मनुष्य के तीन शरीर होते हैं- पहला- स्थूल शरीर, दूसरा- सूक्ष्म शरीर और तीसरा- कारण शरीर। स्थूल शरीर तो हमें दिखाई देता है। यह सोलह तत्वों का बना होता है। पहली नजर में हमारा चेहरा ही हमारे स्थूल शरीर का परिचय होता है।
स्थूल शरीर के भीतर एक सूक्ष्म शरीर होता है जो 19 तत्वों का बना होता है। ये १९ तत्व हैं- मन, बुद्धि, चित्त और अहंकार, पांच ज्ञानेंद्रियां (आंख, कान, नाक, जीभ और त्वचा), पांच महाभूत ( पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश), तथा पांच प्राण- प्राण, अपान, व्यान, उदान और समान।
सूक्ष्म शरीर के भीतर हमारा कारण शरीर सूक्ष्मतम है जो ३५ तत्वों का बना होता है- स्थूल शरीर के १६ और सूक्ष्म शरीर के १९ मिला कर कुल ३५ तत्व। साधना इन सभी स्थूल और सूक्ष्म तत्वों/ऊर्जाओं को संतुलित बनाता है।
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|| पंचमुखी हनुमान शक्ति साधना ||
श्री हनुमान की साधना अनेक रूपों में की जाती है। जिनमें बाल हनुमान, भक्त हनुमान, वीर हनुमान, दास हनुमान, योगी हनुमान और पंचमुखी हनुमान प्रसिद्ध है।
पांच मुख वाले हनुमान की शक्ति धार्मिक और तंत्र शास्त्रों में भी बहुत ही चमत्कारिक फलदायी मानी गई है। श्री हनुमान के पांच मुख पांच दिशाओं में हैं। हर रूप एक मुख वाला, त्रिनेत्रधारी यानि तीन आंखों और दो भुजाओं वाला है। यह पांच मुख नरसिंह, गरुड, अश्व, वानर और वराह रूप है।
पंचमुखी हनुमान का पूर्व दिशा में वानर मुख है। जो बहुत तेजस्वी है। जिसकी उपासना से विरोधी या शत्रु पराजित हो जाता है।
पंचमुखी हनुमान का पश्चिमी मुख गरूड का है। जिसके दर्शन और भक्ति संकट और बाधाओं का नाश करती है।
हिन्दुत्व केवल एक धर्म ही नहीं है। सनातन का अर्थ होता है। जो न तो अग्नि, न वायु. न पानी और ना ही अस्त्र से नष्ट हो और धर्म का अर्थ होता है। जीवन जीने की कला।
आओ जानते हैं इन सभी को विस्तार से
१० ध्वनियां: घंटी, शंख, बांसुरी, वीणा, मंजीरा, करतल, बीन (पुंगी), ढोल, नगाड़ा और मृदंग
१० कर्तव्य:- संध्यावंदन, व्रत, तीर्थ, उत्सव, दान, सेवा संस्कार, यज्ञ, वेदपाठ, धर्म प्रचार
१० दिशाएं : उर्ध्व, ईशान, पूर्व, आग्नेय, दक्षिण, नैऋत्य, पश्चिम, वायव्य, उत्तर और अधो
१० दिग्पाल : १० दिशाओं के १० दिग्पाल होते हैं।
उर्ध्व के ब्रह्मा,
ईशान के शिव व ईश,
पूर्व के इंद्र,
आग्नेय के अग्नि या वह्रि,
दक्षिण के यम,
नैऋत्य के नऋति,
पश्चिम के वरुण,
वायव्य के वायु और मारुत,
उत्तर के कुबेर
और...
अधो के अनंत
इस मन्त्र के तीन पाठ नित्य करे। ‘पाठ’ के बाद कमल के श्वेत फूल, तिल,मधु, घी, शक्कर, बेल-गूदा मिलाकर बेल की लकड़ी से नित्य १०८ बार हवन करे। इससे मन-वाञ्छित धन प्राप्त होता है।