आप ही सूर्य, चन्द्र, धरती, आकाश, अग्नि, जल एवं वायु हैं।
आप ही आत्मा भी हैं। हे देव !
मुझे ऐसा कुछ भी ज्ञात नहीं जो आप न हों।
महत: परित: प्रसर्पतस्तमसो दर्शनभेदिनो भिदे।
दिननाथ इव स्वतेजसा हृदयव्योम्नि मनागुदेहि न:॥
हे शम्भो हमारे हृदय आकाश में, आप सूर्य की तरह अपने तेज से चारों ओर घिरे हुए, ज्ञानदृष्टि को रोकने वाले, इस अज्ञानरूपी अंधकार को दूर करने के लिए प्रकट हो जाओ।
भोलेनाथ सदैव कृपा बरसाते रहें,
"" ॐ नमः शिवाय ""