वहां भगवान राम के छोटे पुत्र कुश के वंशज सम्राट....भूमिबल अतुल्य तेज राज्य कर रहे हैं
जिन्हें नौवां राम कहा जाता है,
वाल्मीकि रामायण एक धार्मिक ग्रन्थ होने के साथ एक ऐतिहासिक ग्रन्थ भी है,
क्योंकि महर्षि वाल्मीकि राम के समकालीन थे,!
रामायण के बालकाण्ड के सर्ग,70 / 71 और 73 में श्री राम और उनके तीनों भाइयों के विवाह का वर्णन है,
मिथिला के राजा सीरध्वज थे,जिन्हें लोग विदेह भी कहते थे ! उनकी पत्नी का नाम सुनेत्रा (सुनयना )था
जिनकी पुत्री सीता जी थीं, जिनका विवाह राम से हुआ था ,राजा जनक के कुशध्वज नामके भाई थे,
इनकी राजधानी सांकाश्य नगर थी जो इक्षुमती नदी के किनारे थी,
राम और सीता के पुत्र लव और कुश, !
लक्ष्मण और उर्मिला के पुत्र अंगद और चन्द्रकेतु !
भरत और मांडवी के पुत्र पुष्कर और तक्ष,..
शत्रुघ्न और श्रुतिकीर्ति के पुत्र सुबाहु और शत्रुघात हुए थे,
पश्चिम में लव को लवपुर( लाहौर )
पूर्व में कुश को कुशावती,
तक्ष को तक्षशिला, !
अंगद को अंगद नगर,...और
चन्द्रकेतु को चंद्रावती, राज्य मिला,
थाईलैंड के राजा उसी कुश के वंशज हैं !
इस वंश को चक्री वंश कहा जाता है l
चूँकि राम को विष्णु का अवतार माना जाता है,!
और विष्णु जी का आयुध चक्र है !
जैसे अभी राम (9 th )राजा हैं जिनका नाम..
“भूमिबल_अतुल्य_तेज ” है।
लोग थाईलैंड की राजधानी को अंग्रेजी में बैंगकॉक ( Bangkok ) कहते हैं, !
क्योंकि इसका सरकारी नाम इतना बड़ा है की इसे विश्व का सबसे बडा नाम माना जाता है ,!
इसका नाम संस्कृत शब्दों से मिल कर बना है, !
#देवनागरी_लिपि_में_पूरा_नाम_इस_प्रकार_है !
“क्रुंग देव महानगर अमर रत्न कोसिन्द्र महिन्द्रायुध्या महा तिलक भव नवरत्न रजधानी पुरी रम्य उत्तम राज निवेशन महास्थान अमर विमान अवतार स्थित शक्रदत्तिय विष्णु कर्म प्रसिद्धि ”
इस नाम की एक और विशेषता है
इसे बोला नहीं बल्कि गा कर कहा जाता है !
कुछ लोग आसानी के लिए इसे “महेंद्र अयोध्या” भी कहते है l
अर्थात इंद्र द्वारा निर्मित महान अयोध्या,
इसलिए,थाईलैंड मे एक तरह से राम राज्य है
वहा के राजा को भगवान श्रीराम का वंशज माना जाता है
भगवान राम के वंशजों की यह स्थिति है कि..
उन्हें निजी अथवा सार्वजनिक तौर पर कभी भी विवाद या आलोचना के घेरे में नहीं लाया जा सकता वे पूजनीय हैं,
बल्कि उन्हें झुक कर खडे़ होना पड़ता है,
उनकी तीन पुत्रियों में से एक हिन्दू धर्म की मर्मज्ञ मानी जाती हैं।
यद्यपि थाईलैंड में थेरावाद बौद्ध के लोग बहुसंख्यक हैं,!
फिर भी वहां का राष्ट्रीय ग्रन्थ रामायण है l
जिसे थाई भाषा में "राम कियेन” कहते हैं l
जिसका अर्थ राम कीर्ति होता है, !
जो वाल्मीकि रामायण पर आधारित है,
जिससे चक्री राजा प्रथम राम (1736–1809), ने अपनी स्मरण शक्ति से फिर से लिख लिया था l
थाईलैंड में रामायण को राष्ट्रिय ग्रन्थ घोषित किया गया है,
1.राम (राम) 2.लक (लक्ष्मण) 3.पाली(बाली)
4.सुक्रीप (सुग्रीव) 5.ओन्कोट (अंगद)
6.खोम्पून (जाम्बवन्त)7.बिपेक (विभीषण)
8.तोतस कन (दशकण्ठ) रावण 9. सदायु (जटायु)
10.सुपन मच्छा (शूर्पणखा) 11. मारित(मारीच)
12.इन्द्रचित (इंद्रजीत) मेघनाद
थाईलैंड में बौद्ध बहुसंख्यक और हिन्दू अल्प संख्यक हैं l
वहां कभी सम्प्रदायवादी हिंसा नहीं हुई ये प्रशंसनीय है,
1. ईसुअन (ईश्वन) ईश्वर शिव
2. नाराइ (नारायण) विष्णु
3. फ्रॉम (ब्रह्म) ब्रह्मा
4. इन ( इंद्र )
5. आथित (आदित्य) सूर्य
6 . पाय ( पवन )वायु
गरुड़ एक बड़े आकार का पक्षी है,!
जो लगभग लुप्त हो गया है l
अंग्रेजी में इसे ब्राह्मणी पक्षी अर्थात
(The Brahminy Kite ) कहा जाता है,
इसका वैज्ञानिक नाम “Haliastur Indus” है,
और इसका नाम Falco Indus रख दिया था,
इसने दक्षिण भारत के पाण्डिचेरी शहर के पहाड़ों में गरुड़ देखा था,
इस से सिद्ध होता है कि गरुड़ काल्पनिक पक्षी नहीं है,
चूँकि राम विष्णु के अवतार हैं और थाईलैंड के राजा राम के वंशज है और बौद्ध होने पर भी हिन्दू धर्म पर अटूट आस्था रखते हैं,
इसलिए उन्होंने ”गरुड़” को राष्ट्रीय चिन्ह घोषित किया है,
#सुवर्णभूमि_हवाई_अड्डा
जबकि भारत मे आज भी बहुत से शहरों व ऱोडों के नाम मुगल हमलावरों के नाम पर है,विडंबना
जैसे हुमायूँ रोड, अकबर रोड, औरंगजेब रोड इत्यादि, !
इसके विपरीत थाईलैंड की राजधानी के हवाई अड्डे का नाम सुवर्ण भूमि है !
इसका क्षेत्रफल 563,000 स्क्वेअर मीटर है,
इसके स्वागत हाल के अंदर समुद्र मंथन का दृश्य बना हुआ है !
इसके लिए रस्सी के लिए वासुकि नाग,मथानी के लिए मेरु पर्वत का प्रयोग किया था
मथानी को स्थिर रखने के लिए कच्छप(कछुआ) के रूप में भगवान विष्णु थे,
जो भी व्यक्ति इस ऐयरपोर्ट के हॉल जाता है वह यह दुर्लभ व अद्भुत दृश्य देख कर मन्त्र मुग्ध हो जाता है,
आज भारत की वर्तमान व भावी पीढ़ी अपनी वास्तविक संस्कृति से अनभिज्ञ है,उन्हें भी सामाजिक समरसता के लिये अपनी संस्कृति व सांस्कृतिक विरासत को जानना व सहेजना होगा,