थ्रेड.
नजीब भी काेई और नही है...
यह नजीब की अम्मी @FatimaNafis1 है जाे 5 साल से अपने बेटे के इंतजार में गम के साये में अपनी जिदंगी गुजार रही है जिन्हें अबतक ना ताे अपना बेटा मिला और ना ही इंसाफ मिला
क्याेंकि यहां दस्तूर ही एैसा है जहां इंसाफ के लिए दरदर की ठाेकरें खाना पड़ता है
नजीब अहमद, जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (JNU - जेएनयू) का एमएससी बायोटैकनॉलजी के पहले साल का एक हाेनहार छात्र था ।
14 अक्टूबर 2016 को उसके और @abvpjnu के गुंडाें के बीच झगड़ा हुआ जिसके बाद वह 15 October 2016 से कैंपस से गायब है।
एबीवीपी RSS के छात्र विंग गुंडे हैं
उसी एबीवीपी गुंडे गैंग के काेमल शर्मा,जयंत कुमार और उनके साथियाें ने 5 जनवरी 2020 काे मास्क पहन कर JNU में आतंक मचाया था लेकिन उन लाेगाें पर क्या कारवाई हुई?
कुछ नही. @DelhiPolice जिन्हें अबतक पकड़ ना सकी,
ना उनसब के खिलाफ काेई कारवाई हुई?
नजीब और एबीवीपी के बीच झगड़ा हुआ
क्या इसकी ढंग से जाँच हुई?
दिल्ली पुलिस बस नाम का काम कर छाेड़ दिया और चुपचाप बैठ गया फिर एैसे सिस्टम से इंसाफ की उम्मीद कैसे की जाए
वहीं दुसरी तरफ JNU प्रशासन जाे नजीब मामले में लापरवाही बरती और गायब हुए छात्र की अनदेखी की जाे एक शर्म की बात है.
अब भी नजीब की मां @FatimaNafis1
अपने बेटे के गायब हाेने की दर्द काे अपने सीने में छूपा रखी है और अपने बेटे के वापस लाैटने के इंतजार में खाेई हुई है और #WhereIsNajeeb
जैसे सवाल अब भी उनके लबाें पे बरकरार है
लेकिन इस भ्रष्ट सिस्टम काे इसका जर्रा बराबर भी काेई फर्क नही पड़ता..
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यह देश नाजी जर्मनी के तर्ज पर चल पड़ा है
हिटलर और उसके समर्थक भी एक खास कम्युनिटी काे टार्गेट किया था और यहां भी एक कम्युनिटी को टार्गेट करने के लिए बहुसंख्यक समाज के हर तबके में मुसलमानों के प्रति नफरत,घृणा फैलाया जा रहा है जिसका उदाहरण आप काे हर दिन देखने काे मिल जायेंगे।
आज उसी नफरत और घृणा का नतीजा है कि हर दिन कहीं ना कहीं आप काे किसी मुस्लिम की लिंचिंग करते हुए,किसी गरीब मुस्लिम काे पीटते हुए वीडियाे मिल जायेंगे
कभी किसी गरीब दुकानदारों काे जबरन अपनी दुकानें बंद कराने की वीडियो मिल जायेंगे।
लेकिन एैसे आतंकी गुंडाें पर बस नाम के कारवाई हाेती है
वहीं किसी मुस्लिम नाम देखते ही कानून का हाथ लंबा हाे जाता है उसे कैसे जेलाें में डाला जाये,सब पैंतरे खेले जाते हैं लेकिन अफसाेस कानून का हाथ उस वक़्त बाैना हाे जाता है जब काेई भगवा सामने हाे,
यहां मुसलमानों के साथ नाइंसाफी में दिन-बा-दिन इजाफा हाे रहा है जाे एक भयावह स्थिति है
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सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी इस्लामी तारिख का वह नाम है जिन्हें भुलाया नही जा सकता है वह एक एैसे सिपह सालार और जंग जू थे जिनके नाम सुनते ही युराेपी फाैज कांपने लगते थे 2अक्टूबर 1187 आज ही के दिन सुलतान ने युराेप के मुत्ताहिदा फाैज काे एैसा धूल चटाया था कि
हथियार डालकर रहम की भीख मांगने लगे थे और 88 साल के बाद एक बार फिर यहिदुयाें के कब्जे से बैतूल मुकद्दस फतह हुआ था
सुलतान सलाहुद्दीन अय्यूबी, अय्यूबी सल्तनत के बानी थे इन्हाेंने बहुत ही कम वक़्त में अपना एक नाम, रूतबा और शहंशाही कायम कर ली थी
उसी का नतीजा था कि उन्हाेंने इस्लामी तारिख में अपना छाप छाेड़ा था
एक तरफ जहां वह जंग के माहिर थे ताे दुसरी तरफ रहम दिल और फैय्याज थे हर मजहब के मानने वाले की इज्ज़त करते थे
मुसलमानों से लेकर सलीबी दुनिया भी उनकी इज्ज़त करते थे
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क्या सारा इल्जाम आ-तंकी #BijoyBaniya
पर ही लगनी है?
या @assampolice जिसने Civilian पर गाेलियां चला कर अपना बर्बर चेहरा दिखाया उन पर भी हत्या का आराेप तय हाेगा?
आप केवल इस कैमरामैन काे दाेष मत दीजिए, असम पुलिस काे भी कटघरे में खड़ा कीजिए जिसने वहां मुसलमानों का नरसंहार किया
आप @himantabiswa की भी बात कीजिए जिसने800मुस्लिम परिवारों का घर उजाड़ दिया मस्जिदों काे ताेड़ा गया जब इतने में मन नही भरा ताे लाठी,डंडे,बल का प्रयाेग कर खुनी खेल खेला गया
जिस कैमरामैन काे अरेस्ट करने की बात की जा रही है दरअसल @assampolice इसके आड़ में अपना बर्बर चेहरा छुपा रही है
सारा जाेर ताे बस मुसलमानों पर ही चलना है क्याेंकि ना ताे इसके आगे-पीछे काेई है और ना ही काेई खुलकर विराेध करने वाला है,
अगर विराेध करेगा भी ताे इल्जाम भी मुसलमानों पर ही लगा कर मैटर close कर दिया जायेगा.
हमें आजादी एैसे ही नही मिल गए इस देश काे आजाद कराने के लिए हमारे उलेमा और अकाबीरीन नें अपनी जान और माल तक कुर्बान कर दिए,
तब जाकर हमें यह आजादी मिली
अंग्रेजाें के खिलाफ जंग-ए आजादी की शुरुआत सबसे पहले नवाब सिराजुद्दाैला ने 1756 में की थी
फिर हम शेर-ए हिंद टीपू सुल्तान काे कैसे भूल सकते हैं जिन्होंने अंग्रेजों के अंदर हड़कंप मचा दी थी और इस देश काे बचाने की खातिर 1782 से लेकर 1799 तक एक अकेले अंग्रेजों के ललकारे और उन सब की कमर ताेड़ दी फिर लड़ते हुए इस देश की खातिर अपनी जान कुर्बान कर दी
1857 में अंग्रेजाें के खिलाफ फिर यह जंग शुरू हुई जिसमें बहादुर शाह जफर और उसके दाे बेटे और एक पाेते शहीद कर दिए गये.
जंग-ए आजादी की तहरीक और उसके बानी हाेने का शर्फ #हुज्जतुल_इसलाम हजरत माैलाना शाह अलिउल्लिाह माेहाद्दिस देहलवी हैं जिन्होंने अग्रेंजाें और मरहटाें काे खदेड़ा था