अंग्रेजी में 'THE QUICK BROWN FOX JUMPS OVER A LAZY DOG' एक प्रसिद्ध वाक्य है।

जिसमें सारे शब्द अंग्रेजी के मिल जाते हैं परन्तु क्रम व्यवस्थित रूप में नहीं।

अब आते हैं संस्कृत में

क:खगीघाङ्चिच्छौजाझाञ्ज्ञोऽटौठीडढण:।
तथोदधीन पफर्बाभीर्मयोऽरिल्वाशिषां सह।।
@Real_Vishal_
अनुवाद -  पक्षियों का प्रेम, शुद्ध बुद्धि का, दूसरे का बल अपहरण करने में पारंगत, शत्रु-संहारकों में अग्रणी, मन से निश्चल तथा निडर और महासागर का सृजन कर्ता कौन? राजा मय कि जिसको शत्रुओं के भी आशीर्वाद मिले हैं।
क्या किसी भी दुनिया की भाषा में एक ही शब्द से कोई लाइन लिखी जाये और उसका व्यापक अर्थ भी निकले ऐसा हो सकता है?

संस्कृत में ऐसा है---
न नोननुन्नो नुन्नोनो नाना नानानना ननु।
नुन्नोऽनुन्नो ननुन्नेनो नानेना नुन्ननुन्ननुत्॥
अनुवाद : हे नाना मुख वाले (नानानन)! वह निश्चित ही (ननु) मनुष्य नहीं है, जो अपने से कमजोर से भी पराजित हो जाऐ। और वह भी मनुष्य नहीं है (ना-अना) जो अपने से कमजोर को मारे (नुन्नोनो)। जिसका नेता पराजित न हुआ हो ,वह हार जाने के बाद भी अपराजित है (नुन्नोऽनुन्नो)। जो पूर्णतः पराजित को +
भी मार देता है (नुन्ननुन्ननुत्), वह पापरहित नहीं है (नानेना)।
२-दाददो दुद्द्दुद्दादि दादादो दुददीददोः
दुद्दादं दददे दुद्दे ददादददोऽददः

अनुवाद :
दान देने वाले, खलों को उपताप देने वाले, शुद्धि देने वाले,
दुष्ट्मर्दक भुजाओं वाले, दानी तथा अदानी दोनों को दान देने वाले,
राक्षसों का खण्डन करने वाले ने, शत्रु के विरुद्ध शस्त्र को उठाया।
३-- कः कौ के केककेकाकः काककाकाककः ककः।
काकः काकः ककः काकः कुकाकः काककः कुकः ॥
काककाक ककाकाक कुकाकाक ककाक क।
कुककाकाक काकाक कौकाकाक कुकाकक ॥
अनुवाद - परब्रह्म (कः) [श्री राम] पृथ्वी (कौ) और साकेतलोक (के) में [दोनों स्थानों पर] सुशोभित हो रहे हैं। उनसे सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड में आनन्द निःसृत होता है। वह मयूर की केकी (केककेकाकः) एवं काक (काकभुशुण्डि) की काँव-काँव (काककाकाककः) में आनन्द और हर्ष की अनुभूति करते हैं। +
उनसे समस्त लोकों (ककः) के लिए सुख का प्रादुर्भाव होता है। उनके लिए [वनवास के] दुःख भी सुख (काकः) हैं उनका काक (काकः) [काकभुशुण्डि] प्रशंसनीय है। उनसे ब्रह्मा (ककः) को भी परमानन्द की प्राप्ति होती है। वह [अपने भक्तों को] पुकारते (काकः) हैं। +
उनसे कूका अथवा सीता (कुकाकः) को भी आमोद प्राप्त होता है। वह अपने काक [काकभुशुण्डि] को पुकारते (काककः) हैं , और उनसे सांसारिक फलों एवं मुक्ति का आनन्द (कुकः) प्रकट होता है। हे मेरे एकमात्र प्रभु ! आप जिनसे [जयंत] काक के (काककाक) शीश पर दुःख [रूपी दण्ड प्रदान किया गया] था; +
आप जिनसे समस्त प्राणियों (कका) में आनन्द निर्झरित होता है; कृपया पधारें, कृपया पधारें (आक आक)। हे एकमात्र प्रभु! जिनसे सीता (कुकाक) प्रमुदित हैं; कृपया पधारें (आक)। हे मेरे एकमात्र स्वामी! जिनसे ब्रह्माण्ड (कक) के लिए सुख है; कृपया आ जाइए (आक)। हे भगवन (क)!
हे एकमात्र प्रभु ! जो नश्वर संसार (कुकक) में आनन्द खोज रहे व्यक्तियों को स्वयं अपनी ओर आने का आमंत्रण देते हैं; कृपया आ जाएँ,कृपया पधारें (आक आक)। हे मेरे एकमात्र नाथ ! जिनसे ब्रह्मा एवं विष्णु (काक) दोनों को आनन्द है; कृपया आ जाइए (आक)। +
हे एक ! जिनसे ही भूलोक (कौक) पर सुख है; कृपया पधारें, कृपया पधारें (आक आक)। हे एकमात्र प्रभु ! जो (रक्षा हेतु) दुष्ट काक द्वारा पुकारे जाते हैं (कुकाकक) ।
३-जजौजोजाजिजिज्जाजी तंततोऽतितताततुत् ।
भाभोऽभीभाभिभूभाभू-रारारिररिरीररः ॥
अनुवाद - महान योद्धा कई युद्धों के विजेता,शुक्र और वृहस्पति के समान तेजस्वी, शत्रुओं के नाशक बलराम, रणक्षेत्र की ओर ऐसे चले ,मानो चतुरंगिणी सेना से युक्त शत्रुओं की गति को अवरुद्ध करता हुआ शेर चला आ रहा हो
४- विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा विकाशमीयुर्जतीशमार्गणा:।
विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा विकाशमीयुर्जगतीशमार्गणा:॥

+++
अनुवाद - पृथ्वीपति अर्जुन के बाण विस्तार को प्राप्त होने लगे ,जब कि शिव जी के बाण भंग होने लगे। राक्षसों के हंता प्रथम गण विस्मित होने लगे तथा शिव का ध्यान करने वाले देवता एवं ऋषिगण (इसे देखने के लिए) पक्षियों के मार्गवाले आकाश-मंडल में एकत्र होने लगे।
५- देवानां नन्दनो देवो नोदनो वेदनिंदिनां
दिवं दुदाव नादेन दाने दानवनंदिनः ।।
वह परमात्मा जो दूसरे देवों को सुख प्रदान करता है और जो वेदों को नहीं मानते उनको कष्ट प्रदान करता है। वह स्वर्ग को उस ध्वनि नाद से भर देता है ,जिस तरह के नाद से उसने दानव (हिरण्यकशिपु ) को मारा था।
६- क्रोरारिकारी कोरेककारक कारिकाकर ।
कोरकाकारकरक: करीर कर्करोऽकर्रुक ॥

अनुवाद - क्रूर शत्रुओं को नष्ट करने वाला, भूमि का एक कर्ता, दुष्टों को यातना देने वाला, कमलमुकुलवत ,रमणीय हाथ वाला, हाथियों को फेंकने वाला , रण में कर्कश, सूर्य के समान तेजस्वी (था) ।
७- भूरिभिर्भारिभिर्भीराभूभारैरभिरेभिरे
भेरीरे भिभिरभ्राभैरभीरुभिरिभैरिभा: ।

अनुवाद -  निर्भय हाथी ;जो की भूमि पर भार स्वरूप लगता है ,अपने वजन के चलते, जिसकी आवाज नगाड़े की टेरेह है और जो काले बादलों सा है ,वह दूसरे दुश्मन हाथी पर आक्रमण कर रहा है।
८- लोलालालीललालोल लीलालालाललालल।
लेलेलेल ललालील लाल लोलील लालल ॥

अनुवाद - हे एकमात्र प्रभु! जो अपने घुँघराले केशों की लटों की एक पंक्ति के साथ (लोलालालीलल) क्रीड़ारत हैं; जो कदापि परिवर्तित नहीं होते (अलोल); जिनका मुख [बाल] लीलाओं में श्लेष्मा से परिपूर्ण है (लीलालालाललालल); +
जो [शिव धनुर्भंग] क्रीड़ा में पृथ्वी की सम्पत्ति [सीता] को स्वीकार करते हैं (लेलेलेल); जो मर्त्यजनों की विविध सांसारिक कामनाओं का नाश करते हैं (ललालील), हे बालक (लाल)! जो प्राणियों के चंचल प्रकृति स्वभाव को विनष्ट करते हैं (लोलील); [ऐसे आप सदैव मेरे मानस में] आनन्द करें (लालल)
मैने कुल 8 विशिष्ट उदाहरण दिये हैं अब कोई अंग्रेजी का जानकार हो तो अंग्रेजी वर्णमाला के 1 अक्षर से कोई Poem लिख कर दे दे।
@ShashiTharoor You may try

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More from @The_Pinake

9 Jan
From 1995 to 2010 total 684 employee of ISRO died where the reason of their death could not be identified if we see the death ratio of Our scientists it is 45.6 per year only in ISRO leave the data of BARC and other organisation.
#GiveSecurityToOurScientists.
@Real_Vishal_
Lets start with the Great scientist Dr. Homi jahangir Bhabha who was committed to give India nuclear bomb in just 18 months in 1966 While he was going to Austria by an Air India plane.
Actually CIA was involved in it.
And it was revealed by a journalist Douglas in his report.
Second is Vikram sarabhai :-
Vikram Sarabhai is known as father of Indian space research programme.
His death was also uncommon.
Trap is it that he died with cardiac attack but no detailed investigation was did as it was controversial.
Read 15 tweets
28 Dec 20
जन्मना जायते शूद्र: कर्मणा द्विज उच्यते।
अर्थात्
जन्म से सभी शूद्र होते हैं और कर्म से ही वे ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य और शूद्र बनते हैं।
अत: वेदों की भांति मनुस्मृति में भी वर्ण व्यवस्था पर जोर दिया गया है न कि जाति व्यवस्था पर।
@Real_Vishal_
#मनुस्मृति_सर्वश्रेष्ठ_है
शूद्रो ब्राह्मणतामेति ब्राह्मणश्चैति शूद्रताम।
क्षत्रियाज्जातमेवं तु विद्याद्वैश्यात्तथैव च। (10/65)
कर्म के अनुसार ब्राह्मण शूद्रता को प्राप्त हो जाता है और शूद्र ब्राह्मणत्व को। इसी प्रकार क्षत्रिय और वैश्य से उत्पन्न संतान भी अन्य वर्णों को प्राप्त हो जाया करती हैं।
सनातन धर्म कर्माधारित था न कि जन्माधारित
1- ऐतरेय ऋषि दास अथवा अपराधी के पुत्र थे | परन्तु उच्च कोटि के ब्राह्मण बने और उन्होंने ऐतरेय ब्राह्मण और ऐतरेय उपनिषद की रचना की | ऋग्वेद को समझने के लिए ऐतरेय ब्राह्मण अतिशय आवश्यक माना जाता है |
#मनुस्मृति_सर्वश्रेष्ठ_है
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25 Dec 20
सभी सनातनियों को #गीता_जयंती की हार्दिक बधाइयां,
आइये जानते हैं गीता के बारे में,
गीता दुनिया का सबसे बड़ा मॉटिवेशन ग्रन्थ है जिसमें किसी भगवान के मेसेन्जर ने नहीं अपितु स्वयं श्री कृष्णा ने ज्ञान दिया था।
18 अध्याय के 700 श्लोकों से अर्जुन का पूरा कायापलट ही कर दिया श्री हरि ने।
गीतोपदेश के पहले अर्जुन की स्थिति ये थी कि वो युद्ध क्या गांडीव उठाने के लायक न था और गीतोपदेश के बाद न केवल उसने गांडीव उठाया अपितु युद्ध को जीता भी।
गीता यूं तो महाभारत का ही एक अंश है परन्तु गीता को महाभारत से अलग "श्री अंगपाद" जी ने किया था।
#गीता_जयंती
#GitaJayanti2020
गीता की शुरूआत धृतराष्ट्र से होती है जहां धृतराष्ट्र संजय से पूछते हैं।
ॐ धर्मक्षेत्रे कुरुक्षेत्रे समवेता युयुत्सवः
मामकाः पाण्डवाश्चैव किमकुर्वत सञ्जय
गीता में धृतराष्ट्र केवल एक बार ही बोले हैं और वो पहला श्लोक ही है जिसमें धृतराष्ट्र बोले हैं।
#GitaJayanti2020
#गीता_जयंती
Read 21 tweets
20 Dec 20
भारतीय एवम् सनातन संस्कृति का आधार वेद है,
अत: किसी भी अन्य ग्रन्थ को पढने से पहले वेदों को पढा जाना ही उचित है,
प्रस्तुत थ्रेड में महिलाओं का वेदों में क्या स्थान है उस पर एक नजर देखते हैं,

१- यजुर्वेद २०.९

स्त्री और पुरुष दोनों को शासक चुने जाने का समान अधिकार है |
२- यजुर्वेद १७.४५

स्त्रियों की भी सेना हो | स्त्रियों को युद्ध में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित करें |

३- यजुर्वेद १०.२६

शासकों की स्त्रियां अन्यों को राजनीति की शिक्षा दें | जैसे राजा, लोगों का न्याय करते हैं वैसे ही रानी भी न्याय करने वाली हों |
४- अथर्ववेद ११.५.१८

इस मंत्र में कन्याओं के लिए भी ब्रह्मचर्य और विद्या ग्रहण करने के बाद ही विवाह करने के लिए कहा गया है | यह सूक्त लड़कों के समान ही कन्याओं की शिक्षा को भी विशेष महत्त्व देता है |
कन्याएं ब्रह्मचर्य के सेवन से पूर्ण विदुषी और युवती होकर ही विवाह करें
Read 24 tweets
28 Nov 20
"United against hate" by the name one thing in your mind comes what a good name we should support it anyhow and be in the ideology of it.
Same is with left ecosystem they keep their name to decieve the innocent people.
tfipost.com/2020/11/united…
Similarly a group name was "Pinja tod gang" looks like it is talking about freedom but which freedom?
Freedom to disturb the India?
Freedom to deceive the innocent people?
Freedom to abuse one religion and appease another?
Similarly leftist ecosystem works.
After shaheenbagh these groups have joined the farmer agitation in delhi to convert it into a riot and to deceive again the innocent people of india.
As in anti caa movement there is nothing to do with the actual people of India similarly in new Farm bill there is nothing wrong.
Read 8 tweets
3 Nov 20
How sanatan dharma tells you about dimension,
So far we have studied x direction,
Y direction and z direction
1st - Up & down
2nd Right and left
3rd Forward backward.
@Real_Vishal_
@DetheEsha
@chitranayal09
@deshmata
@anshula
@Anshulspiritual
@LostTemple7
The fourth direction is Time and in this direction we can follow the third dension only half means we can go only in forward direction not in backward direction.
@Dharma_Chant
@punarutthana
@saySaffron
@_shwetanshi
@dharmicverangna
@ShefVaidya
@davidfrawleyved
But now if we study our vedas we will find 4 dimensional world where life exists.
These are
Satya loka
Tapa loka
Jana loka
Mahar loka
Svar loka
Bhuvar loka
Bhu loka
Atala loka
Vital loka
Sutal loka
Talatal loka
Mahatal loka
Rasatal loka
Patal loka
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