When Shikhandi from Shakha emerges this usually happens.
आगम-शास्त्र शक्ति-तत्व एवं शक्ति-उपासना , अत्यन्त विशद,प्रामाणिक ग्रन्थ हैं। इनके अनुसार ब्रह्माण्ड की उत्पत्ति से पूर्व भी देवी थी जो अकेली ही प्रकट हुई थी। ‘‘देवी ह्येकाग्रे आसीत्’’। 1/n
तब कहीं कुछ भी नहीं था। अतः देवी को केवल अपनी ही छाया दिखाई दी।
‘‘एतस्मिन्नेव काले तु, स्वबिम्बं पश्यति शिवा’’
इसी स्वबिम्ब (छाया) से माया बनी जिससे मानसिक शिव हुए
तद्बिम्वं तु भवेन्माया-तत्र मानसिक शिवः
इसी आधार पर आगम शास्त्रों में शक्तिको शिव की जननी भी माना गया है। 2/n
ऋग्वेद में शक्ति को अदिति कहा गया है जो समस्त ब्रह्मान्ड का आधार है। यह समस्त देवताओं, गन्धर्वों, मनुष्यों, असुरों तथा समस्त प्राणियों की माता हैं तथा पृथ्वी, अन्तरिक्ष एवं स्वर्ग में रहती हैं। ऋग्वेद में श्री भगवती अपने बारे में बताते हुए कहती है- 3/n
‘‘मैं ब्रह्मान्ड की अधीश्वरी हूँ। मैं एक होते हुए भी नाना रूपों में विचरण करती हूँ। मैं सर्वथा स्वतंत्र हूँ। मैं किसी के अधीन नहीं हूँ।’’
(ऋग्वेद-दसवां मन्डल-सूक्त-125)
अहं रूद्रेभि वसुभिश्चरामि
अहं मित्रावरूणा-अहं इन्द्राग्नी
अहं विष्णुमुरूक्रम ब्रह्माणमुत प्रजापतिं दधामि’’
4/n
मैं रूद्रों तथा वसुओं के रूप में विचरती हूँ। मैं दोनों मित्रावरूण का, इन्द्राग्नि का तथा दोनों अश्विनीकुमारों का पोषण करती हूँ। विष्णु, ब्रह्मा तथा प्रजापति को मैं ही धारण करती हूँ
(ऋग्वेद-अष्टक 8/7/11)
विभिन्न उपनिषदों में शक्ति के स्वरूप का विषद विवेचन किया गया है 5/n
श्वेताश्वतर उपनिषद -पराशक्ति ज्ञान, इच्छा तथा क्रिया आदि रूपों से अनेकों प्रकार की है
‘परास्यशक्ति र्विविधैव श्रूयते स्वाभाविकी ज्ञान, बल, क्रिया च’
केनोपनिषद -शक्ति बिना स्पर्श, रूप तथा व्यय के है
‘अशब्द अस्पर्श मरूप मव्ययम्’
तथा शक्ति को वाणी से अभिव्यक्त नहीं कर सकते हैं 6/n
यद्वाचा नभ्युदितं’
मान्डूक्य उपनिषद -चित्शक्ति मन, वाणी तथा समस्त इन्द्रियों से भी प्राप्त नहीं है
‘यतो वाचो निवर्तन्ते - अप्राप्य मनसा सह’
देवी अथर्वशीर्ष (मूल एवं प्रामाणिक ग्रन्थ) के श्लोकसंख्या-2 से श्लोकसंख्या-25 तक देवी के स्वरूपों का विस्तारपूर्वक वर्णन करते हुए 7/n
बताया गया है कि उनके वास्तविक स्वरूप को ब्रह्मादि त्रिदेव भी नहीं जानते हैं
‘यस्या स्वरूपं ब्रह्मादयो न जानन्ति-तस्मादुच्यते अज्ञेया
एकैव विश्वरूपिणी-तस्मादुच्यते नैका
यस्या जननं नोपलभ्यते-तस्मादुच्यते अजा’
देवी अज्ञेय है, एक है, अजा है, अलक्ष्या है
8/n
देवताओं के पूछने पर महादेवी ने बताया कि वह ब्रह्मस्वरूपा है तथा उनसे ही समस्त जगत की उत्पत्ति हुई है। वही विज्ञान तथा अविज्ञानरूपिणी हैं। ब्रह्म भी हैं। अब्रह्म भी हैं। वह वेद भी हैं। अवेद भी हैं। वही सम्पूर्ण जगत की ईश्वरी हैं। 9/n
वह वेदों द्वारा वन्दित तथा पाप नाशिनी देवमाता अदिति या दक्षकन्या सती के रूप की हैं। वही आठवसु, एकादश रूद्र, द्वादश आदित्य, असुर, पिशाच, यक्ष और सिद्ध भी हैं। वह आत्मशक्ति हैं। विश्व को मोहित करने वाली हैं तथा श्रीविद्यास्वरूपिणी महात्रिपुरसुन्दरी है। 10/n
ब्रह्मवैवर्त पुराण में भगवान् श्री कृष्ण द्वारा अपने श्रीमुख से इसी शक्ति का गुणगान करते हुए उन्हें विभिन्न उपाधियों से विभूषित किया गया है
यह शक्ति मूल-प्रकृति रूपा है। त्रिगुणात्मिका है। परमब्रह्मस्वरूपा है। सर्वपूज्या है।
प्रख्यात् ग्रन्थ वरिवस्यारहस्य के अनुसार महाशक्ति को प्रकाश तथा विमर्श दोनों स्वरूपों में माना गया है
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‘‘स जयति महान प्रकाशो यस्मिन दृष्टे न दृश्यते किमपि
कथमिव यस्मिन ज्ञाते सर्वं विज्ञात मुच्यते वेदैः‘‘
उस महान प्रकाश रूप महाशक्ति की जय हो जिसे देखने तथा जानने के पश्चात समस्त ज्ञान की प्राप्ति हो जाती है
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‘नैसर्गिकी स्फुरत्ता विमर्श रूपा अस्य वर्तते शक्तिः
तद् विज्ञानार्थ मेव चतुर्दश विद्या स्थानानि’
उस महान विमर्श रूपा महाशक्ति को जानने के लिए चतुर्दश विद्याओं की सहायता ली जाती है।
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कम से कम ऐसा प्रलाप करने से पहले मार्कण्डेय महापुराण का ही अध्ययन कर लिया होता मार्कन्डेय-पुराणान्तर्गत दुर्गासप्तशती के जिन अध्यायों में महाशक्ति की स्तुतियां की गई हैं उन में शक्ति की महिमा का गुणगान किया गया है
‘‘आधारभूता जगतस्त्वमेका’’ ‘‘त्वयैतत् धार्यते विश्वम्’’ 15/n
आप इस ब्रह्माण्ड की आधार हो
‘‘सृष्टि स्थिति विनाशानां-शक्तिभूते सनातनि’
आप इस चराचर जगत की रचना, पालन तथा संहार करती हो)
‘‘हेतुः समस्त जगतां त्रिगुणापि दोषैः’’
आप समस्त जगत का कारण हो
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539 bravehearts sacrificed their life, thousand got handicapped and severely injured for lifetime to give us a celebration of Victory on glorious day.
The Valour and glory of those Stubborn Patriots Who wrapped Tiranga on themselves are immortal 1/n #VijayDiwas #KargilVijayDiwas
The soldier posted at the borders protecting the country is martyred for the nation but he doesn’t ask what the nation did for him. He simply breathes his last for the nation and here some naive men stand up and question as to what has India 2/n #KargilVijayDiwas #VijayDiwas
given them asserting that India has cheated upon them. To them I say, please leave the nation and find a suitable place that you can inhabit in the world which accommodates you as warmly as India does.
We live in a dismal world, a which is fighting itself 3/n #KargilVijayDiwas
समुद्र-मंथन के समय समुद्र से पहले-पहल `हालाहल` नाम का अत्यंत उग्र विष निकला, जिसकी ज्वालाओं से तीनों लोक जलने लगे । देवता और असुर अपनी चेतना खोने लगे । सर्वत्र हाहाकार मच गया । किसी में भी ऐसा सामर्थ्य न था कि विष की ज्वाला शांत कर सके। #श्रावण#सोमवार#सावन#सावन_मास 1/n
उस असह्य विष से बचने का कोई उपाय भी तो न था ।भयभीत हो कर सम्पूर्ण प्रजा और प्रजापति भगवान सदाशिव की शरण में गए । प्रजा का यह संकट देखकर `सर्वभूतसुहृद् `शिव ने संसार पर महान अनुग्रह किया और हलाहल पान करना स्वीकार कर लिया । उस समय शिव ने पार्वती से कहा कि, 2/n #सावन#सावन_सोमवार
अहो बत भवान्येतत् प्रजानां पश्य वैशसम्
क्षीरोदमथनोद्भूतात् काळकूटादुपस्थितम् ।
आसां प्राणपरीप्सुनाम् विधेयमभयं हि मे ।
एतावान्हि प्रभोरर्थो यद् दीनपरिपालनम् ।
— श्रीमद्भागवत महापुराण 8 7 37 -38
अर्थात् हे देवि, समुद्र-मंथन से निकले कालकूट 3/n #सावन #सावन_सोमवार#सावन_मास