भोपाल : 2-3 सन 1984 दिसम्बर की कड़कड़ाती रात थी वो,अजीब सी खामोशी छायी हुई थी।
ये वक्त था यूनियन कार्बाइड में नीचे टैंक संख्या ई 610 में साफ सफाई के लिये मजदूर उतरे।
अचानक वहां का तापमान 200° हो गया गैस का तापमान 4.5° हो गया जो 20° होना चाहिए था।
ये वो वक्त था जब लोग गहरी नींद में थे। इधर कारखाने में पाइपलाइन में पानी के रिसाव के कारण मिथाइल आइसो सायनाइट एकदम खौलने की स्थिति में आ गयी थी ।
अंग्रेजी मैनुअल, बचाव सम्बधी उपकरण के खराब होने और न ही कोई ट्रेनिंग के अभाव के कारण गैस रिसाव होना शुरू हो गया।