जो लोग कहते है मोदी बोलते नहीं है, मोदी ने कब कब और क्या क्या बोला है जरा याद दिलाता हूं आपको...
दिल्ली चुनाव से ठीक पहले मोदी ने बोला, इस मानसिकता को यहीं रोकना जरूरी है। साज़िश रचने वालों की ताकत बढ़ी तो फिर कल किसी और सड़क किसी और गली को रोका जाएगा। हम दिल्ली को इस (1/11)
अराजकता में नहीं छोड़ सकते। इसको रोकने का काम सिर्फ दिल्ली के लोग कर सकते है। भाजपा को दिया हर वोट ये करने की ताकत रखता है।
मोदी ने बोला, संविधान और तिरंगा हाथ में लेकर ये लोग आगजनी कर रहे, तोड़फोड़ कर रहे... इनको इनके कपड़ों से पहचाना जा सकता है... संविधान को बचाने की (2/11)
बात करने वाले लोग सुप्रीम कोर्ट को नहीं मानते...
मोदी ने कुछ दिन पहले बोला, कुछ लोगों का विश्वास हम कभी नहीं प्राप्त कर पाएंगे तो बेहतर यही है कि ऐसे लोगों को छोड़कर आगे बढ़ा जाए...
मोदी ने कहा था, मै इन लोगो की सारी साजिशों को नाकामयाब कर रहा हूं ताकि देश कामयाब हो (3/11)
सके...
मोदी ने नागरिकता संशोधन कानून पर बोला, शरणार्थियों और घुसपैठियों में फर्क होता है, देश का विभाजन धर्म के आधार पर हुआ था...
मोदी ने 2017 चुनाव के समय बोला, मै आपके लिए लड़ाई लड़ रहा हूं, सवा सौ करोड़ देशवासी ही मेरा परिवार है...
मोदी ने नोट बंदी के समय बोला, आप (4/11)
नहीं जानते मैंने कैसी कैसी ताकतों से लड़ाई मोल ली है... ये लोग मुझे जिंदा नहीं छोड़ेंगे... मेरा साथ दीजिए...
कुछ मूर्ख कहते है कि मोदी को नोबल चाहिए... मोदी ने कई बार कहा,
न त्वहं कामये राज्यं न मोक्षम् नापुनर्भवम् ।
कामये दुःखतप्तानां प्राणिनामार्तिनाशनम् ॥
जिस व्यक्ति (5/11)
ने राष्ट्र सेवा के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया, जो कहता है, हम फकीर है मेरा क्या बिगाड़ लोगे? हम झोला लेकर चले जाएंगे... ऐसे त्यागी व्यक्ति को कुछ मूर्ख नोबल पिपासु कहते है...
मोदी ने कहा, जो मुझे गाली देते है, पत्थर फेकते है मै उन्हीं से सीढियां बना लेता हूं और आगे (6/11)
बढ़ता जाता हूं... मुझे मोदी की छवि चमकाने में इंटरेस्ट नहीं है, हिंदुस्तान की छवि चमकाने के लिए जिंदगी खपाने में इंटरेस्ट है... इतिहास में अमर होने के लिए न मै पैदा हुआ न मेरा कोई मकसद है... मकसद है तो सिर्फ एक मेरा देश अजर अमर रहे...
मोदी ने संकल्प लेकर कहा था, सौगंध (7/11)
मुझे इस मिट्टी की मै देश नहीं मिटने दूंगा मै देश नहीं झुकने दूंगा मै देश नहीं रुकने दूंगा... मेरा वचन है भारत मां को तेरा शीश नहीं झुकने दूंगा... वो चाहते है न जागे कोई ये रात ये अंधकार चले हर कोई भटकता रहे यूंही और देश यूंही लाचार चले... इस छल फरेब की आंधी में मै दीप (8/11)
नहीं बुझने दूंगा...
कल मैंने कहा था कि कभी कभी सैनिकों का उत्साह नेतृत्व को भी उत्साहित करता है... अब इसका एक प्रमाण देता हूं...
देश के गद्दारों को.... : अनुराग ठाकुर ने दिल्ली में चुनावी रैली में मंच से कहा... क्यों कहा? क्योंकि सैनिक यानी कार्यकर्ता और समर्थकों में (9/11)
उत्साह था... आपके उत्साह से नेता भी उत्साहित हुआ...
आपने मोदी की बातों को कितने ध्यान से सुना और उसमे से क्या आत्मसात किया यह मायने रखता है... घड़ी घड़ी पेंडुलम की तरह (10/11)
डोलना क्या राष्ट्रवादी या मोदी भक्तो को शोभा देता है? 🙄
एक बार प्रसिद्ध लेखक सलमान रुश्दी ने पूछा था, “जिस मजहबी विश्वास में मुसलमानों की इतनी श्रद्धा है, उसमें ऐसा क्या है जो सब जगह इतनी बड़ी संख्या में हिंसक प्रवृत्तियों को पैदा कर रही है”?
दुर्भाग्य से अभी तक इस पर विचार नहीं हुआ... जबकि पिछले (1/41)
दशकों में अल्जीरिया से लेकर अफगानिस्तान और लंदन से लेकर श्रीनगर, बाली, गोधरा, ढाका तक जितने आतंकी कारनामे हुए, उनको अंजाम देने वाले इस्लामी विश्वास से ही चालित रहे हैं...!! अधिकांश ने कुरान और शरीयत का नाम ले-लेकर अपनी करनी को फख्र से दुहराया है... इस पर ध्यान न देना (2/41)
राजनीतिक- बौद्धिक भगोड़ापन ही है...!!
कानून और न्याय-दर्शन की दृष्टि से भी यह अनुचित है... सभ्य दुनिया की न्याय-प्रणाली किसी अपराधी, हत्यारे के अपने बयान को महत्व देती है, उसकी जांच भी होती है...!! मगर उसे उपेक्षित कभी नहीं किया जाता... क्योंकि उससे हत्या की प्रेरणा (3/41)
सैफई वाले जब यूपी में सत्ता में आते थे तो एक पुरस्कार बांटते थे... यश भारती... पुरस्कार पाने का कोई मानदंड नही था... एकदम रेवड़ी की तरह बांटा जाता था... सिर्फ एक मानदंड था, पाने वाला या अहीर हो या फिर मुसलमान... शादी विवाह में घूम के बिरहा गाने वाले तथाकथित लोक (1/11)
गायकों को दिया था... घूम के दंगल लड़ने वाले पहलवानों को मिला है, पर एशियाई गेम्स के मेडलिस्ट या अर्जुन अवार्ड्स पाने वालों को नही मिला...
हद तो तब हो गयी जब यश भारती पाने वाले सभी लोगों को टोंटी जादो ने 50,000 रु महीना पेंशन बांध दी... आजीवन 50,000 मिलेगा... ऐसे (2/11)
रेवड़ियां बांटते हैं ये लोग...
उसी तरह कांग्रेसी अशोक चक्र बांट गए...
अरे भैया... कारगिल में 450 से ज़्यादा जाबाज़ सिपाही शहीद हुए थे... उनकी वीरता के किस्से सुन के रोंगटे खड़े हो जाते हैं... उनमे से ज़्यादातर जब मिशन पे जाते थे तो जानते थे कि निश्चित वीरगति होगी... (3/11)
जब हम युवा हो रहे होते हैं, तब शरीर के हार्मोन और मन की उड़ान हमें विपरीत लिंग की ओर आकर्षित करती हैं। युवतियों का युवकों में और युवकों का युवतियों में आकर्षण सहज रूप से होता है। यह प्राकृतिक है। समाज में इस सहज प्राकृतिक भावना के कारण उलझन उत्पन्न न हो, विसंगतियां पैदा न (1/12)
हों, इसलिए विवाह संस्था का अस्तित्व है। कुछ वर्षों पहले तक युवावस्था आते ही युवाओं की सगाई कर दी जाती थी, या शादी कर दी जाती थी पर विदाई/गौना अमूमन तभी होता था जब शरीर पूर्ण परिपक्वता प्राप्त कर ले।
अब यह प्रैक्टिस तमाम अच्छे अथवा बुरे कारणों से बन्द है। पर शरीर और (2/12)
मन तो वही है। कानून बदल गए हों, पर प्राकृतिक नियम तो बदलने से रहे। युवा तन/मन को एक साथी चाहिए ही, वह प्रेम करेगा ही। और प्रेम के लिए वह अपने आसपास ही नजर दौड़ाएगा। जो उपलब्ध होगा, वही अप्रोचेबल होगा।
एक प्रश्न अक्सर उठाया जाता है कि हिन्दू लड़की को मजहबी लड़के क्यों (3/12)
27 फरवरी 1915 मे एक दल बना 'हिन्दू महासभा', इनका नारा: हिन्दुओ एकजुट हो जाओ, 1915 से 2014 तक 99 साल मे इनसे हिन्दू एकजुट नहीं हुए।
29 आगस्त 1964 मे एक दल बना 'विश्व (1/7)
हिन्दू परिषद', इनका नारा: हिन्दुओ एकजुट हो जाओ, 1964 से 2014 तक 50 साल मे इनसे हिन्दू एकजुट नहीं हुए।
19 जून 1966 मे फिर एक दल बना 'शिवसेना', इनका नारा: हिन्दुओ एकजुट हो जाओ, 1966 से 2014 तक 48 साल मे इनसे हिन्दू एकजुट नहीं हुए, क्योंकि खुद कभी महाराष्ट्र से बाहर नहीं (2/7)
निकले।
1 अक्टूम्बर 1984 मे फिर एक दल बना 'बजरंग दल', इनका नारा: हिन्दुओ एकजुट हो जाओ, 1984 से 2014 तक 30 साल मे इनसे हिन्दू एकजुट नहीं हुये।
और भी बहुत से छोटे छोटे हिन्दू दल बने हिन्दू वाहनी, हिन्दू रक्षा दल, हिन्दू सेना, हिन्दू युवा दल इत्यादि, इन सब दल से आजतक देश (3/7)
70 साल तक ऐसे ही हरामखोरों व मुफ्तखोरों को तरह तरह की सरकारी योजनाओं के मार्फ़त पाला पोसा गया और एक स्थायी वोटबैंक बनाया गया...
जिन्हें इतनी भी समझ नहीं है कि वो क्या बक रहा है और किसके लिए क्या मांग कर रहा है... कल देखा कि तिरंगा झंडा अतीक अहमद की कब्र पर ओढ़ा रहा था...
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और खड़े होकर जोर जोर से मेरे देश का झंडा अमर रहे चिल्ला रहा था... एकाएक मुझे लगा कि यह व्यक्ति किसी और देश से आया है और अपने देश के झंडे व अपने देश के महान नेता की हत्या पर शोक व्यक्त कर रहा है...
फिर एकाएक देखा कि ये तो अंग्रेजों के द्वारा निर्धारित किया गया तीन रंगों के (2/6)
बराबर हिस्सेदारी दर्शाता तिरंगा झंडा है जिसे भारत का झंडा कहते हैं 75 वर्ष से... वैसे भारत का झंडा तो अंग्रेजों व मुसलमानों के आक्रमण करने से पहले भगवा ध्वज ही रहा है... और हिन्दूओ को अपने ध्वज से ही अपनी पहचान कायम रखने की जरूरत है...
चच्चा की मेहनत आखिरकार कौम के लिए रंग लाने लगी है... आजादी के समय 3 करोड़ आबादी थी भारत में... आज 75 वर्ष बाद उन 3 करोड़ लोगों ने दिन रात मेहनत कर करके अपनी कौम की आबादी 40 करोड़ के पार पहुचाते हुए भारत को विश्व की सबसे ज्यादा जनसंख्या वाला तोहफा दे दिया...
बेगैरतों को (1/4)
75 सालों से सब कुछ मुफ्त में ही मिलता रहा सरकारी योजनाओं के मार्फ़त... और इन्होंने अपने साथ तथाकथित नशेड़ी वर्ग के हिन्दूओ को भी मिला लिया...
मोदी के आने के बाद असन्तुलित वोटबैंक को संतुलित करने की कोशिश करते हुए भी इन्हें मुफ्त में पालने पोसने की मजबूरी बनी हुई है... (2/4)
जातिवादी कीड़े मकोड़े व तथाकथित आसमानी रंग व हरे रंग के विपक्षी दलों के वोटबैंक के बराबर मात्रा में हिन्दूओ का वोटबैंक स्थायी रूप धारण नहीं कर लेगा... तब तक चच्चा की नाजायज औलादों को पालना पोसना मोदी की भी मजबूरी बनी रहेगी...
एक बार हिन्दूओ का स्थायी अडिग वोटबैंक बन जाने (3/4)