अंग्रेजों के आने से पहले भारत एक कृषि संपन्न देश था। अंग्रेजों ने अठारवीं और उन्नीसवीं सदी में जमीन पर टैक्स बहुत बढ़ा दिए थे। साथ ही टैक्स वसूलने के लिए सूर्यास्त पद्धति लागू कर दी थी।
इस पद्धति में ये नियम था कि अगर सूर्यास्त होने तक टैक्स नहीं चुकाया तो जमीन पर कानूनी रूप से अंग्रेजों का कब्ज़ा हो जाता था। अब अंग्रेज तो खेती करने से रहे, उनको मतलब था केवल अपने टैक्स से। तो अंग्रेज जमीन की बोली लगाते थे, और जमीन के लिए भूखे बैठे जमींदार जमीन खरीद लेते थे।
अब समस्या ये कि खेती तो जमींदार भी नहीं करते थे और न ही वे गांव में रहते थे। लेकिन अगर टैक्स देना है तो जमीन पर खेती तो करवानी पड़ेगी। तो वे जमीन को गांव में रहने वाले छोटे जमींदार को ठेके पे दे देते थे। लेकिन समस्या फिर वही। खेती तो छोटे जमींदार भी नहीं करते।
और जमीन का किराया भी तो देना है। फिर ये ढूंढते थे किसान को, असली किसान जो खेती करता है। अक्सर ये वही किसान होते थे जिनकी ज़मीन टैक्स न भर पाने की वजह से बेचीं गई थी।
मतलब किसान खेती उसी जमीन पर कर रहे थे लेकिन फर्क इतना था कि पहले वे जमीन के मालिक थे और अब केवल मज़दूर। पहले उस ज़मीन की उपज में केवल किसान और सरकार का हिस्सा होता था और अब बीच में कई सारे बिचौलिए भी घुस गए थे। #BankBachao_DeshBachao
इससे किसान के ऊपर जुल्म करने वाले लोग भी बढ़ गए। इस तरह धीरे धीरे भारत एक संपन्न देश से गरीब देश हो गया। सरकारी बैंक जनता की संपत्ति होते हैं। इनपर जनता का ही अधिकार होता है और ये जनता के लिए ही काम आते हैं। #BankBachao_DeshBachao #BankBachao_DeshBachao
पहले तो मुनाफा इनका मुख्य उद्देश्य होता नहीं और अगर ये मुनाफा कमाते भी हैं तो वो सरकार और जनता के पास ही जाता है। लेकिन आजकल सरकार का लालच बढ़ गया है। सरकार को अब ज्यादा आमदनी चाहिए। इसलिए सरकार इन बैंकों को उद्योगपतियों को बेचने जा रही है। #BankBachao_DeshBachao
जी नहीं, उद्योगपति बैंकिंग नहीं करेंगे, बैंकिंग तो बैंकर ही करेंगे। लेकिन पहले ये आम जनता के लिए बैंकिंग करते थे और अब उद्योगपतियों के लिए करेंगे। पहले ये जनता की सेवा के लिए बैंकिंग करते थे अब ये उद्योगपतियों की जेब भरने के लिए बैंकिंग करेंगे। #BankBachao_DeshBachao
मतलब काम वही होगा बस बीच में मुनाफा खाने वाले बिचौलिए आ जाएंगे। ये बैंकों से और ज्यादा मुनाफा कमाने की कोशिश करेंगे। हो सकता है बैंकों का पैसा गलत तरीके से भी इस्तेमाल करें (यस बैंक इसका तत्कालीन उदाहरण हैं)।
चूंकि आधुनिक अर्थव्यस्था बैंकों पर निर्भर होती है, और आम जनता की बचत की कमाई बैंकों में हो जमा होती है, धीरे धीरे पहले बैंक और फिर अर्थव्यस्था बर्बाद होनी शुरू होगी। जब बैंक बर्बाद हो जाएंगे तो इनको खरीदने के लिए विदेशी कंपनियों को बुलाया जाएगा (उदाहरण लक्ष्मी विलास बैंक)।
चीन तो कब से पैसा लेकर भारत के बैंकों पर कब्ज़ा करने के लिए तैयार बैठा है। धीरे-धीरे भारत की अर्थव्यस्था पर विदेशियों का कब्ज़ा हो जाएगा। फिर से वही कहानी दोहराई जायेगी। बार-बार एक ही गलती करने वाले को मूर्ख ही कहते हैं। कृपया बैंकों के निजीकरण का विरोध करें।
नहीं तो बाद में मौका भी नहीं मिलेगा। आज हम भारत की ग़ुलामी के लिए मीर ज़फर को कोसते हैं, अंतिम मुग़ल शासकों कर अन्य राजाओं को दोषी ठहराते हैं। अब ये आपको तय करना है कि इतिहास में अपना नाम कैसे लिखवाना हैं।
एक बार हमारे मित्र मंडल में जबरदस्त बहस छिड़ी। मुद्दा था महिलाओं की आर्मी के combat roles में भर्ती। वैसे तो इस विषय पर बहुत लंबा डिस्कशन किया गया था मगर यहां मैं केवल एक ही मुद्दा उठाऊंगा जिसके बारे में तत्कालीन रक्षा मंत्री स्वर्गीय श्री मनोहर पर्रिकर जी ने भी बयान दिया था।
अक्सर कहा जाता है कि महिलाओं को सेना में अग्रिम पंक्ति में खड़ा इसलिए नहीं करना चाहिए, क्योंकि महिलाएं देश की 'इज्जत' होती हैं। इस स्थिति में सबसे बड़ा खतरा ये होता कि अगर महिला सैनिक को दुश्मन देश पकड़ लेता है तो क्या होगा? क्योंकि महिलाओं के साथ तो बहुत कुछ गलत किया जा सकता है।
एक तरीके से देखा जाए तो ये तर्क सही भी लगता है। मगर फिर दूसरा सवाल ये खड़ा होता है कि इज्जत का ठेका महिलाओं का ही क्यों है? किसने बनाया उनको देश की इज़्ज़त का प्रतीक? और इतिहास में कितनी बार सिर्फ इसी इज़्ज़त के चलते महिलाओं का शोषण हुआ है।
मेरी जिंदगी के करीब 11 साल कॉम्पीटीशन के तैयारी में निकले हैं। ग्यारह अनमोल साल। जिनमें से IIT में दो साल लगे, दो साल इधर-उधर प्राइवेट जॉब के लिए, दो साल GRE में, पांच साल UPSC में और एक साल PCS में लगा।
हम मित्र लोग कभी कभी इस बात पर डिस्कशन करते थे कि दुनिया की सबसे कठिन और महत्वपूर्ण परीक्षा कौनसी है (जस्ट फॉर टाइमपास)। नेट पे सर्च करने पर अक्सर चीन की यूनिवर्सिटी एग्जाम को दुनिया की सबसे मुश्किल और महत्वपूर्ण परीक्षा बताया जाता है।
वो भी IIT और AIIMS टाइप ही ग्रेजुएशन कोर्स में एडमिशन लेने के लिए दी जाती है। जब धीरे धीरे समझ बढ़ी तो समझ आया कि इंजीनियरिंग, मेडिकल वगैरह की एग्जाम महत्वपूर्ण तो हैं मगर उतनी नहीं। ये परीक्षाएं आपको डिग्री देती हैं, मगर परीक्षा वही सबसे महत्वपूर्ण मानी जा सकती है जो रोटी दे।
एक बार गांव में सूखा पड़ा। तो लोग गए सरकार के पास, कि "भाई तुम्हारे पास तो हर मर्ज़ की दवा है।"
सरकार बोली, "आओ कुआँ खोदते हैं।"
लेकिन किधर है पानी? पानी किधर है? ये रहा पानी राम के घर।
सरकार ने कहा "नहीं, तुम लोग Inefficient और Lethargic हो। तुम कुआँ खोदोगे तो पानी गांव वाले प्यासे मर जाएंगे। और फिर हो सकता है तुम कुआँ कूदने के बाद पानी भी बर्बाद करो। तुमको नहीं पता कि जमीन में पानी कम होता जा रहा है?"
पहले ज्यादातर सैनिकों के खाते SBI में होते थे। इससे दो फायदे थे 1. SBI का ब्रांच और ATM नेटवर्क बहुत बड़ा और सुदूर क्षेत्रों में भी फैल हुआ है। 2. SBI की इंटरनेट बैंकिंग सबसे सुरक्षित, विस्तृत और सरल है।
मतलब सैनिकों के लिए बैंकिंग आसान थी, पैसा और पर्सनल डेटा सुरक्षित था।
अब से सैनिकों के खाते कोटक महिंद्रा बैंक में खुलेंगे। इस बैंक की पूरे देश में कुल 1600 ब्रांचें हैं। यानी SBI से 15 गुना कम। और वो भी ज्यादातर शहरों में। इनके ATM है 2500। यानी SBI से 25 गुना कम।
अब ये इतने संकुचित नेटवर्क में सैनिकों को दूर दराज के क्षेत्रों में कैसे सैनिकों को सेवाएं देंगे ये तो ये ही जानें। और जहां तक इंटरनेट बैंकिंग का सवाल है, कोटक महिंद्रा बैंक की इंटरनेट बैंकिंग कितनी घटिया है ये तो इस्तेमाल करने वाले ही जानते हैं। (मैं खुद भुक्तभोगी हूँ).
दो दिन पहले मैंने एक थ्रेड डाली थी जिसमें मैंने रामायण और महाभारत की घटनाओं का जिक्र किया था। वैसे तो मैंने उस थ्रेड में ऐसा कुछ विवादित नहीं लिखा था मगर जैसा कि आजकल फैशन चल रहा है, कुछ लोग ऑफेंड हो गए।
कुछ लोगों ने धार्मिक विषयों को न छेड़ने की सलाह दी तो एक भाईसाहब सीधे ही गाली-गलौच पर उतर आये। लोगों को लगता है कि धार्मिक मुद्दे सम्वेदनशील होते हैं इसलिए उनपर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। क्यूंकि इससे लोगों कि भावनाएं आहत होने का डर रहता है।
ये लोग कहते हैं कि धर्म के मामले में सवाल नहीं करने चाहिए, जो कहा जाए मान लेना चाहिए, धर्म के विषय वाद-विवाद से परे होते हैं। दिलचस्प बात ये है कि इन अतिभावुक लोगों में से ज्यादातर ने धर्म के बारे में धारणाएं कोई पुस्तक पढ़कर नहीं बल्कि TV पर धार्मिक सीरियल देख कर बनायीं हैं।
बेमेल शादियों और उनके दुष्प्रभावों से भारत का इतिहास भरा पड़ा है। मैं आज केवल दो इतिहासों की बात करूंगा जिनके बारे में देश का बच्चा बच्चा जानता है।
पहले हम रामायण पर आते हैं। राम और सीता के 36 में से 36 गुण मिलने वाली कहानी सबने सुनी है। राम और सीता एक आदर्श दंपत्ति थे। लेकिन रामायण में और भी विवाह हुए। पहले तो दशरथ का ही विवाह हुआ।
दशरथ को राम के पिता और अयोध्या के राजा के रूप में भले ही पूजा जाता हो मगर नैतिक रूप से वे एक कमजोर और विलासी व्यक्ति रहे। ना केवल उन्होंने कभी कौशल्या को पटरानी का सम्मान और प्रेम दिया, बल्कि काम वासना के वशीभूत होकर अपने से कहीं छोटी उम्र की कैकेयी