प्रथम भाव में : प्रतिदिन भगवान गणेश जी के दर्शन एवं गणेश मंत्र का जाप।
दूसरे भाव में : तिजोरी में लक्ष्मी गणेश जी की मूर्ति रखे।
तीसरे भाव में : ऑफिस में गणेश जी की मूर्ति रखे।
चौथे भाव में: घर में या entrance पर गणेश जी की मूर्ति रखें।
पांचवे भाव में : Cat Eye या लहसुनिया को कच्चे दूध में धोकर अपने पास रखें।
मंदिर में मंगल या शनि को केले का दान करे।
छटे भाव में : काले सफ़ेद कुत्ते की सेवा करे, उसे दूध पिलाये, रोटी खिलाये लेकिन कुत्ता पलना नहीं।
सातवे भाव में :काले कुत्ते की सेवा, गणेश जी की पूजा एवं विकलांग को दान।
आठवे भाव में : काले सफ़ेद कम्बल का दान, लहसुन प्याज को बहते पानी में बहाये।
नौवें भाव में : घर के मंदिर में गणेश जी की मूर्ति अवश्य रखे, गणेश मंत्र का जाप, गणेश जी की दुर्बा चढ़ाये। मंदिर में केले का दान करे।
दसवे भाव में : ऑफिस में गणेश जी की मूर्ति, दीवार पर गणेश जी की फोटो लगा सकते है।
ग्यारवे भाव में : गरीबो एवं विकलांगो, कोढ़ियो की सेवा, अपनी कमाई का थोड़ा सा हिस्सा उनकी सेवा एवं भोजन में लगाए, लहसुन प्याज का दान करे।
बारवे भाव में : मिटटी के बर्तन में लहसुन प्याज भर के कच्ची मिटटी में दबा दे, जिस वस्तु से मिटटी खोदी है उसे वही छोड़ दे।
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घोड़े पर आयेंगी मां, भैंस पर होंगी विदा, घोड़े पर आना क्यों अशुभ संकेत, किस दिन कौन सी देवी की होगी पूजा:-
इस बार दुर्गा पूजा और नवरात्रि की शुरुआत 17 अक्तूबर से हो रही है. ऐसे में मां इस नवरात्र घोड़े को अपना वाहन बना रह धरती पर आयेंगी. इसके संकेत अच्छे नहीं हैं.
माना जाता है कि घोड़े पर आने से पड़ोसी देशों से युद्ध, सत्ता में उथल-पुथल के साथ ही रोग और शोक फैलता है. बता दें कि इस बार मां भैंस पर विदा हो रही है. इसे भी शुभ नहीं माना जाता है. शारदीय नवरात्रि मां नवदुर्गा जी की उपासना का पर्व है.
हर साल यह पावन पर्व श्राद्ध खत्म होते ही शुरू हो जाता है. लेकिन इस बार ऐसा अधिक मास के कारण संभव नहीं हो पाया.
चंद्रमा और शनि की युति से विष योग का निर्माण होता है l
अगर यह युति किसी महिला के सप्तम भाव में हो तो उसे विषकन्या कहते हैं l पौराणिक ज्योतिष के अनुसार यानी वह महिला जितने से भी शादी करेंगी या जितने से उसका संबंध होगा l सभी किसी न किसी प्रकार से मृत्यु या कष्ट के भागीदार होंगे l
चंद्रमा जिसे हम मन कारक ग्रह कहते हैं l हमारे मन का प्रतिनिधित्व करता है l मन सबसे ज्यादा चंचल होता है l
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अगर उसके साथ शनि की युति हो जाए तो मन की चंचलता में धीमापन आ जाएगा l जातक सुस्त हो जाएगा l आलसी हो जाएगा और और हर कार्य को टालने की आदत हो जाएगी उसमें I
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अपने निकम्मेपन को ढकने के लिए वह हमेशा झूठ बोलेगा चापलूसी करेगा I उसे शराब या अन्य नशा की आदत भी हो सकती है I
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हर भाव में इसकी अलग-अलग प्रभाव पड़ता है :-