#अधिकारी_वेंडर_नेक्सस का नया स्वरूप-अधिकारी स्वयं बना वेंडर!
हालांकि जानकारी वेरीफाइड है,तथापि व्यक्तियों और कंपनियों के नाम रिडेक्ट किए गए हैं,सूचना कुछ इस प्रकार है-
2. He invested huge corrupt money in the firm M/s ###/Haridwar whose owner is Mr S# ##. This firm is approved vendor for supplying electric locomotive items and electrical coaching items.
3. Mr ### opened a firm R###/Okhla industrial Area, Delhi whose real owner is his son Mr M### with joint partnership with S### owner of M/s ###/Haridwar.
4. M/s R### used to supply and do turnkey projects of Signalling work/items.
5. Now Mr ### is trying to get his firm M/s R#### registered as approved #vendor of locomotive and RE items from #RDSO, #CLW, #BLW & #CORE. For this he pressurising officers & started giving #vigilance threatening.
Therefore the above firms to be seriously scrutinised and..
investigated by #CBI for all these activities.
Hon’ble #MR should take immediate action to expose the corrupt practices of Mr### in order to make Railways #Corruption free.This will act as deterrent for all #corrupt_officers & #vendors involved in massive corruption in entire IR.
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@RailMinIndia पता चला है कि आज 3 अप्रैल को वीडियो कॉन्फ्रेंस में रेलमंत्री @AshwiniVaishnaw ने रेलवे विजिलेंस के कार्यकालाप पर गंभीर प्रश्न उठाए। कहा कि विजिलेंस विभाग केवल प्रोसीजरल लेप्स या त्रुटि पर केस बनाना बंद करे। यह देखना ज़रूरी है कि किसी निर्णय के पीछे मंशा क्या थी..
अनाप-शनाप विजिलेंस मामलों के कारण कई बड़े प्रोजेक्ट्स में देरी हुई है और बोल्ड निर्णय लेने वाले अधिकारियों की अनावश्यक प्रताड़ना हुई है।
अधिकारियों का कहना है कि सुनने में तो मंत्री जी का यह वक्तव्य बहुत अच्छा लगता है, पर ख़ाली भाषण देने से व्यवस्था में सुधार हो सकता तो आज..
रेलवे की छवि और दक्षता कुछ और ही होती। उनका कहना है कि आवश्यकता है कि विजिलेंस अधिकारियों और इंस्पेक्टरों की छापामार और फाइल उठा ले जाने की प्रवृत्ति पर अंकुश लगाया जाए। जिस बात की शिकायत हो, या जिस पर शंका हो, उसी की जॉंच की जाए, न कि 500 पृष्ठों की फाइल में से कॉमा-फुलस्टॉप..