शायद देश के बहुसंख्यक लोगो को ये पता भी नही व इतिहास में शायद वे पढ़ाया भी नही गया
हल्दीघाटी के बाद अगले १० साल में मेवाड़ में क्या हुआ,कहीं सुनियोजित तरीके से इतिहास से ये पन्ने हटा तो नही दिये,हल्दीघाटी युद्ध के बाद का समय हिन्दुओं के शौर्य के प्रतीक हैं.
ये वाकया अबुल फज़ल की पुस्तक अकबरनामा में दर्ज है.
महाराणा प्रताप और मुगलो के बीच हुए कई युद्धों की शुरुआत भर था,
हल्दीघाटी के बाद के वर्षों में क्या हुआ...महाराणा प्रताप के शौर्य पराक्रम की बानगी..👇
उस स्थिति में महाराणा ने “गुरिल्ला युद्ध” की योजना बनायीं और मुगलों को कभी भी मेवाड़ में स्थापित नहीं होने दिया.
इसे " बैटल ऑफ़ दिवेर "कहा गया गया है.