अब तक हम बात कर रहे थे इस्लाम की, जहां हमने यह समझा कि इसमे कितने पंथ है और क्यों सब एक दूसरे के खून के प्यासे है।
आज समझने की कोशिश करते हैं कि क्यों ईसाई यहुदी और इस्लाम में इतनी बड़ी जंग चल रही है।
फर्क़ यह है कि ईसाई वाले इस्लाम का इस्तेमाल कर के उसे अंदर अंदर ही खत्म
करवा रहे हैं जबकि यहुदी बाकायदा जंग पर है।यहूदी, ईसाई और मुसलमानों की जंग का सच
यहूदी और मुस्लिम धर्म लगभग समान है फिर भी यहूदी और मुसलमान एक-दूसरे की जान के दुश्मन क्यों हैं? ईसाई धर्म की उत्पत्ति भी यहूदी धर्म से हुई है, लेकिन दुनिया
@Sanjay42194654
अब ईसाई और मुसलमानों के बीच जारी जंग से तंग आ चुकी है।
तीनों ही धर्म एक दूसरे के खिलाफ हैं, जबकि तीनों ही धर्म मूल रूप में एक समान ही है। आओ जानते हैं इस जंग के इतिहास का संक्षिप्त।

613 में हजरत मुहम्मद ने उपदेश देना शुरू किया था तब मक्का, मदिना सहित पूरे
@Sanjeev_Nahata
अरब में यहू‍दी धर्म, पेगन, मुशरिक, सबायन, ईसाई आदि धर्म थे। लोगों ने इस उपदेश का विरोध किया। विरोध करने वालों में यहूदी सबसे आगे थे। यहूदी नहीं चाहते थे कि हमारे धर्म को बिगाड़ा जाए, जबकि ह. मुहम्मद धर्म को सुधार रहे थे।
@Kanchan93333001
बस यही से फसाद और युद्ध की शुरुआत हुई।

सन् 622 में हजरत अपने अनुयायियों के साथ मक्का से मदीना के लिए कूच कर गए। इसे 'हिजरत' कहा जाता है। मदीना में हजरत ने लोगों को इक्ट्ठा करके एक इस्लामिक फौज तैयार की
@sah_vinod_kumar
और फिर शुरू हुआ जंग का सफर। खंदक, खैबर, बदर और ‍फिर मक्का को फतह कर लिया गया।
सन् 630 में पैगंबर साहब ने अपने अनुयायियों के साथ कुफ्फार-ए-मक्का के साथ जंग की, जिसमें अल्लाह ने गैब (चमत्कार) से अल्लाह
@sanjay7292002
और उसके रसूल की मदद फरमाई। इस जंग में इस्लाम के मानने वालों की फतह हुई। इस जंग को जंग-ए-बदर कहते हैं।
632 ईसवी में हजरत मुहम्मद सल्ल. ने दुनिया से पर्दा कर लिया।
@JangBah02098566
उनकी वफात के बाद तक लगभग पूरा अरब इस्लाम के सूत्र में बंध चुका था। इसके बाद इस्लाम ने यहूदियों को अरब से बाहर खदेड़ दिया। वह इसराइल और मिस्र में सिमट कर रह गए।
इस्लाम की प्रारंभिक जंग : हजरत मुहम्मद सल्ल. की वफात के मात्र सौ साल में इस्लाम समूचे अरब जगत का धर्म बन चुका था।
7वीं सदी की शुरुआत में इसने भारत, रशिया और अफ्रीका का रुख किया और मात्र 15 से 25 वर्ष की जंग के बाद आधे भारत, अफ्रीका और रूस पर कब्जा कर लिया।
पहला क्रूसेड : अगर 1096-99 में ईसाई फौज
@THESIKKHISBACK
यरुशलम को तबाह कर ईसाई साम्राज्य की स्थापना नहीं करती तो शायद इसे प्रथम धर्मयुद्ध (क्रूसेड) नहीं कहा जाता। जबकि यरुशलम में मुसलमान और यहूदी अपने-अपने इलाकों में रहते थे। इस कत्लेआम ने मुसलमानों को सोचने पर मजबूर कर दिया।
@rs414317
जैंगी के नेतृत्व में मुसलमान दमिश्क में एकजुट हुए और पहली दफा अरबी भाषा के शब्द 'जिहाद' का इस्तेमाल किया गया। जबकि उस दौर में इसका अर्थ संघर्ष हुआ करता था। इस्लाम के लिए संघर्ष नहीं, लेकिन इस शब्द को इस्लाम के लिए संघर्ष बना दिया गया।
@RitaSinghal6
दूसरा क्रूसेड : 1144 में दूसरा धर्मयुद्ध फ्रांस के राजा लुई और जैंगी के गुलाम नूरुद्‍दीन के बीच हुआ। इसमें ईसाइयों को पराजय का सामना करना पड़ा। 1191 में तीसरे धर्मयुद्ध की कमान उस काल के पोप ने इंग्लैड के राजा रिचर्ड प्रथम को सौंप दी जबकि यरुशलम पर सलाउद्दीन ने
@raam_thakur
कब्जा कर रखा था। इस युद्ध में भी ईसाइयों को बुरे दिन देखना पड़े। इन युद्धों ने जहां यहूदियों को दर-बदर कर दिया, वहीं ईसाइयों के लिए भी कोई जगह नहीं छोड़ी।
लेकिन इस जंग में एक बात की समानता हमेशा बनी रही कि
@RATHORERAJA_
यहूदियों को अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए अपने देश को छोड़कर लगातार दरबदर रहना पड़ा जबकि उनका साथ देने के लिए कोई दूसरा नहीं था। वह या तो मुस्लिम शासन के अंतर्गत रहते या ईसाइयों के शासन में रह रहे थे।
@devendr0372
इसके बाद 11वीं शताब्दी के अंत में शुरू हुई यरुशलम सहित अन्य इलाकों पर कब्जे के लिए लड़ाई 200 साल तक चलती रही, जबकि इसराइल और अरब के तमाम मुल्कों में ईसाई, यहूदी और मुसलमान अपने-अपने इलाकों और धार्मिक वर्चस्व के लिए जंग करते रहे।
@RahulMundlik3
इस दौर में इस्लाम ने अपनी पूरी ताकत भारत में झोंक दी।

लगभग 600 साल के इस्लामिक शासन में इसराइल, ईरान, अफगानिस्तान, भारत, अफ्रीका आदि मुल्कों में इस्लाम स्थापित हो चुका था। लगातार जंग और दमन के चलते विश्व में इस्लाम एक बड़ी ताकत बन गया था। इस जंग में कई
@mungeri89_lal
संस्कृतियों और दूसरे धर्म का अस्तित्व मिट चुका था।

17वीं सदी की शुरुआत में विश्व के उन बड़े मुल्कों से इस्लामिक शासन का अंत शुरू हुआ जहां इस्लाम थोपा जा रहा था। यह था अंग्रेजों का वह काल जब मुसलमानों से सत्ता छीनी जा रही थी। ऐसा सिर्फ भारत में ही नहीं हुआ।
@puneesh_luthra
उसी दौरान अरब राष्ट्रों में पश्चिम के खिलाफ असंतोष पनपा और वह ईरान तथा सऊदी अरब के नेतृत्व में एक जुट होने लगे।

बहुत काल तक दुनिया चार भागों में बंटी रही, इस्लामिक शासन, चीनी शासन, ब्रिटेनी शासन और अन्य। फिर 19वीं सदी कई मुल्कों के लिए नए सवेरे की तरह शुरू हुई।
@Sam_Mahakaal
कम्यूनिस्ट आंदोलन, आजादी के आंदोलन चले और सांस्कृतिक संघर्ष बढ़ा। इसके चलते ही 1939 द्वितीय विश्व युद्ध शुरू हुआ जिसके अंत ने दुनिया के कई मुल्कों को तोड़ दिया तो कई नए मुल्कों का जन्म हुआ।

द्वि‍तीय विश्व युद्ध में यहूदियों को अपनी खोई हुई भूमि इसराइल वापस मिली।
@Manojkumar18877
यहां दुनिया भर से यहूदी‍ फिर से इकट्ठे होने लगे। इसके बाद उन्होंने मुसलमानों को वहां से खदेड़ना शुरू किया जिसके विरोध में फिलिस्तीन इलाके में यासेर अराफात का उदय हुआ। फिर से एक नई जंग की शुरुआत हुई। इसे नाम दिया गया फसाद और आतंक।

इस जंग का स्वरूप बदलता रहा और
@MaheshY14820399
आज इसने मक्का, मदीना और यरुशलम से निकलकर व्यापक रूप धारण कर लिया है। इसके बाद शीतयुद्ध और उसके बाद सोवियत संघ के विघटन से इस्लाम की एक नई कहानी लिखी गई 'आतंक की दास्तां'। इस दौर में मुस्लिम युवाओं ने ओसामा के नेतृत्व में आतंक का पाठ पढ़ा।
@sidragh1
क्या है समानता यहूदी और इस्लाम धर्म में...

यहूदी और मुस्लिम धर्म में पूर्ण समानता माने तो अतिश्योक्ति नहीं होगी। कहना चाहिए कि इस्लाम 90 प्रतिशत यहूदी धर्म है। यहूदी धर्म में जो भी अच्छी बातें थी वह सब इस्लाम ने ग्रहण की।
@bkMisralOO7_O7
इस्लाम की एक ईश्वर की परिकल्पना, खतना, बुतपरस्ती का विरोध, नमाज, हज, रोजा, जकात, सूदखोरी का विरोध, कयामत, कोशर (हराम-हलाल), पवित्र दिन (सब्बाब), उम्माह जैसी सभी बातें यहूदी धर्म से ली गई हैं। पवित्र भूमि, धार्मिक ग्रंथ, अंजील, हदीस और ताल्मुद की कल्पना एक ही है।
@Pandeypiyush133
इस्लाम में आदम, हव्वा, इब्राहीम, नूह, दावूद, इसाक, इस्माइल, इल्यास, सोलोमन आदि सभी ऐतिहासिक और मिथकीय पात्र यहूदी परंपरा के हैं।
यरुशलम के लिए जारी है जंग : यरुशलम में लगभग 1204 सिनेगॉग, 158गिरजें,73 मस्जिदें,बहुत सी प्राचीन कब्रें,2 म्‍यूजियम और एक अभयारण्य है।
@Kashi_Ka_Pandit
दरअसल यह पवित्र शहर यहूदियों, मुसलमानों और ईसाइयों के लिए बहुत महत्व रखता है। यहीं पर तीनों धर्मों के पवित्र टेंपल हैं और तीनों ही धर्म के लोग इस पर अपना अधिकार चाहते हैं।

यरुशलम के मुस्लिम इलाके में स्थित
@ChhonkarShivdan
35 एकड़ क्षेत्रफल में फैले नोबेल अभयारण्य में ही अल अक्सा मस्जिद है जो मुसलमानों के लिए मदीना, काबा के बाद तीसरा पवित्र स्थान है, क्योंकि इसी स्थान से हजरत मुहम्मद स्वर्ग गए थे।

🙏🏻 हर हर महादेव 🙏🏻

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11 Sep
इसबार राहुल गांधी जीस वायनाड से चुनाव लड़े उस वायनाड और उसके इतिहास को जानना जरूरी है क्योंकि आज के समम में केरल से ISIS का संपर्क भी लगातार सामने आता रहा है।
इस लेख में बहुत सी ऐसी बातें उजागर होगी जिससे बहुत कम लोग जानते हैं।
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@bkMisralOO7_O7
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कहने को मुसलमान फिर भी पाकिस्‍तान में इनके लिए कोई जगह नहीं है।

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8 Sep
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कल के लेख में दो मुख्य फिरके सुन्नी और शिया के बारे में पढ़ा आज थोड़ा
और आगे जानते हैं।
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@Kanchan93333001 ImageImage
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@Kanubha21169684
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