चिन्तनयोगी Profile picture
Curious, Analytic, Student मानव जीवन के विभिन्न आयामों को समझने सीखने के प्रयासों में निहित कॉरपोरेट प्राणी ।
Oct 12, 2020 17 tweets 10 min read
#Thread
#श्रृंखला
पुराणों में विचित्र विद्याओं का वर्णन भाग 2

पिछली श्रृंखला में हमने कुछ विचित्र विद्याओं का वर्णन जो पुराणों में है उस पर एक विवेचना लिखी और आपने इसे सराहा. इसी श्रंखला में आगे कुछ और ऐसी ही विद्या,मंत्र,सिद्धि अथवा प्रयोग का वर्णन -परोक्षसत्तादर्शन- ह्रदय में स्तिथित देव को देखने की हृदय संयम शक्ति। परम भक्तों को उपलब्ध इसे देवदर्शन सिद्धि भी इसे कहा जाता है.
-अभिचार सिद्धि- प्रतिद्वंदी को शास्त्रार्थ में पराजित करने की शक्ति. याज्ञवल्क्य, मंडनमिश्र,शंकराचार्य, गार्गी विद्वानों को प्राप्त,मेघनाथ-यज्ञ
Oct 10, 2020 13 tweets 7 min read
#श्रंखला
#Thread
पुराणों में विचित्र विद्याओ का वर्णन

पुराणों में कई प्रकार की विद्या और शास्त्रों का वर्णन है।ज्योतिष, खगोल, भूगोल,स्थापत्य, शिल्प,अर्थशास्त्र जैसी कई विद्याओं का वर्णन तो हमें ज्ञात ही है, लेकिन आइए कुछ नई विद्याओं में विद्याओं का ज्ञान इस श्रंखला में लेते हैं। 1) अनुलेपन विद्या- मार्कंडेय पुराण में एक विशिष्ट पाद लेप का संकेत है जिसे पैर में लगाने से 1 दिन में 100 योजन की यात्रा करने की शक्ति आ जाती है।

2) स्वेच्छाधारिणी विद्या-मार्कंडेय पुराण के द्वितीय अध्याय में इसका वर्णन है,जैसे ही रामायण में रावण के द्वारा याचक का रूप धारण करना
Jul 21, 2020 16 tweets 6 min read
#Thread
क्या शरीर में एक ही आत्मा होती है?

वेद-पुराण,अन्य धाराओं में परमात्मा-जीवात्मा और उसके संबंध पर कई प्रकार की व्याख्या की है.दोनों एक है,आत्मा परमात्मा काअंश है,आत्मा पूर्व जन्म का ही प्रवाह है आदि
लेकिन वही पांच तत्व है,परमात्मा एक ही है,तो अनुभव-संवेदना अलग अलग क्यों ? क्यों किसी एक ही परिस्तिथि और पदार्थ को हर जीवन अलग गुण में अनुभव करता है?
सामान्यतःएक शरीर और उसमे एक आत्मा की संज्ञा देते है लेकिन ये एक आत्मा क्या पूर्णभूत है या कई अवयवों का संकलन.

इसी विषय पर संक्षिप्त विवेचन
पुराणों के अनुसार वस्तुतः आत्मा एक ही है परन्तु उपाधि और अवस्था
Jul 11, 2020 10 tweets 8 min read
#Thread
द्रौपदी क्या वास्तव में पांच अलग पतियों की पत्नी थी?
द्रौपदी और उसके पांच पांडव पति होने को लेकर कथा और वैसे ही विकृत मानसिकता की टिपण्णी सामान्य हो चुकी है.
महाभारत/पुराणों में पूर्व जन्म में पांच बार पति कहकर वरऔर इसी हेतु से पांच पति मिले, ऐसी भी कथा सामान्य मिलेगी सर्वज्ञात है की कुंती को दुर्वासा ने सेवा से प्रसन्न होकर किसी भी देवता का स्मरण करने पर वरदान दिया था. फिर पाण्डु को श्राप मिलने से कुंती ने क्रमशः धर्मराज,वायु,इंद्र,और माद्री ने अश्विनी कुमारो को स्मरण करके युधिष्ठिर, भीमसेन, अर्जुन और नकुल सहदेव के रूप में पुत्र प्राप्ति की.
Jul 8, 2020 16 tweets 8 min read
#Thread
दान
दान के बारे में जानने से पूर्व दान की महिमा

राजा बलि, वामन अवतार से पूर्व की कथा उससे अधिक रोचक और ज्ञानवर्धक है की कैसे दान की महिमा के कारण राजा बलि को हरिकृपा मिली.

कथा और व्याख्या स्कन्द पुराण से
प्रथम : राजा बलि के पूर्व जन्म की कथा कई बार ये विषय आता है की राजा इंद्र का सिंहासन क्यों डोलता है या वो इन्द्रासन को लेकर काफी भयभीत से रहते है. पूर्व जन्मो में राजा इंद्र ने सौ अश्वमेध यज्ञ करके इन्द्रासन पाया था, लेकिन समय रहते भोग लोलुपता और और कृपणता आ गयी. दान दक्षिणा बंद हो गयी और इसी कारण अन्य विकार आने लगे.
Jul 6, 2020 15 tweets 8 min read
#Thread
हिंदी मुहावरे और भाषा, वार्तालाप,संस्कृति का ह्रास

"घर का भेदी लंका ढाये "
"मुंह में राम बगल में छुरी "
"राम नाम जपना, पराया माल अपना"
"ठन ठन गोपाल होना"
"गोबर गणेश होना"

ये सब मुहावरे आम बोल चाल में उपयोग होेते रहते है जानिये क्या है सच्चाई ! १ घर का भेदी लंका ढाये: विभीषण जी को लेकर कि उनके कारन लंकाविनाश हुआ
लंका का आधा विनाश तो हनुमानजी ने पहले ही जला कर कर दिया, पूर्ण विनाश हुआ अधर्मी राजा और उसके कुकृत्यों के कारण
सीता जी ने, हनुमान जी ने सभा में घमंड तोड़कर, विभीषण, मंदोदरी, माल्यवंत,कुम्भकर्ण, अंगद ने Image
Jul 4, 2020 9 tweets 6 min read
#Thread
पिछली कुछ श्रृंखलाओं को आपने सराहा इसका हृदय से आभार।
इसी विचार में एक और, सामान्य बात लेकिन विस्तृत वर्णन|

श्री हनुमान जी को अष्ट सिद्धि नौ निधि का दाता कहा,
प्रायः सामान्य पूजा या अन्य श्लोक में भी आता है
क्या है ये अष्ट सिद्धि और कैसे श्री हनुमान ने इनका उपयोग किया Image १- अणिमा: अणु के समान हो जाना ( यानी बहुत ही छोटे या अदृश्य सामान)
जब हनुमान जी ने लंका में प्रवेश किया तब -
'मसक समान रूप कपि धरी'
यहाँ मसक समान (मछर जैसा) ना की मसक का।

जब अशोकवन में छिप कर प्रतीक्षा करते है -
'तरु पल्लव् महुँ रहा लुकाई'
(पेड़ के पत्ते के पीछे छिपे)
Jul 3, 2020 6 tweets 4 min read
#Thread
सामान्य कथा लेकिन गूढ़ संयोग:

श्री हनुमानजी के द्वारा माँ सीता की खोज के लिए समुद्र लांघने की कथा में तीन विपत्तियां मार्ग में मिलती है- १- सुरसा २-सिंहिका ३- लंकिनी
और तीनों को हनुमान जी अलग युक्ति से व्यवहारित करते है
प्रथम दृष्टि से सामान्य सी कहानी लेकिन रोचक संयोग Image: krishna.com प्रथम सुरसा जिन्हें देवता हनुमानजी की परीक्षा हेतु भेजते है - उन्हें माता कहकर संबोधित करते है, नमन करते है और बुद्धि से (शरीर को बढ़ा कर युक्ति से लघु रूप धारण और मुंह मे जाकर पुनः बाहर आना) जीतते है
द्वितीय सिंहिका जो आकाश में उड़ने वाले की परछाई पकड़कर खाती है उसे तुरंत मारकर