छत्तीसगढ़ में दुर्गा भक्तों के कुचले जाने का कोई खास संज्ञान नहीं लिया गया !
जसपुर को किसी ने लखीमपुर नहीं बनाया , जबकि यहाँ देवीभक्त कुचले गए थे !
बनाया तो किसी ने सिंधु बॉर्डर को भी ललितपुर नहीं , जबकि यहाँ तो दलित की नृशंस हत्या हुई थी ?
मीडिया ने भी छत्तीसगढ़ में उतनी रुचि ली न दिल्ली में !
काश घटनाएँ यूपी में हुई होती या फिर उनके शासित राज्यों में ?
फिर भला काहे का पायता और काहे का दशहरा ?
अब तो सब दशहरा मनाते रहे , छुट्टियाँ मनाते रहे , न पीर उपजी , न फोटो खिंचे , न दर्द हुआ !
ऐसे सैट होते हैं नैरेटिव । अर्जुन को जैसे सिर्फ और सिर्फ मछ्ली की आँख नजर आ रही थी , उन्हें सिर्फ मोदी नजर आते हैं । घटनाओं के दर्द अब नहीं हुआ करेंगे । हर दुर्घटना या घटना को देखने का नजरिया राज्य बना करेगा । हम हनुमानगढ़ में दलित की हत्या हो या किसानों के बाड़े में ,
वह मात्र एक दुर्घटना होगी । बीजेपी शासित राज्यों की सामान्य दुर्घटनाओं की बात ही कुछ और है । ललितपुर पर महाराष्ट्र बन्द होंगे , पालघर पर नहीं , छत्तीसगढ़ पर नहीं । यह राजनीति का नैरेटिव है जो सैट हो चुका है ।
दरअसल भविष्य के ये अजेंडे हैं ।
देश को उस तरफ ले जाया जा रहा है जब हिंसा का विधिवत प्रायोजन होगा । भविष्य की चुनावी रूपरेखा बनाते हुए एक दुर्घटना कराओ टीम भी गठित हुआ करेगी । भारत के चुनावों में दंगे और हिंसा तो होते आए हैं , अब दुर्घटना कराने के प्रकोष्ठ भी बना करेंगे ।
अभी देखना , आने वाले चुनावों में यह सब दिखाई देगा । सम्भव है इस नैरेटिव में किसानों और बॉर्डर्स धरनों का खुला प्रयोग भी जगह जगह शुरू हो जाए । एक ही लक्ष्य , एक ही मकसद । कहीं से भी हो , निशाने पर हर बार वही शख्स लाया जाएगा ।
पिछले सात सालों से केंद्र में भाजपा के नेतृत्व में सरकार चल रही है । तो क्या इन 2555 दिनों में मोदी सरकार ने ऐसा एक भी काम नहीं किया जो आपको पसंद आया हो ? सात सालों में तो दुश्मन का भी कोई एक काम पसंद आ जाता है , यह तो देश की जनता द्वारा पूर्ण बहुमत से चुनी हुई सरकार है ?
आपको तो कट्टर शत्रु चीन के भी कईं काम इतने पसंद आते हैं कि आप मिलने के लिए चीनी दूतावास चले जाते हैं ? आपके आदमी तो दुश्मन के देश पाकिस्तान जाकर बाजवा और इमरान को गले लगा आते हैं ? तो क्या 2555 दिनों में केंद्र की सरकार ने एक भी काम देश हित में नहीं किया ?
सवाल आपसे इसलिए हैं , चूंकि आप देश का सबसे पुराना दल हैं । बेशक आपकी स्थापना एक अंग्रेज ने की पर आप देश का एक आंदोलन बन गए । हमारे बड़े बड़े राष्ट्रनायक आपके बैनर तले आए । परन्तु 2555 दिनों में आपकी मति क्यौं मारी गई ? बेशक आप बड़े लोग हैं , पर देश से बड़े नहीं ।
किसने आपको यह हक दिया कि आप पुलवामा को भी चुनाव से जोड़ें और सेना की सर्जिकल स्ट्राइक्स को भी ? आपको किसने अधिकार दिया कि आप चार राज्यों के बॉर्डर पर बीएसएफ का दायरा बढ़ाने पर भी आपत्ति करें ? मतलब लखीमपुर पर भी राजनीति और देश की सुरक्षा पर भी राजनीति ?
हरियाणा के पानीपत जिले में एक गाँव है चुलकाना. इसे चुलकाना धाम भी कहते हैं.
यही वो स्थान हैं जहाँ घटोत्कच पुत्र बर्बरीक का शीश भगवान श्रीकृष्ण ने मांग लिया था.
कथा है जब तीन वाणधारी बर्बरीक कुरुक्षेत्र युद्धस्थल की ओर जा रहा था तब
श्रीकृष्ण ने इसी स्थान पर वेश बदल कर उसे रोका था.
बर्बरीक के यह कहने पर कि वह केवल हारते हुए पक्ष की ओर से ही युद्ध करेगा श्रीकृष्ण चिंतित हो गए. यह बेहद गंभीर बात थी. इस तरह तो कौरव और पांडव दोनों का सफाया हो जायेगा. क्योंकि कोई एक पक्ष तो हारेगा ही और बर्बरीक उसकी तरफ से
युद्ध करने लगेगा. जब दूसरा पक्ष हारने लगेगा तो बर्बरीक पाला बदल कर उसकी तरफ हो जाएगा. इसका परिणाम यह होगा कि एक समय ऐसा आएगा जब दोनों पक्षों का सफाया हो जायेगा.
बर्बरीक का कहना था सम्पूर्ण विश्व को नष्ट करने के लिए उसका एक वाण ही बहुत है. अपनी बात सिद्ध करने के लिए
रसोई में नल से पानी रिस रहा था, तो मैंने एक प्लंबर को बुला लिया। मैं उसको काम करते देख रहा था।*.
उसने अपने थैले से एक रिंच निकाली। रिंच की डंडी टूटी हुई थी। मैं चुपचाप देखता रहा कि वह इस रिंच से कैसे काम करेगा?
*उसने पाइप से नल को अलग किया। पाइप का जो हिस्सा गल गया था,
उसे काटना था। उसने फिर थैले में हाथ डाला और एक पतली-सी आरी उसने निकाली। आरी भी आधी टूटी हुई थी।*.
मैं मन ही मन सोच रहा था कि पता नहीं किसे बुला लिया हूं? इसके औजार ही ठीक नहीं तो फिर इससे क्या काम होगा?
*वह धीरे-धीरे अपनी मुठ्टी में आरी पकड़ कर पाइप पर चला रहा था।
उसके हाथ सधे हुए थे। कुछ मिनट तक आरी आगे-पीछे किया और पाइप के दो टुकड़े हो गए। उसने गले हिस्से को बाहर निकाला और बाकी हिस्से में नल को फिट कर दिया।*
इस पूरे काम में उसे दस मिनट का समय लगा।
*मैंने उसे 100 रूपये दिए तो उसने कहा कि इतने पैसे नहीं बनते साहब। आप आधे दीजिए।*
🙏 जय श्री राम 🙏
*अंधभक्ति किसे कहते हैं, चलो आज समझते हैं*🤔 1. कांग्रेस की स्थापना अंग्रेजो ने की,
ये "स्थानीय राष्ट्रिय पार्टी" नहीं अंग्रेजों की पार्टी थी, ("अंधभक्ति") 2. नेहरू ने चंद्रशेखर आजाद की खबर अंग्रेजों को देकर उन्हें मरवा दिया.... ("अंधभक्ति")
3. लाल बहादुर शास्त्री को मरवाया... फिर भी ("अंधभक्ति") 4. 1923 में नाभा रियासत में गैर कानूनी ढंग से प्रवेश करने पर अंग्रेजों ने नेहरू को 2 साल की सजा दी,
तब नेहरू ने माफीनामा देकर दो हफ्ते में ही अपनी सजा माफ करवा ली,
( "अंधभक्ति" ) 5. नेहरू ने कश्मीर, लद्दाख, अरुणाचल का
हिस्सा चीन, पाकिस्तान को दे दिया और खुद को भारत रत्न दे दिया..
है ना ("अंधभक्ति") 5. नेहरू ने नेपाल को भारत में मिलाने का प्रस्ताव ठुकरा दिया था,
फिर भी "अंधभक्ति" 6. UN में स्थाई सदस्यता के लिए मना किया फिर वही भीख मांगने पहुंचा, कश्मीर का मुद्दा
गृहमंत्री अमित शाह जी के आदेशानुसार गृह मंत्रालय एक एडवाइजरी जारी करके पंजाब के भारत पाकिस्तान सीमा से 50 किलोमीटर दायरे तक एरिया को बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स BSF के हवाले कर दिया है !! अब BSF बिना राज्य कानून के किसी भी तरह का कार्यवाई कर सकती है !!
अब BSF बिना रोकटोक के आतंकवादीयों की तलाशी, हथियार सप्लायर, नशे के तस्कर की तलाश और घरों की तलाशी 50km के दायरे में कर सकते हैं !! अब बहुत सारे शहर इसकी जद में आ जाएंगे.
अब धमाकेदार बात यह है कि, पंजाब के बाद अब पश्चिम बंगाल ओर असम के लिए भी केन्द्रीय गृह मंत्रालय एडवाइजरी
जारी किया है !! अब इसको लेकर कुछ दलों में हड़कंप मच गया है. अब पंजाब की तरह BSF इन दो राज्यों में आतंकी गतिविधियां, हथियार सप्लायर, नशे के तस्कर की तलाश और घरों की तलाशी 50km के दायरे में कर सकते हैं. असम तो भाजपा शासित प्रदेश है, इसमें राज्य सरकार की तरफ से कोई दिक्कत नहीं है !!
राजस्थान में दलित की मॉब लिंचिंग पर भाजपा की चुप्पी को राष्ट्रवादियों ने खूब कोसा।
लखीमपुर खीरी में वाहन चालक समेत चार लोगों की लिंचिंग पर भी शीर्ष नेतृत्व को खूब कोसा गया। मामला चाहे किसान के नाम पर खालिस्तानियों का लाल किला से लखीमपुर तक का हुड़दंग का हो।
चाहे शाहीन बाग या पालघर का। शीर्ष नेतृत्व को अपने ही धड़ा के लोग इतना कोसते हैं मानो मोदी जी मनमोहन सिंह जी से भी कम बोलते हों।
"अपने-अपने मानवाधिकार" की बात आज मोदी जी ने कही। राजस्थान में दलित लिंचिंग का मामला मीडिया में जगह पाया। बस एक दिन में दो चार डिबेट एपिसोड हुए।
बात खत्म। राष्ट्रवादी धरा अपने प्रधानमंत्री से क्या सिर्फ एक दिन वाला परिणाम चाह रहा है? हम शासन के तरीके को कांग्रेसी शासन के तरीके से क्यों तुलना करना चाहते हैं? क्यों हम चाहते हैं कि केंद्र सरकार चुनाव आयोग द्वारा घोषित लोकतांत्रिक सरकार को इंदिरा गांधी के
भारत को रोज किसी न किसी षड्यंत्र का शिकार बनाया जा रहा है। अब विदेश में यह संकेत भेजा जा रहा है कि अगर आपने भारत में प्लांट लगाया तो आपको भयंकर बिजली की शॉर्टेज का सामना करना पड़ेगा।
यह तो आप सबको मालूम ही होगा कि चीन में कोयले की शॉर्टेज के चलते भयानक तौर पर बिजली की कमी है।
बस अपने देश के लोगों का इस ओर से ध्यान हटाने के लिए चीन ने यह खेल भारत में भी रच दिया। कहा जा रहा है कि पहले मीडिया खरीदा गया जिन्होंने थर्मल प्लांट्स पर भारी कोयले की कमी की खबरें व्यापक तौर पर फैलाईं।
फिर उन राज्यों के इलेक्ट्रिसिटी बोर्ड को खरीदा गया जहां विपक्ष की सरकारें राज कर रही हैं। उनके द्वारा कोयले की परचेस में देरी करवाकर कोयले की सप्लाई बाधित की गई और आर्टिफिशल शॉर्टेज क्रिएट की गई।
पर सरकार ने कल बयान जारी कर कह दिया है की कोयले के पर्याप्त भंडार हैं