क्या आप जानते हैं कि राम जी अपने 14 वर्षों के वनवास के दौरान कहां कहां रहे व उन स्थानों पर क्या क्या घटनायें हुयीं?
कुल पड़ाव इस प्रकार हैं
प्रयाग,चित्रकूट,सतना,रामटेक,पंचवटी,भंडारदारा,तुलजापुर,सुरेबान,कर्दीगुड,कोप्पल,हम्पी,तिरूचरापल्ली,कोडिक्करल,रामनाथपुरम,रामेश्वरम् (भारत)
तीन स्थान वास्गामुवा,दुनुविला एवम् वन्थेरूमुलई ये श्रीलंका में हैं।
नुवारा एलिया एक वो स्थान है जहां से होकर प्रभु श्री राम जी लंका के लिये गुजरे थे। @JyotiKarma7
@DramaQueenAT @AgniShikha100
पहला पड़ाव था सिंगरौर जो कि प्रयाग राज से 35 किमी का दूरी पर है यहीं पर केवट प्रसंग हुआ था यह नगर गंगा घाटी के तट पर स्थित है यहीं पर श्री राम जी ने मां सीता के साथ गंगा मां की वन्दना की थी।
यात्रा का दूसरा पड़ाव था कुरई जहां प्रभु सिंगरौर से गंगा पार करने के पश्चात् उतरे थे यहां
प्रभु ने लक्ष्मण जी एवम् मां सीता के साथ विश्राम किया था।
तीसरा स्थान है प्रयाग जिसको किसी कालखंड में इलाहाबाद कहा जाता था तीर्थों के राजा प्रयागराज को ही माना जाता है क्योॆकि यहां वैतरिणी मां गंगा एवम् गंगा नदी की मुख्य सहायक नदी यमुना जी का मां सरस्वती के साथ संगम होता है।
चित्रकूट प्रभू का चौथा पड़ाव है भ्रातभक्ति का अद्भुत ही संयोग देखने को मिलता है इस जगह पर जब भरत प्रभु को मनाने के लिये जाते हैं लेकिन पितृवचनों से बंधे प्रभु पिता के देहान्त के बावजूद अयोध्या जाने से मना कर देते हैं फलस्वरूप भरत को प्रभु जी की चरण पादुका लेकर जाना पड़ता है।
यात्रा का अगला पड़ाव सतना बनता है जो कि वर्तमान में मध्यप्रदेश मे है, यहां प्रभु ने राक्षसों का वध किया प्रभु यहां अत्रि मुनि के आश्रम में रहे थे।
यात्रा का अगला एवम् सबसे लम्बा पड़ाव दंडकारण्य था जो कि वर्तमान में छत्तीसगढ में है यहां प्रभु दस वर्षों तक रहे थे
यात्रा का अगला पड़ाव था पंचवटी पंच अर्थात् पांच वट अर्थात् वृक्ष ये स्थान नासिक में गोदावरी के तट पर है ऐसा माना जाता है कि इन वृक्षों को प्रभु ने सीता मां ने व लक्ष्मण जी ने अपने हाथों से लगाया था यहीं पर शूपर्णखा प्रसंग हुआ था।
यात्रा का अगला पड़ाव था सर्वतीर्थ जो कि नासिक से 56 किमी दूर है यहीं पर मां सीता के स्वरूप का हरण हुआ था व यहीं पर प्रभु श्री राम ने जटायु जी का अंतिम संस्कार किया था।
इसी तीर्थ पर लक्ष्मणरेखा खींची गयी थी।
सर्वतीर्थ के बाद मां सीता को खोजते खोजते प्रभु तुंगभद्रा एवम् कावेरी आदि नदियों के तटों पर स्थित स्थलों पर गये।
यात्रा का अगला पड़ाव था केरल का पम्पा नदी का तट जहां सालों से प्रभु प्रतीक्षारत मां शबरी की भेंट प्रभु से हुयी यहां से वो ऋष्यमूक पर्वत की ओर चले गये।
यात्रा का अगला पड़ाव था ऋष्यमूक पर्वत जहां प्रभू की भेॆट भक्तराज हनुमाम जी एवम् वानरसेना से हुयी यहीं पर प्रभु को मां सीता के आभूषण वानरराज सुग्रीव द्वारा दिखलाये गये यहीं पर भगवान ने पापी बाली का वध किया था।
यात्रा का अगला पड़ाव था कोडीकरई जहां प्रभु ने अपनी सेना को एकत्रित किया व ये जानकारी प्राप्त की कि यहां से समुद्र को पार करना सम्भव नहीं है अत: तब उन्होंने रामेश्वरम् की ओर प्रस्थान किया।
यात्रा का अगला पड़ाव था श्री रामेशवरम् जहां प्रभु ने लंका पर चढाई करने से पूर्व भगवान शिव की पूजा अर्चना कर उनका आशीष लिया व यहीं पर विश्वविख्यात प्रभु शिव का प्रभु द्वारा स्थापित शिवलिंग है।
यात्रा का अगला पड़ाव था धनुषकोडी ये वह स्थान था जहां से श्रीलंका की भारत से सबसे नजदीक दूरी थी यहीं पर प्रभु ने नल नील जैसे अभियन्ताओं की मदद से आज तक जीवित श्रीराम सेतु का निर्माण किया था। ऐसा माना जाता है कि धनुषकोडि ही मात्र भारत व श्रीलंका के बीच स्थलीय सीमा है।
यात्रा का अगला पड़ाव था नुवारा एलिया यहां पहाड़ियों से मध्य लंका की ऊंची पहाड़ियों के बीचों बीच तथा गुफाओं के भंवरजाल मिलते हैं यहीं से होकर प्रभु गुजरे थे।
यात्रा का आखिरी पड़ाव था लंका जहां पर प्रभु ने मां सीता के स्वरूप को पुन: प्राप्त कर रावण वध कर विभीषण को लंका का राजा बना कर उनका पथ प्रदर्शित किया था।
कितने लोग "बावनी इमली" पेड़ को जानते हैं?
ये एक ऐसा इमली का पेड़ है जिससे एक दिन में 52 क्रान्तिकारियों ने फां सी का फंदा चूमकर वीरगति को प्राप्त किया था।
ये पेड़ उत्तर प्रदेश के फतेहपुर के पारदाना गांव में स्थित है। @RekhaSharma1511 @ART4bjp #AmritMahotsav
पारादान*
ये घटना 28 अप्रैल 1858 की है 1857 का स्वाधीनता संग्राम भारत के कुछ एक हिस्सों तक सीमित न था कम से कम उप्र में तो ये पूरी तरह सक्रिय था। ये घटना जलियांवाला बाग जैसी घटना से कम न थी,परन्तु उन शहीदों की शहीदी आज भी उपेक्षित है।
छापामार युद्ध में प्रवीण जोधा सिंह अटैया जी एवम् उनके अन्य 51 साथियों की वीरगति का प्रमाण है ये पेड़ जिनको करमल क्रस्टाइल द्वारा साथी दरियाव सिंह को अंग्रेजों की गिरफ्त से छुड़ाने के प्रयास में पकड़ लिया गया था व 28 अप्रैल के उस काले दिन को फां सी की सजा दे दी गयी।
राम-रावण युद्ध चल रहा था, तब अंगद ने रावण से कहा- तू तो मरा हुआ है, मरे हुए को मारने से क्या फायदा?
रावण बोला– मैं जीवित हूँ, मरा हुआ कैसे?
अंगद बोले, सिर्फ साँस लेने वालों को जीवित नहीं कहते - साँस तो लुहार की धौंकनी भी लेती है!
1. कामवश: जो व्यक्ति अत्यंत भोगी हो, कामवासना में लिप्त रहता हो, जो संसार के भोगों में उलझा हुआ हो, वह मृत समान है। जिसके मन की इच्छाएं कभी खत्म नहीं होतीं और जो प्राणी सिर्फ अपनी इच्छाओं के अधीन होकर ही जीता है, वह मृत समान है।
Do you know?
On 10 August 1741 The battle of colachel was fought between the kingdom of Travancore and the Dutch East India Company. Travancore, under Raja Marthanda Varma defeated the Dutch East India Company. #Know_the_history @RekhaSharma1511 @Voice_For_India
This was the first victory of any Indian king against any european country. That time Naval forces of dutch was knwon as the most powerful navy but King Marthand verma not only defeated dutch navy but also arrested 11,000 soldiers of that navy.
His inspiration was Shiva ji
Shri Padmanabh swami temple is the gift of King markandeya ji to all sanatani, for this he donated all his money and became the "दास" Of bhagwan vishnu ji.
August month is very much Important in Indian history,
From 1st Augut to 31 August every day is Important regarding history,
9 August is known for the Train Incident of Kakori(Lucknow).
On 9 August the kratikari of Hindustan Republic Association looted a train.+
The mission was to strengthen the motive of their fight aganist britishers. This was the pistol used by them 👇
HRA was founded by Sacheendra Nath Sanyal in 1923.
By this they collected 4601 rupee.
This was direct Action against britishers.
Although only 10 krantikaries were involved in it but case was done against 40 krantikaries.
You know Govind ballabh pant The congress leader and CM of UP in independent India he was a lawyer and Krantikari approached him to fight case but he refused because his fee was much.
A thread on Firoz shah tughlaq (1351-1388 AD)
He was the third ruler of tughlaq dynasty.
He was more barbaric than Aurangjeb.
He was the straunch follower of shariat.
Lets have look on his barbic incidents in this thread. @RekhaSharma1511 @SanggitaT @JyotiKarma7
He was born from a marriage between Rajjab Sipah-e-salar and Daughter of Hindu Chieftain of Dipalpur named Naila Bibi, The Chieftain of Dipalpur was coerced and forced to marry his daughter.
He razed almost all the temples around Delhi, Hissar, Jaunpur and Firozabad.
In 1374 AD he was on banaras mission here he demolished almost all temples and also Kashi vishwanath temple was demolished again.
He banned idolatory And hindu practices almost all his region and bur nt hindu priest alive.
What we gifted to the world....
Innivations of India which are under rated by the world.
Zero - Mathematics does not make sense without 0. Although it has no value, it plays a vital role in Arithmetic. He was a great mathematician and an ace astronomer. @RekhaSharma1511
Ink - Ink made from various materials was first invented in India. This black pigment was used in writing manuscripts in ancient India. India ink was made by burning tar, pitch, bones. Carbon was the primary pigment of India ink.
Crucible steel-
High quality steel was produced in South India since ancient times. The tech used to manufacture it was later on called the crucible technique. wrought iron 1st put with glass and charcoal in a container and was heated till the metal melted and absorbed carbon