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#रामायण में #श्रीराम के साथ इनका प्रसंग आता है।

ऋषि जाबालि का #जबलपुर से बहुत गहरा नाता रहा है।

#कुलगुरु_वशिष्ठ जी की अनुशंसा पर #महाराजा_दशरथ द्वारा जबलपुर के ऋषि जाबालि को अयोध्या में #मुख्य_याजक ( #यज्ञ_प्रमुख ) नियुक्त किया गया था। Image
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#देवी_अहिल्या के पति #महर्षि_गौतम के आश्रम से कुछ दूर एक गांव में एक नृत्यांगना स्त्री रहती थी उसका नाम था #जबाला

उस मार्ग से गुजरने वाले यात्रियों की सेवा कर उनसे प्राप्त होने वाले धन से वह अपना जीवन निर्वाह करती थी।

उसका पुत्र बड़ा योग्य था। Image
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उन दिनों गुरुकुल ही पढ़ाई के केन्द्र होते थे।

जबाला जिस ग्राम में रहती थी उसके निकट महर्षि गौतम का आश्रम था। माता ने बालक को महर्षि के आश्रम का पता बताया और अकेले ही वहां प्रवेश लेने के लिए भेज दिया।

माता के बताए Image
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महर्षि गौतम समझते थे कि बालक आया है तो पढ़ने के लिए ही आया होगा। फिर भी उन्होंने उसे अकेले ही आया देख कर पूछ लिया, ‘‘बालक, किस कार्य से आए हो?’’ Image
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बालक का उत्तर सुन कर महर्षि प्रसन्न हुए उन्होंने पूछा, ‘‘क्या नाम है तुम्हारा?’’

‘सत्यकाम।’’ बालक ने उसी विनम्रता से उत्तर दिया।

‘‘पिता का नाम क्या है?’’ Image
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सत्यकाम के सम्मुख आज तक कभी पिता आए ही नहीं थे और न उसने कभी उनका नाम ही सुना था। उसने कभी अपने पिता के विषय मेें कुछ जाना ही नहीं था। सहसा महर्षि के मुख से पिता का नाम सुन कर वह विस्मित हुआ। किन्तु तुरन्त ही स्थित हो कर उसने उत्तर दिया, ‘‘ पिता का Image
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महर्षि ने उसको समझातेे हुए कहा, ‘‘पुत्र, यद्यपि तुम्हारे उत्तर से मैं सन्तुष्ट हूं फिर भी तुम अपनी माता के पास जाकर अपने पिता का नाम और कुल-गोत्र आदि पूछ कर आओ।’’ Image
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सत्यकाम की माता ने उसे समझाते हूए कहा, ‘‘बेटा, मैं Image
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अपनी माता के मुख से अपने पिता के विषय में अटपटा-सा उत्तर सुन Image
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उस की माता बड़ी ही सत्य बोलने वाली थी। उसको अपनी सत्यता पर बड़ा भरोसा भी था। अतः उसने बालक को समझाते हुए कहा, ‘‘बेटा, तुम महर्षि के पास एक बार फिर जाओ और Image
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सत्यकाम बोला, ‘‘गुरुदेव मेरी माता कहती हैं कि उनको भी मेरे पिता का नाम मालूम नहीं। उनका जीवन तो यात्रियों Image
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इसलिए वे मेरे पिता का नाम तथा कुल, गोत्र बताने में असर्म्थ हैं।’’

पुत्र और माता की इस प्रकार की सत्य के प्रति निष्ठा से महर्षि गौतम बहुत प्रभावित हुए।

महर्षि ने सत्यकाम को शावासी देते हुए कहा, ‘‘बेटा, जो इस प्रकार निर्भय होकर अपनी बात सच-सच बता Image
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सत्यकाम लगन का पक्का था। उसने महर्षि के चरणों में प्रणाम करते हुए कहा, ‘‘महाराज आपकी कृपा और आशीवाद से में अपने कार्य को ठीक समय पर सम्पन्न कर लूंगा, ऐसा मेरा विश्वास है।

शिष्य में विश्वास की Image
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गुरुकूल के पूर्व की ओर जो वन था वह सत्यकाम को दे दिया गया। उसको शिक्षा देने के लिए विभिन्न विषयों के चार विद्वानों की नियुक्ति भी कर दी गई। बल्कि सत्यकाम ने स्वयं अपने लिए वहां कुटिया बनाई और फिर गौयों के पालन-पोषण के साथ-साथ अपनी पढ़ाई में भी Image
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गुरुकुल वासियों ने अनुभव किया कि ज्यों-ज्यों सत्यकाम का ज्ञान बढ़ता जा रहा है त्यों-त्यों गौओं की वंशवेलि बढ़ने के साथ साथ वे हृष्ट-पुष्ट भी होती जा रही हैं। महर्षि गौतम यह सब देख कर प्रसन्न होते थे। Image
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जब तक गौओं की संख्या 400 से 1000 तक पहुंची, सत्यकाम ने अपने चार विषयों की शिक्षा पूर्ण कर ली।

यथा अवसर सत्यकाम महर्षि के सम्मुख उपस्थित हुआ। उसने उनको प्रणाम कर कहा, ‘‘महाराज आपके द्वारा नियुक्त Image
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’’सत्यकाम की विनम्रता, कार्यकुशलता, सत्य निष्ठा और विद्या के प्रति अनुराग देख कर महर्षि गौतम बहुत ही प्रसन्न हुए, उसे आशीर्वाद देकर विद्याओं में पारंगत कर दिया।

सत्यकाम ने अपनी विद्वता से सारे संसार में अपनी तथा अपने गुरु महषि गौतम की ख्याति फैला दी। Image
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संवाद के दौरान वे कहते हैं, देखो क्या विडंबना है कि:

🔴अष्टकापितृदेवत्यमित्ययं प्रसृतो जनः।
अन्नस्योपद्रवं पश्य मृतो हि किमशिष्यति ।।14।।
(बाल्मीकिविरचित रामायण, अयोध्याकाण्ड, सर्ग 108) Image
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दद्यात् प्रवसतां श्राद्धं तत्पथ्यमशनं भवेत् ।।15।।
(बाल्मीकिविरचित रामायण, अयोध्याकाण्ड, सर्ग 108)

वास्तव में यदि यहां भक्षित अन्न अन्यत्र किसी दूसरे के देह को मिल सकता तो अवश्य ही परदेस में प्रवास में गये व्यक्ति की वहां भोजन की व्यवस्था Image
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जबालोपनिषद में चतुर्थ आश्रम सन्यास आश्रम को भी जोड़ा गया है।

#जय_श्री_राम‌‌ Image

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Jan 22
🔴 #हल्दीघाटी का युद्ध :- 18 June 1576

🔸युद्ध के बाद अगले एक साल तक #महाराणा_प्रताप ने #हल्दीघाटी के आस-पास के गांवों के भूमि के पट्टों को #ताम्रपत्र जारी किए थे जिससे यह साबित होता है कि किसी भी आक्रान्ता का महाराण प्रताप के किसी भी विशाल भू-भाग पर कोई नियंत्रण नहीं हुआ था।
🔸इन ताम्रपत्रों पर #एकलिंगनाथ जी के दीवान महाराणा प्रताप के हस्ताक्षर थे.

उस समय भूमि पट्टे जारी करने का अधिकार केवल Particular Area के राजा के पास ही होता था.

🔸युद्ध के परिणाम से खिन्न अकबर ने मानसिंह और आसफ खाँ की 6 माह के लिये इयोड़ी बंद कर दी थी अर्थात् उनको दरबार में
सम्मिलित होने से वंचित कर दिया था।

🔸हल्दीघाटी का युद्ध 18 जून,1576 को महाराणा प्रताप और अकबर की सेना के बीच हुआ था।

यह युद्ध पहाड़ी दर्रे से लेकर बनास नदी के तट तक चला था।

युद्ध में महाराणा प्रताप की जीत हुई थी। यह युद्ध 4 घंटे तक ही चला था मगर इसमें दोनों ओर से सैंकडों सैनिक
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Jan 13
#मगध_और_समकालीन_भारतीय_इतिहास

#मगध 1⃣

मगध के राजवंश

1. महाराजा मगध :-

राजा मगध ने मगध साम्राज्य की स्थापना की।

2. महाराजा सुधन्वा :- कुरु द्वितीय का पुत्र सुधन्वा अपने मामा महाराजा मगध के बाद मगध का राजा बना।
सुधन्वा राजा मगध का भतीजा था।

3. महाराजा सुधनु

(1/600)
4. महाराजा प्रारब्ध
5. महाराजा सुहोत्र
6. महाराजा च्यवन
7. महाराजा चवाना
8. महाराजा कृत्री
9. महाराजा कृति
10. महाराजा क्रत
11. महाराजा कृतग्य
12. महाराजा कृतवीर्य
13. महाराजा कृतसेन
14. महाराजा कृतक
15. महाराजा प्रतिपदा
16. महाराजा उपरिचर वसु :- बृहद्रथ के पिता

(2/600)
और राजवंश के अंतिम राजा थे।

बृहद्रथ राजवंश:-

वृहद्रथ वंश➡वृहद्रथ का पुत्र जरासंध एक शक्तिशाली राजा था।

➡जरासंध की पुत्रियों अस्ति और प्राप्ति का विवाह कंस के साथ हुआ था।जरासंध के मरणोपरांत मगध का शासन -- जरासंध के पुत्र सहदेव को भगवान श्रीकृष्ण ने कार्यभार सौंपा।

(3/600) ImageImage
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Oct 23, 2022
@Sabhapa30724463 @amarlal71 @4k25JbZMlr4eUsF @BNPande83532833 @DamaniN1963 @Govindmisr @PRPathak2 @SathyavathiGuj1 @ShashibalaRai12 @SimpleDimple05 @seemarani4421 छोटी दिवाली को काली चौदस या नरक चतुर्दशी भी कहते हैं. पौराणिक कथाओं के अनुसार , प्रागज्योतिषपुर राज्य में नरकासुर नामक राजा और उसका सेनापति मुर था जिनका भगवान श्रीकृष्ण और उनकी पत्नी सत्यभामा ने वध कर दिया था और 15999 स्त्रियों को उन लोगों की कैद से मुक्त कराया था।
@Sabhapa30724463 @amarlal71 @4k25JbZMlr4eUsF @BNPande83532833 @DamaniN1963 @Govindmisr @PRPathak2 @SathyavathiGuj1 @ShashibalaRai12 @SimpleDimple05 @seemarani4421 जिसके बाद नरकासुर की माता ने भगवान श्रीकृष्ण से आग्रह किया कि उसके पुत्र की मृत्यु के दिन को शोक के तौर पर ना मनाकर एक उत्सव के रूप में मनाया जाए.

यही वजह है कि इस दिन छोटी दिवाली मनाई जाती है और इस दिन को चतुर्दशी तिथि होने के कारण नरक चतुर्दशी कहते हैं.
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तड़ित विद्युत :-

विसर्जन (Electric Discharge) के द्वारा उत्पन्न होता है। तड़ित द्वारा अत्यधिक विद्युत-आवेशन होता है। यह दो आवेशित बादलों के बीच होता है। तड़ित चालक एक मोटी तांबे की पट्टी होती है जिसके सिरे पर कई नुकीले
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Jul 7, 2022
जयद्रथ वध:-

सिंधु सभ्यता महाभारत काल में मौजूद थी। महाभारत में इस जगह को सिन्धु देश कहते थे। इस सिन्धु देश का राजा जयद्रथ था। जयद्रथ महाभारत युद्ध में कौरवों की ओर से लड़ा था।

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जयद्रथ सेे पूर्व सिंधु देश के राजा थे वृद्धक्षत्र, उनका ही पुत्र था जयद्रथ।वृद्धक्षत्र को यह पुत्र कठिन तप करने के बाद हुआ था।जयद्रथ का जब जन्म हुआ तब उस समय यह भविष्यवाणी हुई कि,'यह राजकुमार यशस्वी होगा,पर एक श्रेष्ठ क्षत्रिय के हाथों सिर काटे जाने से इसकी मृत्यु होगी।'
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यह बात सुनकर वृद्धक्षत्र काफी दुःखी हो गए । उन्होंने तत्काल श्राप दिया,'जो भी मेरे पुत्र का वध करेगा तो सिर्फ सिर काटने पर ही मृत्यु होगी और जैसे ही जयद्रथ का सिर धरती पर गिरेगा उस व्यक्ति के सिर के उसी क्षण सौ टुकड़े हो जाएंगे,जिस व्यक्ति के हाथ से सिर धरती पर गिरेगा।'
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May 31, 2022
हनुमानजी का अद्भुत पराक्रम..
 
          जब रावण ने देखा कि हमारी पराजय निश्चित है तो उसने 1000 राक्षसों को पाताल से बुलाकर रणभूमि में भेजने का आदेश दिया।ये ऐसे थे जिनको काल भी नहीं खा सकता था क्योंकि पातालवासियों की जान उनमें होती ही नहीं है ।
          विभीषण के गुप्तचरों से
समाचार मिलने पर श्री राम को चिन्ता हुई कि हम लोग इनसे कब तक लड़ेंगे ? सीता का उद्धार और विभीषण का राज तिलक कैसे होगा ? क्योंकि युद्ध की समाप्ति असंभव है।
          श्रीराम कि इस स्थिति से वानरवाहिनी के साथ कपिराज सुग्रीव भी विचलित हो गए कि अब क्या होगा ? हम अनंत काल तक युद्ध तो
कर सकते हैं पर विजयश्री का वरण नहीं ! पूर्वोक्त दोनों कार्य असंभव हैं।
          अंजनानंदन हनुमान जी आकर वानर वाहिनी के साथ श्रीराम को चिंतित देखकर बोले–'प्रभु ! क्या बात है ?'
          श्रीराम के संकेत से विभीषण जी ने सारी बात बतलाई।अब विजय असंभव है।
          पवन पुत्र ने कहा–
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