DoSEL, @EduMinOfIndia has issued SOP/Guidelines for reopening of schools.
Here are the highlights:
As per para -1 of @HMOIndia's order no. 40-3/2020-DM-I(A) dated 30.09.2020 for reopening, States/UT Governments may take a decision in respect of reopening of schools and coaching institutions after 15th Oct in a graded manner. #SchoolGuidelines
States/UTs to prepare their own SOP regarding health and safety precaution for reopening of schools based on the SOP to be issued by DoSEL, @EduMinOfIndia. States/UTs may adopt or adapt the SOP as per local context and requirements. #SchoolGuidelines
सिख धर्म के संस्थापक महान मानवतावादी श्री गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव पर आयोजित कार्यक्रमों की श्रृंखला में आज इंदिरा गांधी नेशनल सेंटर फॉर आर्ट्स, इंडियन काउंसिल ऑफ फिलोसॉफिकल रिसर्च, पंजाब यूनिवर्सिटी चंडीगढ़ तथा 1/2
संकल्प ग्रुप ऑफ इंस्टिट्यूशन गाजियाबाद के संयुक्त तत्वाधान में आयोजित वेबीनार 'भारतीय दर्शन के परिप्रेक्ष्य में गुरु नानक देव जी का चिंतन' में सहभागिता की। 2/2
अंतर्राष्ट्रीय शिक्षक दिवस के सुअवसर पर गुरु नानक देव जी के 550वें प्रकाशोत्सव को समर्पित मेरी पुस्तक 'गुरु नानक देव जी' का विमोचन हुआ। बच्चों को समर्पित इस पुस्तक में गुरु नानक जी के प्रेरणास्पद जीवन- वृत्त को कहानी शैली में प्रस्तुत किया गया है
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी की जयंती को आज संपूर्ण देश दुनिया में श्रद्धापूर्वक मनाया जा रहा है, उनको नमन करते हुए मैं उसके उत्तराखंड-प्रवास की अनुभूतियों को आपसे साझा कर रहा हूं।
हिमालय के इसी वैभव और आलोक ने गांधी जी को वर्ष 1929 में अभिभूत और स्पंदित किया था।उत्तराखंड के सौंदर्य- स्थल कौसानी में एक दिन के प्रवास के लिए आए श्रद्धेय बापूजी 24 जून से 7 जुलाई तक यहीं रुक गए। बापू ने यहीं 'अनासक्ति योग' पुस्तक का लेखन भी किया।
उत्तराखंड में महात्मा गांधी जी द्वारा की गई यात्राएं स्वाधीनता आंदोलन, स्वराज लोक कल्याण के लिए थी किंतु गांधीजी हिमालय और गंगा के बीच खुद को पाकर शांति व सौंदर्य के मध्य जनकल्याण की भावना के साथ ही तन मन की प्रफुल्लता से अभिभूत हुए।
To provide #multidisciplinary education, the structure & lengths of degree programmes shall be adjusted accordingly. Undergraduate degree will be of either 3 or 4-year duration, with multiple exit options within this period, with appropriate certifications. #NEPTransformingIndia
A certificate after completing 1 year in a discipline or field including vocational and professional areas, or a diploma after 2 years of study, or a Bachelor's degree after a 3-year programme shall be granted. #NEPTransformingIndia
However, the 4-year multidisciplinary Bachelor's programme shall be the preferred option since it allows the opportunity to experience the full range of #holistic & #multidisciplinary education in addition to a focus on the chosen major & minors as per the choices of the student.
To provide #multidisciplinary education, the structure & lengths of degree programmes shall be adjusted accordingly. Undergraduate degree will be of either 3 or 4-year duration, with multiple exit options within this period, with appropriate certifications. #NEPTransformingIndia
A certificate after completing 1 year in a discipline or field including vocational and professional areas, or a diploma after 2 years of study, or a Bachelor's degree after a 3-year programme shall be granted. #NEPTransformingIndia
However, the 4-year multidisciplinary Bachelor's programme shall be the preferred option since it allows the opportunity to experience the full range of #holistic & #multidisciplinary education in addition to a focus on the chosen major & minors as per the choices of the student.
आज पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ के मानव संसाधन विकास केंद्र के उद्घाटन समारोह में सहभागिता की। यह विश्वविद्यालय प्रारंभ से ही ह्यूमन कैपिटल और सेंटर ऑफ लीडरशिप का केंद्र रहा है। इस केंद्र की स्थापना से विश्वविद्यालय की यह परंपरा और सुदृढ़ होगी।
पंजाब विश्वविद्यालय, चंडीगढ़ का यह नवनिर्मित मानव संसाधन विकास केंद्र यहां के शिक्षकों एवं छात्रों को न केवल कौशल प्रदान करेगा बल्कि 'शिक्षा के अंतरराष्ट्रीयकरण' तथा 'स्टडी इन इंडिया' की हमारी मुहिम को नेतृत्व भी प्रदान करेगा।
हमारा 'उन्नत भारत अभियान' ग्रामीण विकास में शैक्षिक संस्थाओं के माध्यम से आमूलचूल परिवर्तन की दृष्टि से प्रेरित है। ऐसे अभियानों में तकनीकी संस्थाओं का ज्ञान, स्वैच्छिक संगठनों का अनुभव एवं सरकार के संसाधन तीनों मिलकर ग्रामीण भारत की तस्वीर बदल कर रख सकते हैं।