओं में ऊँच और नीच के भाव को मज़बूत करना था। #तुलसीदास_पोलखोल
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We, as south Asians, have not invented anything worthwhile in the entire epoch of modern history. No #ChatGPT no #Google no #Amazon no fb, no car, no phone, no electricity, no printing press, no motion pictures. Nothing. What could be the reasons? #MaxWeber Thread 🧵⬇️
I sometimes do this simple exercise of asking university students during a lecture or seminar to list the objects around them, and name any item that might have been invented by Indians or Indian institutions. Not once have I encountered anyone affirmatively naming an object.
It holds out if we just look at the items in our homes — bulb, fan, cooler, air conditioner, air purifier, washing machine, OTG, microwave, pen, watch, phone, TV, radio, etc. We can’t attach a single invention to an Indian name. This proves that India is a no invention nation.
Remembering P K Rosy, the Dalit Chrisitan woman, who was the first heroine of the first film in Malayalam, Vigathakumaran, which was made and released by J C Daniel in 1928 in Trivandrum. #google#Doodle Thread 🧵source- Dr Jenny Rowena @ROUNDTABLEIND
Rosy’s pioneering step was met with violence from Nair caste lords. On the very first day on which her film was released, men from theNair community tore the screen and broke up the show, unable to bear the sight of a Dalit woman in the role of a Nair woman acting out love scene.
J C Daniel who made the film, tried to get her protection from the King, but the Nair landlords came in large numbers and burned down her hut and chased her out of the village. She was forced to run away from Kerala, never to return to the field of cinema.
ये ट्वीट 🧵विभाजन की त्रासदी के मारे, भारत में रह रहे दो करोड़ नागरिकता-विहीन, अभागे लोगों के बारे में, जो पाकिस्तानी फ़ौज से पीटकर 1971 के आसपास बांग्लादेश से आए। सरकार को चाहिए कि मिशन मोड में इनको नागरिकता दे। भारत के अलावा उनका कोई देश नहीं है। ⬇️ @narendramodi@RahulGandhi
बांग्लादेश की पाकिस्तान से आजादी भारत के लिए भी एक गौरवशाली क्षण था. 1971 का वह दृश्य देखकर भारत के लोगों का सीना आज भी चौड़ा हो जाता है, जिसमें लेफ्टिनेंट जनरल जगजीत सिंह अरोड़ा पाकिस्तान के 90,000 फौजियों से आत्मसमर्पण करवा रहे हैं.
भारत के पास इस युद्ध में शामिल होने का एक तर्क था. पाकिस्तान के अत्याचार के कारण बड़ी संख्या में बांग्ला भाषी शरणार्थी सीमा पार करके भारत आ रहे थे. इनकी संख्या इतनी ज्यादा थी कि अर्थव्यवस्था पर दबाव पड़ रहा था. ये लोग अलग-अलग शहरों में बिखर गए थे और इससे अराजकता फैल रही थी.
The liberation of Bangladesh in 1971 was a major victory for India 🇮🇳. However, a crucial aspect was left unfinished - the 1971 refugees.
I urge all the political parties to come together and grant them citizenship with a sense of urgency. Thread 🧵 @narendramodi@RahulGandhi
The images of 90,000 Pakistani soldiers surrendering in front of Lt Gen Jagjit Singh Arora is still cherished as one of the most enduring images in India’s collective memory. But during this time of glory, the Indian state conveniently ignored one very important project.
The rulers of India at that time, decided not to give citizenship rights to the East Pakistan refugees. This made lakhs of sons and daughters of Partition “nowhere people.” To date, India does not have a national refugee policy.
अर्थात् “जगत में पुण्य एक ही है, (उसके समान) दूसरा नहीं। वह है- मन, कर्म और वचन से ब्राह्मणों के चरणों की पूजा करना। जो कपट का त्याग करके ब्राह्मणों की सेवा करता है, उस पर मुनि और देवता प्रसन्न रहते हैं॥”
- रामचरितमानस, उत्तरकांड, 7.45. गीता प्रेस
तुलसीदास की नीचता ये है कि उन्होंने ये बात राम दरबार में सीधे राम के मुँह से कहलवाई है ताकि भोली-भाली जनता सवाल न करे। तुलसीदास ने हिंदू समाज को खंड खंड करने में बड़ी भूमिका निभाई है और फिर ये किताब उन्होंने अकबर के वित्त मंत्री टोडरमल को भेंट कर दी।
यहाँ तुलसी ने लिखा है कि निषाद वेद और लोक दोनों में सब तरह से नीच हैं। #तुलसीदास_पोलखोल
अर्थ: (वे कहते हैं-) जो लोक और वेद दोनों में सब प्रकार से नीचा माना जाता है, जिसकी छाया के छू जाने से भी स्नान करना होता है, उसी निषाद से अँकवार भरकर (हृदय से चिपटाकर) श्री रामचन्द्रजी के छोटे भाई भरतजी (आनंद और प्रेमवश) शरीर में पुलकावली से परिपूर्ण हो मिल रहे हैं॥2॥ आगे पढ़िए