लगे रहे हो ब्राह्मणों और शास्त्र की निन्दा में दयानन्द के पादरी ज्ञान की नौका पर सवार होकर। ब्राह्मणों के द्वार पलने वाले श्वान उन्हीं का जूठा खा के उन्हीं पर भौंकते हैं। निर्लज्ज!!
कम से कम बौद्ध, जैन, चार्वाक, ईसाई, मुसलमान लोगों के पास अपना एक शास्त्र है, उस शास्त्र को अनुभव से जानना वाला आचार्य है। और वह अपने स्थान से वे लोग वैदिक (सनातन धर्म) और उसके वाहक और कर्ता-धर्ता ब्राह्मणों से वे स्पर्धा करते हैं। 1/4
लेकिन ये अनार्य समाजी भाई लोगों के पास न अपना कोई मौलिक शास्त्र और न ही अपना कोई पक्ष। शास्त्र ले लिया ब्राह्मणों से और उसके विवेचन की पद्धति ले ली प्रोटेस्टैन्ट पादरी से। 2/4
और अगर कह दो कि ब्राह्मणों का जूठन खा के उन्हीं के ऊपर भौंकने वाले पागल श्वान हैं अनार्य समाजी तो कहेंगे कि गाली दे रहे हो। अरे भाई गाली नही दे रहे हैं। आपकी वास्तविकता उपमा-अलंकार युक्त भाषा में बता रहे हैं। 4/4
Sitaram Goel on his Arya Samaj experience. How Arya Samaj prepares the ground for Abrahmism in long run.
"The Arya Samaj of my young days in the village had three main themes to which they devoted the largest part of their programmes the Muslims, the Sanatanis, the Puranas.
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The Muslims were portrayed as people who could not help doing everything that was unwholesome. The Sanatanist Brahmins with their priestcraft were the great misleaders of mankind.
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And the Puranas, concocted by the Sanatanists, were the source of every superstition and puerile tradition prevalent in Hindu society." 3/3 voiceofdharma.org/books/hibh/ch1…
or
एक अनीह अरूप अनामा। अज सच्चिदानंद पर धामा ॥
ब्यापक बिस्वरूप भगवाना। तेहिं धरि देह चरित कृत नाना ॥
सो केवल भगतन हित लागी। परम कृपाल प्रनत अनुरागी ॥
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and saying only particular form is the ब्रह्म.
पुराणों में जो एक देवता विशेष की महत्ता का निरुपण है (जैसे शिव-पुराण में शिव का और विष्णु पुराण में विष्णु का) वह उपासना दृष्टि से है अर्थात् सापेक्ष है।
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असली शंकराचार्य भी अपने दायित्व का निर्वाह नही कर सकते अगर वह धन और मान की किंकरता मन में पाले हुये हैं और देहात्मभाव से प्रेरित हैं।"
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Congress-Pasand Swami Swaroopananda Ji and some Vaishnava Acharyas signed for the construction of mosque opposite RJB temple. Since Puri Shankracharya Ji opposed it, Swaroopananda Ji created a fake claimant to Puri Peeth on the behalf of his Congressi -Bhakts/Masters.
Sekoolar-Savarnism. Sri Sitaram Goel explains it as follows:
"There are always people in all societies who confuse superiority of armed might with superiority of culture, who start despising themselves as belonging to an inferior breed and end by taking to the ways of the 1/
conqueror in order to regain self confidence, who begin finding faults with everything they have inherited from their forefathers, and who finally join hands with every force and factor which is out to subvert their ancestral society.
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Viewed in this perspective, Pandit Nehru was no more than a self alienated Hindu, and Nehruism is not much more than Hindubaiting born out of and sustained by a deep seated sense of inferiority vis a vis Islam, Christianity, and the modern West.
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भावार्थ:-(स्वर्ण-वर्ण का प्रकाशमय) पीताम्बर बिजली को लजाने वाला था। पेट पर सुंदर तीन रेखाएँ (त्रिवली) थीं। नाभि ऐसी मनोहर थी, मानो यमुनाजी के भँवरों की छबि को छीने लेती हो॥
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पीत झगुलिआ तनु पहिराई। जानु पानि बिचरनि मोहि भाई॥
भावार्थ:-शरीर पर पीली झँगुली पहनाई हुई है। उनका घुटनों और हाथों के बल चलना मुझे बहुत ही प्यारा लगता है।
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Karnataka means Vijaynagara and its founding guru Vidyaranya Swami. Vijaynagara downfall started after Krishnadevraya converted to Vaishnavism.
Smaarton aur Shaivon se itni ghrina kyon?