मैंने एक कविता लिखी, 'ऐसे गिराना मनु की मूर्ति!'

मनुवादियों ने गालियों की बौछार कर दी क्योंकि उन्हें मनु का विधान लागू करना है.

मैं सभी से अपील करती हूं कि हर घर में संविधान और बाबा साहेब की बातों को पहुंचाएं🙏

अभी संविधान पर सबसे बड़ा खतरा है, ऐसे में हमें ज्यादा काम करना है. Image
पढ़िए कविता- 'ऐसे गिराना मनु की मूर्ति!'

पहले डालना उसके गले में रस्सी
क्योंकि उसने हमें गुलामी की बेड़ियों में जकड़ा
उस रस्सी पर पहला हक शूद्रों का होगा
फिर दूसरा हक होगा महिलाओं का

जिस तरह से इटली में मुसोलिनी के साथ हुआ
ठीक उसी तरह बीच सड़क पर सभी लोग (1/1)
थूकना और चप्पलें बरसाना बारी-बारी से
इसपर भी मन न भरे तो चला देना हथौड़ा

उसने शूद्रों और महिलाओं को जानवर बताया
शिक्षा और अधिकारों से दूर रखा
तुम उसकी मूर्ति को नेस्तनाबूद कर देना
कदमों के तले कुचल देना उसका अहंकार (1/2)
वहीं कोर्ट में न्याय की देवी के सामने
कर देना उसको खड़ा, फिर करना हिसाब
सदियों के अत्याचार का चलाना मुकदमा
महिलाएं और शूद्र देंगे जुल्म की गवाही

उसने लिखा कि शूद्र का शासन है अपराध
उसको मिलवाना बाबा साहेब, पेरियार से
साक्षात्कार करवाना फूले-फातिमा, फूलन से (1/3)
मुझे भी देना वक्त बस चंद मिनट

मैं पूछूंगी कि अरे मनु दोगले,
जिस योनि से जन्मा उसे ही गुलाम बनाया
जब तू मां का नहीं हुआ, तो किसका होगा
कर दूंगी उसके कूकर्मों का हिसाब, थूक दूंगी

मनु को मानने वाले औलादों का भी होगा हिसाब
वे औलाद जो कर रहे हैं हमारी हकमारी (1/4)
वे औलाद जो जिन्होंने पहन रखा है नकाब
वे औलादें जो मनु जितना ही घटिया है

मनु के औलाद जो जन्म के आधार पर
समझते हैं खुद को श्रेष्ठ
जो चाहते हैं कि ब्राह्मणवादी-पितृसत्ता बनी रहे
जो बनाना चाहते हैं सवर्ण पुरुषों का हिंदू-राष्ट्र (1/5)
जो बड़ी-बड़ी संस्थाओं में बैठे हैं, शूद्रों को रोकने के लिए
जो हम पर गालियां बनाते हैं, हमसे अब डरते हैं
उनके कुकर्मों का भी हिसाब कर दूंगी
नंगों के सामने आईना रख दूंगी...

- मीना कोटवाल

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2 Jan
केरल में यह दलित लड़का अपने माता-पिता के लिए कब्र खोद रहा है, वह पुलिसवालों से कह रहा है, 'तुम लोगों ने मेरे मां-बाप की जान ले ली, अब बोलते हो कि मैं इनका अंतिम संस्कार भी नहीं कर सकता.'

तिरुवनंतपुरम के एक गांव में दलित लड़के के पिता खाना खा रहे होते हैं, तभी पुलिस आती है और 1/1
कहती है कि घर खाली करो. राहुल राज के पिता कहते हैं कि खाना खाकर हमलोग चले जाएंगे लेकिन पुलिस नहीं मानती है. इस अपमान और पीड़ा से व्यथित होकर राहुल के पिता खुद पर पेट्रोल डाल आग लगाने की धमकी देते हैं. जिसके बाद पुलिस के साथ लाइटर की छीना-झपटी में लाइटर जमीन पर गिर पड़ती है और 1/2
राहुल के माता पिता की जलकर मौत हो जाती है. आप जानते हैं कि कितनी जमीन के लिए राहुल राज के माता-पिता को अपनी जान गंवानी पड़ी? 1 एकड़ के 33वें हिस्से की खातिर राहुल की सिर से माता-पिता का हाथ हट गया. यह दलित लड़का बेसहारा हो चुका है, राहुल गुस्से और बेइंतहां गम में है लेकिन 1/3
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1 Jan
नए साल पर मेरा संकल्प

मैं दिखाऊंगी दुनिया की तमाम कहानियां
जिसमें अन्याय, पीड़ा, भेदभाव हो
रोज ऐसे ही लड़ूंगी
ब्राह्मणवादी-पितृसत्ता के खिलाफ

दुनिया के उन तमाम लोगों को पढ़ूंगी
जिन्होंने न्याय और हक की बात की
उन सभी विचारों को अपनाऊंगी
जो भेदभाव/छूआछूत के खिलाफ हो (1/1) Image
मैं साथ दूंगी उन सभी का
जो स्वतंत्रता के पक्षधर हैं,
जो अभिव्यक्ति की आजादी के हिमायती हैं
जो धर्मनिरपेक्षता को मानते हैं, अपनाते हैं

उन सभी लोगों के साथ खड़ी होऊंगी
जो सच बोलने का साहस रखते हैं
जो डर के वातावरण को खारिज करते हैं
जो जुल्म के खिलाफ आवाज़ उठाते हैं (1/2)
उतारूंगी उन सभी के नकाब
जो हमारा हक मारते हैं, नीच समझते हैं
जो संस्थानों में बैठै हैं, हमें रोकने के लिए
जिनकी भावनाएं दिखावटी हैं

दशहरा, दिवाली की जगह मनाऊंगी
गणतंत्र दिवस, संविधान दिवस और 14 अप्रैल
धूमधाम से करूंगी मनुस्मृति का दहन
भीमा कोरेगांव के जाबांजों को करूंगी याद 1/3
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1 Jan
पेशवा साम्राज्य के वक्त दलितों को थूकने के लिए अपने गले में हांडी लटकाना पड़ता था, कमर पर झाड़ू बांधना पड़ता था ताकि जब वे चले तो झाड़ू उनके पैरों के निशान मिटाता चले. पेशवा और उनके पूर्वज दलितों के साथ जानवरों जैसा व्यवहार करते थे (1/1)

#BhimaKoregaon #भीमा_कोरेगांव_शौर्य_दिवस Image
दलित सवर्णों के तालाब से पानी निकालने की सोच भी नहीं सकते थे, इसलिए महार जाति के लोग पेशवाओं के ब्राह्मणवादी व्यवस्था से लड़ने के लिए ब्रिटिश सेना में शामिल हुए.

1 जनवरी 1818 को महार जाति (दलित) के 500 जाबांज लड़ाकों ने पेशवाओं की विशाल सेना को भीमा कोरेगांव में धूल चटा दिया 1/2
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#BhimaKoregaon #भीमा_कोरेगांव_शौर्य_दिवस
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