चोरी का माल, वापस रख दिया है।

राज्यसभा एडजर्न कर, बहुमत के बगैर, आसंदी की कुटिलता से ध्वनिमत बताकर पास किये कृषि कानून, खत्म करने के लिए प्रधानसेवक सन्सद के दरवाजे जाएंगे। नया फरमान है, कि सरकार बहादुर, फार्म लॉज वापस लेंगे। सब कुछ, पूर्ववत हो जाएगा।

क्या सचमुच??
1
सारे किसान खालिस्तानी आतंकी बताये गए। उन्हें देशद्रोही कहा,पाकिस्तान भेजा।दिन रात टीवी पर बेशर्म बहसें चली।पुलिस के सामने गुंडों ने किसानों पर पत्थर बरसाए।लाठियां भांजी,पानी फेंके। किसान नेता बदनाम किये गए, उनके टेंट जलाए गए,सौ से उपर लाशें गिरी।

देश के वक्षस्थल जो चाकू घोपा
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जा रहा था,वो एक तरफ रख देने की घोषणा हुई है।हुक्म है कि अधमरा,लहूलुहान देश अब अपने घर लौटने को आजादहै।

अब हमें यकीन करना है,कि सड़को पर बिछाई कीले निकाल दी जाएंगी।कंक्रीट के बैरिकेट तोड़े जाएंगे।खुदी हुई सड़के पाटी जाएंगी।मरे हुए लोग जिंदा होकर अपने घरों में खुशी खुशी लौटेंगे।
3
प्रधानसेवक को दुआएं देंगे।

पांच साल से देश पैरालिसिस की अवस्था मे है। हर तरफ कॉन्फ्लिक्ट है,शोर है,नंगई है। नोटबन्दी ने जनता को लूटा तो जीएसटी ने राज्य सरकारो को कंगाल कर दिया। जीवन स्तर गिरा है,सेवाओ की गुणवत्ता गिरी है, विमर्श का स्तर गिरा है।
सन्सद पंगु है,महल से अध्यादेश
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जारी होते हैं। आज नियम बनाने, और कल उधेड़ने के जारी होते हैं। व्यवस्था का मजाक चरम पर है। सामाजिक तनाव चरम पर है। पूरा देश अपना काम धाम रोककर बस इंतजार कर रहा है।

गलत दिशा में बढ़ चुके कदमो के लौटने का इंतजार कर रहा है।

मगर लौटना, पछतावा उनकी तासीर नही है, चालाकी है।
5
पांच साल पहले उत्तरप्रदेश जीतने के लिए नोटबन्दी का मोहरा बढाया था। पांच साल बाद फार्म लॉज का मोहरा पीछे हटाया गया है।

चुनाव से चुनाव तक, यह दौड़ है। देश मे चुनाव के सिवाय कुछ महत्वपूर्ण नही। चुनाव के लिए पैसे चाहिए। देने वाले को कुछ देर धीरज रखने को कहा गया है।
6
टुकड़े टुकड़े में ये कानून फिर लौटेंगे। छः माह बाद लौटेंगे। इसलिए इस तमाशे पर मुझे यकीन नही।

लेकिन कुछ देर राहत की सांस ले सकते हैं। क्योकि सुबह पता चला है कि कल रात फासिस्ट गैंग ने

..चोरी का माल लाकर वापस रख दिया है।
7
@BramhRakshas

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20 Nov
वो हिन्दू माँ का लाल था।
और पठान का बच्चा था। बेहद दयावान, कृपालु , प्रजापालक था। एंटायर फ़ारसी, कुरान, एस्ट्रोनमी, गणित, विज्ञान और इकॉनमिक्स का ज्ञाता था। 19-19घण्टे बस यही सोचता कि प्रजा का भला कैसे हो। उसने बारी बारी से "शबका भला" करने का डिसाइड किया।
--
तो उसने तय किया
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कि वो किसानों की आय दोगुनी कर देगा। रियासत की सारी जमीन जिस पर काश्त न की जाती हो, गरीब मजदूरों को खेती के लिए देना तय किया। जमीन पाकर जब वे "उन्नत खेती" करते,तो आय डबल उनकी भी, राजा की भी...
योजना शुरू हुई। लेकिन राजा की पार्टी के अफसरों ने अच्छी अच्छी जमीनों को खुद ही बेनामी
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रख लिया।बेकार जमीनें जनतामें बांट दी।घर से दूर,जंगलों ,पहाड़ों की तलहटी में,बंजर बियाबान में जाकर कौन खेती रहता।योजना फेल हो गयी।

लेकिन अफसर,योजना की सफलता के किस्से बताते रहे,और तकाबी,ट्रेनिंग और पानी की व्यवस्था के नाम पर खजाने से पैसे लेतेरहे। सफलताके आंकड़े जारी होतेरहे।
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19 Nov
👉अगर मोदी सरकार को हटानें की कोशिश की तो भारत में सीरिया जैसे गृहयुद्ध की सुरुवात हो जायेंगी- श्रीश्री रवि शंकर

👉2019 का चुनाव लोक तांत्रिक भारत का आखरी लोकसभा चुनाव है, 2024 में चुनाव नहीं होगा- साक्षी महाराज

👉हमारी सरकार 50 साल तक भारत की सत्ता पर बनी रहेगी-अमित शाह
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देश 2014 के बाद सही अर्थ में आजाद हुआ है- कंगना राणावत
पिछले 70 साल का कचरा साफ करने में समय तो लगेगा ही- विक्रम गोखले

कभी सोंचा आपने कि समय समय पर इस तरह के बयान संघ भाजपा और मोदी सरकार के मंत्रीयों ने और उद्योगपति समर्थकों ने क्यों दिये है??

जो घटिया,दंगाई और जलील
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आदमी बुढ़ापे तक बूढ़ी मां को और उसकी गरीबी को बेंचता रहा,बीवी को छोड़ कर भाग गया,कभी अपने बाप का जिक्र नही करता।जिस पर 2014 तक न जाने कितने आपराधिक मुकदमे थे,जो बेगैरत जवानी से लेकर बुढ़ापे तक देश से झूठ बोलता रहा,उस मक्कार को क्यों अवतारी घोषित किया जा रहा है??
अम्बानी,अडानी
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Read 17 tweets
18 Nov
सरस्वती शिशु मंदिर,और उनके शिक्षक..

जब सबसे ज्यादा शोषित शिक्षकों की बात की जाये,मेरे शिशु मंदिर के आचार्य जी और दीदी जी का नाम शायद सबसे आगेहोगा।

सरस्वती शिशु मंदिर उस दौरके संस्थान हैं जब RSSदेश की राजनीति में सिमट चुका था। राजनैतिक हार पे हार झेलता हुआ,जनसंघ, जनता पार्टी,
1
भारतीय जनता पार्टीके नए नए नामो से अपनी जमीन तलाशता हुआ संघ अगर अपनी वैचारिक भूमि पर टिका रहा,सरस्वती शिशु मंदिरों का इसमे गुरुतर योगदानहै।

विद्या भारती नामक अनुषांगिक संगठन,lइन स्कूलों का पैतृक सन्गठन होता है।सन्चालन समिति जो स्वतंत्र होती है,स्थानीय रूप से पंजीकृत हो सकतीहै।
2
ये स्थानीय गणमान्य से बनी है। अमूमन संघ से जुड़े कार्यकर्ता केंद्रीय भूमिका में होते है, पर दानदाता भी शामिल होते हैं।

सरस्वती शिशु मंदिर अमूमन राज्यों के बोर्ड से एफिलिएटेड होते हैं। छोटे शहरों में , गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देने के लिए सरस्वती शिशु मंदिरों का योगदान स्तुत्य है।
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Read 11 tweets
17 Nov
एक जनपद में सीएम3लाख रुपया अनुदान बाँटने गये,कार्यक्रम समाप्त होनेके बाद एक पत्रकारने डीएम से पूछा कि डीम साहब बताइये सीएमके आजके कार्यक्रम पर खर्च कितना हुआ?डीएम ने कहा येआपको क्या किसीके लिये मैं जबाबदेह नहींहूँ।
पत्रकार ने कहा मननोहन सिंहने आरटीआई कानून दियाहै मैं पूछलूँगा
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तब तो आपको बताना ही पड़ेगा,इसलिये बेहतर होगा आप ऐसे ही बता दें मैं छापूँगा नहीं ।
डीएम ने कहा भाई सीएम का प्रोग्रामथा तो खर्च तो करना ही पड़ेगा फिर सरकार का ही पैसा है मेरे बाप का तो नहीं,पत्रकार ने कहा तो सीएम के बाप का है,चलिये बताईए ,डीएम ने बताया27लाख के लगभग खर्च आयाहै।
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अब आप समझिये गरीबी क्यों न हो देश में,३ लाख बांटने मे२७लाख खर्च।गांव की कहावत है . ", जितनी की मुर्गी नगी उतनी की चोथाई"
कुत्ते खारहेहैं ,चोर हरामखोर मौज कर रहे हैं,भड़वे ऐश कररहे है,तानाशाह राज कररहे हैं,लुटेरे पूँजीपति देश चलारहे हैं आधिकारी शासन कररहे हैं।
जनता हिन्दू मुस्लिम
Read 6 tweets
16 Nov
बांकेलाल एक फांदेबाज़ आदमी है।

31 अक्टूबर 2020 की तारीख को याद कीजिये।

उस दिन अहमदाबाद से केवडिया तक सी-प्लेन सेवा शुरू की गई थी, क्योंकि गुजरात की फटेहाली में भिकास का पैबंद लगाकर फांदेबाज़ी करना था।

बांकेलाल उसी सी-प्लेन से आये, उतरे और पर्यटन के भिकास का दावा किया।
3/1
आज किसी के पास कोई तथ्यात्मक जानकारी नहीं है कि उस कारनामे से कितना पर्यटन बढ़ा।

वह50साल पुराना जंग खाया सी-प्लेन था। एक महीनेमें ही खराब हो गया और अब यह सेवा बंदहै।

अब यूपी चुनाव जीतनाहै,पूर्वांचल को मूर्ख बनाना है,तो एयरफोर्स के विमानोंको एक ऐसे एक्सप्रेसवे पर उतार दिया
3/2
जिसकी योजना सपा सरकार की थी।

मूर्ख जनता लहालोट है।

अगर आप आगरा-लखनऊ एक्सप्रेसवे को देखें तो 302 किमी की 8 लेन वाली सड़क 18 माह में 13200 करोड़ में बनी।

340 किमी पूर्वांचल एक्सप्रेसवे 6 लेन की है, लेकिन उसे 36 महीने के भीतर बनाने में 22500 करोड़ खर्च हुए।
3/3
Read 4 tweets
16 Nov
बड़ी पुरानी बात है।

एक थे पिग्गु जी। तलैया के एक तरफ लोटिया रहे थे कीचड़ में.. छप छप छई, छपा के छई । बढिया मस्ती में थे, उस तरफ शेर आया। प्यास लगी थी, पानी पीने लगा। इधर पिग्गु जी की मस्ती हाइपर हो गयी। जोर से चिल्लाए..

"ओए शेरss , आजा दम है तो, कर ले दो- दो हाथ"
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शेर ने,पिग्गु को नजर भर देखा। कीचड़ में लपटाए,कई किस्म की दुर्गन्धों से युक्त, एकदम घिनघिनाये हुए..!!!शेर को गुस्सा तो आया, मगर जप्त किया।फिर ये जंगल पिग्गुओ का भी तो है, जी ले अपनी जिंदगी।

तो शेर जी ने पानी पिया, चुपचाप चले गए।

पिग्गु जी ने घर आकर अपना बहादुरी कारनामा
6/2
डैडी ने हालात समझे और बेटे को बताया- बेटा वो तेरा डर नही, तेरी दुर्गंध थी। अब तू बच के रह। कभी साफ सुथरा दिखा..

तो पिग्गु से पोर्क बनते देर न लगेगी।
पिग्गु ने बात गांठ बांध ली। सदैव कीचड़ से सना रहता। आगे वह भी बड़ा हुआ, उसका परिवार बढ़ा। कीच और बदबू पारिवारिक गुण बन गया।
6/3
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