Who the fuck are this “We”? The descendants of toilet cleaners of Nehru-Gandhi shooed away by Sonia and now donning the robe of Dharma and Hindutva like Ravana had put on to abduct Sita to grab power and influence?
जा के सोनिया और प्रियंका का माहवारी का कपड़ा साफ़कर और कुछ सिक्के उठा ले। तेरे जैसे धर्म और हिंदुत्व का ढोंग करनेवाले और कांग्रेसीराज का सपना देखने वाले सेकुलर सवर्णों की यही औक़ात है।
Let state an incident from early mid 80s. There is a temple near Assi Chouraha in Varanasi opposite Kurukshetra pond called Panchadeva Mandir.
A self styled Guru came to this temple with his Chelas and started doing some Yagna with lots of pomp and show off.
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He would do pravachan in the evening after conclusion of rituals during the day.
It went on and on the 3rd or 4th day he showed his real teeth and attacked and mocked Sanatana position with abuse to Gods, Brahmins, and Vedas in a typical Baba Rampal style. 2/
ND Tiwari was the CM of UP. Matter came to the knowledge of local Brahmin Vidwans and through Varanasi Congress leaders CM office was contacted. With in an hour police came and put that self-styled Guru in jail after a good thrashing to him and his Chelas. 3/
An example of Sekoolar-Savarnaism on the academic front. Savarnas operating in Protestant Padre framework mainstream baseless pseudo-scientific speculations as research.
Had this come directly from a Padre Hindus would have rejected it.
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Mastani's son from Bajirao got the state of Banda in UP. He and his descendents were treated like half Muslim by neighboring Hindu Rajas. By 1857, they had become almost Muslims.
Shamsher Bahadur I (28 January 1734 – 14 January 1761), also known as Krishna Rao, was a Maratha ruler of the dominion of Banda in northern India. He was the son of Bajirao I and Mastani" 1/ en.wikipedia.org/wiki/Shamsher_…
"Ali Bahadur (1758–1802), was a Nawab of the dominion of Banda (present day Uttar Pradesh) in northern India, a vassal of the Maratha Empire. He was the son of Shamsher Bahadur I and the grandson of Shreemant Peshwa Bajirao " 2/ en.wikipedia.org/wiki/Ali_Bahad…
"वस्तुतः जैसे आजकल हिन्दुओं के मेलों में ईसाई प्रचारक स्त्री-पुरुष खड़े होकर लोगों को बटोरने के लिए श्रीराम एवं श्रीकृष्ण का गुणगान करते हैं और जब लोग इकट्ठे हो जाते हैं तब उन्हें यीशु की महिमा बताकर पुस्तक बाँटकर हिन्दु धर्म की निन्दा करके उन्हें ईसाई बनने की प्रेरणा देते हैं,1/
ठीक वैसे ही श्रीराम की लोकप्रियता के कारण जैन श्रीराम की चर्चा करते हैं, परन्तु उन्हें ईश्वर न मानकर लोगों को यह बताते हैं कि अन्त में दुःखी होकर राम सोलह हजार राजाओं एवं सीता आदि रानियों के साथ जैनी हो गये।
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जैनमत में सीताराम परमेश्वर नहीं, किन्तु एक णमोकार मंत्र जपनेवाले जैनी है। साक्षात् परब्रह्म, परमेश्वर को दुःखी मनुष्य मानकर उनका अवैदिक, निरीश्वरवादी जैन मत में दीक्षित होने का वर्णन करना उनका कुछ कम अपमान नहीं है।
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"बिठा अकेली पुष्पक में, रावण ले जाया करता था।
निर्जन उपवन में प्रमोद से, जी बहलाया करता था।
विद्या यन्त्र मन्त्र से जिसने, लिए देव देवी भी कील ।
क्या सम्भव है उसके आगे, रहा अखण्डित शील ।।
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हाय कलङ्कित हो रहा, सूर्यवंश अभिराम ।
दुराचारिणी के बने, रघुकुल राम गुलाम ।।"
पत्नी के पीछे पागल बन, राघव ने लोपी कुलकार ।
महासती का जामा पहने, कभी न पतिता छिप सकतो।
सती साध्वी और रानियां, बैठे बैठे रोती हैं।
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उल्टा युग आया देखो, कुलटा पटरानी होती है ।
पर वे देवी रावण के, चरणों को पूजा करती।
इन पापाचारों से कैसे, टिक पायेगी यह धरती ॥
देखो भाई दीख रहे हैं, कलियुग के आसार रे।
राजघराने में भी पलते, ऐसे पापाचार रे ।। 3/
Swami Karpatri Ji answers the reason behind विकृत रामायण of Jainism.
"रामचरित्र की अत्यन्त लोकप्रियता देखकर जैन तीर्थङ्करों ने यह सोचा होगा कि यदि जैन जनता वाल्मीकिरामायण की ओर आकर्षित हुई तो स्वभावतः उनकी प्रीति वेद एवं ईश्वर तथा+ 1/3