शाहीनबाग कोई संवैधानिक विरोध प्रदर्शन नहीं था,
अवैध कब्जा था - सुप्रीम कोर्ट
सत्यमेव जयते
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सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने शाहीन बाग में हुए प्रदर्शन पर कहा कि आवागमन का अधिकार अनिश्चित काल तक रोका नहीं जा सकता. संविधान विरोध करने का अधिकार देता है, लेकिन इसे समान कर्तव्यों के साथ जोड़ा जाना चाहिए. सार्वजनिक बैठकों पर प्रतिबंध नहीं लगाया जा सकता है,
लेकिन उन्हें निर्दिष्ट क्षेत्रों में होना चाहिए. कोर्ट ने कहा कि शाहीन बाग में मध्यस्थता के प्रयास सफल नहीं हुए, लेकिन हमें कोई पछतावा नहीं है.
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सुप्रीम कोर्ट ने धरना न हटाने को लेकर प्रशासन पर भी सवाल उठाए हैं। उसने कहा कि प्रशासन को ऐसे स्थानों से अवरोध हटाने चाहिए और अदालत के कंधे का सहारा लेने का इंतज़ार नहीं करना चाहिए।
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यह सत्य हैं कि योगी आदित्यनाथ जी ने भेदभाव रहित शासन किया हैं.....🙏🙏🙏
उन्हें निराशा में डूबे एक राज्य का भार मिला था ।
जहाँ अपराध को राजनैतिक मान्यता मिल चुकी थी।
पिछले वर्ष उत्तरप्रदेश में जितने बदमाश मारे गये, वह संख्या कश्मीर में मारे गये आंतकवादियो से अधिक हैं ।
CAA के विरोध में जब ऐसा लगा कि पूरा प्रदेश जल जायेगा। मात्र 24 घण्टे के अंदर सबकी कमर तोड़कर , शांति व्यवस्था स्थापित करने वाले मुख्यमंत्री को यदि शासन व्यवस्था का कोई पाठ पढ़ाता हैं तो वह महामूर्ख हैं ।
कोरोनकाल में, 25 करोड़ की जनसंख्या वाले राज्य में, जहाँ 10 लाख से अधिक मजदूर वापस आये। किस तरह नियंत्रण किया हैं, मुख्यमंत्री जी ने। उसके लिये तो उन्हें पुरस्कृत किया जाना चाहिये ।
लेकिन नहीं .... न तर्क हैं, न तथ्य हैं।
बस एक ही काम में लगा हैं वामी बुद्धजीवी वर्ग।
सूरत में दो करोड़ के ड्रग्स के साथ आदिल सलीम नूरानी पकड़ा गया तब गुजरात के लोगों को पता चला कि अहमदाबाद सूरत और बड़ोदरा में जो कंसार थाल के नाम से बहुत प्रसिद्ध गुजराती रेस्टोरेंट है‼️
उसका मालिक ये आदिल सलीम नूरानी है और आप यह देख कर चौक जाएंगे कि इसके हर रेस्टोरेंट में प्रवेश करते ही आपको गणेश जी की प्रतिमा नजर आएगी आदिल सलीम नूरानी रेस्टोरेंट के अलावा सूरत के कामरेज रोड कडोदरा एरिया में पेट्रोल पंप भी है❗️
कंसारा गुजरात में हिंदुओं की एक जाति होती है जो पारंपरिक तरीके से अलग-अलग धातुओं को मिलाकर एक मिश्र धातु जिसे कांसा कहते हैं1 उस कांसे को हाथों से ही हथौड़े से पीट-पीटकर थाली बनाती है और उस थाली में भोजन करना बहुत अच्छा माना जाता है!
कितने में बिका है AIIMS वाला डॉ सुधीर गुप्ता और उसके दलाल पत्रकार.?
यह याद दिलाना बहुत जरूरी है कि... ये AIIMS वाला वही डॉ सुधीर गुप्ता है... जिसने बाटला हाऊस एनकाउंटर को फ़र्जी बताने के लिए मीडिया में यह बयान दिया था कि
शहीद इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा जी के शरीर से सटा कर गोली मारी गयी है. डॉ गुप्ता के इसी बयान के बाद ही दिग्विजय सिंह और सलमान खुर्शीद सरीखे कांग्रेसी नेताओं ने बाटला हाऊस एनकाउंटर को फ़र्जी तथा मारे गए आंतकियों को निर्दोष और मासूम बताना शुरू किया था.
डॉ सुधीर गुप्ता के उस बयान के बाद ही बाटला हाऊस में मारे गए आंतकियों के समर्थक सेक्युलर गुंडों ने यह शोर मचाना शुरू किया था कि इंस्पेक्टर मोहनचंद्र शर्मा को आंतकियों ने नहीं बल्कि दिल्ली पुलिस के ही किसी अधिकारी/जवान ने मारी है.
इस PFI का क्या इतना खौफ ❓
इस पर प्रतिबन्ध क्यूं नहीं लगाते❓ ... शाहीन बाग, दिल्ली के दंगों, बेंगलूर और अब हाथरस में इसका हाथ नजर आ रहा ... जोर्ज सोरोस व आईएसआई से इसके सम्बन्ध स्पष्ट ... आखिर और कितने दंगों की जोखिम लोगे❓
हाथरस में मीडिया की भी संदिग्ध भूमिका ... इनके खिलाफ कार्रवाई होगी? हाथरस के लोग तो दो टी.वी. चेनलों के खिलाफ खुल कर नारेबाजी कर रहे ... पीडिता के परिवार वाले भी चांदी काट रहे ... हर कोई माईक ले कर आजाता तो बाइट देने के अच्छे दाम वसूल रहे
क्या इस बात की भी जांच होगी कि जो लड़की 15 दिन तक दिल्ली में ईलाज करवा रही थी, फिर भी उससे मिलने दिल्ली का एक नेता नहीं पहुँचा मगर उसकी मौत के बाद उसके परिवार से मिलने इतनी आपा धापी मची कि लाठी चार्ज हो गए ❗️❓
40 साल पहले इंदिरा गांधी उत्तरप्रदेश के एक गांव गईं थी। अनाथ हो चुके बच्चों को गले लगाया, प्रचार कर दिया कि अनाथ बच्चों को गोद लेगीं❗️
चुनाव जीतने के बाद कभी पलट कर नही आई देखने...🙏🤓😍
जो तथाकथित पत्रकार और समर्थक दादी की नाक को पूर्णतया दादी बनाने में लगे हैं उनके लिए।
भीख मांग कर गुजारा कर रही है पूर्व प्रधानमंत्री स्व0 इंदिरा गांधी की गोद ली बेटी....इन 40 वर्षो में राजनीति के कई रंग चढ़ते-उतरते रहे, लेकिन तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय इंदिरा गांधी द्वारा गोद ली गई सोनकेशा व जयप्रकाश के जिंदगी से गरीबी, लाचारी व बेवसी का रंग कभी नहीं उतरा।
वह अनाथ के अनाथ ही रह गए। स्व. इंदिरा गांधी की बेटी सोनकेशा आज भी एक जर्जर खपरैल से बने घर में दयनीय व बेवसी की जिंदगी काट रही है। आज भी उसका परिवार दिहाड़ी मजदूर की जीवन यापन कर रहा है। करीब 40 वर्ष पूर्व 1980 में उप्र में जनता पार्टी का शासन था और मुख्यमंत्री थे बनारसी दास।
भारत के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री जी हत्या का रहस्य छुपाने के लिए 2 और हत्याएं की गईं थीं...!
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1977 में केंद्र की सत्ता से कांग्रेसी वर्चस्व के सफाए के बाद प्रचण्ड बहुमत से बनी जनता पार्टी की सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री स्व. लाल बहादुर शास्त्री की सन्देहास्पद मृत्यु की जांच के लिये रामनारायण कमेटी का गठन किया था।
इस कमेटी ने शास्त्री जी की मृत्यु से सम्बन्धित 2 प्रत्यक्षदर्शी गवाहों को गवाही देने के लिए बुलाया था।