अधिकांश लोग यही मानते आये हैं कि 1947 में बटवारे के बाद गांधी ने नेहरू से पाकिस्तान को अपना भरण पोषण (Alimony) के लिए 50 करोड़ रुपये दिलवाए थे...
लेकिन यह बात अर्ध सत्य है . प्रसिद्ध किताब "फ्रीडम एट मिड नाइट"
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(Freedom at midnight) लेखक “लेरी कोलिन्स डोमिनिक ला पियरे (Larry Collins and Dominique LaPierre ) के अनुसार देश की चल अचल संपत्ति का बटवारा 20 – 80 के अनुपात से किया गया था...
☝️जिसमे रेलवे के इंजन, डिब्बे, सरकारी गाड़ियां, टेबल कुर्सियां, स्टेशनरी, फर्नीचर यहाँ तक झाड़ू भी
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शामिल थे, साथ में 50 करोड़ नकद राशि भी थी...
☝️लेकिन जब इतना लेने के बाद भी पाक सेना ने कश्मीर पर हमला कर दिया😡
☝️तो पाकिस्तान को खुश करने के लिए नेहरू ने पाकिस्तान को 25 करोड़ रुपये और दे दिए😱😱😱
☝️जिसके कारण बटवारे का अनुपात बदल गया था...
अर्थात 17.5% पाकिस्तान को और
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82.5 % भारत को...
☝️इसका यही मतलब निकलता है कि गांधी और नेहरू ने 1947 में पाकिस्तान को मजबूत और पुष्ट करने के लिए 50 करोड़ रुपये नहीं बल्कि 75 करोड़ रूपये दिए थे😱😱😱
☝️सरकार को अपनी #रणनीति का खुलासा "मीडिया या जनता" के बीच नहीं करना चाहिए बस जनता को कार्य का परिणाम ही दिखाते रहना चाहिए...
☝️हमारे लिए वेहद सुखद संयोग यह है कि पिछले आठ-9 सालों से वर्तमान सरकार इसी रणनीति पर चल रही है और लगातार कार्य भी ऐसे ही कर रही है।*
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☝️कुछ साथी*👥 हमेशा से इस प्रतीक्षा में रहते हैं कि "सरकार की नीतियों" की निर्णयों को खबर उन्हें पहले से हो जाए पर यहां सब कुछ परफेक्ट प्लान लागू होने के बाद पता चलता है...
☝️इससे इनके अंदर एक निराशा भरी खीझ उत्पन्न होती है और वे सरकार की सख्त आलोचना से शुरू कर गैर जरूरी
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निंदा तक पहुंच जाते हैं😡😡😡
☝️मूल रुप से वे देशविरोधी* नहीं राष्ट्रवादी* ही हैं***
☝️इसलिए थोड़ी उत्सुकता और अपने आप को कुछ विशेष दिखने की एवं दिखाने की अपेक्षा के कारण घड़ी-घड़ी गोवर्धन उठा लेते हैं।
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"नेहरू को सिर्फ पहिया मिला था नेहरू ने मेहनत से उसे स्कूटर बनाया"😡
कांग्रेसी और वामपंथी इतिहासकारों ने एक साजिश के तहत ये झूठ फैलाया है कि जवाहरलाल नेहरु आधुनिक भारत का निर्माता है😡
जबकि सच्चाई ये है कि अंग्रेजों ने नेहरू को एक
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तेज रफ्तार में चलती गाड़ी का स्टेयरिंग थमाया था...
👉भारत में पहला छोटा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट अंग्रेजो ने दार्जिलिंग में 1897 में बनाया था,जो 130 किलोवाट का था, जिसका नाम सिद्रपोंग था और तीस्ता नदी पर बनाया गया था।
भारत में पहला बड़ा हाइड्रोइलेक्ट्रिक प्रोजेक्ट मैसूर के
राजा ने कोलार की खान से सोना निकालने के लिए कावेरी नदी पर शिवसमुद्रम फाल पर 1887 में बनाया जो 1902 में पूरा हुआ, ये 7.92 मेगावाट का था और 1938 तक इसकी क्षमता बढ़कर 47 मेगावाट हो गई थी...
इसका ठेका अमेरिका की जनरल इलेक्ट्रिक को दिया गया था। शिप से टरबाइन और अन्य साजो-समान आये...
☝️यह चित्र/ScreenShot असल में पूरी कहानी है जिसे आम लोग समझ नहीं रहे हैं। आइए, इसका विश्लेषण करते हैं।
👉खबर यह है कि एक ओबीसी कास्ट का अपमान करने के मुकदमे में राहुल गांधी दोषी पाए गाए।👈
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☝️इससे बड़ी खबर यह बनाई गई कि इसके कारण उनकी लोकसभा की सदस्यता रद्द हो गई है। पूरे चित्र में अगर कोई बात ध्यान आकर्षण कर रही है तो यही है।
🚨असल खबर टॉप लेफ्ट कोने में दब गई है।🚨
☝️लेकिन यह चित्र वायरल हो गया है तो उसके नीचे चलाए गए
👉बवासीर की दवाई के विज्ञापन के कारण👈
उस पर ही तंज, फब्तियाँ कसी जा रही हैं।
☝️"माइंड गेम" इसी को कहते हैं। आप को याद यही रहेगा, असली खबर ध्यान ही नहीं आएगी और बाद में अगर कोई पूछे तो सब से पहले बवासीर याद आएगा फिर आप याददाश्त पर जोर डालेंगे और बोल देंगे कि मोदीजी के अपमान के लिए राहुल गांधी की सदस्यता गई...
☝️फॉर्म्युला फिल्म्स बार बार नहीं हिट हो सकती, काश हम इसे समझ सकें।
☝️गाड़ी एक ही बार पलटी, लेकिन धूर्त वामपंथी उसे हर बार पलटाते रहे जब तक उनके आदमी सुरक्षित नहीं पहुँच गए।
☝️मुख्तार को लिए जा रहे थे, सारे मीडिया की गाड़ियां उसके लिए
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"सुरक्षा कवच" बन गईं।😡
☝️वो यात्रा की कवरेज नहीं थी बल्कि मुख्तार का सुरक्षा कवच😱 था...
☝️कभी किसी कुप्रसिद्ध मीडियावाले से पूछिए,वो आप को जबाब ही नहीं देगा बल्कि मुंह बनाकर कह देगा कि आपके "फालतू सवालों के लिए" उसके पास समय नहीं है।😡
☝️हर कोई समझदार व्यक्ति जानता है कि
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👉न मुख्तार की गाड़ी पलटनेवाली थी और न अतीक की👈
☝️यह केवल मीडिया की बदमाशी थी कि गाड़ी पलटने का राग आलापते रहें ताकि यह #नेरेटिव बनाई जा सकें कि उत्तर प्रदेश में कानून काम नहीं करता न उसे काम करने दिया जाता है बल्कि बस गाड़ियां पलटाई जाती हैं। मीडिया ने यह बात उछाल दी...
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यह जो स्क्रीनशॉट आप देख रहे हैं वो एक मूल जर्मन पुस्तक का है।
शीर्षक का अर्थ है- हिटलर के साथ संवाद। PDF उपलब्ध है। इसके पृष्ठ 223 पर ये बात लिखी है जिसका मैंने जर्मन से इंग्लिश अनुवाद कर के तसल्ली कर ली है कि वाकई यह बात कही गई।
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In fact, उस प्रकरण का शीर्षक है- Der ewige Jude जिसका अर्थ होता है - चिरकालिक (eternal) यहूदी।
जहां हिटलर को quote किया गया है कि Der Jude ist ein Prinzip - द ज्यू इज अ प्रिंसिपल- यहूदी एक सिद्धांत है।
अब जो बात कही गई है वो इस प्रकार है-
When Hitler was asked whether he
thought the Jew must be destroyed, he answered:
“No…. We should have then to invent him. It is essential to have a tangible enemy, not merely an abstract one.”1
1. Hermann Rauschning, Hitler Speaks (New York: G. P. Putnam’s Sons, 1940), p. 234.
"नेहरू ने अँग्रेजों से गुप्त संधि की थी" और कहा था कि “मैं भी मुसलमान हूं” (विभाजनकालीन भारत के साक्षी)
"इस शीर्षक को पढ़कर आप अवश्य चौकेंगे,लेकिन सत्ता के लिए जवाहरलाल लहरू के ये कुछ व्यक्तिगत रहस्य भी जानने से यह स्पष्ट होता है
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यह स्पष्ट होता है कि स्वतंत्रता के उपरान्त भी भारत क्यों अपने गौरव को पुन: स्थापित न कर सका"- विनोद कुमार सर्वोदय
श्री नरेन्द्र सिंह जी जो ‘सरीला’ रियासत (टीकमगढ़ के पास,बुंदेलखंड) के प्रिंस थे तथा बाद में गवर्नर जनरल लार्ड वेवल व लार्ड माउण्टबैटन के वे ए.डी.सी. रहे थे।
इस कारण 1942 से 1948 तक की वाइसराय भवन में घटित घटनाओं के वे स्वयं साक्षी थे।
उनसे इस लेख के लेखक (प्रो सुरेश्वर शर्मा) की प्रथम भेंट दिसम्बर 1966 में "इण्डिया इण्टरनेशनल सेंटर, दिल्ली" में हुई थी।प्रिंस आफ़ सरीला श्री नरेंद्र सिंह उस समय काफी वृद्ध थे और इण्डिया इंटरनेशनल सेंटर