जब सबसे ज्यादा शोषित शिक्षकों की बात की जाये,मेरे शिशु मंदिर के आचार्य जी और दीदी जी का नाम शायद सबसे आगेहोगा।
सरस्वती शिशु मंदिर उस दौरके संस्थान हैं जब RSSदेश की राजनीति में सिमट चुका था। राजनैतिक हार पे हार झेलता हुआ,जनसंघ, जनता पार्टी,
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भारतीय जनता पार्टीके नए नए नामो से अपनी जमीन तलाशता हुआ संघ अगर अपनी वैचारिक भूमि पर टिका रहा,सरस्वती शिशु मंदिरों का इसमे गुरुतर योगदानहै।
विद्या भारती नामक अनुषांगिक संगठन,lइन स्कूलों का पैतृक सन्गठन होता है।सन्चालन समिति जो स्वतंत्र होती है,स्थानीय रूप से पंजीकृत हो सकतीहै।
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ये स्थानीय गणमान्य से बनी है। अमूमन संघ से जुड़े कार्यकर्ता केंद्रीय भूमिका में होते है, पर दानदाता भी शामिल होते हैं।
सरस्वती शिशु मंदिर अमूमन राज्यों के बोर्ड से एफिलिएटेड होते हैं। छोटे शहरों में , गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए सरस्वती शिशु मंदिरों का योगदान स्तुत्य है।
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मुझे स्वयं, सरस्वती शिशु मंदिर में नवम से द्वादश तक पढ़ने का सौभाग्य मिला है। शिक्षा गुणवत्तापूर्ण रही है। मेरे समस्त आचार्यों और दीदीयों को मेरा नमन है।
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पर इसके साथ, फ्री गिफ्ट के तौर पर आपको एक विचारधारा भी मिलती है। शिक्षक विद्या भारती द्वारा प्रशिक्षित किये जाते हैं।
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उसी प्रशिक्षण की धारा उन्हें,छात्रों में बहानी होती है।इन छात्रों से बड़ी मात्रा में संघ का कैडर और भावी वोटर भी तैयार होता आयाहै।
तो आज अगर संघ की विचारधारा को आसानी से गटकने के लिए लोग तैयार रहते हैं,तो इसलिए इन स्कूलों की शिक्षा ने,छात्रों की दिमागी जमीन को,संघी सोच के लिए
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सकारात्मक निंदाई गुड़ाई कर रखीहै।
शालाओं में अमूमन स्थानीय बेरोजगार युवा पढ़ाते हैं। वेतन बस इतना कि गुजारा चल जाये। ट्यूशन वगेरह पर अमूमन रोक होतीहै। सिर्फ कमिटमेंट और वैचारिक समर्पणकी वजह से लोग पूरी की पूरी जिंदगी इस छोटीसी नौकरीमें गुजार देतेहैं।
ऐसे शिक्षकोंको जानताहूँ
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जिन्होंने जीवन खपा दिया, सम्मान कमाया। हम उन्हें सड़क पर भी मिल जाये, तो चरण स्पर्श करते है।
झोला लेकर दीनहीन, ट्रेन के गेट पर खड़े खड़े यात्रा कर रहे आचार्यजी को इज्जत से अपनी सीट बिठाया है। तब और अब के बीच चेहरे पर आ गयी झुर्रियां गिनी, रबर की चप्पलों और बिवाई फटे पैरों को
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देख अकबकी सी महसूस कीहै।
100साल के सूखे के बाद आज संघ की सत्ता है।आज है..कौन जाने कल न रहे। बकैती के सिवाय कुछ अच्छा नही किया इन लोगो ने।एक काम कर दें।
सारे सरस्वती शिशु मंदिर का सरकार में अधिग्रहण करें। शिक्षकों को उनकी योग्यता और सेवा अवधि के अनुसार रेगुलर कर दें।कम से कम
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इनका तो जीवन बना दें।
पार्टी को,आरएसएस को जरूर भय होगा,कि सरकार बदल गयी तो सारा इन्फ्रास्ट्रक्चर हाथ से निकल जायेगा।मेरा यह सुझाव कुटिल चालाकी भरा लग सकता है। ठीक है,पर गरीब परिवारों से निकले इन डिवोटेड टीचर्स को मछली पकड़नेके लिए चारेसे कुछ ज्यादा ट्रीट करनेका वक्त कब आएगा??
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अब नही तो कब??
मनन करके देखिए। वरना इस सरकार के जाने के बाद, जब सबसे ज्यादा ठगे गए लोगो बात की जाये, मेरे शिशु मंदिर के आचार्य जी और दीदी जी का नाम, शायद सबसे आगे होगा।
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👉 @RebornManish @BramhRakshas
👉अगर मोदी सरकार को हटानें की कोशिश की तो भारत में सीरिया जैसे गृहयुद्ध की सुरुवात हो जायेंगी- श्रीश्री रवि शंकर
👉2019 का चुनाव लोक तांत्रिक भारत का आखरी लोकसभा चुनाव है, 2024 में चुनाव नहीं होगा- साक्षी महाराज
👉हमारी सरकार 50 साल तक भारत की सत्ता पर बनी रहेगी-अमित शाह (1)
देश 2014 के बाद सही अर्थ में आजाद हुआ है- कंगना राणावत
पिछले 70 साल का कचरा साफ करने में समय तो लगेगा ही- विक्रम गोखले
कभी सोंचा आपने कि समय समय पर इस तरह के बयान संघ भाजपा और मोदी सरकार के मंत्रीयों ने और उद्योगपति समर्थकों ने क्यों दिये है??
जो घटिया,दंगाई और जलील
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आदमी बुढ़ापे तक बूढ़ी मां को और उसकी गरीबी को बेंचता रहा,बीवी को छोड़ कर भाग गया,कभी अपने बाप का जिक्र नही करता।जिस पर 2014 तक न जाने कितने आपराधिक मुकदमे थे,जो बेगैरत जवानी से लेकर बुढ़ापे तक देश से झूठ बोलता रहा,उस मक्कार को क्यों अवतारी घोषित किया जा रहा है??
अम्बानी,अडानी
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राज्यसभा एडजर्न कर, बहुमत के बगैर, आसंदी की कुटिलता से ध्वनिमत बताकर पास किये कृषि कानून, खत्म करने के लिए प्रधानसेवक सन्सद के दरवाजे जाएंगे। नया फरमान है, कि सरकार बहादुर, फार्म लॉज वापस लेंगे। सब कुछ, पूर्ववत हो जाएगा।
क्या सचमुच??
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सारे किसान खालिस्तानी आतंकी बताये गए। उन्हें देशद्रोही कहा,पाकिस्तान भेजा।दिन रात टीवी पर बेशर्म बहसें चली।पुलिस के सामने गुंडों ने किसानों पर पत्थर बरसाए।लाठियां भांजी,पानी फेंके। किसान नेता बदनाम किये गए, उनके टेंट जलाए गए,सौ से उपर लाशें गिरी।
देश के वक्षस्थल जो चाकू घोपा
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जा रहा था,वो एक तरफ रख देने की घोषणा हुई है।हुक्म है कि अधमरा,लहूलुहान देश अब अपने घर लौटने को आजादहै।
अब हमें यकीन करना है,कि सड़को पर बिछाई कीले निकाल दी जाएंगी।कंक्रीट के बैरिकेट तोड़े जाएंगे।खुदी हुई सड़के पाटी जाएंगी।मरे हुए लोग जिंदा होकर अपने घरों में खुशी खुशी लौटेंगे।
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एक जनपद में सीएम3लाख रुपया अनुदान बाँटने गये,कार्यक्रम समाप्त होनेके बाद एक पत्रकारने डीएम से पूछा कि डीम साहब बताइये सीएमके आजके कार्यक्रम पर खर्च कितना हुआ?डीएम ने कहा येआपको क्या किसीके लिये मैं जबाबदेह नहींहूँ।
पत्रकार ने कहा मननोहन सिंहने आरटीआई कानून दियाहै मैं पूछलूँगा
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तब तो आपको बताना ही पड़ेगा,इसलिये बेहतर होगा आप ऐसे ही बता दें मैं छापूँगा नहीं ।
डीएम ने कहा भाई सीएम का प्रोग्रामथा तो खर्च तो करना ही पड़ेगा फिर सरकार का ही पैसा है मेरे बाप का तो नहीं,पत्रकार ने कहा तो सीएम के बाप का है,चलिये बताईए ,डीएम ने बताया27लाख के लगभग खर्च आयाहै।
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अब आप समझिये गरीबी क्यों न हो देश में,३ लाख बांटने मे२७लाख खर्च।गांव की कहावत है . ", जितनी की मुर्गी नगी उतनी की चोथाई"
कुत्ते खारहेहैं ,चोर हरामखोर मौज कर रहे हैं,भड़वे ऐश कररहे है,तानाशाह राज कररहे हैं,लुटेरे पूँजीपति देश चलारहे हैं आधिकारी शासन कररहे हैं।
जनता हिन्दू मुस्लिम
एक थे पिग्गु जी। तलैया के एक तरफ लोटिया रहे थे कीचड़ में.. छप छप छई, छपा के छई । बढिया मस्ती में थे, उस तरफ शेर आया। प्यास लगी थी, पानी पीने लगा। इधर पिग्गु जी की मस्ती हाइपर हो गयी। जोर से चिल्लाए..
"ओए शेरss , आजा दम है तो, कर ले दो- दो हाथ" 6/1
शेर ने,पिग्गु को नजर भर देखा। कीचड़ में लपटाए,कई किस्म की दुर्गन्धों से युक्त, एकदम घिनघिनाये हुए..!!!शेर को गुस्सा तो आया, मगर जप्त किया।फिर ये जंगल पिग्गुओ का भी तो है, जी ले अपनी जिंदगी।
तो शेर जी ने पानी पिया, चुपचाप चले गए।
पिग्गु जी ने घर आकर अपना बहादुरी कारनामा
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डैडी ने हालात समझे और बेटे को बताया- बेटा वो तेरा डर नही, तेरी दुर्गंध थी। अब तू बच के रह। कभी साफ सुथरा दिखा..
तो पिग्गु से पोर्क बनते देर न लगेगी।
पिग्गु ने बात गांठ बांध ली। सदैव कीचड़ से सना रहता। आगे वह भी बड़ा हुआ, उसका परिवार बढ़ा। कीच और बदबू पारिवारिक गुण बन गया।
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गोरखपुर के नजदीक ASI की खुदाई चल रही थी। वहां एक ममी पाई गई जो बिल्कुल मिस्री परम्परा के मुताबिक बनाई हुई थी। भारत के इतिहास में ममी का मिलना अपने आपमे एक नई घटना थी, जिससे इतिहास के नए सफहो पर प्रकाश पड़ता।
चार फुट की उस
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ममी के साथ उसके दैनिक उपयोग के सामान थे।ममी को संग्रहालय में रखने की तैयारी हो रही थी। इसके पहले तमाम परीक्षण हो रहे थे। तभी नोटिस किया गया कि ममी के आसपास सूक्ष्म आवृत्ति की ध्वनियां प्रसारित हो रही हैं
शुरू में इन ध्वनियों को किसी आसपास के इलेक्ट्रॉनिक इक्विपमेंट का कम्पन
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समझा गया।पर शीघ्र ही वैज्ञानिकों की एक टीम इस मामले में दिलचस्पी लेने लगी।
ध्वनियों को रिकार्ड किया गया और सैम्पल को ASI के अधिकारियों और पुरातत्वविदों ने संयुक्त राज्य अमेरिका,ब्रिटेन,फ्रांस,रूस,चीन के वैज्ञानिकों से साझा किया गया। सभी देशों ने विलक्षण ममीके परीक्षणके लिए
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