स्थान- बहराइच
वो धर्म युद्ध ही था
क्योंकि जो धर्म कि तरफ से लड़ रहे थे उन्होंने सेना का नाम दिया था महाकाल कि सेना और सेनापति महाकाल का सबसे बड़ा उपासक ।।
एक ऐसा सेनापति जिसने 22 राज्यों की सेना एक करके बनाई एक सेना ,और उतर गया दोनों हाथों में तलवार लेकर-
गजनवी हम इसको कैसे भूल सकते है एक इनका भांजा था मसूद गाज़ी जो गजनवी के बाद भारत पे हमला करने निकला अपनी 1 लाख कि सेना लेकर ।
सुहेलदेव ने इस समस्या को दरवाज़े पे खड़ा देख अपने सब मैत्री राज्यो को पत्र लिखा कि धर्मयुद्ध करने का वक्त आ गया अपनी अपनी सेनाओं के साथ सब आए ।
22 राज्यो की सेना से बनाई गई एक सेना करीब 3 लाख सैनिक जो जय भवानी का उदघोष करके ..
मालवा, पंजाब सेनाओं की कुशल रणनीति और सुहेलदेव जैसा सेनापति ने मसूद गाजी और उसके 1 लाख सैनिक को घेर लिया।
बहुत बड़े लेखक थे मुगल राजा जहाँगीर के समय उन्होंने सुहेल देव का चित्रण इस युद्ध मे कुछ ऐसा किया था:-
महाकाल के नारे से उसने कहर बरसा दिया"
उसके बाद ॐ शांति ,हम जीत गए ।
ये इतिहास का हिस्सा इसलिए भी क्योंकि मेरी नजर में भारतीय इतिहास का ये एकलौता युद्ध था जहां दुश्मन को अच्छे से घेर के मारा,एक कुशल रणनीति और एक मजबूत सेनापति ।
और सबसे बड़ी बात हिंदुओ कि एकता ।
सोचे और विचार कीजिए ।
जय जय ।।