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ग्रामीण बैंक का पहला दिन

निजीकरण के शोर शराबे में आज सुबह सुबह ही स्मृतियों का झंझावात उस दिन की याद स्मृति पटल पर उकेर गया जिस दिन बैंकर के रूप में शाखा में अपने जीवन के नए अध्याय का श्रीगणेश किया था... मैं कर्तव्य निर्वहन को पहुंचा भीलवाड़ा जिले के एक सुदूर अंदरूनी गांव मे...
बचपन से ही पढ़ा था कि भारत विविधता वाला देश है... और इस गांव में आकर इसको प्रत्यक्ष देख भी लिया...

जिस समय एक आदमी बैग भरके पैसा जमा करवाने के लिए आया ठीक उसी समय फटा बनियान पहने एक बूढ़ा सा आदमी भी दाखिल हुआ... ठीक उसी अधिकार का साथ, बिना रत्ती भर के भी संकोच के..
उस समय अन्वेषण करने की इतनी क्षमता नही थी, लेकिन आज सोचता हूँ क्या ये फटे बनियान वाला व्यक्ति इस अधिकार के साथ कभी निजी बैंक में प्रवेश कर पाता?
मेने देखा कि हर वर्ग, हर धर्म, हर लिंग के लोग बिना झिझके आराम से आ जा रहे है.
कुछ ही देर हुई थी, की एक झुकी हुई कमर वाली बूढ़ी अम्मा आई
पल्लू की गांठ में से एक मेली कुचेली पासबुक बाहर निकालते हुए अम्मा बोलती है - बेटा मेरे पेंशन के पैसे निकाल दो...
मेने पासबुक देखी, वो पासबुक गांव के दूसरे छोर में स्थित जिला सहकारी बैंक की थी....
मेने बोला अम्मा आपका खाता इस बैंक में नही, सहकारी बैंक में है, आप वँहा जाओ...
तो अम्मा ने बड़ी मासूमियत से स्थानीय भाषा में कहा - अब बेटा इतनी दूर कँहा जाऊं में, यंही निकाल दो पैसे, ये भी तो बैंक ही है...!! आज भी अमूमन कई लोग किसी दूसरे बैंक की पासबुक लेकर आ जाते है हमारी शाखा में पैसे निकालने... कुछ लोग तो पासबुक और राशनकार्ड में ही अंतर नही समझ पाते..
क्या ऐसे लोग जो अपना बैंक भी नही पहचान पाते, निजी बैंको के भारी भारी तारांकित (Star marked) नियम व शर्तों (Terms and conditions) का पालन कर पाएंगे...
क्या निजी बैंक का रौबदार गार्ड इनको अपने परिसर में प्रेवेश करने देगा??
आज भी निजीकरण के नाम पर एक बात दिमाग को कचोटती है -
निजीकरण और कुछ नही गरीबो और अनपढ़ लोगो की आर्थिक हत्या है...!!
प्रधानमंत्री @narendramodi जी, निजीकरण की ये एकदम सटीक परिभाषा है।।
जब देश की 30% आबादी महीने के 500 रुपये भी नही जुटा पाती तो क्या वो अपनी वार्षिक आय से भी ज्यादा मिनिमम बैलेंस रखने वाले बैंक मे अपना खाता चला पाएंगे?
जब 30% जनता की आर्थिक हत्या निजीकरण द्वारा की जा रही है तो आपकी अंत्योदय की विचारधारा का क्या? जिसमे आपका कहना था कि विकास पंक्ति के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक पहुंचना चाहिए...
महोदय, ये निजीकरण की रट छोड़िए और हो सके तो निजी बैंको द्वारा की जा रही लूटपाट को रोकने के लिए-
कोई कठोर कानून का निर्माण कीजिए... महोदय, स्मार्ट सिटीज का क्या कीजियेगा अगर 30% लोगो के घरों में चूल्हा ही न जल पाए..??
देश की 130 करोड़ जनता ने आप पर विश्वास किया है, उनके विश्वास को टूटने मत दीजिये... 🙏🙏
जय हिंद..!!
#StopPrivatization
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