शाहजहां को उसके बेटे औरंगजेब ने 7 वर्ष तक कारागार में रखा था। वह उसको पीने के लिए नपा-तुला पानी एक फूटी हुई मटकी में भेजता था तब शाहजहाँ ने अपने बेटे औरंगजेब को पत्र लिखा जिसकी अंतिम पंक्तियां थी-
"👇👇
ऐ पिसर तू अजब मुसलमानी,
ब पिदरे जिंदा आब तरसानी,
आफरीन बाद हिंदवान सद बार,
मैं देहदं पिदरे मुर्दारावा दायम आब"
अर्थात्
हे पुत्र
तू भी विचित्र मुसलमान है जो अपने जीवित पिता को पानी के लिए भी तरसा रहा है। शत शत बार प्रशंसनीय हैं वे 'हिन्दू जो अपने मृत पूर्वजों को भी पानी देते हैं🙏
इसाई धर्म:-
ईसा एक है
बाइबिल एक।
फिर भी, लेटिन कैथलिक, सीरियन कैथलिक, मारथोमा, पेंटेकोस्ट, सैल्वेशन आर्मी, सेवेंथ डे एडवांटिष्ट, ऑर्थोडॉक्स, जेकोबाइट जैसे 146 फिरके आपस में किसी के भी चर्च में नहीं जाते।
इस्लाम धर्म:-
अल्लाह एक,
कुरान एक,
नबी एक।
फिर भी शिया, सुन्नी, अहमदिया, सूफी, मुजाहिद्दीन जैसे 13 फिरके एक दूसरे के खून के प्यासे। सबकी अलग मस्जिदें। साथ बैठकर नमाज नहीं पढ़ सकते। धर्म के नाम पर एक-दूसरे का क,, करने को सदैव आमादा।
हिन्दू धर्म:-
1280 धर्म ग्रन्थ
10 हज़ार से ज्यादा जातियां, अनगिनत पर्व एवं त्योहार,
असंख्य देवी-देवता।
एक लाख से ज्यादा उपजातियां, हज़ारों ऋषि-मुनि, सैकड़ों भाषाएँ।
फिर भी सारे हिन्दू सभी मन्दिरों में जाते हैं और सारे त्योहारों को मनाते हुए आपस में शान्ति एवं शालीनता से रहते हैं।
यह है भव्यता, सुन्दरता और खूबसूरती हिन्दू धर्म की .....!!
गर्व करिये की हम हिन्दू है
जय सनातन 🙏
जय श्री राम,🙏🚩 #सनातन_धर्म_सर्वश्रेष्ठ_है 🚩🚩
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● चाँदी के 84 हजार सिक्के गलाकर बनाए गए थे दो कलश इस विश्व विख्यात कलश का निर्माण आमेर जयपुर के कुशवाहा ( कछवाहा ) राजवंश के महाराजा सवाई माधोसिंह द्वितीय ने सन 1894 ई० में करवाया था !
● राजस्थान एक ऐसा राज्य है जो आज भी अंदर पुरानी परंम्परारों सभ्यताओं और संस्कृति को सहेजे हुए है राजस्थान में हर साल देश दूनिया के कोने कोने से लाखों शैलानी आते हैं ! और यहाँ का लुत्फ उठाते हैं ! राजस्थान आने वाले पर्यटक जयपुर आने के बाद सीटी पैलेस का रूख अवश्य करते हैं !
● सीटी पैलेस गये बीना जैपूर की यात्रा पूरी नहीं होती ऐसा इसलिए क्योंकि यहाँ मौजूद है दूनिया का सबसे बड़ा चाँदी का कलश इस वृहद गंगाजली को देखने के लिए यहां दूर दूर से शैलानी आते हैं इस कलश की उचाई 5.फीट 3 इंच है और गोलाई 14.फीट 10 इंच !
भारतीय रेलवे में टॉयलेट्स २०वी सदी के प्रारम्भ में शुरू हुए , लेकिन अंग्रेजो ने डिब्बे के फ्लोर में ५" छेद कर बनाया था , इससे दिक्कत यह थी की पटरी से लगे ,स्टेशन ,नदिया ,खेत यह सब भी गंदे होते थे , और सबसे बड़ी दिक्कत गैंगमैन को आती थी जो पटरिया फिटिंग करते थे ,
आझादी के 70 साल बाद भी सं 2014 तक किसी भी सरकर ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया , आज रेलवे में टॉयलेट्स लगने के 100 साल बाद 2014 के बाद पहली बार भारतीय रेल में बायो टॉयलेट्स जो सीया - चीन बॉर्डर पर हमारी सेनाए वापर लेती है क्योंकि बर्फ की वजह से मानव विस्टा जमींन में घुलता नहीं ,
5 साल के अंतराल बाद आज करीब-करीब 80% रेलवे के डिब्बे बायो टॉयलेट्स से सज्ज है और स्टेशन , पटरी नदी खेत गंदे होने से बच रहे है
अब बताना जरुरी नहीं की 2014 बाद किसकी सरकार ने यह सब महेनत कर देश में फ़ैल रही गंदगी रोकने में सफल रहे है ,
UNTOLD HISTORY OF CHENGIZ KHAN!
प्रश्न है कि इस्लामी और ईसाई इतिहासकारों ने #चंगेज_खान को बदनाम क्यों किया?
यह जानकर बहुत से लोगों का दिमाग चकरा गया होगा क्योंकि हमारे देश में ज्यादातर लोग चंगेज खान को मुसलमान ही समझते हैं।जबकि स्तय यह नही है जी हाँ चंगेज़ खान मुस्लमान नही था
आमतौर पे लोग ये मानते है कि चंगेज़ खान है इसका मतलब वो पक्का मुसलमान ही है लेकिन ऐसा है नहीं
चंगेज खान मुसलमान नहीं था वो हिंदू धर्म की तरह ही एक प्रकृति पूजक धर्म का अनुयायी था जिसे #तेंगरिज्म कहा जाता है
तेंगरिज्म में आकाश के देवता तेंगरी को ही पूजनीय माना जाता है
इस्लाम मूर्तिपूजा का विरोध करता है जबकि तेंगरिज्म में मूर्तिपूजा होती है इसलिए इस्लाम और तेंगरिज्म के बीच एक ऐतिहासिक दुश्मनी और घृणा रही है
फिर लोगों के मन में ये सवाल भी उठेगा कि आज सारे खान मुसलमान क्यों होते हैं ये इतिहास में सामूहिक धर्मपरिवर्तन की एक अलग कहानी है
यह बात इतिहास में कही नही मिलेगी
प्राथमिक शिक्षा में जब बच्चे को देवनागरी वर्णमाला का अध्ययन कराया जाता है तो ठ अक्षर से ठठेरा शब्द का उच्चारण बच्चा करता है .. मैकाले की शिक्षा में हम केवल अक्षर ज्ञान तक सीमित रहे गौरवशाली ऐतिहासिक ठठेरा समाज के विषय में नहीं जान पाए ....
ठठेरा समाज पर समाजशास्त्रीय अध्ययन बहुत कम हुआ... जिसकी राजस्थान मध्य प्रदेश उत्तर प्रदेश बिहार बंगाल में एक 30 लाख से अधिक आबादी है यह समाज पीतल तांबे कांसा के उत्कृष्ट बर्तन बनाने में माहिर है अधिकतर बर्तन का कारोबार करते हैं।
बॉलीवुड की सर्वाधिक कमाई करने वाली बाहुबली फिल्म तो आपने देखी होगी फिल्म मैं महिष्मति साम्राज्य का उल्लेख किया गया है
महिष्मति कोई काल्पनिक नगरी नहीं थी यह महाभारत कालीन अवंती महाजनपद की समृद्धशाली शक्तिशाली राजधानी थी
जो मध्य प्रदेश के नर्मदा नदी के किनारे बसी हुई थी...
असम के बहादुर राजा पृथु: जिन्होंने बख्तियार खिलजी को युद्ध में धूल चटाई थी
क्या आप जानते हैं कि विश्वप्रसिद्ध नालन्दा विश्वविद्यालय को जलाने वाले आतंकी बख्तियार खिलजी की मौत कैसे हुई थी??
असल में ये कहानी है सन 1206 ईसवी की.!
1206 ईसवी में कामरूप में एक जोशीली आवाज गूंजती है
"बख्तियार खिलज़ी तू ज्ञान के मंदिर नालंदा को जलाकर कामरूप (असम) की धरती पर आया है... अगर तू और तेरा एक भी सिपाही ब्रह्मपुत्र को पार कर सका तो मां चंडी (कामातेश्वरी) की सौगंध मैं जीते-जी अग्नि समाधि ले लूंगा"... राजा पृथु
और , उसके बाद
27 मार्च 1206 को असम की धरती पर एक ऐसी लड़ाई लड़ी गई जो मानव अस्मिता के इतिहास में स्वर्णाक्षरों में अंकित है.
एक ऐसी लड़ाई जिसमें किसी फौज़ के फौज़ी लड़ने आए तो 12 हज़ार हों और जिन्दा बचे सिर्फ 100....
भारतीय इतिहास का इकलौता युद्ध जो लड़ा है #नागा_साधुओं ने!🙏🚩
जब #अब्दाली#दिल्ली और #मथुरा में मारकाट करता गोकुल तक आ गया और लोगों को बर्बरतापूर्वक काटता जा रहा था। महिलाओं के साथ बलात्कार हो रहे थे और बच्चे देश के बाहर बेचे जा रहे थे,
तब गोकुल में अहमदशाह अब्दाली का सामना #नागासाधुओं से हो गया।
कुछ 4 हजार चिमटाधारी साधु तत्काल सेना में तब्दील होकर लाखों की हबसी, जाहिल जेHदी सेना से भिड गए।
पहले तो अब्दाली साधुओं को मजाक में ले रहा था किन्तु
कुछ देर में ही अपने सैनिकों के चिथड़े उड़ते देख अब्दाली को एहसास हो गया कि ये साधू तो अपनी धरती की अस्मिता के लिए साक्षात महाकाल बन रण में उतर गए
तोप तलवारों के सम्मुख चिमटा त्रिशूल लेकर पहाड़ बनकर खड़े 2000 नागा साधू इस भीषण संग्राम में वीरगति को प्राप्त हो गए