क्या भारत के मुसलमानों ने #ईशनिंदा कानून लागू कर रखा है? मस्जिदों से फैसले सुनाए जा रहे हैं। #AIMIM और #Aap जैसे दलों के नेता इनपर अमल के लिए लोगों को उकसा रहे हैं। यह भारतीय संविधान को सीधी चुनौती है। इन दलों की मान्यता रद्द होनी चाहिए ।
गुस्ताख -ए-रसूल की 1 ही सजा
सर तन से जुदा,सर तन से जुदा @asadowaisi मेरे सदर (बडा भाई) 1 बात पुछनी है आपसे,आप मुझसे उमर मे बडे है,मै आपकी इज्जत भी करता हू।
ये जो फ्लेक्स कानपुर मे लगा है और आपकी पार्टी का नाम भी लिखा है।मतलब आपको ये मंजूर है
ऐसा मानकर कुछ लिख रहा हू। जो Q मेरे जहन मे उठ रहे है,उन सबका समाधान आप कर सकते है ऐसी उम्मीद है
ये सजा आपने या आपकी कौम के मौलवी ने किसीको भी कायम की है जो रसूल की शान मे गुस्ताखी करता है।क्या ये सजा रसुलल्ला ने कायम की थी?
कुराण जो हजरत सलल्लाहू अलैही व अस्सलम पे अल्लाह द्वारा
नाजील हुयी ,उस कुराण मे इस सजा का जिक्र है?
मै कहता हू ,नही है।
रसूल ने कहा है,जब किसी इमानवाले की मौत होने के बाद उसको दफनाने के बाद जमीन समतल करनी चाहीये,कोई कबर नही उठानी है।तो पुरी दुनियामे अब क्या हो रहा है।
रसूल के आदेश नी नाफर्मानी ये भी 1 तरह से गुस्ताख ऐ रसूल ही है।
क्या आप बता सकते है रसुलल्ला की कब्र कहा है?
जिस नबी से इस्लाम का वजुद है,उस रसुलल्ला की कब्र दुनियामे नही लेकिन हजारो लाखो कब्रे तैय्यार होके वो पीर बन गये।क्या ये रसुलल्ला की नाफर्मानी नही? क्या ये गुस्ताख-ए-रसूल नही?
कुराण -ए-पाक मे कही नही लिखा है के दुसरे मजहब की ईबादतगाहे
तोड के वहा मस्जिद बना दो।अगर कही लिखा है तो मुझे बता दो।कुराण-ए-पाक मे मस्जिद कैसी होनी चाहीये इसका भी पुरा विवरण मिलता है।
SC मे सभी साक्षो,सबुत से सिद्ध हुआ की राम जन्मभूमी मंदिर को तोड के बाबर ने उसी जगह पे मस्जिद बनाई थी।
आप अपना पुराना राग आलाप रहे है
मेरी बाबरी मुझे चाहीये
क्या ये कुराण-ए-पाक की तौहीन नही?
क्या ये रसुलल्ला की तौहीन नही?
रसुलल्ला के सारे आदेशोकी सही मायने मे फर्मानी होती है तो दुनियामे कोई कब्र जमीन से उपर नही होती,दुनियामे कोई पीर नही होता।
रसूल के आदेश को पहले आप सही ढंग से पालो
बाद मे दुसरे को मजबूर करो।
रसूल के बारे मे गलत सूनना
भी आपकी कौम के लिये हराम है,तो मुझे बताइये, रसुलल्ला के खानदान को किसने मारा?क्या वो कोई गैरमुस्लिम था?रसुलल्ला ने कहा दुनियामे जहा कही भी इमानवाला है वो तुम्हारा भाई है।लेकिन रसुलल्ला के जाने के बाद इस्लाम अनगिनत फिरको मे बट गया।
क्या ये रसुलल्ला की तौहीन नही?
हर फिरके की अलग अलग मस्जिद और कब्रगाहे
है।जहा ना कोई दुसरा फिरका जा के नमाज अदा कर सकता है,और ना कोई दुसरे फिरके का इमानवाला मिट्टी मे समा सकता है।
इस्लाम कायम करते वक्त क्या रसुलल्ला ने ऐसा सोचा होगा?
लेकिन हो गया। क्या ये रसुलल्ला की तौहीन नही?
ऐसी कई अनगिनत बाते या घटनाये बता
सकता हू,के जिससे रसुलल्ला की तौहीन यानी गुस्ताख-ए-रसूल हो जाता है,और आप भी इन सभी बातोंसे भलीभांती वाकिफ होंगे।
ये भी मैने कुछ बाते बताइ जो रसूल की शान मे गुस्ताखी है,ऐसी कई बाते गिनवा सकता हू,जो पुरी दुनियामे रसुलल्ला की तौहीन उनको माननेवाले कर रहे है।
तो गुस्ताख-ए-रसूल कौन है?
अगर मेरा मानना आपको गलत लगता है,तो जो बाते मैने कही वो सब कुराण मे है ये मुझे दिखाईये।
वही कुराण-ए-पाक जो अल्लाह की तरफ से हजरत मोहम्मद पैगंबर पे नाजील हुयी,उस कुराण की मै बात कर रहा हू।
बोलने को बहोत कुछ है,लेकिन अभि इतना ही पुछ लेता हू।
गुस्ताख-ए-रसूल कौन हुआ फिर
1 ज्या बापाचे नाव लावतोय, त्याचा तथाकथित बाप ऑन रेकॉर्ड कोर्टात म्हणतोय की हे पोर माझं नाही
मग त्यो आता कुठल्या बापाचं नाव लावणारेय.
आणि धारावीत चिऊशेनिकांनी काय केले,केव्हा केले हे सगळं RSS चा द्वेष करणाऱ्या बरखा दत्त ने तिथे जाऊन मीडियावर सांगितलेय
आणि हे जे दमून झोपलेत ना
तसे बाळासाहेबांची शिवसेना होती तेंव्हा शिवसैनिक दमून झोपलेले पाहिलेयत मी
आणि आता पार झोपेचे सोंग घेऊन आहेत आणि श्रेय लाटायला म्होरं
आणि ज्याचा हात खांद्यावर घेऊन मिरवतोयस ना
तुझ्या गरजेच्या वेळेस नसणारेय
RSS बद्दल बाळासाहेबांनी कधीही चकार अक्षर तोंडातून काढलेले नाही,दाखवून दे
आता ज्यांची धुताय त्या शरद पवारांनी सुद्धा चकार अक्षर तोंडातून काढलेले नाही,दाखवून दे
आणि तुझी लायकी ती काय? हीच खाली फोटोत राहीलीय ती
बंगाल का मतुआ दलित अब मोदी का 'भक्त वोटर' कैसे बन गया ?
पहले बांग्लादेश से भागा... अब पश्चिम बंगाल में भी जिहादी साजिश का शिकार.. मतुआ वोटरों की पूरी कहानी।जिहादी कहीं भी किसी को चैन और सुकून से नहीं रहने दे सकते हैं इसका बेस्ट उदाहरण पश्चिम बंगाल का मतुआ वोटर है।
पश्चिम बंगाल में मतुआ वोटर का मूल निवास पश्चिम बंगाल नहीं है... मतुआ दलित मूल रूप से आज के बांग्लादेश का रहने वाला है... बांग्लादेश मतलब... इस्लाम ऑक्युपाइड ईस्टर्न इंडिया।
साल 1947 में जब पूर्वी पाकिस्तान बना तो जिन्ना और जोगेंद्र मंडल ने मतुआ दलितों को ब्राह्मणों का डर दिखाकर
और डरा धमकाकर साथ ही तरह तरह के लोकलुभावन प्रस्ताव देकर पूर्वी पाकिस्तान (आज का बांग्लादेश) में रोक लिया।जब नोआखाली (बांग्लादेश की एक जगह) में दंगे हुए और उस जिले का बहुसंख्यक मु स ल मा न अल्पसंख्यक दलितों पर अत्याचार करने लगा। स्त्रियों पर जुल्म ज्यादती पर उतारू हो गया ।
कर्नाटक के मंगलुरू में स्वामी कोरगज्जा मंदिर में तीन दिन पहले शांतिदूत समुदाय के दो लड़के तौसीफ व् रहीम आए और पुजारी के समक्ष क्षमा के लिए रोने गिड़गिड़ाने लगे।
पहले पुजारी को लगा कि वह मजाक कर रहे हैं। किंतु, वह गंभीर थे, दोनों ने पुजारी को बताया कि अपने साथी नवाज के साथ मिलकर
उन्होंने ही कुछ दिन पहले मंदिर की दानपेटी में कंडोम डाला था।
नवाज माफी माँगने के लिए जिंदा नहीं था, दानपेटी में कंडोम डालने के बाद उसे एक दिन खून की उल्टियाँ हुईं और फिर पेचिश से उसके मल से खून निकला, अंत में वह अपने घर की दीवारों पर सिर मारते हुए मर गया, मरते समय उसने उन्हें
बताया कि कोरगज्जा उन सब पर नाराज हैं
अब सिर्फ़ वही दोनों यानी अब्दुल रहीम और अब्दुल तौफीक ही जिंदा हैं, लेकिन वक्त बीतने के साथ रहीम को भी खून की उल्टियाँ शुरू हो गई हैं, बिलकुल वैसे ही जैसे नवाज को हुई थी।
उसके बाद दोनों अपनी जान जाने के डर से घबराकर पुजारी की शरण में जाकर
पंजाब से क्यों " हिंदू मंदिर ऐक्ट " की आवाज़ उठाने की पहल हुई।
13/4/2021 से क्यों " भगवा चेतना रथ यात्रा " पंजाब के सभी शहरों और कसबों से निकाली जा रही है। क्यों 13 अप्रैल से सभी सनातनीयों को अपने घरों, दुकानों पर भगवा धवज फहराना जरूरी है।
हिंदूओं के लिए क्यों जरूरी है
हिंदू मंदिर ऍक्ट
*क्या है 1951 हिन्दू धर्म दान एक्ट*❓
किस षडयंत्र के तहत कांग्रेस सरकार ने बनाया था
"1951 हिंदू धर्म दान ऍक्ट"
आइए जाने हिंदूओं के विरुद्ध किए षडयंत्र के वारे में। 1951 में कांग्रेस सरकार ने "हिंदू धर्म दान एक्ट" पास किया था।
इस एक्ट के जरिए कांग्रेस ने राज्यों को अधिकार दे दिया कि वो किसी भी मंदिर को सरकार के अधीन कर सकते हैं। इस एक्ट के बनने के बाद से आंध्र प्रदेश सरकार नें लगभग 34,000 मंदिर को अपने अधीन ले लिया था। कर्नाटक, महाराष्ट्र, ओडिशा, तमिलनाडु ने भी मंदिरों को अपने अधीन कर दिया था !
राजस्थान मे एक प्रथा घुड़ला पर्व-
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हिन्दुत्व को बचाने के लिये इस सत्य से हिन्दुओं को अवगत कराना आवश्यक है, नही तो कालांतर मे अर्थ का अनर्थ हो सकता है।
मारवाड़ में होली के बाद एक पर्व शुरू होता है।
जिसे घुड़ला पर्व कहते है ।
जिसमें कुँवारी लडकियाँ अपने सर पर एक मटका उठाकर उसके अंदर दीपक जलाकर गांव और मौहल्ले
में घूमती है और घर घर घुड़लो जैसा गीत गाती है !
अब यह घुड़ला क्या है ?
कोई नहीं जानता है के घुड़ला की पूजा शुरू हो गयी।
यह भी ऐसा ही घटिया ओर घातक षड्यंत्र है
जैसा की अकबर को महान बोल दिया गया
दरअसल हुआ ये था की घुड़ला खान अकबर का
मुग़ल सरदार था और अत्याचारऔर पैशाचिकता
मे भी अकबर जैसा ही गंदा पिशाच था !
ज़िला नागोर राजस्थान के पीपाड़ गांव के पास एक गांव है कोसाणा !
उस गांव में लगभग 200 कुंवारी कन्याये
गणगोर पर्व की पूजा कर रही थी, वे व्रत में थी।
वैटिकन के नाम बडे दर्शन खोटे !
कार्डिनल रॉबर्ट साराह को ईसाईयों के पुराणमतवादी धर्मगुरु के रूप में पहचाना जाता है । कट्टर ईसाईयों में कार्डिनल साराह बहुत लोकप्रिय थे । इतना ही नहीं पोप फ्रान्सिस के पश्चात ‘भावी पोप’ के रूप में उनकी ओर देखा जाता था।
‘भूतपूर्व पोप’ पोप बेनिडिक्ट को भी वे प्रिय थे; परंतु पोप फ्रान्सिस ने उन्हें तत्परता से पदमुक्त कर दिया । ‘संसार को दिखाने के लिए कार्डिनल साराह ने त्यागपत्र दिया तथा पोप ने उसे स्वीकार कर लिया’, ऐसा चर्च द्वारा दिखाया जा रहा है; तथापि कार्डिनल साराह का यह निष्कासन ही था।
वैटिकन चर्च में अलग-अलग पदों पर कार्यरत पादरी ७५ वर्ष की आयु तक कार्यरत रह सकते हैं । वहां के किसी भी पादरी को ७५ वर्ष की आयु होने पर त्यागपत्र देना पडता है। ऐसा होते हुए भी पोप अधिकांश पादरियों के त्यागपत्र निरस्त कर उन्हें कार्यरत रहने की अनुमति देते हैं।