अगर मैं आपसे कहूँ कि पिछले बीस साल से दुनिया भर में मुसलमानों के ख़िलाफ़ छेड़ी गई 6th Generation War(इस्लामफोबिया) (छठी पीढ़ी की जंग) का मरकज़ आज हिंदुस्तान है और उस जंग में हिंदुस्तानी मुसलमान बुरी तरह से हार रहे हैं तो क्या आप यक़ीन__1/23
करेंगे.. नहीं ना.?हाँ क्योंकि आपको तो ये भी नहीं पता कि की जंग की भी कोई पीढ़ियाँ होती हैं, आपको तो ये भी नहीं पता कि पिछले बीस साल से आपके ख़िलाफ़ इस ज़मीन की सबसे ख़तरनाक जंग जारी है, और जब आप इस जंग को समझ पाएंगे तब तक आपका वजूद ख़ात्मे तक आ चुकी होगी फिर आप चाह कर भी खुद को
नहीं बचा पाएंगे, चलिए पहले छठी पीढ़ी की जंग को जान लीजिए कि ये जंग मनोवैज्ञानिक युद्ध है यानि Psychological War और इस जंग में ज़मीनों पर नहीं ज़हनों पर क़ब्ज़ा की जाती है, इस जंग में नक़्शे नहीं ख़्याल बदले जाते हैं,इस जंग में शहर नहीं जज़्बात तहस नहस किये जाते हैं,
इस जंग में सच को झूठ और झूठ को सच बनाई जाती है, और इस्लाम में इस जंग को दज्जाल(धोका)का निज़ाम कही गई है और आज आप पूरी तरह से दज्जाली निज़ाम का शिकार हो चुके हैं और आपको ख़बर भी नहीं है।
1___:- इस दज्जाली निज़ाम का सुबूत ये है कि जो ज़ालिम आज मुसलमानों को शिकार करने वाले जानवर से
भी बदतर तऱीके से लिंच कर रहे हैं और मुसलमानों के लिए जब ये ज़मीन तंग कर दी गई है ठीक उसी दौरान उन्ही मुसलमानों की लड़कियां उन ज़ालिमों में अपना हमसफ़र तलाश रही हैं और उनको पा लेने के लिए तमाम हदें पार कर चुकी हैं यहाँ तक कि वो उनके लिए दुनिया तो क्या ख़ुदा तक से बग़ावत कर रही है
अगर किसी जानवरों के झुंड से कुछ जानवरों को रोज़ पीटा जाए तो बाक़ी बचे जानवर भी उस पीटने वाले इन्सान से दूर भागने लगेंगे लेकिन यहाँ उल्टा हो रही है, तो क्या ये बात अक़्ल के तस्लीम कर लेने के क़ाबिल है_"नहीं ना__? लेकिन ऐसा हमारी आंखों के सामने हो रही है। जानते है ऐसा इसलिए हो
रही है कि इस जंग में आपकी लड़कियों/औरतों के ज़हन पर क़ब्ज़ा कर लिया गया है, और उनकी नज़र में आप ज़ालिम हो और वो ज़ालिम फ़रिश्ते हैं__ आइये अब इस जंग को तफ़सील से समझते हैं।
2___:- पिछले सात साल में आपको मुस्लिम मर्दों की हज़ारों मॉब लिंचिंग की वीडियो देखने को मिली लेकिन किसी
मुस्लिम लड़की को एक थप्पड़ भी मारने की वीडियो नहीं देखी होगी बल्कि मीडिया पर दिन रात मुस्लिम औरतों पर मुसलमानों का ज़ुल्म दिखाई जाती है और मुस्लिम मर्दों को ज़ालिम साबित कर के असल ज़ालिमों को उनका हिमायती दिखाई जाती है इसके साथ ही मुस्लिम लड़कियों को प्यार का झांसा दे कर ऐश कराई
जा रही है__ अब आप कह सकते हैं कि वो लोग महिला सम्मान करते होंगे__??
लेकिन आंकड़े ये बताते हैं कि ये लोग सिर्फ़ मौजूदा वक़्त ही नहीं बल्कि दुनिया की तारीख़ में अपनी औरतों पर सबसे ज़्यादा ज़ुल्म करने वाले हैं, सबसे ज़्यादा कोख में बच्चियां मारने वाले हैं, सबसे ज़्यादा बलात्कार और
सबसे ज़्यादा दहेज़ हत्या करने वाले सबसे ज़्यादा घरेलू हिंसा करने वाले हैं, तो फिर कैसे आज ये लोग बेशुमार मुस्लिम लड़कियों के लिए फ़रिश्ते बन गए__??
इस खेल की शुरुआत की गई सोशल मीडिया पर पहले फ़र्ज़ी मुस्लिम लड़कियों को पेश कर के और उनको अचानक शोहरत दिला कर, उसी झांसे में आ कर
बहुत सी मुस्लिम लड़कियां सोशल मीडिया पर फ़हाशी करने लगी जिनको फ़ौरन ही दौलत और शोहरत अता कर दी गई, क्योंकि उस खेल का सारा कंट्रोल साजिश करने वालों के हाथ में है लेकिन जाहिल मुसलमान समझते हैं कि वो बहुत टेलेंटेड हैं इसलिए वो शोहरत पा रही हैं।
3___:-जब मुस्लिम लड़कियां पूरी तरह
से सोशल मीडिया पर आ गई तब अगले क़दम के तहत उनके जोड़ीदार ग़ैरमुस्लिम बनवाये गए और उनको पहले से ज़्यादा शोहरत दी गई, फिर वो जोड़ीदार उनसे शादियाँ करने लगे और इस तरह इस काम को एक ट्रेन्ड की शक्ल दे दी गई फिर असल खेल शुरू हुई सोशल मीडिया पर मौजूद आम मुस्लिम लड़कियों के हुस्न की
तारीफ़ का और इस्लाम ये बताता है कि औरत की सबसे बड़ी नफ़सानी कमज़ोरी उसके हुस्न की तारीफ़ है उसके बाद औरत दौलत, शोहरत और ताक़त की तरफ़ आसानी से माइल हो जाती है, वहीं मर्द की सबसे बड़ी नफ़सानी कमज़ोरी औरत है उसके बाद दौलत शोहरत और ताक़त, इसलिए सोशल मीडिया पर मर्दों के लिए बेशुमार
नाचने गाने वाली मुहैय्या कराई गईं और औरतों के लिए अपना हुस्न दिखाने के ज़रिए पेश किए गए और उनको दौलत शोहरत भी दी गई, आज हम देखते हैं कि 95% मुसलमानों की आँख मोबाइल पर खुलती है और रात को जब पलकें झपकने लगती हैं तब उनका मोबाइल बन्द होता है, यानि उनको बेहयाई में इतना मुब्तिला कर
दिया गया है कि वो इस्लाम की तरफ़ पलट कर भी नहीं देखते और इस्लाम के मुख़ालिफीन इस्लाम को बारीक़ी से पढ़ रहे हैं और जो इस्लाम मुसलमानों की ताक़त था वो आज उनके ही ख़िलाफ़ हथियार के तौर पर इस्तेमाल की जा रही है।
4___:- हिंदुस्तानी मुसलमानों की एक बड़ी कमज़ोरी ये है कि वो सारी
दुनिया में इस्लाम देखना चाहते हैं लेकिन उनकी ज़िंदगी में इस्लाम कितना है ये कभी नहीं देखते__और इसी कमज़ोरी को लड़कियों पर इस्तेमाल की जा रही है कि ज़ालिमों की तरफ़ से शुरुआत में उनको इस्लाम से मोहब्बत दिखाई जाती है, फिर एक बार राब्ता हो जाने के बाद आहिस्ता आहिस्ता उनको पहले
गुनाहों की लज़्ज़त चखाई जाती है फिर उनका ब्रेनवाश की जाती है__??
5___:- औरतों को निशाना बनाने की वजह भी इस्लाम ही बताता है कि दज्जाल की पैरोकार औरतें होंगी, अब मुसलमान तो दज्जाल को जानते भी नहीं हैं लेकिन दुश्मने इस्लाम बहुत अच्छे से जानते हैं और उसके निज़ाम को क़ायम करने में
पूरी शिद्दत से लगे हैं__
सारी दुनिया में शुरू किया गया इस्लामफोबिया इसलिये कामयाब नहीं हो सका कि उन्होंने अगर किसी मुसलमान की दाढ़ी खींची तो किसी ख़ातून का नक़ाब भी खींचा__
लेकिन यहाँ की इस्लामफोबिया सबसे ख़तरनाक और पूरी रिसर्च और तैयारी के साथ लागू की गई है जिसके कई चहरे है
और ये हर बात में दो तरफ़ा काम भी करती है__ यानि ताक़त को कमज़ोर की जाती है और कमज़ोरी को बढ़ावा दी जाती है__??
6___:- जैसे हम देखते हैं कि जब कोई मुसलमान नेक काम कर के ग़ैर क़ौमों को फ़ायदा पहुंचाता है तो उसको तमाम दज्जाली निज़ाम इंसानियत का मज़हब निभाना बताता और बताती है,
लेकिन जब कोई मुसलमान अपना कोई ज़ाती जुर्म करता है तब वो ही निज़ाम तमाम मुसलमानों और इस्लाम को उसका क़ुसूरवार साबित करने लग जाता/जाती है, और इस मेहनत का असर ये है कि आज आपको करोड़ों मुसलमान ये कहते मिल जाएंगे कि इंसानियत ही सबसे बड़ा मज़हब है, लेकिन सारी दुनिया मिल कर भी इंसानियत
नाम के किसी मज़हब को साबित कर दे या उस फ़र्ज़ी मज़हब का कोई सिर्फ़ एक ऐसा नेकी और भलाई का काम बता दे जिसको करने से इस्लाम रोकता हो तो मैं इस्लाम छोड़ दूंगी __??
यानि आज मुसलमानों की बे-दीनी का आलम ये है कि उनके लिए एक सफ़ेद झूठ को सच बना दी गई है क्योंकि उनको इस दज्जाली
निज़ाम में इतना मसरूफ़ कर दी गई है कि वो मुस्लिम मुआशरे में पैदा हो कर भी कभी इस्लाम के क़रीब से नहीं गुज़रते, जबकि सच ये है कि इस्लाम वो मज़हब है जो इंसानियत सिखाता है, यानि यहां भी इस्लाम के एक हिस्से को पकड़ कर मुसलमानों की नज़र में इस्लाम को छोटी साबित की जा रही है__?? ¿¿
7___:- यानि ये खेल दो तरफ़ा चल रही है एक तरफ़ आपको फ़हाशी में इतना मसरूफ़ कर दिया गया है कि आप इस्लाम और अपने मुआशरे को पलट कर भी नहीं देख पा रहे हैं और दूसरी तरफ़ उसी इस्लाम की तालिमात से आपकी जड़ें खोखली की जा रही हैं, सन 2014 से पहले भारत में___/ 1/22
2% मुसलमान हलाला जैसा लफ़्ज़ भी जानते नहीं थे लेकिन आज ज़्यादातर मुसलमान समझते हैं कि मुसलमान हलाला जैसा घिनौना जुर्म करते हैं और ये ठीक ऐसा ही है जैसे किसी ग़ैरमुस्लिम से अगर कह दो की तुम बे-ईमान हो तो वो लड़ने लगता है जबकि असल में उसका ईमान से कोई वास्ता ही नहीं है न वो
अल्लाह और उसके रसूल को मानता है लेकिन हमारे बुज़ुर्गों ने ईमान पर इतनी महनत की थी कि आज 1450 साल बाद भी हर ग़ैरमुस्लिम उस लफ़्ज़ को अपने अच्छा होने का पैमाना मानता है__लेकिन आज वो ही मेहनत हमारे साथ बुराई पर की जा रही है और हम पूरी तरह से उसका शिकार हो रहे हैं।
मुर्तद होती लड़कियों के मामले में जैसे जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं वैसे वैसे नए ख़ुलासे हो रहे हैं और जो मुसलमान इस साजिश को सिर्फ़ कुछ आवारा लड़कियों का काम समझने की भूल कर रहे हैं अगर वो अभी नहीं जागे तो उनको बाद में पछताने__/ 1/8
का भी मौक़ा नहीं मिलेगी।
ये बात साफ़ तौर से समझ लीजिये कि ये साजिश एक दो शहर या राज्यों तक नहीं है बल्कि हिंदुस्तान का कोई एक गावँ भी ऐसी नहीं मिलेगी जहाँ इस वक़्त इस साजिश का शिकार कोई मुस्लिम लड़की न हो.. ख़ुदा के वास्ते होश में आ जाए वर्ना अपनी आंखों से
अपनी नस्लों की तबाही सामने देखेंगे।
अभी भी वक़्त है कि ख़्वातीन पर दीन का ज़मीनी काम शुरू कर दिए, अगर इस काम को आज अधूरा छोड़ दिया गया तो कल कोई इसको मुकम्मल नहीं कर पाएगा, ये साजिश अब तक कि तमाम साजिशों पर भारी पड़ने वाली है।
अब तक हम लव ट्रैप की वजहों, सुधार के तरीक़ो और उस से जुड़े तमाम मसलों पर बात कर चुके हैं आइये अब लव ट्रैप के पहले और बाद की जाने वाली बड़ी ग़लतियों पर रौशनी डालते हैं और जानते हैं कि इन ग़लतियों के ज़रिए मुसलमान__/1/19
ख़ुद लव ट्रैप को कैसे खुली दावत दे रहे हैं।
1___:- लड़कियों की ग़लतियाँ- पहले लव ट्रैप की साजिश भले ही एक ख़ास संघटन ने की थी लेकिन अब हालात ये हैं कि ख़ुद कुछ दीन ईमान से ग़ाफ़िल मुस्लिम लड़कियाँ और औरतें दुनिया के सबसे ग़लीj और बदतरीn लोगों को चुन चुन कर उनकी हवस का सामान
बन जाने पर आमादा हैं और दुनिया की बदतरीन ग़लाज़त और बदतरीन गुनाह कर लेने को किसी भी हद तक जाने को तैयार हैं, क्योंकि वो दिन रात इंटरनेट और टी.वी. पर ऐसी ग़लाज़त में मुब्तिला हैं कि उसको हासिल कर लेना ही उनकी ज़िंदगी का मक़सद बन चुकी है।
जिसे दीन की इल्म है वही समझ सकते है हराम और हलाल क्या चीज है।
ज़्यादातर दुनियांवी तालीम याफ्ता पढ़ी लिखी मुस्लिम लड़की गैर मुस्लिम से शादी करके काफिर हो रहीं हैं,
इससे एक बात यह मालूम चलती है के मुसलमानों के लिए__1/6
दीनी तालीम कितनी ज़रूरी है तौहीद की मालूमात होना और अक़िदा-ए-तौहीद पर जमे रहना तौहीद पर हर हाल में क़ायम रहना मुस्लिम लड़के और "लड़कियों" के लिए बहुत ज़रूरी है।
संघीयो के एजेंडो के अनुसार मुस्लिम लड़कियों को प्यार मोहब्बत मे फसा कर उससे शादी करना और उसका धर्मान्तरण करवाना
और उसे 3,4 साल मे यूज़ कर के छोड़ देना यहीं उनका एजेंडा है और संघी और ईन जैसे हजारो गैर संघटनो से जुड़े लाखो नौजवान इस काम मे लग गए है।
अब हम यह सब जानकर भी अगर ऐसे ही हाथ पे हाथ धरे बैठे रहे तो हमारे कौम की लड़कियों के साथ बहुत बुरा होने वाली है, और बहुत बुरा हो भी रही है।