चलिए आज बात करते है भाजपा के एक संस्थापक सदस्य की, सिकंदर बख्त साहेब की, क्योंकि उनकी इस कहानी में शामिल है आरएसएस का दोमुंहापन और भाजपा की असलियत. 1/11
1952 में सिकंदर बख्त कांग्रेस से एमसीडी चुनाव जीते सिकंदर बख्त 1969 में कांग्रेस के टूटने तक कांग्रेस में रहे और फिर कांग्रेस ओ में चले गये. आपातकाल के समय एक साल जेल में रहे फिर जनता पार्टी में चले गये. 2/11
1980 में जब भाजपा बनी तब अटल बिहारी वाजपयी ने उन्हें राष्ट्रिय महासचिव बनाया और इस तरह वो भाजपा के संस्थापक सदस्य बन गए, अब बात करते है भाजपा ने इस संस्थापक के साथ क्या किया इसकी. भाजपा ने जीवन के अंत तक रहे बख्त को भाजपा ने एक चुनाव तक लड़ने का मौक़ा नहीं दिया. 3/11
उन्हें राज्यसभा में भेजा, राज्यपाल बनाया, 7 दिन का मंत्री भी बनाया मगर लोकसभा का टिकिट कभी नहीं दिया. जनता पार्टी से लोकसभा सदस्य रहे सिकंदर बख्त को लोकसभा क्यों नहीं भेजा ये रहस्य ही रहा है. 4/11
भाजपा ने अपने इतिहास में केवल केवल तीन नेताओं को लोकसभा भेजा है, शाहनवाज हुसैन, मुख्तार अब्बास नकवी और आरिफ बेग 5/11
अब बात आरएसएस की, 1952 में आरएसएस ने अपने मुखपत्र आर्गेनाइजर में एक लिख कर सिकंदर बख्त पर मुस्लिम लीग के कमांडर होने का आरोप लगाया था. साथ ही आरोप लगाया की सिकंदर बख्त ने बंटवारे के बाद कुछ कुछ मुस्लिम शरणार्थियों की प्रॉपर्टी हड़प ली 6/11
इसी वर्ष एक और सिकंदर एंड को शीर्षक के लेख में सिकंदर बख्त पर "वेश्या के पुत्र होने का आरोप लगाया था, आरएसएस के लेख के अनुसार.’ 7/11
‘सिकंदर बख्त स्वदेशी के नाम पर खद्दर पहनने के हिमायती नहीं थे. उन्हें यूरोपीय परिधान पसंद थे. लेकिन सुभद्रा उन्हें बहुत पसंद करती थीं. 1947 में वो सिकंदर बख्त के साथ उनके बस्ती हरपूल सिंह के आवास पर शिफ्ट हो गई थीं. उसके बाद वो वहीं रहीं' 8/11
यहाँ बता दें सुभद्रा जोशी उस समय की कांग्रेस की ताकतवर नेत्री थी. और आरएसएस डायरेक्टली इनडायरेक्टली दावा किया था की बख्त और जोशी में "सम्बन्ध" थे.
सुभद्रा जोशी के कद का इसी से पता चलता है की उन्होंने अटल बिहारी वाजपयी को बलरामपुर से लोकसभा चुनाव में शिकस्त दी थी. 9/11
अब ये जानिए बख्त की मौत के बाद तत्कालीन आरएसएस सुप्रीमो केसी सुदर्शन ने क्या कहा था.
सिकंदर बख्त एक सिद्धांत-स्तंभ थे.किसी तरह की राजनीतिक छुआछूत नहीं मानते थे और उनकी सबसे ईमानदार कोशिश भारत के मुसलमानों को मुख्यधारा में लाने की थी.’ 10/11
वाजपयी के ख़ास मित्र सिकंदर बख्त को रबर स्टाम्प पद ही मिले. संगठन में उनकी बहुत निर्णायक हैसियत कभी नहीं रही. फाउंडर मेंबर होने के बावजूद उन्हें कभी अध्यक्ष नहीं बनाया गया. मुस्लिम होने की कीमत तो चुकानी ही पड़ती है 11/11
आज जब देश हिन्दू मुस्लिम के वैमनस्य से भरा पड़ा है तब याद आता है भारत का इतिहास. मथुरा स्येि तथ समाधि है 15वि शताब्दी के कृष्ण भक्त रसखान की वे विट्ठलनाथ के शिष्य थे एवं वल्लभ संप्रदाय के सदस्य थे। #UnityInDiversity 1/n
ग्यारवी शताब्दी के मशहूर कवि अमीर खुसरो ने निजामुद्दीन औलिया कहने पर ‘छाप तिलक सब छीनी रे से मोसे नैना मिलायके’ कृष्ण को समर्पित किया था. #UnityInDiversity 2/n
नवाब वजिद अली शाह कृष्ण भगवान् के भक्त थे, उनके अनेक नामों से से एक कन्हैया भी था. उन्होंने राधा कृष्ण नाटक का मंचन भी कराया था. #UnityInDiversity 3/n
गृहमंत्री राजनाथ सिंह कहते है मोदी मोदी सरकार में भारत में कोई बड़ा आतंकी हमला नहीं हुआ. चलिए इसी पर थोड़ी चर्चा करते है. ग्लोबल टेररिज्म डेटाबेस के अनुसार भारत में 2014-19 के बीच 4517 आतंकी हमलो में 2164 मौते हुई और 3455 लोग घायल हुए, #झूठी_सरकार 1/n
एक अल्पविराम के अलावा मप्र में भाजपा 2003 से सत्ता पर काबिज है, चाहे चुनाव जीत कर या विधायक खरीद कर सरकार तो भाजपा की ही रही है. और अब शिवराज के नेत्रित्व वाली भाजपा सरकार प्रदेश में लाटरी और जुआ वैध कर रही है. #कंगाल_मप्र_सरकार_के_संस्कार 1/n
पहले समझ ले प्रदेश के हालात, भाजपा शासन में प्रदेश के आर्थिक हालात बद से बदतर हो गए, मार्च 2020 में प्रदेश पर Rs2,26,194.3 करोड़ का कर्ज था और ये कर्ज लगातार बढ़ रहा था. #कंगाल_मप्र_सरकार_के_संस्कार 2/n
यहाँ तक की शासकीय कर्मचारियों की तनखा देने के लिए भी सरकार को कर्ज लेना पड़ रहा है जबकि प्रदेश में GST कलेक्शन लगातार बढ़ रहा है #कंगाल_मप्र_सरकार_के_संस्कार 3/n
आज सुबह सुबह मन बड़ा प्रसन्न था, सोशल मीडिया पर खबर थी की 32 वर्ष उपरांत काश्मीर में भगवान श्रीकृष्ण का जन्मोत्सव धूमधाम से मनाया गया.
फिर इस खबर का स्त्रोत सामने आया तो मन में थोड़ा रिसर्च करने का मन हुआ, आखिर आरएसएस का मुखपत्र सच कैसे लिख सकता है? #BJP_RSS_Liars 1/n
अब आरएसएस ने लिखा है तो अफवाह तंत्र तो सक्रिय होना ही था, ऐसे अनेक बड़े बड़े सोशल मीडिया में अफवाह माफिया ने इस खबर को हवा दी. #BJP_RSS_Liars 2/n
अब बात करते है हकिकत की, ये तस्वीर है 2013 में श्रीनगर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी महोस्तव की #BJP_RSS_Liars 3/n
अब जब नरेंद्र मोदी के निर्देश पर भारत सरकार ने भारत के प्रथम प्रधानमत्री की जगह विनायक सावरकर को महत्त्व देने का निर्णय लिया है तो हमारा या कर्तव्य बनता है है की हम देश को विनायक सावरकर की याद फिर से दिलाएं #सावरकर_से_कायरकर_तक 1/n
1926 में एक पुस्तक प्रकाशित हुई थी, Life of Barrister Savarkar जिसके लेखक थे चित्रगुप्त, इस पुस्तक ने सबसे पहले विनायक सावरकर का महिमामंडन करते हुए उन्हें वीर कहा था. #सावरकर_से_कायरकर_तक 2/n
सावरकर की मौत के 20 वर्ष उपरांत इस पुस्तक का दूसरा पब्लिकेशन आया सावरक प्रकाशन के द्वारा, जिसमे रविन्द्र रामदास ने स्पष्ट किया की चित्रगुप्त और कोई नहीं स्वयं विनायक सावरकर था. अर्थात सावरकर ने स्वयं अपना महिमामंडन कर स्वयं को वीर की उपाधि दी थी. #सावरकर_से_कायरकर_तक 3/n