जैसे कि हमने निकाह पार्ट___6 मैं कहीं है कि कुवांरी लड़कियों से शादी कौन करेंगे___, दरअसल दीन ए इस्लाम मे एक से ज़्यादा निकाह करने मैं ये हिकमत भी छुपी हुई है, क्यूंकि जैसे कि हमने आपको बताई है कि दीन ए इस्लाम मे औरत का रूतबा___1/11
बहुत ज़्यादा है, जो आज तक किसी भी मज़हब मैं नहीं दी गई है, बल्कि दीगर मज़ाहिब मे तो औरत को बड़ी ही हिकारत की नज़रों से देखी जाती हैं, इसके बारे मे मैं बाद मे तफसील से पोस्ट करूँगी इंशाअल्लाह___"
•आज हम निकाह के बारे मे ही बात करेंगे, जब औरत को इतना ऊँचा दर्जा दि गई है,
तो आखिर फिर उन सौ(100) औरतों की हक़ इस्लाम कैसे छीन सकती है___• इसलिए अल्लाह ने एक से ज़्यादा निकाह करने की हुकुम अपने बन्दों को दिया है, लेकिन इसमे सबसे बड़ी रुकावट एक तो मुआशरा बनते है और दुसरी जो सबसे बड़ी रुकावट है खुद ख्वातीन हैं, उनके लौजिक भी बड़े ही अजीब होते हैं,
सबसे पहली ये है कि मैं क्यूँ अपने शौहर को किसी से बाटूं, दुनिया मे बहुत सरे लोग हैं वो क्यूँ नहीं देते दुसरों को सहारा, मैं अपनी मोहब्बत को भला क्यूँ बांटूँ, मुझे अच्छा नहीं लगेगी की मेरे शौहर किसी और के साथ वक़्त गुज़ारे और ताल्लुकात कायम करे, मैं तो जीते जी मर जाऊंगी___"
और वगैरा वगैरा____"अब मैं ऐसी खतूनों से सिर्फ एक सवाल करनी चाहती हूँ, क्या अल्लाह की मरज़ी से बढ़कर कुछ और हो सकती है एक मोमिन के लिए___, क्या हमारी मरज़ी से दीन ए इस्लाम चालेगी___, क्या ऐसी खतूनों के हिसाब से दीन ए इस्लाम कामिल नहीं है जो उनको ऐसा लगती है, मुझे मालूम है इसका
जवाब उनके पास कभी भी नहीं होगी क्यूंकि मैं एक खुद लड़की हूं, खैर वो इस दुनिया के हिसाब से चलती हैं और इस दुनिया के हिसाब से ही सोचने लग गई हैं, अगर गौर कि जाए तो हम दुनिया की सबसे बड़ी ख्वातीनों का ज़िक्र करते हैं, जिनको हम उम्मत की माँ कहते हैं, क्या उन्होंने अपनी ज़िन्दगी
बशर नहीं की__,क्या दुनिया मे उनसे बड़ी अज़मत आज किसी खातून की है, बेशक कभी नहीं, क्या उनके रूतबे से बड़ी रूतबा किसी और की हो सकती है आज, जवाब होगी हरगिज़ नहीं नहीं नहीं नहीं बिलकुल नहीं____"
फिर आज की खातून अपने आपको समझती क्या हैं जो इस अमल के लिए मना करती हैं,
शायद कोई भी खातून इसकी जवाब कभी भी नहीं दे सकती है, क्यूंकी उनके पास कोई जवाब है ही नहीं, अगर होती तो उसकी ज़िक्र भी कुरान और हदीस मैं हमे ज़रूर पढ़ने और देखने को मिल जाती, अब इसका मतलब ये भी नहीं है कि एक से ज़्यदा निकाह करना फर्ज़ हैं, यहाँ भी अल्लाह ने गुंजाईश रखी है,
जिसका जी चाहे वो करे और जिसका ना चाहे वो ना करे, लेकिन कोई सिर्फ अपने घरवालों, बीवी या मुआशरे के कहने पर नहीं करते है तो मुझे बहुत अफसोस के साथ कहनी पड़ेगी की वो गलत कर रहे हैं, क्यूंकि जो चीज़ अल्लाह ने हलाल कर दी और हुकुम दे दिया उसको किसी इंसान के कहने पर छोड़ना कमज़ोर ईमान
की निशानी है, वैसे भी आज के दौर मे अक्सरियत कमज़ोर ईमान वाली है, अगर कोई मज़बूत ईमान का काम कर लिया जाए तो इसमे किस बात की हरज है___"
आज के लिए बस इतना ही बहुत जल्द मिलूंगी, मैंने कहीं थी आज लास्ट पोस्ट करूंगी लेकिन जैसे जैसे आगे बढ़ने की कोशिस कर रही हूं निकाह को लेकर और भी
ज्यादा रिक्वेस्ट आ रही हर एक नई नई मसले दिए जा रहे है, जिसमें गौर करनी बिल्कुल जरूरी है, इंशाअल्लाह सभी भाईयों की रिक्वेस्ट को देखते हुए आगे भी जारी रहेगी मेरी पोस्ट निकाह को लेकर___"
इस पोस्ट की पूरी आर्टिकल पोस्ट नहीं की गई थी, अगर आपने इस 👇आर्टिकल को पढ़ लिए है तो अब ये बाकि आर्टिकल पढने की कोशिश करें, जो 25 ट्वीट होने के बाद बाकि add ट्वीट नहीं हो पा रही थी, जिसके कारण मैंने पूरी आर्टिकल पोस्ट नहीं कर सकीं___1/14
किस तरह शरफाराज ने टाईम रहते अपनी होशियारी दिखाई है, अगर मेरी उससे बात नहीं होती तो अल्लाह बेहतर जानने वालों मैं से है क्या होती शरफाराज की फैमली के साथ क्या गुज़रती उसके मां बाप पर___"शरफाराज मुझसे बात करना चाहता था अल्लाह का शुक्र है कि उस दिन मैंने गुस्से में ही सही,
मैंने उसे ब्लॉक नहीं की और मैंने सभी स्क्रीन शॉट पहले देखनी चाही अगर बिना देखे उसे ब्लॉक कर देती तो आज मैं सबसे बड़ी गुनाहगार होती अगर ज़ैनब मुर्तद हो जाती तो____😭
मैं बता नहीं सकती हूं शरफाराज किस तरह से टूट चुका था वो मुझसे कॉल पर बात करना चाहता था, लेकिन मैं मजबूर थी
नीचे दिए स्क्रीन शॉट पढ़िए इस भाई का नाम शरफाराज खान है, ये धनबाद (झारखंड) से ताल्लुकात रखते है, ये भाई मुझे आज से ठीक 23 दिन पहले एस.एम.एस किए थे फेसबुक मेसेंजर पर जैसा कि सब को मालूम है मैं किसी की एस.एम.एस की जवाब नहीं देती हूं___1/25
लेकिन इस भाई की बात ही कुछ और थी मैंने इनकी एसएमएस की जवाब नहीं देती थी तो ये ठीक शाम मैं मुझे मग़रिब बाद मेसेंजर पर कॉल करने लगते थे, लेकिन मैं तो ट्विटर पर ही पोस्ट पहले करती थी जब पोस्ट लिख रही होती थी तो इनका कॉल आती रहती थी मैं कट कर देती थी,एक दिन हद से ज्यादा कॉल इनका आने
पर मैंने जवाब देनी चाही तो मेसेंजर पर बहुत ज्यादा एसएमएस और स्क्रीन शॉट थी कुछ WhatsApp की तो कुछ Messenger की मैंने रीप्ले देने से पहले सारी स्क्रीन शॉट पढ़नी मुनासिब समझी उस वक़्त,
खैर मैं एक एक कर के सारी स्क्रीन शॉट पढ़ने की कोशिश की लेकिन इतनी बुरी बुरी चैटिंग की हुई थी,
इस पोस्ट पे बात करूंगी की लड़की वाले भी कम नहीं होते हैं, कई बार लड़का भले ही कितना भी नेक, मेहनतकश क्यूँ ना हो, लेकिन उसको सिर्फ इसलिये #रिजेक्ट कर दी जाती है, क्यूंकि उसके पास सरकारी नौकरी नहीं है, य़ा फिर____1/11
___आजकल ये चलन एक फैशन बन चली है मुआशरे मैं, दरअसल ये भी एक तरीके की खरीद फरोखत है, इसमे लड़के वाले नहीं खरीदते हैं बल्कि इसमें लड़की वाले अपनी लड़की के लिए बेहतर लड़का खरीद लेते हैं, और एक तरह की बज़ार की नई क़ीमत मुकर्रार
हो जाती है, जिस तरह पहले कोई दुल्हा अगर 2 लाख के खर्चे मैं आ जाते थे, लेकिन इसके बाद कोई भी दूल्हा 3 य़ा उससे भी ज़्यादा मैं खरीद ली जाती है, लड़की वाले भी अपने पैसों और रूतबे की ताकात दिखाने से आजकल पीछे नहीं हटते दिखाई दे रहे हैं___"
आए थोड़ी तवज्जो दी जाए ये तमाम वीडियो पर जो काफी भाईयों ने मुझे ईन वीडियो पर Mention किए है___"
जानते है आखिर ये सब वीडियो पर मुझे ही क्यूँ mention करते है, तो जान ले आज, क्यूंकि मैंने इस मुहिम को छेड़ रखी है___और मारते दम तक इस मुहिम में शामिल रहूँगी___1/13
जब तक संगी द्वारा फैलाई गई गंदगी साफ ना हो जाए हमारी मुआशरों से तो, आए एक नई वीडियो के साथ अपनी बात रखती हूं जो वीडियो मऊ की बताई जा रही है__"लेकिन इस तरह की हज़ारो वीडियो मेरे पास आती रहती है, लेकिन मैं शेअर नहीं करती हूं, क्योंकि अपने ही लोग सबसे पहले मुझे नसीहत करने लगते हैं
खैर इस वीडियो पर या mention किए गए तमाम वीडियो पर मैं कुछ नहीं कहूँगी, लेकिन एक बात जरूर कहूँगी___••…
तो आए आगे बड़ने की कोशिश करती हूं''
1___:-आज इस बदलते वक्त के साथ मुसलमानों ने खुद को बदलने में कोई कसर नहीं छोड़ी है, आलीशान मकान बनवाने में मुसलमान पीछे नहीं,
जैसे कि हमने अपनी पिछली पोस्ट मे बात की थी एक से ज़्यादा निकाह की तो आज हम अपनी बात को आगे बढ़ाते हैं और बात करते हैं, इस सुन्नत के पीछे छिपी हुई हिकमत की, जैसे कि हमसब जानते हैं की कोई भी सुन्नत बिना हिकमत के नहीं है____1/11
यानि हर सुन्नत के पीछे कोई ना कोई बेहतरीन हिकमत ज़रूर होती है___"
•अलबत्ता हमे उसको समझने मे या उसको जानने मे परेशानी की सामना करनी पड़ती है,कई बार तो ऐसा भी होती है कि हम हिकमत भी जानते हैं और उसकी अजर भी जानते हैं जो हमे रोज़े हश्र मे मिलेंगी, लेकिन उसके बावाजूद
हम ऐसी सुन्नतो पर अमल करने से कतराते हैं, क्यूंकि हमे मुआशरे से डर लगता है, क्यूंकी आजकल हमने अपने रब से डरना छोड़ दिया है बल्कि मुआशरे से बहुत ज़्यादा डरने लगे हैं, और जब तक ऐसे ही रहेगी हमारी हालत बद से बदतारीन होती जाएगी___"
बहुत बहुत धन्यावाद देती हूं हाई कोर्ट को जिन्होंने सही फैसला सुनाए है___"
मैं तमाम मुस्लिम भाईयों से अपील करती हूं ये फिल्म जरूर देखने जाए, बस आपकों इस फिल्म को देखने की नज़रिए को बदलनी होगी, करनी ये है कि हर एक सीन को उल्टा समझ लें___" क्योंकि जैसे कि कोर्ट ने भी साफ साफ 1/5
लफ़्ज़ों मैं कहीं है कि लव जिहाद कोई साज़िश है इसकी कोई सबूत नहीं है, लेकिन आज हम सभी जानते है और वो सड़ी हुई समाज भी बखूबी जानते है कि ये हक़ीक़त भी है, भगवा लव ट्रेप एक साज़िश है, जो आए दिन हमारी मुआशरे की मुस्लिम ख़्वातीनों को फाँस रहे हैं उसकी जिन्दगी बर्बाद कर रहे हैं___"
भगवा लव ट्रेप की साज़िश को एक दो लफ़्ज़ों मैं बयां नहीं कर सकती हूँ ये बहुत बड़ी साज़िश के तहत ये संघी हमारी मुआशरे की ल़डकियों को कैसे अपने झूठे प्यार मोहब्बत की दुहाई दे कर फाँस रहे हैं उनकी जिंदागी बर्बाद कर रहे हैं, इसकी सबूत मुझे देने की कोई जरूरत नहीं है, ऐसे कई बयान आपको