कभी आपने सोचा कि यह किस कारण से लगाई जाती है?
1. गरूड़ घंटी,
2. द्वार घंटी,
3. हाथ घंटी और
4. घंटा,
2. द्वार घंटी : यह द्वार पर लटकी होती है,यह बड़ी और छोटी दोनों ही आकार की होती है।
4. घंटा : यह बहुत बड़ा होता है,कम से कम 5 फुट लंबा और चौड़ा,इसको बजाने के बाद आवाज कई किलोमीटर तक चली जाती है।
वैज्ञानिकों का कहना है कि जब घंटी बजाई जाती है तो वातावरण में कंपन पैदा होता है,जो वायुमंडल के कारण काफी दूर तक जाता है।
मान्यता अनुसार घंटी बजाने से मंदिर में स्थापित देवी-देवताओं की मूर्तियों में चेतना जागृत होती है जिसके बाद उनकी पूजा और आराधना अधिक फलदायक और प्रभावशाली बन जाती है।
मंदिर में घंटा लगाने का कारण
जब भी मंदिर में प्रवेश किया जाता है तो दरवाजे पर घंटा टंगा होता है जिसे बजाना होता है। मुख्य मंदिर (जहां भगवान की मूर्ति होती है) में भी प्रवेश करते समय घंटा या घंटी बजानी होती है,
हिंदुओं में सुबह उठकर सूर्य को जल चढ़ाते हुए नमस्कार करने की परम्परा है।
वैज्ञानिक तर्क-
पानी के बीच से आने वाली सूर्य की किरणें जब नाभि पर पड़ती है तो शरीर मे उर्जा का संचार होता है और यही किरणे जब आंखों में पहुंचती हैं,तब हमारी आंखों की रौशनी अच्छी होती है।
#जब भी कोई धार्मिक या पारिवारिक अनुष्ठान होता है तो भोजन की शुरुआत तीखे से और अंत मीठे से होता है।
#तीखा खाने से हमारे पेट के अंदर पाचन तत्व एवं अम्ल सक्रिय हो जाते हैं,इससे पाचन तंत्र ठीक तरह से संचालित होता है।
अंत में मीठा खाने से अम्ल की तीव्रता कम हो जाती है,इससे पेट में जलन नहीं होती है।