आज हम ऐसी बात पर आप लोगों की गौर ओ फिक्र करने की कोशिश करेंगे, जो हर मुसलमान बाखूबी जनते है और समझते है, हम अक्सर एक बात बार बार दोहराते हुए नज़र आ जाते है कि मुसलमानों पर बहुत ज़्यादा ज़ुल्म ढाए जा रहे है___1/10
अगर देखा जाए तो दुनिया की हालात भी इसी की तरफ इशारे कर रहे है, जहां देखो मुसलमानों पर कत्ल ओ गारत की एक दौर चलती हुई दिखाई दे रही है, ये दौर वैसे तो एक सदी से भी ज़्यादा पुराना है,लेकिन इसने जो तेज़ी पकड़ी है वो सन 2001 से पकड़ी है, आपको याद होगा
#worldtradecentre का वो किस्सा जिसमें एक शैतानी चाल के तेहत पूरी दुनिया के मुसलमानों को कासूरवार ठहरा कर पूरी दुनिया में बदनाम कर दी गई थी, इसी वजह से #अफगानिस्तान में जंग मुसल्लत कर दी गई, टनो के हिसाब से बारूद बरसाई गई, लाखों की तादाद में इंसानो, बच्चों और
औरतों को कत्ल कर दी गई थी____"
इसी तरह #फिलिस्तीन में भी मज़लूमों पर तशदुद की जा रही है जिसको आज पूरे 100 साल से ज़्यादा होने को है, उधर #सीरिया को तबाह और बर्बाद कर दी गई है, उससे पहले #इराक पर हमले की गई, मुसलमानों को आपस मे लड़ाई जा रही है, और मुसलमान भी आपस मे लड़ कर अपनी
ताकत पर फक्र कर रहे हैं, उनको ये भी नहीं मालूम भाई से जीत कर और भाई को हरा कर कौनसी बहादुरी के काम कर रहे है___"
क्यूंकि हम दीन ए इस्लाम के मानने वाले है, जहां हमे दुशमनों के साथ भी नरमी से पेश आने को कहीं गई है, जहां जंग मे लड़ते वक़्त भी दुशमनों के हुकूक की ख्याल करनी बताई गई
है, जब हमे दुशमनों के साथ ऐसी सलूक करने को कहीं गई है, तो आखिर हमे अपने भाईयों को कत्ल करने की हुकुम किसने दी है फिर, जो हम अपने ही भाईयों के खिलाफ जंगें लड़ रहे हैं____"
क्या ऐसी ही तालिमात हासिल की है हमने___" ये दीन-ए-इस्लाम बिलकुल भी नहीं है, अफसोस हम दीन-ए-इस्लाम की
तालिमात से बहुत दूर जा चुके है, जिसकी वजह से आज हमारे हालात इतनी ज़्यादा खराब हो चुके है कि जो चीज़ हमे बताई गई है, जो तालिमात हमें दी गई है, जिनपर हमे चलने को कहीं गई है, आज हम उनको छोड़ कर बहुत बहुत दूर नज़र आ रहे है____"
दीन-ए-इस्लाम के मानने वाले कभी बेवाकूफ नहीं हो सकते,
कभी गाफिल नहीं हो सकते, कभी भी ज़ालिम नहीं हो सकते,कभी भी कमज़ोर नहीं हो सकते, डरपोक यानी बुज़दिल नहीं हो सकते, लेकिन आज के मुसलमानों में ये सब चीज़ें बड़ी ही कसरत से पाई जाती है, जिस से साफ साफ इल्म हो जाती है कि हम मुसलमान तो हो सकते है लेकिन दीन-ए-इस्लाम के पाबन्द बिलकुल भी
नहीं है___"
और जब तक हम दीन-ए-इस्लाम की पाबन्दी अपनी ज़िन्दगियों में नहीं करेंगे, दीन ए इस्लाम के हिसाब से खुदकी ज़िन्दगी नहीं गुजारेंगे हम पर ये हालात ऐसे ही बरक़रार रहेंगी, इसलिए बेहतर है अपनी ज़िन्दगी में दीन-ए-इस्लाम को नाफिस करें, और इसको नाफिस करनी की कोई और वक़्त नहीं
आयेगी, आज से और अभी से इस काम को शुरू कर दें, क्यूंकि मौत कभी भी आ सकती है___"
आज के लिए बस इतना ही जल्द मिलती हूं, इसी पोस्ट के पार्ट 2 को लेकर,
सय्यद मरयम लियाकत हुसैन___/
नोट___:- #BhagwaPremJal पर भी पोस्ट जारी रहेगी इंशाअल्लाह___"
हिना उर्फ महदी एक खूबसूरत मुस्लिम लड़की थी, उनकी शादी अहमदाबाद में एक मुस्लिम लड़के से हुई थी, लेकिन साढ़े तीन साल बाद वे चली गई, चूंकि वह आज़ादी से ज़िंदगी गुजारना चाहती थी तो एक गैर मुस्लिम शादीशुदा पुरुष से प्यार में पड़कर__1/6
दूसरी बीवी के तौर लिव इन में रहने लगी, लेकिन 10 महीने बाद ही उसके लिव इन पार्टनर+ हसबैंड ___सचिन दीक्षित___ ने उसका गला घोंटकर हत्या कर दी, और उसके मासूम 10 माह के खूबसूरत बच्चे को गांधीनगर में फ़ेंक दिया।
मेरी प्यारी बहनों___"आंखे खोलो, यह लोग सिर्फ आपको बर्बाद करना चाहते हैं,
और उसके लिए प्यार का नाटक रचाएंगे और जब आपको अच्छे से यूज़ कर लेंगे तो आप का यहीं अंत होनी लाज़मी है या इससे भी बुरा।😥😢
____माँ बाप के लिए मेरी राय____
गलती सब से होती है,,और ऐसी लड़कियों पर ब्लैक मैजिक भी होती है ( रिलेटिव के मुताबिक )इनसे नफरत नही करनी चाहिए,,ये रूहानी
आज लोग मुझसे मेरे बारे मैं जानना चाहते हैं, जो मुझे जानते है वो तो ठीक है, ऐसा नहीं है कि लोग मुझे नहीं जानते है काफी तादात मैं भाई लोग है हमारे मुआशरे के जो मुझे बेहतर जानते है, जो मुझे नहीं जानते उन्हें भी हक है___1/18
मेरे बारे मैं जानने की लेकिन बात यहीं पर खत्म नहीं होती है, आखिर क्युं मेरे बारे मैं जानना चाहते हैं ये लोग, आखिर मुझमे ऐसी क्या खास बात है, कौन सी बात इनके लिए लिख रही हूँ, आखिर मैंने ऐसी कौन सी काम की हूं जो अपनों से लेकर गैरों तक मुझे जानने की कोशिश मैं लगे है____"
सवाल नंबर 1____" मैं किसी के बारे मैं जानने की कोशिश नहीं करती हूं और ना किसी के बारे मैं बात करती हूं___"
सवाल नंबर 2____" जो मुझे जानते है मैं सिर्फ उन्हीं से बात करती हूं, क्युकि मुझे उन पर पूरी तरह से भरोसा/यकीन है कि मेरी जानकारी वो अपने तक ही रखेगे___"
मुस्लिम शाहज़ादियो के नाम से ग्रुप बनाते है ये संघी लोग और भगवा लव ट्रेप को बड़ी आसानी से अंजाम दे जाते है, लेकिन अफसोस उन बेहयाई ल़डकियों पर जो बिना जाने ऐसी ऐसी हजारों ग्रुप से जुड़ जाते है, लेकिन ये कभी नहीं देखती है__1/18
कि अखिर ग्रुप admin कौन है मुस्लिम या गैर मुस्लिम____"
जरा गौर करिए आज Facebook पर अनगिनत ऐसे मुस्लिम नाम से ग्रुप हमारी नजरों के सामने होती है, लेकिन फिर भी जाने बेगैर हम ग्रुप मैं add हो जाते है, वहां पर अनजाने मैं ऐसे ऐसे ल़डकियों से और लडक़ो से बात करने लगते है ये सोच कर की
ये मुस्लिम ग्रुप है तो मुस्लिम ही सब होगे लेकिन हम ईन संघीयो के चलो से काफी अंजान होते है, ये कैसे कैसे चाल चलते है खबर नहीं हमे जरा भी इल्म नहीं है, मैने ईन संघीयो के साजिशों पर काई बार अपनी आर्टिकल मैं जोर दी है ये मीठी मीठी बात करते है इस्लाम को लेकर___"
इस पोस्ट की पूरी आर्टिकल पोस्ट नहीं की गई थी, अगर आपने इस 👇आर्टिकल को पढ़ लिए है तो अब ये बाकि आर्टिकल पढने की कोशिश करें, जो 25 ट्वीट होने के बाद बाकि add ट्वीट नहीं हो पा रही थी, जिसके कारण मैंने पूरी आर्टिकल पोस्ट नहीं कर सकीं___1/14
किस तरह शरफाराज ने टाईम रहते अपनी होशियारी दिखाई है, अगर मेरी उससे बात नहीं होती तो अल्लाह बेहतर जानने वालों मैं से है क्या होती शरफाराज की फैमली के साथ क्या गुज़रती उसके मां बाप पर___"शरफाराज मुझसे बात करना चाहता था अल्लाह का शुक्र है कि उस दिन मैंने गुस्से में ही सही,
मैंने उसे ब्लॉक नहीं की और मैंने सभी स्क्रीन शॉट पहले देखनी चाही अगर बिना देखे उसे ब्लॉक कर देती तो आज मैं सबसे बड़ी गुनाहगार होती अगर ज़ैनब मुर्तद हो जाती तो____😭
मैं बता नहीं सकती हूं शरफाराज किस तरह से टूट चुका था वो मुझसे कॉल पर बात करना चाहता था, लेकिन मैं मजबूर थी
नीचे दिए स्क्रीन शॉट पढ़िए इस भाई का नाम शरफाराज खान है, ये धनबाद (झारखंड) से ताल्लुकात रखते है, ये भाई मुझे आज से ठीक 23 दिन पहले एस.एम.एस किए थे फेसबुक मेसेंजर पर जैसा कि सब को मालूम है मैं किसी की एस.एम.एस की जवाब नहीं देती हूं___1/25
लेकिन इस भाई की बात ही कुछ और थी मैंने इनकी एसएमएस की जवाब नहीं देती थी तो ये ठीक शाम मैं मुझे मग़रिब बाद मेसेंजर पर कॉल करने लगते थे, लेकिन मैं तो ट्विटर पर ही पोस्ट पहले करती थी जब पोस्ट लिख रही होती थी तो इनका कॉल आती रहती थी मैं कट कर देती थी,एक दिन हद से ज्यादा कॉल इनका आने
पर मैंने जवाब देनी चाही तो मेसेंजर पर बहुत ज्यादा एसएमएस और स्क्रीन शॉट थी कुछ WhatsApp की तो कुछ Messenger की मैंने रीप्ले देने से पहले सारी स्क्रीन शॉट पढ़नी मुनासिब समझी उस वक़्त,
खैर मैं एक एक कर के सारी स्क्रीन शॉट पढ़ने की कोशिश की लेकिन इतनी बुरी बुरी चैटिंग की हुई थी,
इस पोस्ट पे बात करूंगी की लड़की वाले भी कम नहीं होते हैं, कई बार लड़का भले ही कितना भी नेक, मेहनतकश क्यूँ ना हो, लेकिन उसको सिर्फ इसलिये #रिजेक्ट कर दी जाती है, क्यूंकि उसके पास सरकारी नौकरी नहीं है, य़ा फिर____1/11
___आजकल ये चलन एक फैशन बन चली है मुआशरे मैं, दरअसल ये भी एक तरीके की खरीद फरोखत है, इसमे लड़के वाले नहीं खरीदते हैं बल्कि इसमें लड़की वाले अपनी लड़की के लिए बेहतर लड़का खरीद लेते हैं, और एक तरह की बज़ार की नई क़ीमत मुकर्रार
हो जाती है, जिस तरह पहले कोई दुल्हा अगर 2 लाख के खर्चे मैं आ जाते थे, लेकिन इसके बाद कोई भी दूल्हा 3 य़ा उससे भी ज़्यादा मैं खरीद ली जाती है, लड़की वाले भी अपने पैसों और रूतबे की ताकात दिखाने से आजकल पीछे नहीं हटते दिखाई दे रहे हैं___"