‘जनता का आग्रह’ नहीं, प्रधानमंत्री मोदी के ट्वीट के चलते बदला गया राजीव गांधी खेल रत्न का नाम। RTI के अनुसार, युवा कार्यक्रम और खेल मंत्रालय ने यह स्वीकार किया है कि उनके पास इस पुरस्कार का नाम बदलने को लेकर जनता से कोई निवेदन या आग्रह प्राप्त होने सम्बंधी कोई दस्तावेज नहीं हैं।
'द वायर' ने 8/08/2021 को एक RTI आवेदन में, पूछा था कि इस अवॉर्ड का नाम बदलने को लेकर सरकार को कुल कितने निवेदन प्राप्त हुए हैं। इसके साथ ही इन निवेदन पत्रों की फोटोकॉपी की भी मांग की गई थी। इस पर मंत्रालय की केंद्रीय जन सूचना अधिकारी ने कहा, ‘इस सम्बंध में कोई जानकारी नहीं है।’
यह फैसला लेने से पहले मंत्रालय ने अन्य संबंधितों के साथ भी कोई विचार-विमर्श नहीं किया था और सिर्फ प्रधानमंत्री के ट्वीट के आधार पर ही पुरस्कार का नाम बदला गया। पहले ट्वीट किया गया और बाद पुरस्कार का नाम बदला गया।
'द वायर' ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि इस फैसले की फाइल में लगे दस्तावेजों की शुरुआत प्रधानमंत्री के ट्वीट से होती है। इसमें उनके तीन सिलसिलेवार ट्वीट्स की फोटो लगाई गई है, जिसके आधार पर पुरस्कार का नाम बदलने सम्बंधी मंजूरी प्राप्त करने के लिए फाइल नोटिंग्स तैयार की गई थी।
इस पूरी कवायद के दौरान मंत्रालय के अधिकारियों के सामने एक अन्य दुविधा खड़ी हुई थी कि चूंकि मेजर ध्यानचंद के नाम पर पहले ही एक पुरस्कार ‘ध्यानचंद अवॉर्ड’ दिया जाता है, तो इसके बारे में क्या किया जाए? बाद में उन्होंने यह फैसला लिया कि आगे चलकर इसका भी नाम बदल दिया जाएगा!
एक ट्वीट में 'अनेक देशवासियों ने आग्रह; करने की बात सफेद झूठ थी जिसके बाद हड़बड़ी में ‘राजीव गांधी खेल रत्न अवॉर्ड’ का नाम बदल दिया गया ।
आपत्ति, मेजर ध्यानचंद के नाम पर नहीं है, आपत्ति झूठ की प्रवित्ति पर है। झूठ और अपनी मर्जी को ही जनता की इच्छा समझने की प्रवित्ति फासिज़्म है।
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सॉफ्ट और हार्ड हिंदुत्व, धर्मांध राष्ट्रवाद का ही एक रूप है। राजनीति को धर्मांधता से बचना चाहिए। धर्म का आधार ही निजी आस्था है और इस पर तर्क संभव नहीं है। जबकि राजनीति और राज्य की अवधारणा, लोककल्याण और रोजी रोटी शिक्षा स्वास्थ्य से जुड़े असल मुद्दों के समाधान के लिये हुयी है।
मंदिरों और मज़ारो पर जाकर फ़ोटो खिंचाते राजनीतिक व्यक्ति खुद को धार्मिक घोषित तो करते हैं, पर इसमे उनके आस्थाभाव का कितना अंश होता है, यह तो वही जानें, पर यह धर्मभीरु जनता को अपना धार्मिक चेहरा दिखाने और आस्था के सहारे अपनी राजनीतिक ज़मीन तैयार करना भी उनका एक उद्देश्य होता है।
धर्म और धर्मांधता दोनों अलग अलग चीजें हैं। धर्म जब राजनीति में घुलमिल जाता है तो, जो उत्पाद बनता है वह धर्मांधता होती है। धर्म को यदि आप सच मे समझ चुके हैं तो, धर्मांधता आप को अधर्म ही लगेगी जो, धर्म को उसके मूल उद्देश्य से भटका कर, सत्ता प्राप्त करने का एक साधन बन जाती है।
बौद्धिक वर्ग और जाति के प्रश्न पर,
डॉ. राममनोहर लोहिया ने कहा था ----
" हिन्दुस्तान का बौद्धिक वर्ग ,जो ज्यादातर ऊंची जाति का है .भाषा या जाति या विचार की बुनियादों के बारे में आमूल परिवर्तन करने वाली मानसिक क्रांति की सभी बातों से घबराता है ....
.... वह सामान्य तौर पर और सिद्धांत के रूप में ही जाति के विरुद्ध बोलता है . वास्तव में ,वह जाति की सैद्धांतिक निंदा में सबसे ज्यादा बढचढ कर बोलेगा पर तभी तक जब तक उसे उतना ही बढ़चढ़ कर योग्यता और समान अवसर की बात करने दी जाये ....
इस निर्विवाद योग्यता को बनाने में ५ हज़ार बरस लगे हैं .कम से कम कुछ दशकों तक नीची जातियों को विशेष अवसर देकर समान अवसर के नए सिद्धांत द्वारा ५ हज़ार बरस की इस कारस्तानी को ख़तम करना होगा ......
आर्यन खान केस में एक एथिकल हैकर की चिट्टी ने नया ट्विस्ट (New Twist in Aryan Khan Case) ला दिया है। हैकर का दावा है कि उसे शाहरुख खान की मैनेजर पूजा ददलानी का मोबाइल हैक (Pooja Dadlani Phone Hack) करने का ऑफर मिला था। यही नहीं उसे 'आर्यन खान वॉट्सऐप चैट' भी दिखाए गए थे।
'फ्री प्रेस जर्नल' के मुताबिक, इस एथिकल हैकर का नाम मनीष भांगले है। उन्होंने मुंबई पुलिस कमिश्नर को एक चिट्ठी लिखी है। इसमें दो लोग आलोक जैन ओर शैलेष चौधरी का नाम लिया गया है।
मनीष ने चिट्ठी में लिखा है कि 6 अक्टूबर को इन दोनों लोगों ने उनसे संपर्क किया और कुछ अन्य लोगों के साथ ही शाहरुख खान की मैनेजर पूजा ददलानी के फोन कॉल रिकॉर्ड्स हैक करने का ऑफर दिया।
मुंबई पुलिस ने नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े पर लगे वसूली के आरोपों की जांच के लिए चार सदस्यीय टीम नियुक्त की है।
संयुक्त पुलिस आयुक्त विश्वास नांगरे पाटिल ने बुधवार को आदेश जारी कर एडिशनल सीपी दिलीप सावंत को जांच की निगरानी करने का निर्देश दिया।
आदेश में कहा गया है कि एनसीबी के JD समीर वानखेड़े के खिलाफ एमआरए मार्ग पुलिस स्टेशन में रिश्वत की चार शिकायतें दर्ज की गई हैं। यह एनसीबी मामले में एक महत्वपूर्ण गवाह – प्रभाकर सेल, एडवोकेट सुधा द्विवेदी, और दो अन्य व्यक्तियों, कनिष्क जैन और नितिन देशमुख द्वारा दर्ज कराई गयी हैं।
फर्द बरामदगी के चश्मदीद प्रभाकर सेल के नोटरीकृत हलफनामे में जबरन धन वसूली के आरोप लगाये गए हैं । एनसीबी के अनुसार, प्रभाकर सेल, आर्यन खान के दोस्त अरबाज के पास से छापेमारी और कथित तौर पर 6 ग्राम चरस जब्त करने का गवाह है। आर्यन खान और अरबाज को एक साथ पकड़ा गया।
सुप्रीम कोर्ट ने आज 25 अक्टूबर को एनईईटी-पीजी के लिए काउंसलिंग पर रोक लगाने का निर्देश दिया है। यह तब तक रहेगी, जब तक, कोर्ट ऑल इंडिया कोटा में ओबीसी और ईडब्ल्यूएस आरक्षण शुरू करने के केंद्र सरकार के निर्णय की वैधता पर सुनवाई कर के कोई फैसला नहीं कर लेता।
Sr Adv अरविंद पी दातार ने जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की बेंच के समक्ष इस मामले का उल्लेख करते हुए कहा कि 25 अक्टूबर से शुरू होने वाली काउंसलिंग के लिए कार्यक्रम की घोषणा की गई है। इसपर हस्तक्षेप के लिए प्रार्थना करते हुए कहा कि पूरी प्रक्रिया लंबित रहने के दौरान समाप्त हो सकती है।
इस पर संज्ञान लेते हुए पीठ ने निर्देश दिया कि जब तक अदालत इस मुद्दे का फैसला नहीं कर लेती, काउंसलिंग आगे नहीं बढ़नी चाहिए।
न्यायमूर्ति चंद्रचूड़ ने अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल केएम नटराज से कहा, "जब तक हम इस मुद्दे का फैसला नहीं करेंगे, तब तक काउंसलिंग शुरू नहीं होगी।"
आर्यन खान, मुंबई में, एक क्रूज में ड्रग मामले में पकड़ा गया है। यदि इस मामले की प्रोफेशनल छानबीन करें तो NCB के इस ऑपरेशन में कई ऐसी गलतियां हुयी हैं, जो या तो अनायास हुयी हैं या सायास, यह तो, जांच के बाद ही पता चलेगा।
● हर बरामदगी में दो स्वतंत्र गवाह होते हैं। इसमे भी हैं।
● इस मामले में दो गवाह हैं। एक केपी गोसावी जो एक निजी जासूस है और प्रभाकर सैल जो उक्त निजी जासूस का अंगरक्षक बताया जाता है।
● गिरफ्तारी में आर्यन के पास से ड्रग की कोई बरामदगी नहीं है, पर उसके मोबाइल के व्हाट्सएप चैट से NCB को यह पता लगता है कि वह ड्रग रैकेट में शामिल है।
● आर्यन की एक तस्वीर, सोशल मीडिया पर वायरल होती है, जिंसमे बसावी आर्यन के साथ सेल्फी लेते हुए दिख रहा है।
यहीं यह सवाल उठता है कि कस्टडी में वह इतना खुलकर सेल्फी कैसे ले रहा है और उसे सोशल मीडिया पर वायरल भी कर रहा है ?