तालिबान महिलाओं के सारे अधिकार जिस तरह ख़त्म करता है, उसी ढर्रे पर देवबंदी फ़रमान चलाते हैं। आज अफगान नागरिकों और वहाँ की महिलाओं के साथ जो सुलूक हो रहा है, उसपर सभी इस्लामिक संगठन चुप हैं क्योंकि इनको तो पूरी दुनिया में ऐसा ही ‘साम्राज्य’ चाहिए।
भारत का संविधान और यहाँ का क़ानून इनको भेदभावपूर्ण लगता है लेकिन शरिया पसंद तालिबान इनका चहेता है। दरअसल, भारत के रिश्ते जिससे बेहतर होंगे, ये लोग उनके ख़िलाफ खड़े होंगे। इसलिए ही ये लोग तालिबान का गुणगान कर रहे हैं और उनको अमनपसंद बता रहे हैं।
फिलिस्तीन पर इजराइल के हमले के दौरान ये गैंग सड़कों पर उतर आया था लेकिन तालिबान के अफ़ग़ानिस्तान पर क़ब्ज़े के बाद ये गैंग सड़कों पर तो दूर सोशल मीडिया के ज़रिए भी लानत भेजने से कतरा रहा है।
#संस्कृत_सप्ताह
The complexities of the languages is the proof of -
Which is the oldest civilisation
Which is the most globalised society in the world
Which is the most secular dna that can absorb 3-4 languages like some morning snack.
These rich languages is the sum total of all the accumulated wisdom passed on by our ancestors to us. Keep English language limited to work space.
Do not mix English words with your language. Speak in its purest form.
Stand for your mother tongue derived from Sanskrit (the virtuous of all), the language with which our mothers sang us to sleep in the cradle of our rich civilisation.