"सर्दी में चाय निर्माण - एक संघर्ष कथा"

भारत और चीन के रिश्तों में कड़वाहटों के बीच भारत ने चीन के कई app प्रतिबंधित कर दिए... लेकिन चीन से आया हुआ एक ऐसा उत्पाद है जो भारत मे कोई भी प्रतिबंधित नही कर सकता वो है
"चाय"
चाय के शौकीन लोगो के लिए चाय शब्द ही ताजगी से भरने के लिए पर्याप्त है... मसलन ब्रांच में काम करते समय चाय वाले को कप में अपने लिए चाय भरते हुए देखने के वो क्षण इतना आनंद देते है जितना अपनी दुल्हन का पहली बार घूंघट उठाने वाले क्षण भी नही देते होंगे 🤐
चाय वाले को अपने लिए चाय भरते हुए देखना चाय प्रेमियों के लिए दुनिया का सबसे सुंदर दृश्य होता है...
लेकिन सर्दियों में सुबह अपने लिए खुद चाय बनाना उसी अनुपात में पीड़ादायी भी होता है.. मैं आपको समझाता हूँ कैसे...
चाय बनाने की सबसे बुरी बात ये है कि चाय आप कभी भी रजाई में लेटे लेटे नही बना सकते 😥
इसके लिए आपको रजाई का त्याग करना ही पड़ता है...
ये एक चायप्रेमी के लिए बहुत बड़ी कीमत होती है... उस समय ठीक वैसा लगता है जैसे आपको अपनी प्रेमिका और परम मित्र में से किसी एक को चुनना है 😥
और जैसा कि सभी लड़के अपनी प्रेमिका के लिए परम मित्र को लात मार देते है वैसे ही चाय प्रेमी भी 1 घंटा अंसमजस में रहने के बाद अंततः चाय के लिए रजाई को छोड़ने का निर्णय ले ही लेता है...

लेकिन चाय प्रेमी की पीड़ाये यही खत्म नही होती...
अब अगली पीड़ा है चाय बनाने का बर्तन...

जिस बर्तन में आपने कल चाय बनाई थी वो आपको जस का तस पड़ा मिलता है... अब आपको उसे साफ करना है😥
लेकिन चाय के लिए ये कष्ट भी आप सहन करने के लिए तैयार हो जाते हो और सुबह सुबह ठंडे पानी से आपको धोते हो...
सर्दियो में ठंडा पानी हाथ पर बिच्छू की तरह डंक मारता है... लेकिन चायप्रेमी योद्धा उस डंक को रोते रोते सहन कर जाता है...

अब अगली बाधा का काम करता है "फ़ोन"

आप फ़ोन चलाना भी नही छोड़ सकते और आपको चाय की भी तलब लगी है..
तो आप फ़ोन को एक्स्ट्रा मैरिटल अफेयर की तरह चाय बनाते बनाते साथ मे चलाने का निर्णय लेते हो...
चाय और फ़ोन में संतुलन बिठाना अपने आप मे रस्सी पर चलने जैसा है... आपने अगर फ़ोन छोड़ा तो हो सकता है दुनिया मे तबाही मच जाए... और चाय छोड़ी तो हो सकता है वो उफन जाए...
लेकिन एक क्षण ऐसा आता है जब आप फोन पर दुनिया को बचाने के उपाय लिख रहे होते है, शरारती चाय मौका देख कर उसी वक्त उफ़न जाती है...
"अब बेड़ा गर्क हो चुका है... आपको मजबूरी में कुंठित होकर फ़ोन छोड़ना पड़ता है और फैली हुई चाय साफ करनी पड़ती है"
ये सब प्रक्रियाएं इतनी अधिक मानसिक यंत्रणा देती है कि कोई सामान्य इंसान तो ऐसी परिस्थितियों में जीवन ही त्याग दे... लेकिन चाय प्रेमी एक सच्चे योद्धा की तरह नित्य सुबह ये संकट झेलकर भी मुस्कुराते हुए रहता है...
रिक्शा वाले के बेटे के IAS बनने जैसे सामान्य संघर्ष को बढ़ा चढ़ा कर छापने वाले अखबार चाय प्रेमी के इतने बड़े संघर्ष को कभी भी अपने अखबार में जगह नही देते... इसी लिए ये करुण गाथा में आप सबके सामने लेकर आया हूँ... ताकि आप इस बात को समझे और हर चायप्रेमी को सम्मान की नजरों से देखे..

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27 Oct 20
#justice4Nikita

90% लोग ये खबर पढ़ चुके और पढ़ कर स्क्रोल कर दिया क्योंकि निकिता की जाति उनकी outrage करने की श्रेणी को सूट नही करती...
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प्लेकार्ड लेकर खड़े होने वाली महिलावादी सेलिब्रिटी भी अभी कंही न कंही छुपी हुई नजर आएगी....
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25 Oct 20
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किसी भी आंदोलन की शुरुआत एक असंतोष से होती है... उस असंतोष को धीरे धीरे बाकी लोगो तक पहुंचाना और फिर एक कारवां बनता जाना आंदोलन के उदय का चरण है...
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14 Oct 20
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इस खबर और इस विज्ञापन ने मुझे अपने देश की सामाजिक समरसता की कहानी बहुत अच्छे से समझा दी...
दरअसल हमारे देश के विज्ञापनों, धारावाहिकों और फिल्मों में एक प्रोपेगेंडा चल रहा है...
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30 Sep 20
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हमारे तथाकथित "लोकतंत्र" में हमारी बेटियां सुरक्षित नही है... अब में कुछ उन देशों की बात बताता हूँ जंहा लोकतंत्र नही है या बहुत अल्प विकसित है लेकिन उनकी बेटियों की तरफ कोई आंख उठा कर भी नही देख सकता....
1- उत्तर कोरिया

इसे हम सभी एक तानाशाह देश के रुप में जानते हैं. लेकिन इस तानाशाह देश की एक खासियत ये है कि यहां रेपिस्टों के लिए रहम की कोई गुंजाइश नहीं है. यहां रेपिस्टों को अधिकारी तुरंत ही सर में गोली मारकर सजा देते हैं.
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रेपिस्टों के लिए यहां भी कोई दया की गुंजाइश नहीं होती. अगर अपराध साबित हो गया तो अपराधी के लिए बचने का कोई रास्ता नहीं. इन्हें गर्दन और पीठ के ज्वाइंट पर गोली मारी जाती है. और अगर अपराधियों को इतनी आसान मौत ना देनी हो तो उनका बधिया (Castration) कर दिया जाता है.
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27 Sep 20
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देखा जाए तो ये हर आम आदमी से जुड़ा हुआ मुद्दा है लेकिन अभिनेत्री के शाम के भोजन की एक चपाती तक कि जानकारी रखने वाले समाचार पत्र और क्रांतिकारी मीडिया हाउस भी कभी इस महत्वपूर्ण मुद्दे को कवर नही करते... आज हम इस अति महत्वपूर्ण विषय पर गम्भीर चर्चा करेंगे..
कपड़े धोने का निर्णय लेने के लिए एक अदम्य साहस, कड़ी इच्छाशक्ति और दृढ़ संकल्प की आवश्यकता होती है...
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26 Sep 20
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वैसे देखा जाए तो जिस-जिस देश में जब निराशा, अव्यवस्था, असंतोष तथा अभाव होने लगता है वहीं अधिनायकतंत्र का उदय होता है... अधिनायकतंत्र में शासन कुशलता होती है साथ ही यह राष्टींयता की भावना जाग्रत करने में भी सहायक है। लेकिन इसके दोष देखे जाए तो ये गुण दब जाते है..
अधिनायक वाद में क्रियाशीलता तथा स्वतंत्रता की भावना का पूर्णतः लोप हो जाता है, क्योंकि उन्हें बोलने अथवा विचारने आदि की किसी प्रकार की स्वतंत्रता नहीं रहती है... यह व्यवस्था मनुष्य को मनुष्य नहीं बनाती तथा उसे मनुष्य के रूप में रहने भी नहीं देती है..
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